मस्त मटकती गांड वाली माल पड़ोसन की चुत चुदाई
मैं एक जवान एथलीट बॉडी का 5’9″ लंबाई का और मीडियम चेस्ट वाला 21 साल का लड़का हूँ। मेरा लंड आम लौड़ों से काफी लंबा है।
बात उस समय की है.. जब मैं तीन साल पहले जयपुर में कमरा लेकर विशेष परीक्षा की तैयारी कर रहा था।
जिस मकान में मैं रहता था उसी मकान में एक आंटी भी किराए से रहती थीं। आंटी पता नहीं कब से वहाँ रह रही थी.. पर जब मैं वहाँ रहने लगा.. तो मैंने मन ही मन सोचा कि आज दिन तक किसी को नहीं चोदा है.. क्यों ना इस आंटी को ही ट्राई कर लिया जाए।
इस तरह से उन्हें चोदने की इच्छा प्रबल हो गई।
आंटी करीब 35 साल की अच्छे मोटे उभार और मस्त मटकती गांड वाली माल थीं, दिखने में चेहरे से ज़्यादा खूबसूरत नहीं थीं.. पर जब कभी वो सामने से मुड़कर जातीं तो उनकी गांड मेरे दिमाग़ में एक अलग सी हलचल पैदा कर देती।
मैंने चेहरे पर मुहासों के बारे ऐसा सुना था कि जिसकी सेक्स करने की इच्छा ज़्यादा होती है.. उनके चेहरे पर मुहांसे ज़्यादा और जल्दी होते हैं।
मैंने इसी बात का फायदा उठाकर एक बार उनसे पूछा- आंटी जी ये मुहांसों का क्या इलाज है.. ये क्यों होते हैं और कैसे होते हैं?
तो आंटी जी ज़रा सी मुस्कुराईं और बिना जवाब दिए वहाँ से चली गईं।
मुझे लगा कि शायद उनको भी मुहांसे के बारे में वही पता है.. जो मैं मानता हूँ।
अब मैं उनके साथ कभी-कभी ज़्यादा समय बिताने लगा था।
एक दिन मैंने बातों ही बातों में ही उनसे उनके पति के बारे में पूछा.. तो उन्होंने बताया- मेरे पति दिल्ली में नौकरी करते हैं.. और दो महीने में एक बार मुझसे मिलने आते हैं।
मतलब मुझे समझ में आ गया था कि इस तरह से उनकी सेक्स लाइफ बिल्कुल बेकार हो रही थी।
जब भी वो मुझे अकेले में मिलतीं.. तो मैं उन्हें किसी ना किसी तरह छेड़ देता था.. तो वो मुस्कुराकर निकल जाती थीं।
एक दिन जब मैं जल्दी उठा.. तो वो ऊपर की बालकनी में झाड़ू लगा रही थीं। उस समय मकान के सभी किराएदार सोए हुए थे।
मौका देखकर मैंने उनका रास्ता रोक लिया। जैसे ही वो वहाँ से गुजरने लगीं.. तो शायद मेरे हाथ से उनका बूब दब गया.. तो उन्होंने सकपका कर बोला- ये अभी क्या कर रहे हो.. कोई जाग रहा होगा तो पता चल जाएगा।
इतनी बात से मैं समझ गया कि इनको मुझसे कोई आपत्ति नहीं है। वो ऊपर की झाड़ू लगाने के बाद ग्राउंड फ्लोर पर सीड़ियों के पास सफाई करने लगीं।
मेरा रूम सीढ़ियों के पास होने से मुझे पता चल गया और मैंने बाहर निकल कर चारों और देख कर उनके मम्मों को मसलना शुरू कर दिया।
पहले तो मेरा हाथ उनके मम्मों पर गए फिर धीरे-धीरे मेरे हाथ उनकी चुत के उभार पर पहुँच गया और हल्के से ऊपर से ही सहलाने लगा।
उन्होंने भी मेरे लंड को मसल दिया।
लेकिन इतने में मेरी कोचिंग का समय हो गया था।
दरअसल जब मैं कमरे के बाहर निकला.. तब वो भी वहीं पर झाड़ू लगाने पहुँची थीं। तो मेरा कोचिंग जाने का टाइम होने के कारण मैं चला गया और वापिस दो बजे कमरे पर आया। मैं कपड़े बदल कर खुद फ्रेश होने के लिए ऊपर वाली छत के बाथरूम में चला गया।
जब वापिस नीचे आने लगा.. तो उन्होंने पूछा- अब क्या करोगे?
मैंने बोला- चाय बनाऊँगा।
उन्होंने पूछा- मेरे लिए भी बनाओगे क्या?
तो मैंने हाँ में जवाब दिया और उनको भी नीचे अपने कमरे में बुला लिया।
दोपहर का टाइम था। मैंने चाय गैस पर बनने के लिए रख दी और आंटी के साइड में जाकर बैठ गया।
मैंने झिझकते हुए उनके कंधे पर अपना हाथ रखा.. तो उन्होंने कुछ नहीं बोला। मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मेरा हाथ उनकी कमर पर पहुँच गया।
इतने में मैं कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो गया और गैस को बंद करके उसे लिटाने की कोशिश करने लगा।
एक बार तो उन्होंने मना कर दिया और बोला- फिर कभी करेंगे।
मैं नहीं माना और मैंने उनको नीचे फर्श पर दरी बिछाकर लिटा दिया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया।
मैंने पहली बार किसी औरत से अपने शरीर के मिलन का अनुभव लिया था। जब मैं उनके ऊपर लेटा हुआ था.. तब का पल मुझे बहुत ही सुखद महसूस हो रहा था।
अब मैंने धीरे से उनकी साड़ी को नीचे से हटाना शुरू किया। जब मैंने साड़ी हटाई तो उनकी मरमरी और गोरी चिकनी जांघें देख कर ही मैं दंग रह गया।
हाय… क्या मस्त गोरी-गोरी जांघें थीं, उन्हें देख कर मैं पागल हुए जा रहा था।
उस समय पहले मैंने अपने लंड की भूख मिटाना उचित समझा और मैंने अपनी जीन्स की ज़िप खोल कर लंड को बाहर निकाला। फिर मैंने अपने लंड का सुपारा उनकी चुत के छेद पर लगा दिया और एक ही धक्के में मैंने पूरा लंड उनकी चुत में पेल दिया।
कुछ मिनट के बाद मेरा वीर्य उनकी चुत में ही छूट गया, चुदाई का खेल जल्द ही खत्म हो गया था।
फिर मैंने उनको चाय पिलाकर भेज दिया।
उसी दिन शाम को मैं कहीं से घूम कर आया और ऊपर बाथरूम में पानी से अपने को धोने के लिए गया.. तो वो वहीं बाहर ही बैठी मिल गईं।
मैंने उनको हल्के से इशारे से मेरे कमरे में आने का कहा। उसके बाद मैं अपने कमरे में आकर बैठा ही था कि वो भी पीछे से आ गईं।
मैंने कमरे के गेट को अन्दर से बन्द कर दिया।
अब हम दोनों फिर से कमरे के अन्दर अकेले ही थे।
इस बार मैं कोई जल्दबाज़ी नहीं करने वाला था। पहले मैंने उनको कुर्सी पर बिठाया। मैंने सर्दी में ओढ़ने के कंबल को बिस्तर को ठीक करके उसके ऊपर बिछा दिया.. ताकि गद्दा मुलायम सा बन जाए।
अब मैंने उनको बिस्तर पर बिठाया और मैं उनके साइड में जाकर बैठ गया।
मैंने साइड में बैठते हुए ही सीधा उनकी कमर पर हाथ रख दिया और मैंने उनकी कमर को पीछे से धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया।
धीरे-धीरे मेरा हाथ उनकी गांड की दरार में थोड़ा सा अन्दर डाल दिया और एक हाथ को उनकी गर्दन के आगे वाले भाग पर पहुँचा दिया।
अब मेरा एक हाथ बहुत ही धीरे-धीरे पेटीकोट के नाड़े के सहारे साइड में आ गया और मेरा दायाँ हाथ सहलाते हुए उनके उभारों पर कुरती के ऊपर पहुँच गया। मैंने धीरे-धीरे उनकी कुरती के बटनों को खोलना शुरू कर दिया। साथ ही मैं बाएँ हाथ से उनकी कमर सहलाता रहा।
उनकी कुरती के बटनों को खोलने के बाद मैं उनके पीछे की साइड में आ गया। अब मेरा एक हाथ उनके उभारों पर और दूसरा हाथ कमर पर आगे की ओर सहला रहा था।
एक हाथ मेरा उनके कपड़ों में से चुत पर सहलाते हुए पहुँच गया, अब मैं एक हाथ से उनके मम्मों को दबाने लगा।
वो सिसकारियाँ भरने लगीं।
मैंने अब उनको लिटा दिया और उनके ऊपर झुक कर किस करने लगा.. साथ ही दोनों हाथों से उनके मम्मों भी दबाने लगा। वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगीं।
मैं उनके मम्मों को और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। मैंने किस करते हुए अपनी जीभ उनके होंठों में घुसा दी और वो भी मेरा साथ देने लगीं।
इस तरह से देर तक ‘लिप-किस’ करने के बाद मैंने उनके मम्मों पर चुम्मा करना शुरू किया और उनको चूसने लगा।
फिर मैंने उनको आलती-पालथी करके बिठाया और अपना सिर उनकी गोद में रख दिया। अब मैं एक बच्चे की तरह उनके मम्मों को चूसने लग गया। देर तक मम्मों को चूसने के बाद उसी अवस्था में मैंने उनकी नाभि पर किस किया और धीरे-धीरे मेरा मुँह उनकी चुत के दाने पर पहुँच गया।
इस अवस्था में ठीक से नहीं होने के कारण मैंने उनको पहले के जैसे ही लिटा दिया और चुत के दाने को होंठों में लेकर ज़ोर से दबा दिया। इससे उनकी एक मादक आवाज़ में ‘आह्ह..’ निकल पड़ी।
इसके साथ ही मैंने अपनी एक उंगली उनकी चुत में डाल दी। वो अपनी गांड को ऊपर-नीचे उछालने लगीं और मेरे बालों को पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगीं।
मैंने उनको इसी तरह से बहुत देर तक तड़पाया। इसके बाद मैंने अपनी जीभ से उनकी चुत को चोदना शुरू किया।
उनकी चुत में से नमकीन सा रस निकल रहा था.. तो मैं उस रस को सारा ही चाट गया।
इधर मेरे लंड से भी रसधार टपक रही थी.. तो मैंने अपने लौड़े को उनके मुँह में लगा दिया। कुछ देर चूसने के बाद उन्होंने पेलने के लिए बोला। फिर मैंने देरी ना करते हुए लंड को उनकी चुत पर लगाया। एक जोरदार झटका मारा.. तो पूरा लंड उनकी चुत में फिट नहीं हो पाया। मैंने उनकी दोनों टाँगें ऊपर करके पूरा-पूरा का लंड फिट कर दिया।
इस दौरान उनको हल्का सा दर्द भी हुआ। दर्द की परवाह किए बिना मैंने ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने चालू कर दिए।
इस तरह से मैंने उनकी बहुत देर तक चुदाई की।
उसी दौरान उनकी चुत थोड़ी देर के लिए टाइट हुई.. फिर ढीली पड़ गई, इसका मतलब वो झड़ गई थीं।
मैं भी थोड़ी देर बाद झड़ गया और सारा माल उनकी चुत में ही छोड़ दिया। उसके बाद हम दोनों साथ में लेटे रहे.. लेकिन मुझे नींद सी आ गई मुझे पता ही नहीं चला और वो मेरे साथ लेटी रहीं।
कुछ देर बाद अचानक मेरी नींद खुल गई.. मेरा लंड धीरे-धीरे चुत के लिए कड़क हो गया और मैंने चढ़ कर चुत के अन्दर घुसेड़ दिया।
लौड़ा चुत की गहराई में समाते ही मैंने धक्के मारने शुरू कर दिए। इस बार मैं उन्हें काफी देर तक चोदता रहा.. और उनके दो बार झड़ जाने के बाद मैं भी झड़ गया।
यह एक वास्तविक घटना है। कहानी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।
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