मामा से चुदाई की भानजी की व्यथा कथा-2
संपादक- संदीप साहू
लेखक- रोनित राय
नमस्कार दोस्तो, उम्मीद है कि आपके लंड और चूत को मुझसे निराशा नहीं हुई होगी।
इस हिंदी एडल्ट स्टोरी के पिछले भाग
मामा से चुदाई की भानजी की व्यथा कथा-1
नेहा की मामा के साथ चुदाई के लिए भूमिका बन चुकी है, अब उसकी चुदाई का आनन्द लीजिए.
मैंने (नेहा) बहुत ना नुकुर की और हर तरह का नाटक किया, मैंने गिड़गिड़ाते हुए और गुस्सा दिखाते हुए कहा- मामा जी, यह सब गलत हैं मुझे छोड़ दो, आपने मुझे अपनी बचपन से बच्ची की तरह रखा, लाड़ प्यार किया वो सब क्या इसी दिन के लिए था। इस तरह ये सब करना अच्छी बात नहीं।
पर वो नशे में थे उन्होंने एक हाथ मेरी टीशर्ट मैं डालते हुए कहा- देख नेहा, शरीर में जब आग लगती है ना… तो उसे कहीं ना कहीं तो बुझानी ही पड़ती है। अब तेरे तन में जो कामुकता की खलबली मच चुकी है वो ऐसे शांत नहीं होने वाली, अगर तू मुझसे नहीं चुदेगी तो कहीं और चूत फड़वायेगी, तो क्यों ना तू अपने मामा के ही लंड से चुद जाए। घर की बात घर में ही रहेगी और बिना किसी को पटा चले तेरा और मेरा दोनों का काम हो जाएगा.
उनकी इस बात पर मैं कुछ ना कह सकी पर मैंने अपना विरोध जारी रखा, मैं रात के वक्त ब्रा और पैंटी नहीं पहनती इसलिए उनका हाथ सीधे मेरे नंगे बदन पर चला गया और वो मेरे उभरते कठोर मम्मों को जोर से दबाते हुए मेरी गांड को भी जोर-जोर से दबाने लगे, उनकी बातों और हरकत ने मेरे तन में एक सिहरन सी पैदा कर दी।
पता नहीं कब मैंने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया, अब मैं भी उनका साथ देने लगी, उनके होंठों पर होंठ रख दिये, मेरी आँखें कामवासना से लाल हो उठी, उनकी आँखें भी लाल थी, पर वो शराब के नशे की वजह से थी या वासना की वजह से पता नहीं, वैसे वासना का नशा किसी भी अन्य नशे पर भारी पड़ता है।
अब उन्होंने एक झटके में मेरे सारे कपड़े उतारने की कोशिश की और मैंने भी दिल से उनका साथ दे दिया। अब मैं नग्न अवस्था में लेटी थी, मेरे गोरे नाजुक जिस्म को देख कर मामा की आँखें चमक उठी, चूत पर बहुत हल्के भूरे रंग के मुलायम रोयें थे, मम्में आसमान की ओर उठे हुए सख्त हो रहे थे, गुलाबी निप्पल तने हुए थे, और भूरे घेरे के बीच ऐसे घिरे थे कि किसी भी मर्द को ललचाने के लिए काफी थे।
गोरी मांसल जांघों और खूबसूरत पिंडलियों ने तो कयामत ही मचा रखी थी, उन्होंने मेरे पूरे शरीर को एक साथ ही देख लिया और पागल से होकर मुझे ऊपर से नीचे तक चूमने चाटने लगे, उन्होंने अपनी लंबी सी जुबान निकाली और मेरे नंगे बदन को कुत्तों की भांति चाटने लगे, उनका यह अंदाज मुझे भी रोमांचित कर रहा था।
और अब मैं भी उनका साथ देने लगी, उन्होंने सबसे पहले तो मेरी दोनों चूचियों को एक एक करके खूब चूसा, इस चूची चुसाई से मेरी वासना भी अब अपने चरम पर थी, मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी, मैं चाह रही थी कि अब तो बस मामा जी अपनी बहनजी को अपने लम्बे लंड से एकदम चोद दें!
लेकिन मामा तो मेरे नंगे बदन को चाटने में लगे हुए थे. मुझे ऐसे चाटते हुए पेट कमर व जांघों और नाभि को चाटने के बाद योनि प्रदेश को भी खूब चाटा और अपने होंठ मेरी चूत में लगा दिए, पहले बंद चूत की गुलाबी फाँकों को कस के चूसा और फिर अपनी जीभ से चोदने लगे।
मैं कामवासना से मदहोश हुई जा रही थी, मेरे हाथ माम के बालों पर चलने लगे, और मैं अपनी गांड उठा उठा कर उनका साथ देने लगी, मैंने उनके सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और मेरे मामा वैसे ही अपनी भानजी चूत को जीभ से चोदने लगे, मामा बहुत अनुभवी लग रहे थे इस काम में, उनकी चूत चाटन कला के सामने मैं ज्यादा देर टिक ना सकी और कुछ ही समय में मेरा शरीर अकड़ने लगा, मेरी सांसें बहुत तेज तो पहले सी ही थी और अब बदन कांपने लगा.
कुछ पल के लिए मुझे तो लगा कि जैसे मैं जन्नत में पहुँच गई हूँ, मेरा सर चकरा गया था, मेरे कूल्हे खुद ब खुद ऊपर को उछलने लगे, और मेरी चूत ने अपना कामरस मामा जी के मुंह में ही उगल दिया था, जिसे मामा जी ने एक बूंद भी जाया किए बिना चाट लिया।
अब मामाजी ने अपने बचे हुए कपड़े भी उतार दिए और अपने 8 इंच के लंड को मेरे बदन पर छुआते, सहलाते हुए मेरे मुंह तक ले आये और लन्ड मेरे मुंह में डालने लगे, पर उतना विशाल लंड चूस पाना मेरे वश का नहीं था, और मैंने पहले लंड चूसा भी नहीं था, फिर भी वो जबरदस्ती करने लगे, मुझे तकलीफ होने लगी पर मजबूरी में मुझे मामा जी का साथ देना पड़ा।
फिर वो मेरे मुंह को ऐसे ही चोदने लगे, मैं गूंगूग गूऊ ऊउउंउऊ करने लगी, पर वो मेरे मुंह को चोदते ही रहे, उनका लंड भी बहुत पहले से कामवासना का दबाव झेल रहा था, और नई लौडिया के मुंह में जाकर वो और भी सख्त हो गया। इसलिए करीब 5-7 मिनट बाद मेरा मुँह दुखने लगा पर उनका पानी नहीं छुटा।
अब फिर उन्होंने मुझे बेड के किनारे किया और मेरे कमर के नीचे तकिया लगा कर अपने लन्ड पर थूक कर मेरी चूत को चाटने लगे, अपनी काम कला से मेरे बदन को सहला कर मुझे फिर से गर्म किया, मेरी चूत भी दुबारा तैयार और चिपचिपी हो चुकी थी.
फिर वो अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगे और मेरे होंठों को अपने होंठों पर लेकर चूसने लगे।
तभी मामा जी ने नीचे मेरी चूत पर अपने चूतड़ उछाल कर लंड से एक जोर का धक्का लगाया तो उनका आधा लंड मेरी बेचारी मासूम सी चूत की फांकों को अलग करता हुआ खून खराबे के साथ अन्दर जा चुका था.
मेरी चूत मामा जी के लंड के प्रहार से फट चुकी थी, चूत में भयंकर पीड़ा हो रही थी, इसके कारण मेरी आँखों में आँसू आ गये और मैं अपने मामा को अपने ऊपर से धक्का देने लगी, पर मेरा मुंह उन्होंने अपने मुंह से बंद कर रखा था इसलिए मैं चिल्ला भी ना सकी।
और अच्छा ही हुआ जो चिल्ला ना सकी… नहीं तो घर के सारे लोग आ जाते।
मैं हड़बड़ाने लगी पर उन्होंने मुझे मजबूती से पकड़ रखा था, फिर एक और तेज धक्के के साथ अपना पूरा लन्ड मेरी चूत में उतार दिया और वो लगातार मुझे चोदते रहे, चुदाई की शुरुआत में मुझे काफी दर्द हुआ, पर जब चूत में लंड आसानी से फिसलने लगा, तब मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा।
पूरा कमरा हमारी चुदाई के मधुर अहसासों से भीगा हुआ था। आहहह ऊहहह की धीमी आवाजें निकल रही थी, पर हमने उन आवाजों को काबू में रखा था। तभी मुझे लगा कि मैं फिर अकड़ने लगी हूँ, झुरझुरी और कंपकंपी वाला सुखद अहसास एक बार फिर मेरे अंदर तक मुझे तरंगित कर रहा था।
और मैंने अपनी कमर मस्ती में उछालते हुए अपने मामा के सीने को सहलाया और उनके बालों को नोचते हुए झड़ गई. इस दौरान मैंने अपने पैर मामा की कमर में लपेट कर उन्हें अपनी तरफ खींच लिया।
शायद मामा भी झड़ने के करीब ही थे, उन्होंने मेरे मम्मों को जोर से दबाया और निप्पल को ऐंठ दिया फिर कमर को पकड़ कर दो चार तेज धक्के मारे और मेरी चूत की गर्मी से हार कर मेरी चूत में ही झड़ गये।
मैंने उनका गर्म लावा अपने चूत के अंदर महसूस किया।
फिर हम एक दूसरे को सहलाते हुए काफी देर तक लेटे रहे, बाद में मैंने बाथरूम जाकर चूत साफ की, और उस रात हमने एक बार और चुदाई की। दूसरे राउंड में मैं खुल चुकी थी इसलिए अब मैंने खुद होकर मामा जी का साथ दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ कर भी चुदाई का मजा लिया।
अब मेरी चूत को मामा के लंड की तलब लग चुकी थी। इसलिए अब हम मौका देख कर, जब तक मामाजी हमारे घर रहे, चुदाई करते रहे।
कुछ दिनों बाद मामाजी चले गए, मेरे पास उन्हें याद करके चूत में उंगली डालने के अलावा और कोई उपाय नहीं था।
ऐसे ही दिन बीत रहे थे, फिर मुझे अहसास हुआ कि मेरे मासिक धर्म का समय तो बीत चुका है, फिर अब तक आया क्यों नहीं, फिर मुझे लगा कि मेरा मासिक धर्म रूक गया है। मैं घर पर किसी से पूछ नहीं सकती थी, इसलिये मैंने तुम से पूछा इस बारे में!
मैंने नेहा की पूरी कहानी सुनी, मेरा भी लंड नेहा की चूत के लिए मचल उठा था पर अभी उसके लिए समय नहीं था।
मुझे नेहा की इस चुदाई या रिश्ते में चुदाई से ज्यादा तकलीफ नहीं हुई पर मैं ये सोच रहा था कि जब उसके मामा अनुभवी थे तो बात को माँ बनने तक क्यों पहुंचाया।
पर मेरे पास उसकी तकलीफ का एक ही उपाय था, मैंने उसको प्रेग्नेंसी टेस्ट की किट लाकर दी, केमिस्ट से टैस्ट का तरीका भी पूछा और जब नेहा ने मेरे बताये तरीके से किट का इस्तेमाल किया तो परिणाम पाजिटिव आया.
यह परिणाम देख कर हम दोनों बहुत ज्यादा घबरा गए, परेशान हो गए. लेकिन अब यह समस्या आ ही गई थी तो इसका हल भी जरूरी करना था.
मैंने बहुत सोच विचार किया, आखिर यही सूझा कि कोई भली महिला ही इसमें नेहा की मदद कर सकती है.
लेकिन ऎसी महिला कौन हो सकती है.
आखिर मैंने उसी केमिस्ट से, जिस से मैंने प्रेग्नेंसी टेस्ट किट ली थी, बात की. उन्होंने बताया कि वैसे तो बाजार में गर्भपात की दवाई भी मिलती है, वो दवाई उनके पास भी थी. लेकिन उन्होंने बताया कि बिना डॉक्टर की पर्ची के वो दवा नहीं बेच सकते.
उन्होंने मुझे एक लेडी डॉक्टर का नाम बताया और कहा कि उन से बात करके देखो. अगर उन्होंने गर्भपात की दवाई की पर्ची लिख कर दे दी तो काम बन सकता है.
मैं उस लेडी डॉक्टर से मिला, मैंने नेहा को उनसे मिलवाया और उसकी पूरी कहानी बताई. डॉक्टर अच्छी थी, उसने नेहा की तकलीफ समझी और मदद के लिए तैयार हो गई।
लेकिन डॉक्टर ने बातों बातों में नेहा के घर का पता और फोन नम्बर पूछ लिया.
और डॉक्टर ने फोन करके नेहा की माँ को अपनी क्लिनिक बुला कर नेहा के प्रेग्नेंट होने की बात बता दी क्योंकि उसके बिना कुछ संभव नहीं था.
सबसे पहले तो जरूरत थी कि नेहा का गर्भ समाप्त करवाया जाए. यह काम डॉक्टर ने कर दिया.
उसके बाद नेहा के घर में उससे पूछताछ शुरू हुई. पर नेहा ने, उसके साथ ऐसा किसने किया, ये बात छुपा ली, उसके लिए उसे बहुत मार भी पड़ी।
और बाद में जल्दी शादी भी कर दी गई।
उसकी शादी के बाद हम फिर मिले वो आज भी मेरा अहसान मानती है, अब वो दो बच्चों की माँ है और अपने पति के साथ अपनी ससुराल में बहुत खुश है।
समाप्त
कहानी कैसी लगी इस पते पर बताएं…
संपादक संदीप – [email protected]
लेखक रोनित- [email protected]
#मम #स #चदई #क #भनज #क #वयथ #कथ2