मामी की चुदाई के बाद उनकी बेटी को चोदा-2

मामी की चुदाई के बाद उनकी बेटी को चोदा-2

कहानी का पहला भाग : मामी की चुदाई के बाद उनकी बेटी को चोदा-1
नमस्कार खड़े लंडों को और गीली चुतों को दंडवत प्रणाम, मैं भगवानदास अन्तर्वासना का 4 साल पुराना पाठक हूँ. नई पाठिकाओं को बता दूँ कि मेरा कद 167 सेमी, लंड 7 इंच, वजन 68 किलो एवं चुत मर्दन की कला का पारंगत खिलाड़ी हूँ, जिसकी विधिवत ट्रेनिंग मुझे मेरी मामी से मिली.

अन्तर्वासना की कहानियों को पढ़ने के बाद ही मैं अपनी आपबीती यादों को कहानी में पिरोकर आप लोगों के समक्ष रखने का साहस कर पा रहा हूँ. इस चुदाई की कहानी में अब तक आपने पढ़ा था कि मामी की चुत चुदाई के बाद मैंने मामी की बेटी अर्चना को उसके कमरे में फिर से चोदा था. उस रात अर्चना को मैंने पूरी रात बार बार चोदा था.
अब आगे का किस्सा..

अगले दिन सुबह मैं जब बरामदे से होते हुए दूसरे कमरे में जा रहा था कि अचानक तभी अर्चना ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, अपने सीने से चिपका कर मुझे खींचते हुए चूमा और जल्दी से दूसरे कमरे में चली गईं. उस वक़्त सब कोई डाइनिंग हॉल में बैठे हुए थे.
पहले तो मैं डर गया कि कहीं अर्चना मुझे पकड़ कर सबके सामने ले जाकर रात वाली बात न बता दे. लेकिन जब अर्चना दूसरे कमरे में जाते हुए पीछे मुझे देखते हुए हंस रही थी.. तो अब मुझे तो मानो हरी झंडी मिल गई थी.

उसके पीछे से मैं भी उस कमरे में चला गया और तभी अर्चना ने मुझे कस कर जकड़ लिया और चूमते हुए धीरे से बोली- रात को काफी मज़े आए; अब कब चोदोगे?
मैं उसे मौका मिलते ही चोदने की कहते हुए एक लम्बी लिप किस कर कमरे से बाहर निकल गया.

मैं विजय दशमी की शाम तक अपने घर वापस आ गया. लेकिन बार बार मामी और अर्चना की चुत का वियोग सहन नहीं कर सका और बाट जोहते जोहते फिर मामी के घर एक दिन जा पहुँचा.

मुझे मामी और अर्चना के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता था. मामाजी की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगती रही थी और जब भी नाइट शिफ्ट लगती, तो हम तीनों की लॉटरी हफ्ते भर के लिए निकल पड़ती थी.

विजय दशमी के ठीक तीसरे हफ्ते मामी ने फोन कर के मुझे आने का बुलावा भेजा. मैं भी मिलने की बहुत जल्दी में था क्योंकि एक एक दिन बड़ी बेसब्री से गुजार रहा था और जो लत मामी ने लगाई थी, उसकी खुराक भी उनके पास ही थी.

शाम को मैं मामी के घर पहुंच गया. सभी से मिल कर बहुत मन प्रसन्न हुआ लेकिन अर्चना नजर नहीं आई. तब मैं सकुचाते हुए पूछ ही बैठा तो मामा जी से पता चला कि अर्चना बाजार गई है, अभी आ जाएगी.

मैं अपने दोनों ममेरे भाइयों के साथ कुछ स्टडी में व्यस्त हो गया और मामा जी के 9 बजे रात ड्यूटी पर जाने का इंतजार करता रहा.

यही कोई 9 बजे अर्चना ने आकर हम तीनों भाइयों को डिनर के लिए बुलाया. सभी लोगों ने एक साथ डिनर किया, मामा जी ड्यूटी पर चे गए और मामी मुझे अपने साथ कमरे में लेकर बन्द हो गईं.

मामी ने आज मुझे एक गिलास मलाईदार दूध के साथ एक सेक्स की गोली लेने के लिए दिया. आज मामी थोड़ी गंभीर लग रही थीं, वे बहुत आराम से मुझे आलिंगन कर एक एक कपड़े उतारती रहीं. थोड़ी ही देर में हम लोग आदि मानव की तरह नंगे एक दूसरे में समा जाने की बेकार कोशिश कर रहे थे. मैं मामी को फॉलो करता रहा, मामी जैसे करतीं, मैं भी वैसे करता रहा.

हमने एक दूसरे के शरीर को चूम कर गीला कर दिया. अब मामी की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं. मैं उनके एक निप्पल को चुटकी से मसलता और दूसरे को मुँह में लेकर चूस रहा था. उनकी सांस उखड़ने लगी थी, तभी मामी ने 69 की स्थिति में आकर खेल का रुख बदल दिया.

अब हम एक दूसरे के गुप्तांग चाटने लगे.. मुझे उस आनन्द की अनुभूति को बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं.

मामी एक बार झड़ चुकी थीं, उनकी चुत से निकलता काम रस मेरी उत्तेजना बढ़ा रहा था. फिर मामी ने लंड डालने का संकेत किया, मैंने बहुत सावधानी से उनकी टांगें ऊपर कर चुत पर टोपा टिका कर दबाव बनाया और लंड आराम से अपने मांद में समा गया. लंड के घुसते मामी बुरी तरह सिसकार उठीं, तो मैं भी मौके पर चौका मारते हुए उनके मम्मों को दबाने लगा. वो धीरे से आँख बंद करके चूचों को मसलवाने के मजे लेने लगीं.

उन्होंने धीरे से कान में कहा- तुम नीचे हो जाओ.. मैं ऊपर आती हूँ.
मैंने वैसे ही किया, उसके बाद मामी मेरे मूसल लंड पर सवार होकर बेतरतीब उछलने लगीं. हर बार उनके गुदाज चूतड़ मेरी वासना भड़का रहे थे. नजर के सामने दो झकाझक सफेद चुचियां ऐसे उछल रही थीं, जैसे कि दो कबूतर उड़ने को बेताब हों.

पूरे कमरे में मामी की कामुक सिसकारियों के साथ थप थप का संगीत गूँज रहा था, जो माहौल को गर्म कर रहा था.

मामी आगे पीछे, दाएं बांए होकर चुत रगड़ रही थीं, जैसे चुत की महीनों की जंग छुड़ा रही हों. लगभग बीस मिनट में मामी की गति तेज हो गई और हर धक्के के साथ वे चीखकर गरम लावा छोड़ने लगीं. इसके बाद मामी मेरे ऊपर निढाल हो गईं.

तभी दोनों भाई को सुला कर अर्चना भी कमरे में आ गई. बहन को देख कर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. पिछले तीन हफ्ते में बहन की काया ही बदल गई थी, मेरी बहन के चूतड़ पहले की अपेक्षा भारी हो गए थे और चुचियां बिल्कुल तन गई थीं. देखने पर वो एक सेक्स की देवी लगने लगी थी.

मैंने मामी को नीचे बेड पर लेटा कर अर्चना को अपनी बांहों में भर लिया. वो धीरे से मुझे चुम्बन करने लगी और अपने होंठों को मेरे होंठों के साथ सटा कर उसने एक लम्बा चुम्बन किया. मैं भी धीरे से उसके मस्त मम्मों को दबाने लगा. अपने रसीले मम्मों को दबवाते ही वो एकदम से गर्म हो गई और इधर मेरा लंड भी उफान पर आ गया था.

अर्चना ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे हाथ में लेकर सहलाने लगी, मैंने भी उसकी चूत को ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद अर्चना के सलवार सूट को मैंने उतार दिया, मेरी मस्त बहन ने अन्दर काली ब्रा और काली पैन्टी पहनी हुई थी. उसकी जालीदार ब्रा के हुक को मैंने धीरे से खोल दिया.

आह्ह.. दोस्तो… क्या तने और कसे हुए चूचे थे. एक बार चुदने के बाद उनमें आज गजब की चमक बिखर रही थी. मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं दोनों हाथों से उसकी चूचियों को सहलाने और दबाने लगा, मेरी बहन भी धीरे धीरे सिसकारियाँ लेने लगी.

फिर उसने कहा- भाई इन्हें चूस चूस कर इनका रस निकाल दो.

मैं भूखे शेर की तरह अपनी बहन के मम्मों पर टूट पड़ा और उसकी चूचियों को दबाने और चूसने लगा. कुछ देर बाद मैंने अपनी बहन की पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत को मसलने लगा.
अब मेरी बहन ने मेरे लंड को पकड़ा और हिलाने लगी. अगले कुछ ही पलों में मेरा 7 इंच का लंड दुबारा तन कर उसके सामने खड़ा था. मेरी बहन भी भूखी शेरनी की तरह लंड को निहारने लगी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ क्या मजा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था कि मैं मानो हवा में उड़ रहा होऊं.

इधर मामी भी अपनी सांसों को नियंत्रित कर के अपनी बेटी की चुत चाटने लगी थीं. कुछ देर लंड चूसने के बाद अर्चना बेड पर लेट गई और उसने अपने दोनों पैर फैला लिए और मुझे चूत चोदने के लिए बुलाने लगी. मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में जा कर बैठ गया और झट से उसकी चूत को चूम लिया.

मेरे मुँह लगाते ही मेरी बहन के मुँह से मादक सिसकारी निकल गई- आआह्ह्..

मैं अर्चना की चूत को चूसने लगा और अपनी जीभ को उसकी चूत के बीच डाल कर काम रस को चाटने लगा. करीब दस मिनट में अर्चना पागलों की तरह मेरा सिर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बुर में दबा रही थी और चुत चोदने की मिन्नत कर रही थी- आह.. अब चोद भी दे भाई.. चोद दे..

मैं अपना लंड अर्चना की चूत के छेद के पास ले जाकर डालने की कोशिश करने लगा. लेकिन मैं लंड डालने में सफल नहीं हुआ.. तो मामी ने मेरी मदद करते हुए मेरे लंड के सुपारे को चूत के छेद के निशाने पर लगा दिया.

तभी मैंने धीरे से एक झटका लगा दिया. मेरे लंड का सुपारा अर्चना की बुर में घुस गया. लेकिन अर्चना को दर्द नहीं हुआ तो मैंने पूछा- दर्द क्यों नहीं हुआ?
तो उसने मुस्कुराते हुए कहा- मेरी चूत की झिल्ली फाड़ चुके हो भाई, अब दर्द नहीं होगा.
ये सुन कर मैंने एक और तेज़ झटका लगा दिया और मेरा पूरा 7 इंच का लंड उसकी चूत के अन्दर समां गया.

इस झटके से उसको थोड़ा सा दर्द हुआ.. तो मैं रुक कर उसको चुम्बन करने लगा और चूचियों को दबाने लगा. कुछ देर बाद जब अर्चना सामान्य हुईं तो मैं अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा.
मेरी बहन के मुँह से मस्त आवाजें आने लगीं- आआह.. आअईई.. फाड़ दे बहनचोद!

मैं भी तेज़ी से झटके देने लगा कुछ देर बाद अर्चना भी गांड उठा उठा कर साथ देने लगी. दस मिनट बाद उसका बदन अकड़ गया और वो झड़ गई.. पर मैं रुका नहीं.. उसे यूं ही धकापेल चोदता रहा.

इधर मामी फिर से दोनों टांगें ऊपर कर तैयार थीं, मैंने अर्चना की चूत से गीला लंड खींचा और मामी की चुत में पेल दिया और जोर जोर से चोदने लगा.
उधर कुछ ही पल में अर्चना फिर से चुदासी हो गई और उसने भी चुदाई की मुद्रा में अपनी चूत खोल दी.

अब कभी मैं मामी की चुत में.. और कभी अर्चना की चुत में बारी बारी से लंड पेल कर उन दोनों को चोदता रहा. पूरे कमरे में चुदाई की संगीत ‘फच.. पछह’ बिखरने लगा. काफ़ी देर तक चोदने के बाद दूसरी बार मामी झड़ने लगीं, तब मैं भी झड़ने वाला हो गया था.

मैंने लंड को मामी की चुत में से निकाल कर अर्चना के मुँह में लगा दिया. मेरी बहन ने मेरे लंड का सारा का सारा वीर्य पी लिया और मेरे लंड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
उसके बाद मैं, मामी और अर्चना नंगे ही एक दूसरे से लिपट गए और सो गए.

उस रात अर्चना को मैंने दो बार एवं मामी को तीन बार चोदा. थकान के कारण सुबह देर तक मैं सोया रहा. जब आंख खुली तो आठ बज चुके थे. फ्रेश होकर नाश्ता किया और फिर आने का वादा कर अपने घर के लिए रवाना हो गया.

यह सिलसिला पिछले 4 साल से आज भी बदस्तूर जारी है. लेकिन उम्र के साथ मामी की वासना बढ़ती ही जा रही थी और मुझ पर बार बार एक से अधिक लड़कों से एक साथ सेक्स के लिए दबाव बना रही थीं.

मामी ने एक बार एक से अधिक लड़कों से एक साथ सेक्स के लिए प्लान बनाने के लिए कह दिया था. मैं कभी नहीं चाहता था कि मेरी और मामी एवं अर्चना बहन के सेक्स सम्बन्धों की भनक किसी को लगे. इसलिए मैंने दूर रहने वाले अपने कॉलेज के दो पक्के दोस्तों दीपक और रामकुमार को राजी कर मामी के साथ फुल नाइट मस्ती का पूरा प्लान तैयार किया.

मैं इंटर फाईनल इयर का छात्र अपने दोनों मित्रों को मामी के घर आने का निमंत्रण देकर शाम ढलते ही मामी के यहां पहुंच गया.

सन 2015 के सावन का महीना था, रुक रुक कर बारिश हो रही थी. तेज हवा के थपेड़ों से ठंडक की अनुभूति हो रही थी. दोनों ममेरे भाई गोलू और सोनू अपने कमरे में दुबके कुछ पढ़ रहे थे. मामा जी अर्चना पर चिल्ला रहे थे क्योंकि उनके ड्यूटी के कपड़े गीले रह गए थे और उनको नाईट ड्यूटी पर जाने के लिए कुछ घंटे रह गए थे.

वे मुझे देख कर कुछ सामान्य हुए और मेरे हालचाल पूछने लगे. कुछ इधर उधर की बातें होती रहीं, फिर सबने एक साथ खाना खाया और मामाजी बारिश कम होने के कारण पहले ही निकल लिए. दोनों भाई को लेकर अर्चना उनके कमरे में चली गई. बीच में रोक कर मैंने उसे आज का प्लान समझा कर वहीं सोने की सख्त हिदायत दे डाली.

वो मुझे सवालिया निगाह से घूरते हुए चली गई. अब मैंने दीपक को लाइन क्लीयर का मैसेज कर दिया.
करीब पौने नौ बजे एक टवेरा गाड़ी आकर घर के सामने रुक गई, उसमें दीपक और राम कुमार ही थे. वे पूरी तैयारी के साथ आए लगते थे.

मैंने उन्हें अन्दर किया और उनकी आवभगत के लिए बीयर की बोतलें पेश की.

कुछ ही देर में उधर मामी ने अपने हुस्न का जलवा पेश किया. आज मामी झीनी नाईटी में गजब बिजलियां गिरा रही थीं. खुले बिखरे लट जो 36-32-36 चूतड़ों तक लहराते हुए और उन्नत पर्वत की चोटी की तरह दोनों चुचे मूक आमंत्रित करते हुए उस पर गहरी नाभि और मोटी मोटी रानें झीनी नाईटी में कुछ अलग समां बांध रही थीं.

मामी को देखकर हम तीनों की वासना हिलोरें मारनें लगी. अपनी अपनी बीयर की बोतलें गटक कर तीनों यार देश दुनिया से बेखबर एक साथ मामी पर टूट पड़े. देखते ही देखते सभी के कपड़े तन से अलग होकर जमीन पर बिखरने लगे. दीपक घुटनों पर बैठ मामी की चुत चपड़ चपड़ चाट रहा था और राम उनके चूचों पर जीभ फेर रहा था.

इस कामुक नजारे को देख कर मेरी वासना और भड़कने लगी. तभी मामी लड़खड़ाने लगीं. उन्होंने एक साथ दोहरे हमले से एवं बेड पर झुक कर हाथों का सहारा ले लिया.

दीपक सामने से निकल कर उनके पीछे से चुत चाटने लगा. मुझे मौका मिला और मैंने अपना लंड मामी के मुँह में पकड़ा दिया. नीचे बैठा राम किसी पिल्ले की तरह मामी के दोनों चुचों को चूसकर लाल किए जा रहा था.
मामी को असीम आनन्द की अनुभूति हो रही थी जिससे उनकी आँखें बंद होने लगीं.

तभी एकदम से दीपक ने खड़े होकर अपना काला लंड हिलाया और मामी के मुँह की तरफ लपका. तो मैंने पोजीशन चेंज करके पीछे मामी की चुत में लंड सैट करके दबाव दे दिया. मेरा लंड मामी की चूत में सरक कर अपनी जगह बनाने लगा. मामी के मुँह से ‘गुं गों..’ की आवाज आ रही थी और पीछे से मेरी हर चोट पर थप थप का मधुर संगीत कमरे में गूँजने लगा.

ओह माई गॉड.. दीपक का लंड फूलकर किसी नाग की तरह चमक रहा था, जिसकी साईज कोई 8 इंच लम्बी और 3 इंच मोटी लग रही थी. मैंने आज तक ऐसा लंड सिवाए ब्लू-फिल्म के कहीं नहीं देखा था, पर मन ही मन मामी की होने वाली दुर्दशा से विचलित भी था.

मैं मामी को लगातार पीछे से चोदता रहा जिससे मामी एक बार छूट चुकी थीं. इसलिए संगीत की धुन अब बदल गई थी और अब ‘फच फच..’ की तान सुनाई आ रही थी. मैं चरम आनन्द पर पहुंच मामी की चुत में ही झड़ गया. तभी दीपक अपना खिताबधारी लंड लेकर मामी को पीठ के बल बेड पर लेटा कर मामी पर सवार हो गया. मामी ने अपनी चुत की फांकों को चौड़ा किया और दीपक का लंड चुत की दीवारों को रगड़ता हुआ अन्दर समाने लगा.
मामी के मुँह से चीख निकली- आईई मैं मर गईईई…

मैं बैठ कर उनकी मनोदशा को महसूस कर रहा था. अभी दीपक का आधा लंड बाहर था, जिसे बार बार मामी उठकर देख रही थीं. दीपक ने एक जोरदार ठाप लगाई और पूरा लंड जड़ तक मामी की चुत में समां गया.

मामी दर्द के मारे बिलबिला उठीं. थोड़ी देर तक राम और दीपक मामी की चूचियां बारी बारी से चूसते रहे.

कब तक खैर मनाती मामी.. दीपक धीरे धीरे उनकी चूत को चोदने लगा. उसका मोटा हलब्बी लंड जकड़ कर मामी की चुत में आ जा रहा था. कुछ देर बाद दर्द मजे में बदलने लगा. अब मामी चूतड़ नचा नचा कर दीपक के हर ठाप का जबाब दे रही थीं.
उधर राम कुमार मामी के मुँह को चोद रहा था. मामी एक साथ दो लंड से मजे से चुद रही थीं. वे दोनों पूरी रफ्तार में चोद रहे थे. अब मामी तेज रफ्तार के कारण उन दोनों की पकड़ से छूटने के लिए छटपटा रही थीं, पर दोनों किसी मंजे हुए खिलाड़ी की तरह हर बार पहले से ज्यादा मजबूत वार कर रहे थे.

इधर मेरा लंड भयंकर चुदाई देखकर फिर लड़ने को तैयार था और मैंने उनको रोक कर मामी को राहत देते हुए पोजीशन चेंज कर दी.

दीपक को बेड पर लेटाकर मामी उसके लंड पर सवार हो गईं और राम कुमार ने अपना 6 इंच लम्बा और खूब मोटा लंड उनकी गुदाज गोरी गांड में पेल दिया, जिससे मामी की एक जोरदार चीख निकल आई. मामी के मुँह से चीख न निकले इसलिए मैंने अपना लंड उनके मुँह में ठेल दिया. फिर भी तेज आवाज गूँज गई.
आवाज सुनकर मैंने अर्चना को दरवाजे की झिरी से झांकते हुए पाया, जिसकी नजरें मुझसे मिलीं, तो वो वापस चली गई.

दीपक और राम पूरे मस्त होकर मामी की सैंडविच चुदाई कर रहे थे और मामी भी उनका भरपूर मजा ले रही थीं. मैंने उनको एक दूसरे से गुंथते छोड़ कर कमरे से बाहर निकल कर बाहर से दरवाजा लॉक कर दिया.

अर्चना को देखने के बाद मेरे मन में कसक उठने लगी थी, इसलिए उसको ढूँढते हुए मैं भाईयों के कमरे में गया परंतु मेरी चुदक्कड़ बहन वहां नहीं थी.

मेरा दिल उसको देखने के लिए बेचैन होने लगा. तभी मैंने उसको वाशरूम से निकलते देखा तो डाइनिंग हाल में मैंने उसका रास्ता रोक लिया. वो मुझे देखते ही मुझसे लिपट कर मुझे चूमने लगी.
मैंने पूछा- अभी तक सोई नहीं?
मेरी बहन ने कहा- मम्मी की चीख सुनकर नींद खुल गई.
मैंने अनजान बनते हुए पूछा- और क्या देखा?
उसने कहा कि तीनों लंड को मिलकर मम्मी की चूत का फालूदा निकालते देखा और झेंपकर मेरे सीने में अपना सिर दबा दिया. मैंने उसके गोल चूतड़ों को कसकर भींच लिया तो वो मेरी बांहों में पूरी तरह झूल गई.

मैंने समय नहीं गंवाते हुए उसके रसीले होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूमने लगा. उसको वहीं सोफे पर लिटा कर नंगी कर दिया. मामी की चुदाई देख कर मेरी बहन पहले ही गर्म हो चुकी थी, उसकी चुत से पानी निकल रहा था. मैं भाई के कमरे को भी बाहर से लॉक करके पूरा नंगा हो गया. मैंने 69 की पोजीशन ली और गहराई तक जीभ डालकर अर्चना की चुत का पानी साफ करने लगा, लेकिन चुत का पानी रुकने का नाम नहीं ले रहा था.

अब मैं अपनी बहन को उल्टा करके उसकी गांड और चुत दोनों चाटने लगा. चाटते चाटते मेरी बहन अपनी गांड मेरे मुँह पर मारने लगी और अकड़ कर झड़ गई. मैंने उसकी चुत से बहते रस को गांड में मल कर लंड का टोपा सैट किया तो बिलबिला उठी और कहने लगी- प्लीज़ गांड केवल चाट लो.. और लंड को मेरी चूत में डाल दो.

पर मैंने लंड को उसकी गांड पर सैट करके ज़ोर लगा कर धक्का दे दिया, जिससे लंड गांड के अन्दर दाखिल हो गया.
“अहह मैं मरीईई ईईई.. फट गई.. बहनचोद.. साले कुत्ते.. हरामी.. रुक ज़ाआअ.. भाई.. तुझे मेरी गांड से क्या दुश्मनी है.. तू मुझे जिंदा नहीं रहने देगा.. लंड निकाल लो उह्ह.. मेरी गांड फट गई होगी.. मुझे जाने दो प्लीज़.. छोड़ दो मुझे..”

तभी मैंने एक ज़ोर का झटका दिया और आधा लंड उसकी गांड में चला गया. मेरी बहन बिलबिलाकर रोने लगी.

“अहह मैं मरीईई ईईई.. फट गई.. बहनचोद.. साले कुत्ते..हरामी.. रुक ज़ाआाअ.. बाहर निकाल लो.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्मी.. बचाओ.. बहनचोद.. फाड़ दीईईईई.. मेरीईईई ईईई गांड.. बाहर निकाल इसेययई..”
अर्चना फूट फूट कर रोने लगी.

मैंने कहा- चुप कर साली.. थोड़ी देर दर्द झेल ले.. अगली बार से कम दर्द होगा. उसके बाद तू खुद ही गांड मरवाएगी.. चुपचाप अपनी गांड मराने का मजा ले.
मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और मैंने मजा लेकर अपनी बहन की गांड मारनी शुरू कर दी. वो चीखती रही.. लेकिन मैं उसकी गांड मारता रहा. मैं एक मिनट के लिए भी नहीं रुका था.

अब मेरी बहन को भी मजा आ रहा था, वो हर धक्के के साथ अपनी गांड पीछे धकेल कर पूरा लंड जड़ तक लेने की कोशिश कर रही थी. करीब बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैं अपनी बहन की नरम गांड में झड़ गया.

इस बीच अर्चना अपनी चूत में उंगली करने के कारण दो बार झड़ चुकी थी. लगातार तीन बार झड़ने के कारण बहन की हालत पस्त हो गई थी. उसको मैंने नंगी ही गोद में उठाया और ले जाकर भाई के कमरे में सुला दिया और मैं भी मामी कमरे का लॉक खोलकर बहन के साथ ही सो गया.

भोर में मेरी बहन ने मुझे जगाकर मेरे चोदू दोस्तों को विदा करने को कहा, जो अभी भी मामी को चोद रहे थे.

जब मैं मामी के कमरे में गया तो देखा मामी दीपक के लंड पर सवार अपनी गांड फड़वा रही हैं और दीपक मामी से बार बार छोड़ देने की गुहार कर रहा था, पर मामी अपना पानी निकलने के बाद ही रुकी.
मामी के चेहरे से आत्म तृप्ति के भाव छलक रहे थे, भले ही उनकी गांड और चुत दोनों लहूलुहान हो चुकी थीं. दीपक के लंड के भी पपलड़ियां छिल गई थीं. कुल मिलाकर तीनों जंग जीत चुके थे पर बुरी तरह घायल थे.

दोस्तो.. आपको मेरी यह चुदाई कथा कैसी लगी.. प्लीज मुझे जरूर बताइएगा और अपने कमेंट्स जरूर लिखें ताकि मैं आपको अपने और गांव वाली बुआ की लड़की की चुदाई की कहानी सुना सकूँ.
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