मुकुन्दपुर चौक पर हिजड़ी ने मेरा लंड चूसा

मुकुन्दपुर चौक पर हिजड़ी ने मेरा लंड चूसा

नमस्कार दोस्तो, मैं राज रोहतक वाला आज आपको एक मजेदार घटना बताऊंगा लेकिन इससे पहले मैं अन्तर्वासना का धन्यवाद करता हूँ कि मेरी कहानियाँ आपके सम्मुख प्रस्तुत की!

मित्रो, मेरी हर कहानी सच है लेकिन मैं शायद अच्छे से नहीं लिख पाया। समय भी इसकी बड़ी वजह है।
इस कहानी के बाद एक कहानी और है मेरी क्योंकि थोड़े समय पहले ही उसकी शादी हुई है और उसके साथ एक बार और मिलन के बाद आपके सामने प्रस्तुत करूंगा!

मित्रो, फिर प्रार्थना करता हूँ कृपया किसी औरत या लड़की का पता या नंबर ना मागें, मैं बस आपका मनोरजंन और अपनी बात शेयर कर रहा हूँ और यह बात मेरे सबसे अच्छे मित्र को भी नहीं पता क्योंकि मेरे लिए किसी का भरोसा पहले है मित्रता बाद में!
अब आप कहानी का आनन्द लीजिए।

बात दिसम्बर 2014 की है, मैं जहांगीरपुरी दिल्ली में नौकरी करता था। हालांकि मैंने वो नौकरी बस दो महीने ही की थी।
वहाँ मुकुन्दपुर चौक के पास कम्पनी का कार्यालय था। जाहिर है चौक है तो रेड लाइट भी होगीं!

तो वहां चौक पर शाम के 8 बजते ही हिजड़े आने लगते थे क्योंकि रात 9 बजे के बाद दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश शुरू हो जाता है और चौक पर रेड लाइट होते ही गाड़ी रुकती तो ये ताली बजाकर पैसे मांगते हैं! कुछ रूपयों में गांड भी मरवाते हैं।

जब मैं नया नया नौकरी करने लगा था तो मुझे इन हिजड़े हिजड़ी के बारे में कुछ नहीं पता था, एक दोस्त ने बताया, तब पता चला मुझे!
वहाँ एक सप्ताह दिन और एक सप्ताह रात की ड्यूटी लगती थी मेरी… तो मैं रात की ड्यूटी पर था। मेरा एक दोस्त था उतर प्रदेश का विक्की, वो भी रात की ड्यूटी पर था, वो मेरे पास आया और बोला- चल यार, चौक पर चलते हैं, कुछ देर वहाँ काम देख कर आते हैं।
क्योंकि हमारी कम्पनी के पास रोड के ऊपर एलिवेटिड रोड बनाने का ठेका था तो हम चौक पर चले गए। वहाँ मैंने देखा कि रोड के पास कोई आदमी एक औरत की चुची दबा रहा था और वो औरत उसको मना नहीं कर रही थी।
मैंने सोचा रंडी है कोई!

तो मैंने अपने दोस्त को बोला- यार दिल्ली में तो बहुत खुलापन है सरेआम रोड पर ये काम करते हैं और पास में पुलिस है पर कुछ नहीं करती।
वो बोला- यार ये हिजड़ी है, यही काम करने आती है! थोड़ी देर बाद देखना, इनकी गुरू आएगी, बड़ी सुऩ्दर है लेकिन वो गांड नहीं मरवाती! और रही पुलिस की बात, तो पुलिस वाले भी इनका मजा लेते हैं!

फिर हम बात करते करते मुकुन्दपुर गांव में चले गए, वहाँ कमरे लेना था मुझे तो वहाँ कुंवारे को बहुत कम कमरा देते थे, एक दो जगह कमरा देखा तो मकान मालिक बोल:- शादीशुदा को कमरा देंगे हम!
तो हम वापस ऑफिस की तरफ चल पड़े!

हम चौक पर पहुँचे तो वहाँ एक औरत के पास 6-7 आदमी खड़े थे।
विक्की बोला- देख, ये है इनकी गुरू!
मैंने देखा तो वो बिल्कुल नई नवेली दुल्हन की तरह कपड़े पहने हुए थी, होंठों पर लाल लिपस्टिक बहुत सुन्दर लग रही थी।
उसका नाम आरोही (काल्पनिक) था।

मेरे दोस्त ने मुझसे उससे मिलवाया, वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी, मैं थोड़ा शरमा गया और मैं ऑफिस की तरफ आ गया!
चौक से हमारा ऑफिस बस 30 मीटर दूर था, एक कैनटेनर को हमने ऑफिस बनाया हुआ था।

रात को 11 बजे मैं ऑफिस से बाहर आया तो देखा आरोही रेड लाइट पर खड़े ट्रक वाले से पैसे मांग रही थी। ग्रीन लाइट होते ही वो साइड में बैठ जाती!

मैं चौक पर चला गया क्योंकि उसके देखने के तरीके से मेरा मन उसके बारे में सोच सोच कर खड़ा हो गया था। मैं चौक पर गया तो वो वहा साइड में बैठी थी, वो फिर देख कर मुस्कुराई, मैं उसके पास बैठ गया और उसके बारे में पूछने लगा।

उसने बताया कि वो बुराडी में रहती है और बुराडी उनकी कालोनी है जहाँ सभी उनके जैसी रहती हैं!
फिर उसने मेरे बारे में पूछा तो मैंने भी बताया कि रोहतक से हूँ।

फिर रेड लाइट हो गई तो वो बोली- अभी आई!
और वहाँ जो गाड़ी रूकी उनसे ताली बजा कर रूपये मांगने लगी।

वो ग्रीन लाइट होते ही मेरे पास आ गई और फिर मेरी ओर लगातार देखते हुए मुस्कुराई।
मेरे तो बदन में वासना की वजह से कंपकपी चढ़ने लगी, मैंने धीरे से उसके गालों पर हाथ फेर दिया, वो कुछ नहीं बोली!

डर तो मुझे लग रहा था कि क्या पता ये गुस्सा हो जाए लेकिन वो कुछ नहीं बोली तो मैंने उसे अपने और पास आने को कहा। वो बिल्कुल मेरे पास आ गई तो मैंने उसके गालों को चूम लिया!
वो बोली- बाबू, आप मेरे बायफ्रेंड बन जाओ।

मैं हैरान होकर बोला- तुम्हारे भी बॉयफ्रेंड होते हैं?
तो वो बोली- हाँ मुझे छोड़कर सबके बॉयफ्रेंड है, वहां ये खूब गांड मरवाती हैं अपने फ्रेंड से!

उसके खुल के बोलने से मैं भी खुल के बात करने लगा, उससे पूछा कि तुमने गांड नहीं मरवाई है क्या?
तो वो बोली- नहीं बाबू…
और उसकी आँखें भर आई, बोली- एक बार मेरे बॉयफ्रेंड बन कर मेरे घर चलो, देखना सब जलेंगी तुम्हें देख कर!
मैं बोला- ठीक है देखता हूँ कभी!
और मैंने धीरे से उसकी चुची को हाथ लगाया तो वो बोली- बाबू, डरते क्यों हो? मन भर कर दबाओ और चूसो क्योंकि तुम मेरे बॉयफ्रेंड जो हो!
और हंसने लगी!

फिर रेड लाइट हो गई लेकिन वो उठी नहीं, मैं बोला- जाओ गाड़ी रूकी हुई है।
वो बोली- नहीं बाबू, बस अब आपसे ही बात करके अपने कमरे पर चली जाऊँगी।
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तो मैंने उसे बाहों में ले लिया लेकिन होंठ नहीं चूसे उसके क्योंकि मेरे मन में अलग महसूस हो रहा था। वो बार बार कोशिश कर रही थी होंठ चूसने की लेकिन मैं मुंह घुमा लेता!

अब मेरा लंड दुखने लगा क्योंकि जींस की पैंट में कैद जो था। मैंने उसे बाहों से आजाद किया और कहा- रुक!
और पैंट की चैन खोलकर लंड निकाल दिया।

आरोही लंड देख मुस्कुराने लगी और खड़ी होकर लंड पर बैठकर हल्का हल्का हिलने लगी!
मैं वासना में अंधा हो गया था, मैं बोला- चूस ले इसको!
बस कहने की देर थी… वो बोली- बॉयफ्रेंड बन गए हो अब तो जो कहोगे, करूँगी।

वो उठ कर पास बैठ गई और घुटने मोड़ कर लंड चूसने लगी, मैं उसकी चुची मसलने लगा। वो पूरा अन्दर लेती और रूक जाती, मैं तो आनन्द की लहरों में डूब गया था। मैं फिर उसका सिर पकड़ कर दबाने लगा, मेरी आवाज कांपने लगी उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्योंकि मैं चरम पर पहुँचने वाला था।

मैंने उसे रोका और कहा- आरोही, गांड में डलवा लोगी?
उसने मेरी तरफ देखा और बोली- बहुत दर्द होगा और निरोध नहीं है कल तुम्हें गांड भी दूँगी।

तो मैंने कहा- झुक जाओ, कपड़ों के ऊपर से ही हिला कर माल निकाल दूँगा।
वो झुक गई और मैं उसके कपड़ों में ही गांड पर लंड हिलाने लगा, वो भी चूतड़ों को हिला कर मजा दे रही थी।

बस थोड़ी देर में मेरे लौड़े ने माल उगल दिया। फिर मैं पीछे से हट गया और आरोही खडी़ हो गई और लंड पौंछने लगी।
फिर वो बोली- अब मैं घर जाती हूँ!
मैंने गुड नाइट कह कर उसके गाल चूम लिए, फिर वो चली गई और मैं भी अपने ऑफिस आ गया।

दोस्तो यह थी मेरी सेक्स कहानी… बताना जरूर कि कैसी लगी!
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