मेरा लण्ड बना पड़ोसन चाची की चूत का पम्प
सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम..
आपने मेरी दो कहानियां पढ़ीं.. इसके लिए आपका बहुत धन्यवाद।
साथियो, आज मैं एक नई कहानी पेश कर रहा हूँ.. आपको पसन्द आई या नहीं, तो मुझे जरूर लिखिएगा।
दोस्तो, जैसा कि आप जानते हैं मैं औरंगाबाद महाराष्ट्र से हूँ।
यह बात तब की है.. जब मैं अपने गाँव में बारहवीं कक्षा की पढाई ख़त्म कर चुका था।
मेरे प्यारे दोस्तों से मुझे चुदाई की अनेक पुस्तकें पढ़ने को मिलती थीं.. पर मुझे कभी चुदाई का चांस नहीं मिला।
हमारे पड़ोस में किराए से रहने के लिए नई फैमिली आई। पति-पत्नी और उनके चार और छह साल के दो लड़के की छोटी सी फैमिली थी।
कुछ ही दिनों में मेरी बच्चों से अच्छी दोस्ती हो गई, इस बहाने से मैं उनके घर जाने लगा।
कल्पना चाची सांवली थीं.. पर गजब की माल थीं, उनकी चूचियां बहुत बड़ी और आकर्षक थीं, मैं अक्सर उनकी रसभरी चूचियों को घूरता रहता था।
यह बात उनके समझ में आ गई थी।
एक दिन जब मैं उनके छोटे बच्चे के साथ खेल रहा था, चाची उस वक्त फर्श साफ़ कर रही थी। मेरी नजरें गाउन में से दिखते हुए उनके उभारों पर थीं।
मैं उनके हिलते हुए मम्मों को देखने इतना बेसुध था कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा लण्ड पजामे में खड़ा हो गया है और चाची उसको घूर रही हैं।
तभी चाची ने कहा- क्या देख रहे हो विनोद?
मैं हड़बड़ाकर वहाँ से भाग निकला, दो दिन उनके घर जाने की मेरी हिम्मत नहीं हुई।
तीसरे दिन चाची ने मुझे आवाज देकर बुलाया- विनोद.. मेरे स्टोव का पम्प ख़राब हुआ है.. जरा आकर ठीक कर दो..
मैंने डरते हुए उनके घर में कदम रखा।
रसोई में जाने के बाद मैं बैठकर पम्प ठीक कर रहा.. तभी चाची ने पूछा- दो दिन घर क्यों नहीं आए?
मैंने डरते हुए कहा- मैं किसी काम में व्यस्त था।
इस पर चाची जोर से हँस पड़ीं।
मैंने हिम्मत करके सामने देखा तो चाची मेरे सामने दीवार से टिककर बैठी थीं। उन्होंने सिल्की गाउन पहना हुआ था.. वे घुटनों तक उसे उठाकर घुटने मोड़कर बैठी हुई थीं।
इस अवस्था में उनके गाउन का पिछला भाग उन्होंने शायद जानबूझ कर नीचे छोड़ दिया था। जिस कारण उनकी सेक्सी गुलाबी चड्डी साफ़ नजर आ रही थी।
मैं उसे गौर देखने लगा.. मेरा गला सूख रहा था।
चाची ने फिर से पूछा- क्या देख रहे हो?
मेरे तो होश उड़ गए थे, मैंने प्रश्नांकित चेहरे से उनकी तरफ देखा तो वो और हँसने लगीं।
हँसते हुए ही उन्होंने मेरे पजामे को देखकर कहा- तुम बड़े बुद्धू हो.. लगता है तुम्हारा ही पम्प ख़राब हो गया है।
मैंने उनकी बात को समझते हुए मौका देखकर चौका मारा- चाची ख़राब होने के लिए पंप का इस्तेमाल होना जरूरी है। और मेरा तो अभी तक यूज ही नहीं हुआ है।
इस पर चाची फट से बोलीं- ठीक है.. फिर तो हमें ही तुम्हारा पंप यूज करना पड़ेगा।
ऐसा कहकर चाची मुझसे लिपट गईं।
चाची का बड़ा लड़का स्कूल गया था और छोटा पड़ोस में खेल रहा था.. पति ड्यूटी पर गए हुए थे।
घर में हम दोनों अकेले थे।
चाची ने मुझे अपने सीने से लगाते हुए कहा- तुम मेरा दूध पीना चाहते हो ना..
मैंने कहा- आपको कैसे पता?
चाची- मैं सब समझती हूँ बुद्धू.. ले आज जी भरकर पी ले मेरे दुद्धू.. और अपनी प्यास बुझा ले।
मैंने चाची के गाउन को नीचे से उठाया और सर से निकाल कर दूर फेंक दिया, अब चाची मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थीं।
पहली बार किसी औरत को मैंने नंगी देखा था।
मैं उनके चूचे मुँह में भर कर पीने लगा, चाची मुझे गोद में बैठकर दूध पिलाने लगीं।
कुछ देर बाद चाची ने मेरा मुँह पकड़ कर मुझे किस करना शुरू किया।
इससे मैं और उत्तेजित होने लगा।
चाची ने मेरे होंठ चूस-चूस कर लाल कर दिए।
फिर चाची ने उठकर मेरी पैंट और चड्डी निकाल दी।
अब हम दोनों नंगे बेडरूम में आ गए थे, चाची ने मुझे लिटाकर लण्ड हाथ में लिया.. मैं मदहोश हो रहा था।
चाची मेरे लण्ड का सुपाड़ा मुँह में लेकर ऊपर से जीभ फेरने लगीं।
चाची का चूसना इतना क़यामत था कि मैं तो सातवें आसामान पर जा चुका था।
चाची जोर-जोर से लवड़ा चूसने लगीं और मैं ‘आअह.. उफ्फ्फ..’ करते हुए उनके मुँह में झड़ गया।
चाची ने मेरा सारा माल पीते हुए लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ किया।
मैं थोड़ा रिलैक्स होकर बोला- मेरा तो हो गया.. पर आपका?
चाची बड़े प्यार से बोलीं- मुन्ना अब तेरी बारी है।
ऐसा कहकर वो मेरे मुँह पर आकर बैठ गईं। मेरे चेहरे के दोनों और अपने जाँघें फैलाए हुए चाची ने चूत मेरे मुँह के सामने लाकर रख दी।
मैं पहली बार इतनी करीब से चूत देख रहा था।
चाची बोलीं- चूसो विनोद..
मुझे चूसने का ज्ञान नहीं था.. इसके बारे में सिर्फ किताबों में पढ़ चुका था।
आखिर चाची ने चूत मेरे मुँह पर टिका दी।
शुरू में मुझे अच्छा नहीं लगा.. पर जब उनकी चिकनी चूत से आने वाली मूत और पसीने की गंध ने मेरे होश उड़ा दिए.. तो मैं चाची की चूत आइसक्रीम जैसे चूसने लगा।
चाची चूत चुसाई के मजे लेने लगीं और सीत्कार करने लगीं- आह्ह.. जोर से चूस.. चूस.. उह्ह्ह्ह.. बढ़िया विनोद.. उफ्फ्फ्फ़..
चाची की मादक आवाजें बढ़ती ही जा रही थीं।
दस मिनट बाद चाची मेरे मुँह पर जोर-जोर से चूत रगड़ कर झड़ने लगीं।
मेरा पूरा मुँह चाची के रस से भर गया.. जो मैंने चाट कर पी लिया।
अब मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया था।
चाची ऊपर से थोड़ा नीचे को सरकते हुए मेरे खड़े लण्ड पर बैठ गईं।
मैं नीचे से धक्के लगाने लगा और चाची ऊपर से कूदने लगीं।
फिर तो मैं उनको ऐसे चोदने लगा.. जैसे मैं चुदाई का बहुत पुराना खिलाड़ी हूँ। थोड़ी देर में थकने के बाद चाची नीचे उतर आईं और मुझे फिर से चूत चूसने को बोलने लगीं.. पर अब मैं सिर्फ चुदाई करना चाहता था।
मैंने चूत चूसने के लिए मना कर दिया और चाची पर लेट कर एकदम धकापेल चोदते हुए चूत पर कूदने लगा।
चाची ने हँसकर मुझे रोका और कहा- सेक्स में इतनी जल्दबाजी नहीं करते।
फिर उन्होंने आराम से मेरा लण्ड हाथ में लेकर अपनी चूत पर रखा।
अब मुझे अहसास हुआ कि मेरा लण्ड तो बाहर ही खेल रहा था।
मैंने पूरा लवड़ा चूत में पेल कर धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए।
चाची मदहोश होने लगीं.. चाची ने अपने दोनों घुटने ऊपर उठाए।
इस वजह से मुझे चूत और लण्ड का खेल दिख रहा था।
चाची जोर-जोर से नीचे से उछलने लगीं। मेरे होंठ मुँह में लेकर चाटने लगीं।
ऐसा लग रहा था जैसे कोई भूखी डायन चाट रही हो।
मैंने लौड़े के झटके बढ़ा दिए.. तो चाची और उछलने लगीं।
‘चोद.. जोर से.. और जोर से.. आह आआह.. उफ़्फ़.. उईईइ मर गई रे..’
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कहते हुए चाची झड़ गईं और उनका जोश देखकर मैं भी खुद को रोक नहीं पाया। उनकी चूत में अपना सारा माल छोड़ कर मैं उनके ऊपर गिर पड़ा।
इसके बाद हम दोनों ने लगभग दो साल तक सेक्स किया।
चाची को चूत चुसवाना बहुत पसन्द था, कई बार टाइम न मिलने पर वो मुझसे सिर्फ चूत चुसवाती थीं।
आज भी उनकी याद आती है। अब वो अपने परिवार के साथ दिल्ली में हैं।
साथियो.. मेरी कहानी कैसी लगी.. जरूर बताएं।
आपका विनोद
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