मेरी कामवासना और दीदी का प्यार-2
मेरी ये बात सुनकर उन्होंने कहा- नहीं, ये तो गलत बात होगी.
यह कहकर उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर चल क्या रहा है. मैंने उसी अनिश्चितता के भाव से जब उनकी तरफ देखातो उन्होंने मेरे हाथ को और जोर से पकड़ लिया.
उन्होंने कहा- देखो, अगर मैं ये कहूँगी कि रात में जो हुआ वो मुझे अच्छा नहीं लगा तो ये झूठ होगा.
अब मुझे और किसी इशारे की जरुरत नहीं थी. मैंने उनके हाथ को अपने हाथ में लिया और धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया. उनकी साड़ी का पल्लू उनके कन्धों से नीचे सरक गया था और हम दोनों की सांसें भरी हो रही थी. उनकी निगाहें नीचे थी और केवल हम दोनों के हाथों को देख रही थी.
मेरी नज़र उनके चेहरे पर थी. उनके हाथ को सहलाते सहलाते मैं अपने हाथों को उनके कन्धों तक ले गया और वहां से उनकी गर्दन तक. उनकी गर्दन पर हाथ रखते ही उन्होंने सर को एक तरफ झुका कर मेरे हाथ को अपने सर और कंधे के बीच बड़ा दिया.
उनकी त्वचा गर्मी की वजह से थोड़ी सी गीली हो रही थी लेकिन उनके शरीर का तापमान बढ़ा हुआ था और सांसें तेज़ चलने की वजह से उनका सीना ऊपर नीचे हो रहा था.
हम दोनों थोड़ी देर उसी हालत में बैठे रहे.
थोड़ी देर बाद जब उन्होंने सर ऊपर उठा कर मेरे हाथ को आजाद किया तो उनकी निगाहें मेरे चेहरे पर थी और होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान तैर रही थी. हम दोनों को पता था कि आगे क्या करना है, बस पहल कौन करेगा जंग किसकी थी.
हम दोनों भाई बहन अपने आप को रोक रहे थे … कुछ शर्म और कुछ घबराहट के कारण.
अंततः मैंने आगे झुक कर उनके माथे पर अपने होंठों को रख दिया. उनकी आँखें बंद हो गयीं थी. मैंने अपने होंठों को थोड़ी देर वहीं छोड़ दिया.
हम दोनों के हाथ अभी भी आपस में जुड़े हुए थे. अब केवल हाथ नहीं बल्कि उँगलियाँ आपस में उलझ गयी थी.
मैंने अपने होंठों को उनके माथे से हटाते हुए उनकी आँखों पर रख दिया. उनकी पलकें हल्की हल्की काँप रही थी जिन्हें मैं अपने होंठों से महसूस कर सकता था. अब मैं आँखों से हट कर उनके गालों को चूमता हुआ उनके होंठों तक आ गया.
पहले मैंने उनके ऊपर से ही किस किया. उन्होंने अपने होंठों को बंद ही रखा. फिर मैंने अपने होंठों से ही उनको खोलने की कोशिश करी. उनकी सांसें तो भरी हो रही थी लेकिन होंठ अभी भी बंद थे. मैंने उनका हाथ छोड़ कर अपने हाथ को उनकी कमर पर रख दिया और हल्के हल्के सहलाने लगा.
उनके मुंह से एक सिसकी निकली और मैंने उसी दौरान उनके निचले होंठ को अपने होंठों के बीच दबा लिया.
उन्होंने कोई विरोध नहीं किया.
मैं धीरे धीरे उनके होंठों को चूसता रहा. थोड़ी देर बाद जब उनकी झिझक थोड़ी खत्म हुई तो उन्होंने भी साथ देना शुरू कर दिया. अब मेरा एक हाथ उनकी कमर पर था और दूसरा उनके घुटनों पर. मैं एक हाथ से उनकी कमर और एक हाथ से कपड़ों के ऊपर से ही घुटनों के आस पास सहला रहा था.
थोड़ी देर बाद उन्होंने खुद ही अपने आप को हल्का सा पीछे किया और दीवार का सहारा लेते हुई अधलेटी स्थिति में आ गयी. मैंने भी उसी हिसाब से खुद को एडजस्ट किया और दुबारा से अपने चेहरे को उनके चेहरे के पास ले गया.
इस बार पहल उन्होंने करी और मेरे निचले होंठ को अपने होंठों के बीच ले लिया. थोड़ी देर ऐसे ही करते हुए उन्होंने अपनी जुबान मेरे मुंह के अन्दर धकेलने के कोशिश करी. मैंने अपने मुंह को थोड़ा खोलते हुए उनकी जबान को अन्दर लिया और उसे चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद जब उन्होंने सांस लेने लिए होंठों को अलग किया तो उनके चेहरे पर जैसे एक अजीब सी चमक थी. मैंने उनकी कमर पर हाथ रखते हुए, उनके गले को चूमा. उन्होंने अपनी उँगलियों को मेरे बाल में फंसा दिया.
अब जैसे जैसे मैं उनके गले को चूमता जा रहा था, उनकी उँगलियाँ मेरे बालों को सहलाती जा रही थी. उन्होंने अपने सर को पीछे धकेल कर मेरे चूमने के लिए जैसे और जगह बना दी हो. उनके होंठों से हल्की हल्की सिसकारी निकल रही थी.
मैंने चूमना छोड़ कर अब उनके गले की त्वचा को हल्का हल्का चूसने शुरू कर दिया था. हालाँकि मैं ज्यादा देर तक ऐसा नहीं कर रहा था क्यूंकि मैं नहीं चाहता था कि ये निशान कोई देखे और वो परेशानी में पड़ जाएँ.
उनका पल्लू अब पूरी तरह से उनकी गोद में पड़ा था और छातियाँ गहरी सांस से ऊपर नीचे हो रही थी. मैं धीरे धीरे उनकी गर्दन से नीचे उतार रहा था. मेरे होंठ अब अब उनके ब्लाउज के गले पर था. उनका ब्लाउज थोड़ा डीप कट था तो जितना भी हिस्सा दिख रहा था मैं उसको लगातार चूम रहा था और अपनी जीभ से गीला कर रहा था.
गर्मी की वजह से उनकी त्वचा हल्का सा नमकीन लग रही थी लेकिन उस वक़्त मेरे दिमाग में और कुछ भी नहीं था.
मेरे हाथ अब उनकी कमर से ऊपर उनके ब्लाउज से ढके हुए हिस्से को सहला रहे थे. उन्होंने अपने शरीर को थोड़ा और नीचे कर लिया मेरी सहूलियत के लिए.
मेरे होंठ अब उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके स्तनों के स्वाद ले रहे थे. मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनके कड़े निप्पल को महसूस कर सकता था और चूसने की कोशिश कर रहा था.
मेरा हाथ अब उनकी कमर और पेट के बजाये उनकी टांगों पर था और उनके घुटनों के ऊपर की त्वचा को सहला रहा था. मेरा मुंह उनके एक निप्पल और और हाथ दूसरे स्तन पर था. मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी निप्पल को चूस रहा था और दूसरे निप्पल को चुटकी काट रहा था और सहला रहा था.
उन्होंने अपना एक हाथ नीचे किया और मेरे शॉर्ट्स के ऊपर से ही मेरे लिंग को पकड़ लिया. थोड़ी देर उसको सहलाने के बाद उन्होंने उसको बाहर निकालने के लिए मेरे शॉर्ट्स की इलास्टिक को नीचे खिसकाने लगीं.
मैं इतनी जल्दी ये सब खत्म नहीं करना चाहता था. इसलिए मैंने अपने शरीर को थोड़ा और नीचे खिसका लिया. उन्होंने निराशा में मुझे ऊपर खींचने की कोशिश करी लेकिन फिर जब मैंने उनको मौका नहीं दिया तो उन्होंने अपने शरीर को ऊपर खिसका कर मेरे होंठों को अपने स्तनों से अलग कर दिया.
जब मैंने नज़र उठा कर ऊपर देखा तो उन्होंने मुस्कराते हुए अपने हाथों को अपने स्तनों पर रखा और एक एक करके ब्लाउज के हुक खोलने लगी.
मैंने भी देरी ना करते हुए बचे हुए दोनों हुक खोले और इससे पहले कि वो हाथ पीछे करके ब्लाउज को शरीर से अलग करतीं, उनके ब्रा से बाहर निकले हुए स्तनों के हिस्से पर भूखे भेड़िये जैसा टूट पड़ा. मैंने इतने बड़े स्तन पहले कभी नंगे नहीं देखे थे.
मेरे दिमाग में कल शाम की सारी तस्वीरें आ गयीं जब उनका क्लीवेज मुझे दिखा था. मैं उनके स्तनों को हल्का हल्का दांतों से काटने लगा और उनके मुंह से हल्की सी चीख निकल गयी. उन्होंने अपने हाथों को पीछे ले जाकर अपने ब्रा का हुक खोल दिया जिससे उनकी ब्रा थोड़ी सी ढीली होकर सरक गयी.
मैंने ब्रा को पूरा निकलने के बजाये कप्स को ऊपर खिसका दिया और उनके स्तनों को कपड़ों से आजाद कर दिया. मेरी बेसब्री देख कर वो हंस दी और खुद ही ब्रा को अलग कर के बेड पर रख दिया.
पहले तो मैंने उनके दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ा और फिर एक एक कर के दोनों को एक बच्चे जैसे चूसने में जुट गया. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ये सच में हो रहा है.
जब मेरे होंठ एक निप्पल पर होते थे तो हाथ दूसरे पर … दीदी के मुंह से लगातार सिसकी निकले जा रही थी.
मैंने अब निप्पल को छोड़कर उनके स्तन के नीचे के हिस्से को ऊपर उठाया और उसके नीचे की त्वचा को चाटने लगा. वो अपनी दोनों टांगों को आपस में रगड़ रही थी. मेरा हाथ भी अब उनकी जाँघों पर था और मैं लगातार उनके जाँघों के मांस को अपने हाथ से दबा और सहला रहा था.
मेरे लिए जैसे उनके स्तन ज़न्नत जैसे थे. मैं उन्हें छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था. कभी एक तो कभी दूसरे तरीके से मेरा ध्यान उन्हीं पर था. कभी एक निप्पल, कभी दूसरे. निप्पल को छोड़ता तो उनके स्तन के बाकी के हिस्सों को चूसता रहता. उनके पूरे स्तन पर चूस चूस कर मैंने लाल निशान बना दिए थे.
उसके बाद मैंने उनके दोनों स्तनों को एक साथ पकड़ा और दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने की कोशिश करने लगा. मेरे ऐसा करने की वजह से दोनों निप्पलों पर मेरा आधा मुंह पहुँच रहा था क्यूंकि उनके स्तन बहुत बड़े थे. लेकिन मुझे ऐसा करने में बहुत मजा आ रहा था.
मैंने फिर उनके दोनों स्तनों को छोड़ा और स्तनों के बीच की जगह को जबान निकल कर चाटने लगा.
दीदी मेरी हरकतों से पागल हुई जा रही थी. उन्होंने मेरे सर को जोर से अपने स्तनों पर दबाया हुआ था और उनकी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थी. उन्होंने अपने शरीर को इस तरह से खिसकाया की मेरा शरीर उनकी टांगों के बीच आ गया.
उन्होंने बिस्तर पर अपनी टांगों को और फैला दिया और लगभग अपनी पीठ के बल लेट गयी. अब मैं उनकी टांगों के बीच उनके शरीर के ऊपर था. उन्होंने अपना हाथ मेरी कमर पर रख कर मेरे शरीर के निचले हिस्से को अपने शरीर के और पास खींच लिया और अपने शरीर को इस तरह से रगड़ने लगी कि मेरा लंड उनकी टांगों के बीच आगे पीछे होने लगा.
हम दोनों के लिए स्थिति काबू से बाहर होती जा रही थी.
थोड़ी देर अपने शरीर को उसी तरह रगड़ने और दीदी के स्तनों को चूसने और काटने के बाद मैंने अपने हाथों से उनकी साड़ी को कमर के ऊपर उठा दिया. गाँव की बाकी औरतों जैसे दीदी भी साड़ी के अन्दर केवल पेटीकोट पहनती थी.
दीदी की नंगी चूत अब मेरे सामने थे. उस पर बहुत हल्के हल्के बाल थे जैसे ट्रिम करने के 2-3 दिन बाद होते हैं. मैं पहले कुछ देर उनकी नंगी चूत को अपने शॉर्ट्स से ढके हुए लंड से रगड़ता रहा. दीदी के धक्के नीचे से तेज़ होते जा रहे थे. उनकी चूत का गीलापन नीचे चादर और ऊपर मेरे शॉर्ट्स को भिगो रहा था.
थोड़ी देर उसी तरह रगड़ने के बाद मैंने अपने शरीर को नीचे किया और अपना मुंह दीदी की टांगों के बीच लेकर चला गया. जब दीदी को अहसास हुआ कि मैं क्या कर रहा हूँ तो उन्होंने मुझे खींच कर ऊपर करने की कोशिश करी. मुझे नहीं पता था कि उनके साथ पहले ऐसा किसी ने किया नहीं था … इस वजह से वो मुझे वो करने से रोक रही थी या अभी भी उनको शर्म आ रही थी.
हम दोनों में से कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था.
हालाँकि उनके खींचने से पहले मैंने उनकी टांगों के बीच कुछ चुम्बन दे दिए थे और उनकी सिसकारियां गवाह थी कि वो उन्हें बुरा तो नहीं ही लगा था. हालाँकि जब उन्होंने मुझे खींच कर ऊपर किया तो मैंने सोचा की अब उनसे बात करनी ही चाहिए. वरना सब कुछ बहुत ही ठंडे तरीके से होगा.
मैंने ऊपर जाकर पहले उनके होंठों को किस किया और उनके चेहरे पर आ गए बालों को कान के पीछे ले गया.
वो मुस्करा कर मेरी ओर देखने लगी.
मैं नहीं चाहता था कि मैं केवल उनके शरीर को सुख दूँ. मैं चाहता था कि वो मुझे अपना माने और उनके दिल में मेरे लिए थोड़ा प्यार रहे … इससे शारीरिक सुख कई गुना बढ़ जायेगा.
मैंने उनसे कहा- आपने मुझे रोका क्यूँ?
पहले तो कई सेकंड्स उन्होंने जवाब नहीं दिया.
मैंने जब फिर से पूछा- बोलिए ना?
तब उन्होंने कहा- आज तक तुम्हारे जीजा ने ये नहीं किया तो मुझे बड़ा अजीब लगा. और ये गन्दा भी तो है!
मैंने कहा- बिल्कुल नहीं … और आप जीजा के नहीं मेरे साथ हैं.
मेरे कहने से उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी.
दीदी ने कहा- तुम्हारा जो मन हो वो करो. मैं नहीं रोकूंगी.
उनके इतना कहने की देर थी, मैंने उनके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और एक लम्बी किस देने के बाद धीरे धीरे उनके सारे अंगों को चूमता चाटता नीचे की तरफ बढ़ने लगा. उनके मुंह से लगातार सिसकारियां निकल रही थी और उनकी उँगलियाँ मेरे बालों से खेल रही थी.
दीदी की छाती, पेट से होता हुआ मैं उनकी टांगों के बीच पहुँच गया. हालाँकि मैंने वो हिस्सा छोड़ कर पहले उनकी जाँघों को चूमना शुरू कर दिया. उन्होंने उत्तेजना के मारे अपनी टांगों को चौड़ा कर लिया था.
कहानी जारी रहेगी.
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