मेरी कुंवारी बुर की सील डाक्टर ने तोड़ी- 1
ठरकी डॉक्टर की कहानी में पढ़ें कि एक दिन मुझे मेरी चूची में दर्द महसूस हुआ. मम्मी मुझे डॉक्टर के पास ले गयी. उस डॉक्टर ने क्या किया?
मेरा नाम विपुल कुमार है. मैं उत्तर प्रदेश के एक शहर में रहता हूँ. गोपनीयता के चलते मैं शहर का नाम नहीं लिखूंगा.
जिन लोगों ने मेरी पिछली कहानियाँ पढ़ी हैं, वे तो पहचान ही गये होंगे.
और जिन्होंने नहीं पढ़ी हैं, वे कहानी के शीर्षक के नीचे मेरे नाम पर क्लिक करके मेरे पेज पर जाकर पढ़ सकते हैं।
मेरी पिछली कहानी
भाभी की सुहागरात की चुदाई लाइव देखी
पर आप लोगों के बहुत सारे ई-मेल भी प्राप्त हुए मुझे.
उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
दोस्तो, एक लड़की जो कि मेरी दोस्त थी. उसने खुद ही मुझे ये घटना बहुत दिनों के बाद बतायी थी.
तो मैं उसी के कहने पर इस ठरकी डॉक्टर की कहानी को अन्तर्वासना के माध्यम से आप लोगों तक पहुंचा रहा हूँ।
उसका नाम नीलम है.
मेरी और नीलम की अच्छी दोस्ती है हालाँकि मैंने नीलम की आज तक चुदाई नहीं की है क्योंकि हम दोनों के बीच में ऐसा कुछ भी नहीं था.
हम दोनों तो बस अच्छे दोस्त की तरह हैं.
तो चलिए शुरू करते हैं कहानी
खुद उसी की जुबानी:
दोस्तो, मेरा नाम नीलम है.
जब यह घटना हुई तो उस समय मेरी उम्र 21 वर्ष थी. मैं एक सीधी सादी लड़की हूँ.
मैंने कभी सेक्स नहीं किया था. लेकिन हाँ … सेक्स के बारे में सहेलियों से सुना जरूर था.
इस घटना तक मेरी चूत की सीलबन्द थी. मैंने सोच रखा था कि मैं जब भी सेक्स करूंगी शादी के बाद ही सेक्स करूंगी.
लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था।
पहले मैं आप सबको अपना परिचय दे देती हूँ मैं बहुत साधारण सी लड़की हूँ.
मेरा साइज़ 32-30-32 है. रंग बहुत गोरा है.
लम्बे काले घने बाल जो कि मेरी कमर तक है और मेरी लम्बाई लगभग पाँच फुट है।
मेरी एक दीदी और दो भाई हैं. तीनों ही मुझसे बड़े हैं और तीनों की शादी हो चुकी है.
जबकि मैं सबसे छोटी हूँ. अभी मेरी शादी नहीं हुई है।
दीदी की शादी दूसरे शहर में हुई है जहाँ जाने में तीन से चार घंटे लगते हैं.
वो अपनी ससुराल में रहती हैं.
दीदी की शादी के बाद घर का ज्यादातर काम मैं ही करती थी इसलिए मुझे घर का सारा काम आता है.
मेरी दीदी से अच्छी बनती है; हम दोनों काफी बातें एक दूसरे के साथ शेयर करती हैं।
सबसे बड़े भैया भाभी गाँव में ही रहते हैं क्योंकि वहां हमारा पुराना घर है।
खेती की वज़ह से पापा भी ज़्यादातर गाँव में ही रहते है.
छोटे वाले भैया की नौकरी शहर में है इसलिए मैं मम्मी और भैया भाभी हम लोग शहर में ही रहते हैं.
और फिर गाँव में कोई डिग्री कालेज भी नहीं है।
दोस्तो, उस वक्त मैं ग्रेजुऐशन की पढ़ाई कर रही थी.
मैं घर पर सलवार कमीज़ ज्यादा पहनती हूँ मेरा जींस पहनना मम्मी और भैया को बिल्कुल पसंद नहीं है.
इसलिए मैं ज्यादा जींस नहीं पहनती हूँ मुझे सफेद ब्रा सबसे अच्छी लगती हैं।
मैं अधिकतर पैंटी पहनकर नहाती हू कभी-कभी तो पैंटी भी निकाल देती हूँ और नंगी नहाती हूँ।
मैं अपनी चूत और स्तन खूब अच्छे से साफ करती हूँ।
एक बार मैं अपने स्तन पर साबुन लगा रही थी तो मुझे हल्का दर्द महसूस हुआ.
मैंने धीरे से दबाया तो और दर्द होने लगा.
इसी तरह तीन चार दिन बीत गए।
जब मैं स्तन पर साबुन लगाने के लिए हाथ लगाती तो दर्द होने लगता.
जबकि पहले ऐसा कभी नहीं होता था और दर्द हर रोज बढ़ता ही जा रहा था।
मैं डर गयी और मैंने फोन पर दीदी को बता दिया.
यह बात दीदी ने मम्मी को बता दी.
जब मम्मी को पता चला तो मम्मी ने मुझे बुलाया और पूछने लगी तो मैंने सारी बात बता दी लेकिन मुझे बहुत शर्म आ रही थी।
मम्मी ने कहा- कोई बात नहीं … कल अस्पताल चलकर दवाई ले लेना. ठीक हो जाएगा.
अस्पताल का नाम सुनते ही मैं घबरा गयी. क्योंकि मुझे ये दवाई, इंजेक्शन … इन सब चीजों से बहुत डर लगता है.
लेकिन अब क्या हो सकता था … मम्मी को पता चल गया था।
अगले दिन मम्मी मुझे लेकर अस्पताल गयीं जो कि मेरे घर से थोड़ी दूर था.
काफी बड़ा अस्पताल था. हर सुविधा थी उसमें!
अस्पताल पहुँच कर मम्मी ने पर्चा बनवाया और हम अपनी बारी का इंतजार करने लगे.
वहां पहले से और भी लोग बैठे थे.
कुछ देर बाद हमारा नम्बर आया और हम अन्दर चले गये।
जैसे ही मैं अन्दर गयी … ये क्या … वहां एक पुरूष डाक्टर बैठा था.
और मैं सोच रही थी कि शायद कोई महिला होगी.
अब मेरे मन में तरह-तरह के सवाल घूम रहे थे.
मैं और मम्मी वहां पड़ी दो कुर्सियों पर बैठ गयी।
तभी उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्या नाम है आपका? बताइये क्या समस्या है?
मैं धीरे से बोली- मेरा नाम नीलम है, मुझे यहां पर (स्तन पर हाथ रखते हुए बोली) यहाँ पर दर्द हो रहा है।
डाक्टर ने पूछा- दर्द कब से हो रहा है?
मैंने कहा- जी तीन चार दिन से हो रहा है।
फिर डाक्टर ने मुझे बुलाया और अपने पास पड़े स्टूल पर बैठने के लिए कहा.
वो अपने कान में आला लगाकर मेरे शर्ट के ऊपर से ही स्तन पर रखकर चैक करने लगा.
मेरी धड़कन बढ़ती ही जा रही थी.
फिर उसने मुझे पीछे घुमाया और पीठ पर भी लगाया.
उसने मुझसे कहा कि गहरी साँस अन्दर खींचो, फिर बाहर छोड़ो.
तो मेरे स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे और वह देख रहा था।
एक दो मिनट जाँच करने के बाद उसने कहा- मैं कुछ दवाइयाँ लिख देता हूँ. उसे खाना. दर्द ठीक हो जाएगा।
फिर डाक्टर ने दो दिन की दवाई दी और कुछ हमें मेडिकल स्टोर से लेनी पड़ी.
फिर हम माँ बेटी घर आ गयी.
मैंने दो दिन दवाई खायी लेकिन मुझे कोई फायदा नहीं हुआ, दर्द में कुछ आराम नहीं मिला।
तीसरे दिन मम्मी मुझे लेकर फिर अस्पताल गयीं और डाक्टर को बताया कि दर्द में कोई राहत नहीं मिली।
डाक्टर बोला- ऐसा कीजिए मैमोग्राफी (स्तन की जाँच) करा लीजिये!
अब तो मैं और डर गयी थी।
डाक्टर ने कहा कि इसका अल्ट्रासाउंड करवा लीजिये. स्तन में जो भी परेशानी होगी अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में पता चल जायेगा.
अल्ट्रासाउंड का नाम सुनते ही मैं बहुत डर गयी और मम्मी की तरफ रोने जैसा मुँह बनाकर देखने लगी।
मम्मी बोली- क्या हुआ … अल्ट्रासाउंड करा लो. डाक्टर साहब ठीक कह रहे हैं.
आखिर मम्मी मेरी भलाई के लिए ही कह रही थी।
तभी डाक्टर साहब उठे और दूसरे कमरे के अंदर चलने को कहा.
मैं और मम्मी कमरे के अंदर चले गये.
उस कमरे में बहुत सारी तरह-तरह की मशीनें लगी हुई थी.
मुझे नहीं पता कि वह कौन-कौन सी मशीनें थी.
एक लड़का भी बैठा था जो शायद कंपाउंडर था।
मुझे अन्दर से बहुत घबराहट हो रही थी.
तभी डाक्टर ने कहा कि अपनी कमीज़ उतार दो।
मम्मी मेरी तरफ देख रही थी तो मैंने ना में गर्दन हिलाते हुए मना कर दिया.
पर कोई फायदा नहीं मम्मी मेरी तरफ बढ़ी और मेरे दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए मेरी कुर्ती उतार दी।
अब मैं ब्रा में थी. उस दिन मैंने काली रंग की ब्रा पैंटी पहनी हुई थी।
तभी मैं अल्ट्रासाउंड मशीन की तरफ बढ़ी तो डाक्टर बोला- अरे इस ब्रा को भी तो उतारो; बिना ब्रा उतारे स्तन का अल्ट्रासाउंड कैसे होगा।
मम्मी मेरी तरफ आयी.
मैंने कहा- मम्मी मुझे शर्म आ रही है; मैं ब्रा नहीं उतारूँगी.
मेरी यह बात सुनकर डाक्टर बोला- यह तो हॉस्पिटल है. यहाँ पर नंगी भी होना पड़ता है।
फिर मम्मी ने मुझे पकड़ कर पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा की दोनों पट्टियों को पकड़ कर कंधे से निकाल दिया.
मेरी ब्रा उतर चुकी थी।
कंपाउंडर और डाक्टर मुझे देख रहे थे.
मैं ऊपर से बिल्कुल नंगी और नीचे सलवार पहन रखी थी.
अपने दोनों हाथों से मैं अपने स्तनों को छुपाने की कोशिश कर रही थी।
तभी डाक्टर ने मुझे बुलाया और मेरे दोनों स्तनों को हल्के से दबाते हुए चेकअप करने लगा.
जब वह दबाता तो मुझे दर्द होता और ‘आह … ऊह … सी … मम्मीईई … दर्द हो रहा है … उई … आ..अह …’ मेरे मुँह से निकल रहा था।
मेरे मुँह से ‘दर्द हो रहा है’ सुनकर मम्मी बोल पड़ी- डाक्टर साहब, इसको पीरियड(माहवारी) में भी बहुत दर्द होता है।
जब मम्मी ने ये कहा तो मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा आया. अब मेरा दिमाग और खराब हो गया क्योंकि ‘यार पीरियड का दर्द तो सामान्य बात है’ और वह हर लड़की को होता ही है.
डाक्टर बोला- कि उस दर्द को बाद में देख लेंगे।
फिर डाक्टर ने मेरे स्तन छोड़ दिये और मुझे स्ट्रेचर पर लेटने के लिए कहा.
मैं लेट गयी फिर कंपाउंडर ने मेरे स्तनों पर एक मशीन लगा दी और डाक्टर मेरे स्तन पकड़ कर कभी मशीन पर लगा देता तो कभी हटा देता.
मुझे गुदगुदी हो रही थी और जब दर्द होता तो मैं दाएँ-बाएँ हिल जाती जिससे चैकअप सही से नहीं हो पा रहा था.
फिर डाक्टर ने कंपाउंडर को बोल दिया कि इसके दोनों हाथ पकड़ लो.
और कंपाउंडर ने मेरे दोनों हाथ मजबूती से पकड़ लिए।
मेरे दोनों स्तन ऊपर की तरफ उठे हुए थे; निप्पल कड़क हो गये थे और डाक्टर मशीन से चैकअप कर रहा था; साथ ही स्तनों को दबा भी रहा था.
मम्मी दूर कुर्सी पर बैठी हुई थी।
करीब बीस मिनट के बाद डाक्टर ने मुझे उठा दिया और कहा- अल्ट्रासाउंड हो गया है.
फिर मम्मी ने मुझे ब्रा और कुर्ती पहनने के लिए दी.
मुझे बहुत शर्म आ रही थी; मैंने जल्दी से कुर्ती पहन ली और ब्रा पर्स में रख ली.
तो मम्मी बोली- देखो कैसी पागल लड़की है पहले ब्रा उतार नहीं रही थी, अब पहन नहीं रही है.
डाक्टर ने कहा- अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट कल मिलेगी, आप लोग कल आना।
वैसे तो डॉक्टर को तुरंत पता चल जाता है अल्ट्रासाउंड में क्या पता लगा. लेकिन उसने हमें कुछ नहीं बताया.
फिर हम घर आ गयी और मैंने घर आकर ब्रा पहनी।
मैं और मम्मी अगले दिन हॉस्पिटल गयी, डाक्टर से मिले.
मम्मी ने डाक्टर से पूछा- डाक्टर साहब, अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में क्या आया?
तो डाक्टर ने कहा- इसके दाएँ स्तन में गाँठ है जिसकी वजह से दर्द होता है.
मेरी घबराहट बढ़ती जा रही थी.
फिर मम्मी ने कहा- डाक्टर साहब अब क्या करें?
तो डाक्टर ने कहा- देखिये आप इसका आपरेशन करवा लीजिये।
आपरेशन का नाम सुनते ही मेरी हालत खराब हो गयी।
डाक्टर मम्मी को समझाने लगा- घबराइये मत! छोटे से आपरेशन से गाँठ निकल जायेगी कोई परेशानी नहीं होगी. अगर आपरेशन नहीं कराया तो भविष्य में समस्या बढ़ सकती है, स्तन कैंसर हो सकता है।
मम्मी के भी बात समझ में आ गई और आपरेशन कराने के लिए तैयार हो गयी।
लेकिन मेरा मन आपरेशन के लिए बिल्कुल भी नहीं था.
डाक्टर ने अगले दिन सुबह दस बजे आने के लिए कहा। कुछ निर्देश दिए जैसे कि खाली पेट आना है.
फिर हम दोनों घर आ गयी.
ठरकी डॉक्टर की कहानी में आपको मजा आ रहा है या नहीं? मुझे मेल से और कमेंट्स में बताएं.
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ठरकी डॉक्टर की कहानी का अगला भाग: मेरी कुंवारी बुर की सील डाक्टर ने तोड़ी- 2
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