मेरी चुदाई की किताब से-2
आर्यन इंजीनियर
मैं उसे चुम्मी करने लगा और मेरा लण्ड उसकी चूत के आस-पास छू रहा था। मेरे लिए यही काफ़ी बड़ा सुख था। मैं उसके ऊपर ही हिलने लगा और मज़ा लेने लगा। कभी उसके मम्मों को चूसता कभी उसके होंठ चूमता रहा।
तभी अचानक किसी ने मेरी शर्ट खींची और मुझे साइड में फेंक दिया। मैंने पलट कर देखा वो मामी थीं।
अरे बाप रे…!!
मेरी बोलती बंद हो गई..
अब क्या होगा?
घर वाले क्या कहेंगे?
कितनी बेइज़्जती होगी…!
मामी का चेहरा लाल हो चुका था और मेरा रंग फीका पड़ गया था जैसे मुझे सेक्स कभी करना ही ना हो।
मैं मन ही मन भगवान के पैर पड़ने लगा और माँगने लगा कि एक बार मुझे बचा ले फिर जिंदगी में कभी नहीं करूँगा।
मामी मुझे उठा कर दूसरे कमरे में ले गई और 4 चाटें लगा दिए, उन्होंने मुझे पलंग पर फेंक दिया और मुझे जानवर की तरह चार पैर पर खड़ा कर दिया।
वो मामा का बेल्ट ले आईं और मुझे पीटने लगीं।
मेरे पास सिवा दर्द सहने के कोई रास्ता नहीं था। वो मुझे जानवर की तरह पीट रही थीं और मैं माफी माँग रहा था- प्लीज़ किसी को मत बताना !
उनका गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। उन्होंने मेरी पैंट खोल दी और अंडरवियर भी और मेरी नंगी गान्ड पर धना-धन बेल्ट मारने लगीं।
मेरे चूतड़ पूरी तरह गर्म होकर लाल हो चुके थी और मैं कांप रहा था।
तब मामी ने बेल्ट फेंका और हाथ से मेरी गान्ड पर चाँटे मारने लगीं।
मेरे दिमाग़ में सिर्फ़ दर्द था और डर था, मामी के हाथ ढीले पड़ गए।
वो मारते-मारते रुक गईं और मेरी गान्ड सहलाने लगीं। मामी के कोमल हाथ मेरी गान्ड पर घूम रहे थे, जो मुझे मदमस्त करने के लिए काफ़ी थे मगर डर की वजह से मैं उसे महसूस नहीं कर पा रहा था।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि मामी क्या कर रही थीं?
मगर डर इतना था कि मुड़ कर उसे देख भी नहीं सकता था।
मामी के हाथ धीरे-धीरे मुझे छूने लगे, वो मेरे आस-पास के अंगों को भी सहलाने लगीं। कभी उनका हाथ मेरे गुदा द्वार के पास से जाता, तो कभी इतना नीचे ले जातीं कि लण्ड के रोंगटे खड़े हो जाते।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि मामी मुझे सज़ा दे रही हैं या मज़ा..!
तभी मामी की अगली हरकत ने मुझे बता दिया कि वो क्या चाहती हैं। मामी ने मेरी गान्ड पर चूम लिया और उसे प्यार से थपथपाने लगीं।
इतना डर होने के बावजूद मेरा लण्ड फिर कड़क होने लगा और मेरी आँखों में मज़ा छाने लगा।
मामी मुझे पीछे से चूम रही थीं और उनके हाथ लगभग मेरी दोनों गोटियों को छू चुके थे। अब मैं और मेरा लण्ड उनके हाथों की गिरफ़्त में था।
मैं अभी भी किसी सहमे हुए कुत्ते की तरह चार पैर पर था और वो पीछे से मेरा लण्ड पकड़ कर खींच रही थीं। मामी अभी भी मेरी गान्ड पर चुम्बन कर रही थीं, उनके होंठ मेरे गड्डे के आस-पास ही घूम रहे थे।
मेरे लण्ड पर मामी की पकड़ इस तरह की थी, जैसे उसने कभी लण्ड छुआ ही ना हो। हालाँकि मेरा यह पहली बार था मगर मामी ज़्यादा उतावली लग रही थीं।
मैंने पहले कभी ऐसा स्पर्श महसूस नहीं किया था। मामी के हाथ के आगे-पीछे होने के साथ मेरा शरीर भी हिल रहा था।
एक अजीब सी अकड़न महसूस हुई और मेरे लण्ड ने फिर से पिचकारी मार दी, मैं निढाल हो कर गिर गया।
मगर मामी के दिमाग़ में तो कुछ और ही चल रहा था, उन्होंने मुझे पीठ के बल लिटा दिया और खुद मेरे बाजू लेट गईं।
मैं अभी भी उनसे आँखें चुरा रहा था।
फिर मामी बिना कुछ बोले मेरे चेहरे पर चुम्मी करने लगीं और मेरे पेट में हाथ फेरने लगीं। उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए और उन्हें चूसने लगीं। अब मेरा डर जा चुका था। मैं समझ गया था मुझे क्या करना है। मैंने धीरे से अपने हाथ मामी के पेट पर रख दिया और उसने रगड़ने लगा। मामी की चुम्मियां और गहरी होने लगीं।
मेरे हाथ बढ़ने लगे और मैं उनके मम्मों तक जा पहुँचा। प्रिया के मुक़ाबले मामी के मम्मे तीन गुना बड़े थे, मैं उन्हें अपने हाथों में पकड़ने लगा और दबाने लगा।
मामी की साँसें गर्म होने लगीं और मेरा भी बुरा हाल था, अब मैं दोनों मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा।
मामी मुझे अपने ऊपर खींचने लगीं।
मैंने एक करवट ली और उनके ऊपर हो गया। मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोले और ब्लाउज को अलग कर दिया। मैं ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को मसलने लगा और उन पर चुम्बन करने लगा। मैं उनके पेट और कंधे पर काटने लगा।
हालाँकि यह मेरा पहली बार था, मगर अन्तर्वासना में कहानी पढ़-पढ़ कर मुझमें कुछ समझ आ गई थी।
मैं उन्हें बेतहाशा चूमा-चाटी करने लगा और उन्हें काटने लगा, मैं उनकी गर्दन और कंधे पर ज़्यादा काट रहा था।
फिर मैंने उन्हें उल्टा कर दिया और उनकी पीठ में चुम्मियाँ करने लगा।
मैंने उनकी पीठ अपनी ज़ुबान से गीली कर दी और अपने मुँह से ही उनकी ब्रा का हुक खोल दिया। अब मामी के दोनों मम्मों मेरे लिए खुले थे। पहली बार किसी के मम्मों को इस तरह देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उन्हें अपने हाथों में थाम लिया।
मैं उन्हें ज़ोर से रगड़ने-मसलने लगा। मैं एक चूचे को अपने मुँह से, तो दूसरे को हाथ से रगड़ रहा था। मैं उसे चूसता, काटता और ज़ोर से खींचता। मैं अपनी जीभ उनके निप्पल पर रगड़ने लगा और उन्हें चूसने लगा।
मैं धीरे से उसे काट भी लेता था और मामी अपने हाथों से मेरा मुँह और ज़ोर से दबा देती थीं।
अभी भी हम दोनों के मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला था, मैं उन्हें खूब ज़ोर-ज़ोर से चूम रहा था और वो भी खूब मज़ा ले रही थीं।
मामी की साड़ी और पेटीकोट कब अलग हुए, मुझे पता ही नहीं चला, जब तक होश संभला, मामी सिर्फ़ चड्डी में थीं।
मेरी पैंट तो पहले ही मामी बेल्ट मारते वक़्त उतार चुकी थीं। अब मैं मामी के ऊपर आ गया और मामी ने खुद ही धीरे से अपनी चड्डी नीचे सरका दी।
जैसे मैंने कहानियाँ पढ़ी थीं, मैं मामी की चूत देखना चाहता था, उसे चूमना और चूसना भी चाहता था मगर पहली बार में इतनी हिम्मत कर पाना नामुमकिन था।
मैंने अपना हाथ नीचे किया और चूत को छू लिया मगर मामी ने तुरंत मेरा हाथ ऊपर खींच लिया।
मैं समझ गया कि अभी इजाज़त नहीं है।
मामी ने अपना हाथ नीचे डाला और मेरे लण्ड को अपनी चूत पर सैट किया और मुझे ज़ोर से खींच लिया।
मेरा लण्ड आधा अन्दर चला गया। फिर मामी ने मेरी गान्ड पर अपने हाथ रखे और मुझे खींचने लगीं। मैं भी धीरे-धीरे हिलने लगा और अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा जो अभी आधा ही गया था।
हालाँकि मेरा माल दो बार गिर चुका था, अब ज़्यादा कुछ बचा नहीं था। मगर पहली बार चूत की गर्मी मिलते ही मेरे लण्ड ने पानी जैसी दो-तीन चिकनी बूँदें छोड़ दीं और लोहे की तरह कड़क हो गया।
मैं बहुत ज़्यादा खुश था। अब मैंने अपनी ताक़त लगाई और पूरा लण्ड अन्दर पेल दिया।
मामी के मुँह से ‘आह’ निकल गई। अब मेरे होंठ उनके होंठ पर थे, हाथ उनके मम्मों पर और लण्ड अन्दर-बाहर हो रहा था।
भगवान ने आज मुझे यह मौका दे ही दिया था।
मैं झटके लगाने लगा और मामी भी मेरा साथ दे रही थीं, उनकी सिसकारियाँ बढ़ने लगीं और मेरी स्पीड भी टॉप गियर में थी।
मुझे चूत में कुछ गर्म-गर्म और चिकना-चिकना लगने लगा, मैं समझ गया कि मामी गईं…!
मेरे धक्के अब भी शुरू थे, अब तो मज़ा और बढ़ गया था।
मुझे भी अकड़न महसूस होने लगी थी, मेरी स्पीड अचानक ही और बढ़ गई, मैं मामी के निप्पल काटने लगा और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
अब मैं खुद को और ना रोक सका और अपना सारा माल मामी की चूत के अन्दर ही गिरा दिया।
इतना आनन्द-सुख मैंने जिंदगी में कभी भी नहीं महसूस किया था।
मैं थोड़ी देर मामी से वैसा ही चिपका रहा। लण्ड सिकुड़ कर चूत के बाहर आ गया था और मेरा मुँह मामी के मम्मों के ऊपर ही था, मामी दोनों हाथों से मेरी गान्ड थामे हुई थीं और दोनों जन्नत सा नशा सा महसूस कर रहे थे।
काफ़ी देर के बाद मामी के मुँह से पहला शब्द निकला- थैंक यू…!
और फिर उन्होंने मुझे प्यार से दो तमाचे लगाए और कहा- प्रिया को दिमाग़ से निकाल दे…!
मैं मुस्कुरा दिया और कहा- सॉरी…!
हम दोनों उठे और कपड़े से अपना शरीर साफ कर लिया। उसके बाद मुझे इतनी गहरी नींद आई कि पहले कभी नहीं आई थी। सुबह जब उठा तो सब कुछ अलग ही दिख रहा था। आगे क्या हुआ, मैं फिर कभी जरूर लिखूँगा…
फिलहाल आपको मेरी कहानी कैसी लगी ज़रूर बताइए..!
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