मेरी दीदी ने चूत से अहसान का कर्ज उतारा
आज मैं आपको अपनी दीदी की चुदाई की एक ऐसी गंदी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसे पढ़ने के बाद आप जानेंगे कि किस तरह से एक आदमी अपने एक एहसान का बदला एक रात उसके साथ चुदाई करके चुकता करता है.
इससे पहले कि मैं अपनी इस सेक्स कहानी को शुरू करूं, सबसे पहले मैं आपका परिचय अपनी दीदी और उस आदमी से करा देता हूँ, जिसके बारे में मैं आपको अपनी इस सेक्स कहानी में बताने जा रहा हूँ.
मेरी दीदी एक ऐसी कुंवारी लड़की है, जिसे देखने के बाद एक बुड्डे आदमी को भी अपनी जवानी लौट कर आती महसूस होने लगती है.
उस वक्त मेरी दीदी की उम्र छब्बीस साल की थी. वो आदमी, जिनके बारे में मैं लिख रहा हूँ, उन अंकल की उम्र कोई पचास साल की थी. वो मेरे पड़ोस में ही रहते थे. वैसे तो उस सोसाइटी में लोग बहुत ही प्रेम करने वाले हैं और सभी एक दूसरे की इज्जत करते हैं. लेकिन इन अंकल ने मेरी दीदी के ऊपर एक ऐसा अहसान किया था, जो वाकयी इस तोहफे का हकदार था, जो अंकल ने किया था.
हुआ यूं कि एक दिन दीदी देर शाम को अपने ऑफिस से घर आ रही थीं, तो रास्ते में दीदी को कुछ बदमाशों ने खींच लिया. वे गुंडे दीदी को अपनी कार में बैठा कर उन्हें ले जाने वाले थे. उसी समय वो बगल वाले अंकल वहां आ गए और दीदी को उनसे छुड़ा लिया.
उस घटना के दो महीने के बाद की ये कहानी है.
उस दिन दीदी को अपने ऑफ़िस के एक पार्टी में जाना था. मुझे अपने दोस्त के यहां किसी जरूरी काम से जाना था. क्योंकि मैं रूम से बाद में निकला, तो रूम की चाभी मेरे पास ही थी.
रात में मुझे अपने दोस्त के घर से निकलने में देर हो गई. मैं जब वहां से चला, तभी बारिश होने लगी.
कुछ देर बाद जब मैं अपनी कॉलोनी में पहुंचा, तो दीदी को अंकल के दरवाजे पर खड़ा पाया.
दीदी को वहां जाते देखा, तो मेरे मन में शरारत सूझी. मैंने सोचा कि चलो देखता हूँ कि दीदी क्या कर रही हैं.
मैंने देखा कि अंकल के रूम का दरवाजा खुला था और दीदी उनके घर के अन्दर जाने को हुई ही थीं कि अंकल दीदी को देख कर मुस्कुरा दिये और आगे आकर उनको अपनी बांहों में लेकर अन्दर ले लिया था.
दीदी घर के अन्दर चली गईं. अंकल के रूम का दरवाजा बंद हो गया. उस वक्त रात के आठ बज रहे थे. उस समय भी बारिश हो रही थी.
मैं अब ये समझ गया कि आज रात जो कुछ भी होने जा रहा था, वो उन अंकल के लिए बिल्कुल ही रंगीन रात जैसा होने जा रहा था.
मैं अपने घर न जाकर उन अंकल के रूम की ओर आ गया. मैं खिड़की के पास आ गया और अन्दर देखने लगा. खिड़की में से अन्दर का सब कुछ साफ़ दिख रहा था. दीदी अन्दर बैठी थीं. मैंने देखा कि मेरी दीदी को काफी ठंड लग रही थी.
अब अंकल दीदी के लिए एक गिलास में पानी लेकर आए.
दीदी ने गिलास के पानी को पी लिया. इसके बाद अंकल दूसरे रूम में चले गए.
कुछ देर के बद जब अंकल दीदी के पास आए, तो दीदी ने उनसे कहा- अब मुझे नींद आ रही है.
अचानक से दीदी का ये कहना कि उनको नींद आ रही है, मैं समझ गया कि अंकल ने दीदी को पानी में कुछ ऐसा पिलाया है, जिससे चुदाई करने में मजा आ सकता होगा.
अंकल ने बोला- कोई बात नहीं … चलो तुम्हें अन्दर कमरे में सुला देते हैं.
दीदी ने हामी भर दी, तो अंकल ने दीदी के हाथ को पकड़ लिया और दीदी को लेकर दूसरे रूम में ले गए.
वहां ले जाकर अंकल ने दीदी को बेड पर लेटा दिया. एक मिनट से भी कम समय में दीदी की आंखें बंद हो गई थीं. मैं समझ गया था कि आज ये अंकल अपने एहसान का कर्ज वसूल करने जा रहे हैं.
अंकल ने दीदी के सैंडिल खोल दिए और दीदी की साड़ी को उतारने लगे.
दीदी की साड़ी को उतारने के बाद अंकल ने दीदी की साड़ी को बालकनी में हैंगर पर डाल दिया. फिर अंकल ने दीदी के पेटीकोट को खोल दिया. दीदी ने काली पैंटी पहनी हुई थी. वो पैंटी के ऊपर से ही दीदी की चुत को टटोलने लगे. तभी दीदी होश में आ गईं और उन्होंने हंसते हुए अपनी टांगें भींच लीं. वो एकदम वासना में डूबी हुई दिखने लगी थीं. दीदी अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी थीं.
यह देख कर अंकल ने दीदी के पेटीकोट को दूर फेंक दिया और इसके बाद उन्होंने दीदी के ब्लाउज को उतार दिया. दीदी की ब्रा उनके मम्मों को जकड़े हुए बड़ी मस्त लग रही थी. अगले ही पल उन्होंने दीदी की पैंटी को उतारने के लिए हाथ बढ़ाया तो दीदी ने अपनी टांगें हवा में उठा कर पैंटी को निकालने के लिए अंकल की मदद कर दी. दीदी की पैंटी को उतारने के बाद अंकल ने दीदी की ब्रा को भी खोल दिया. अब दीदी उनके सामने एकदम नंगी पड़ी ही थीं.
फिर उसने दीदी के सारे कपड़ों को ले जाकर बालकनी ने डाल दिया. उसने बालकनी में आकर इधर उधर देखा और कोई समस्या न पाते हुए अंकल फिर से अन्दर घुस गए.
इसके बाद अंकल दीदी के पास आए और दीदी के तने हुए मम्मों को बारी बारी से दबाने लगे. अंकल का लंड अपने आप ही लुंगी के बाहर आ गया. शायद अंकल अपने आपको और नहीं रोक पा रहे थे. इसलिए उन्होंने दीदी की चुत को पूरी तरह से देखने के लिए दीदी के दोनों पैरों को फ़ैला दिया.
फिर अंकल दीदी की जांघों के बीच में बैठ गए और अपने लंड को दीदी की पानी छोड़ती हुई चुत पर रख दिया.
दीदी ने लंड का सुपारा महसूस करते ही एक मीठी सी सीत्कार निकाल दी- उन्ह … कितना गर्म है.
अंकल दीदी की चुत में अपने लंड को घुसाने के लिए जोर लगाने लगे. अंकल ने अपनी कमर को धीरे धीरे आगे किया और मैंने देखा कि दीदी की चुत में उनके लंड का सुपारा घुसता चला गया.
दीदी की आंखें फ़ैल गई थीं और उनके दांत भींच गए थे. शायद दीदी को लंड का सुपारा दर्द देने लगा था, लेकिन वो अपने दर्द को दबाए हुए थीं.
तभी अंकल ने दीदी की कमर को पकड़ कर अपनी कमर को एक जोर से झटका मारा, तो दीदी अपनी जगह से एक इंच ऊपर को खिसक गईं. उनके मुँह से एक तेज आवाज निकलने को हुई, तभी अंकल ने दीदी के मुँह पर अपने मुँह को जमा दिया.
मैंने देखा कि दीदी की चुत में अंकल का दो इंच लंड चला गया था. वो अपनी कमर को हिलने लगा और दीदी की चुचियों को धीरे धीरे दबाने लगा. अंकल ने अपने मुँह को दीदी के मुँह से हटा दिया था. दीदी की आंखें बंद थीं शायद वो बेहोश सी हो गई थीं.
कुछ देर के बाद उसने एक जोर से झटका मारा, तो दीदी के मुँह से आआह्ह्हह की तेज आवाज निकल गई. मैं समझ गया कि दीदी को होश आ गया, लेकिन वैसा नहीं था. दीदी की चुत में उनका आधा लंड चला गया था.
अब वो अपने होंठों को दीदी के होंठों पर रख कर चूसने लगे थे और इसी के साथ ही अंकल ने दीदी की कमर को फिर से पकड़ कर जोर जोर से लंड के झटके मारने लगे थे.
मैंने देखा कि दीदी की चुत में अंकल का पूरा लंड घुस नहीं पा रहा था. दीदी को बड़ी तकलीफ हो रही थी.
फिर अंकल ने दीदी के दोनों पैरों को घुटने से उठा कर पैरों को और भी ज्यादा फ़ैला दिया. चुत में लंड घुसा हुआ था और अंकल अब बैठ गए थे. वो जोर जोर से आधे लंड से ही झटके देने लगे थे. अंकल दीदी की चुत चुदाई के साथ उनकी दोनों चुचियों को मसलने में लग गए.
दीदी को भी चुदने में बड़ा दर्द हो रहा था. वो अंकल के लंड से चुद जरूर रही थीं पर उनको मजा की जगह दर्द हो रहा था.
लगभग बीस मिनट तक अंकल ने चुदाई की और उसके बाद अंकल की रफ्तार एकदम तेज हो गई. अब अंकल ने अपने होंठों से दीदी के होंठों को चूसने के लिए बढ़ा दिए. दीदी ने भी अंकल के होंठों के ऊपर अपने होंठों को रख लिया.
मैं समझ गया कि अब अंकल का वीर्य दीदी की चुत में गिरने वाला हो गया है क्योंकि वो दीदी की चुत में जोर जोर से झटके मार रहे थे.
दो मिनट के बाद अंकल एक तेज आह … के साथ ठंडे पड़ गए. उनका रस दीदी की चुत में भरने लगा था. वो दीदी के ऊपर ही ढेर हो गए और दीदी ने उनको अपनी बांहों में सुला लिया और अपनी टांगें अंकल की पीठ से कस ली थीं. दीदी के चेहरे पर असीम शान्ति दिख रही थी, जैसे किसी प्यासी को अमृत मिल गया हो.
कुछ देर के बाद वो दीदी के ऊपर से हट गए और दीदी को अपनी बांहों में कसते हुए लेट गए. मैंने भी अपने लंड को हिला कर अपना माल उधर ही दीवार पर गिरा दिया था.
कुछ देर बाद अचानक से दीदी को होश आयी तो वो अपने आपको अंकल की बांहों में नंगी अवस्था में देख कर शर्मा गईं.
तब तक वो अंकल भी जग गए थे. अब उन्होंने दीदी के गाल पर एक चूमा लिया. और उन्होंने दीदी से पलटने को कहा. दीद पलट गईं, तो उनकी गांड अंकल की तरफ़ हो गई. अब दीदी एकदम नंगी हालत में बिना कुछ कहे अपनी पीठ को अंकल की तरफ़ करके लेटी हुई थीं.
अंकल ने जरा सा उठ कर दीदी की गांड में अपने लंड को डालने के लिए सैटिंग की. अंकल ने सबसे पहले दीदी की गांड पर अपने लंड को रगड़ा, तो मैंने देखा कि दीदी की गांड पर उसके लंड का थोड़ा सा रस लग गया. अंकल ने दीदी की गांड को गीला सा कर दिया था.
फिर दीदी ने अपनी एक टांग हवा में उठाते हुए अपनी गांड को अपने हाथों से फ़ैला दिया. अंकल ने अपने लंड को दीदी के गांड में टिका दिया. इसके बाद अंकल ने दीदी की कमर को पकड़ कर जोर जोर से तीन झटके मारे, तो दीदी पूरी तरह से छटपटा उठीं.
उनकी गांड में अंकल का लंड घुस गया था. ये देख कर मुझे समझ आ गया कि दीदी शायद पहले भी अपनी गांड खुलवा चुकी हैं. अंकल अपनी कमर को आगे पीछे खींचने लगे. फिर वो दीदी के ऊपर चढ़ गए और दीदी की गांड में अपने लंड से पम्पिंग करने लगे. दीदी अपनी चुत में अपनी उंगली किये हुए मजा लेने लगी थीं.
कुछ देर के बाद दीदी शांत पड़ गईं. लेकिन अंकल दीदी के ऊपर चढ़े रहे, वो दीदी को बीस मिनट तक चोदते रहे. फिर अंकल के लंड का पानी टपक गया और वे भी शांत हो गए.
झड़ने के बाद अंकल कुछ देर वैसे ही पड़े रहे, इसके बाद वो दीदी के ऊपर से हट गए. कोई आधा घंटे तक वे दोनों लम्बी लम्बी सांसें लेते रहे और एक दूसरे से चिपके रहे.
इसके बाद अंकल ने दीदी को सीधा कर दिया. अंकल ने दीदी के पैरों को हल्का सा फ़ैलाया.
इतने में दीदी ने बोला- अभी रुको … मुझे पेशाब लगी है.
अंकल दीदी को लेकर बाथरूम में गए. वहां से जब वो दोनों वापस आए, तो मैंने देखा कि दीदी ने अंकल के लंड को अपने मुट्ठी में पकड़ रखा था. दीदी बेड पर लेट गईं. अंकल पास में रखे एक डिब्बे को लेकर आए और दीदी की कमर के पास रख कर बैठ गए. वो दीदी की चुत में तेल लगाने लगे, तो दीदी ने भी अपने हाथों में तेल ले कर उनके लंड में तेल लगा दिया.
लंड चुत में तेल लगने के बाद वो दीदी की जाँघों के बीच में बैठ गए. दीदी ने भी अपनी चुत को फ़ैला दिया. अंकल ने अपने लंड को दीदी की चुत पर सटाया और एक जोर से झटका दे मारा.
दीदी के मुँह से ‘आआअह्हह ऊऊफ़फ़्..’ की चीख सुन कर मैं समझ गया कि अबकी बार दीदी की चुत में अंकल का लंड सही से चला गया. अंकल ने दीदी की चुत में लंड ठोक दिया और वो उनके ऊपर सवार हो गए. अंकल डिब्बे में से तेल लेकर दीदी की चुचियों में तेल लगाने लगे. इसके बाद चुचियों को मसलने के साथ ही दीदी की चुत में अपने लंड को अन्दर और अन्दर पेलने के लिए जोर जोर से झटके देने लगे.
दीदी अंकल के हर एक झटके का जबाब ‘आआह्हह ऊऊह्हह आआह्ह्हह … धीईईरे ईईए..’ की आवाज के साथ दे रही थीं. कुछ देर के बाद जब उनके लंड को कुछ चैन मिल गया. अब अंकल ने दीदी से पूछा- कैसा लग रहा है?
दीदी ने आंखें बंद करके मुस्कुराते हुए अपनी गरदन को हिला कर ‘हां … अच्छा लग रहा है..’ कह दिया.
इतना सुन कर अंकल को जैसे फ़िर से जोश आ गया और उन्होंने जोर से झटका दे मारा. ये झटका बहुत तेज था, जिससे दीदी पूरी तरह से सिहर उठी थीं.
दीदी की चुत में अंकल का लगभग आधा डंडा अन्दर बाहर होने लगा था. दीदी कुछ देर के बाद मदहोशी भरी आवाज निकालने लगीं. जिससे अंकल का जोश और बढ़ने लगा.
अंकल ने दीदी की चुत में अपने पूरे लंड को पेलने के लिए एक जोर का धक्का मारा, तो दीदी छटपटा उठीं और उनके कंठ से ‘आआहह ऊऊओहह्ह आआह्ह ननाआआईई धीईरे ईईए..’ की आवाज निकल गई. दीदी अपनी चुत के पास अपने हाथ से सहलाने लगीं.
अंकल ने धक्का मारते हुए कहा- बस और दो मिनट की बात है.
इतना कहते हुए उन्होंने दीदी की चुचियों को अपने मुँह से ले लिया और चूसने लगे. साथ ही अंकल अपनी कमर को हिलाने लगे. दीदी भी कुछ देर के बाद मज़ा लेने लगीं. मुझे अपने छब्बीस साल की जवान दीदी को पचास साल के सांड से चुदते देख कर बहुत ही मजा आ रहा था.
कुछ देर के बाद अंकल ने दीदी के होंठों को चूसना शुरू किया, तो दीदी भी उसका खुल कर साथ देने लगीं.
मैं समझ गया कि अब दोनों पूरे शवाब पर आ गए हैं. दीदी ने अपनी दोनों जांघों को फ़ैला रखा था. अंकल का पूरा लंड दीदी की चुत में चला गया था. दीदी अपने हाथों को अंकल की पीठ पर नाखून रगड़ रही थीं. अंकल दीदी की दोनों चुचियों को मसलते हुए उनको चोद रहा थे.
इस तरह से दीदी अपने ऊपर हुए अंकल के अहसान का कर्ज उतरवा रही थीं.
कुछ देर के बाद दोनों शांत हो गए, तो मैंने समझ लिया कि दीदी अब पूरी तरह से उसकी रखैल बन गई थीं.
दस मिनट के बाद वो दीदी के ऊपर से हट गए. दीदी की पकौड़े सी फूली चुत को देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे रात भर चुत का सत्यानाश किया गया हो.
कुछ देर के बाद दीदी उठ कर अपने कपड़ों को पहन कर तैयार हो गईं. उनकी चाल बदल गई थी. दीदी बाहर को आने लगी थीं, तो मैं वहां से हट गया और अपने घर आ गया.
कुछ देर के बाद मैंने दरवाजे की घंटी सुनी, तो मैंने दरवाजा खोल दिया.
दीदी ने पूछा- तुम कब आए?
मैंने बताया- बस मैं अभी ही आया हूँ.
हम दोनों अपने अपने रूम में चले गए.
उस रोज मैं दिन भर उस शाम की चुदाई के बारे में ही सोचता रहा. लेकिन मैंने दीदी को इस बात का पता नहीं चलने दिया कि मैंने उनकी चुदाई को देखा है.
आपको मेरी दीदी की चुदाई की सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ कमेंट्स कीजिएगा.
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