मेरी पहली चुदाई अस्पताल में नर्स से
मैं समीर 23 वर्ष का युवा.. ये घटना मेरी जिन्दगी में पहली बार उस वक्त घटी थी.. जब मैंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ एक हॉस्पिटल में जॉब ज्वाइन कर ली थी। मेरी ये जॉब नाईट शिफ्ट की थी, यह हड्डियों का अस्पताल था, इस अस्पताल में नाईट शिफ्ट में सिर्फ दो स्टाफ ही थे, मुझ से पहले वहाँ एक 42 साल की महिला उधर काम करती थी।
रात के वक़्त ज़्यादा मरीज़ नहीं आते थे.. इसलिए नाइट शिफ्ट में कुछ काम नहीं होता था.. सिर्फ़ इमरजेंसी केस आने पर बहुत काम हो जाता था
मेरे साथ जो लेडी नाईट शिफ्ट में थीं.. उनका नाम जयंती था.. उन्हें सब वहाँ आंटी कह कर बुलाते थे।
वो दिखने में 42 साल की नहीं लगती थीं.. दिखने में ठीक-ठाक माल नुमा आइटम थीं। बड़े-बड़े मम्मों के साथ थोड़ी सी मोटी और हाइट में थोड़ी नाटी थीं लेकिन लगती बहुत कामुक थीं। वो बोलने में काफ़ी खुली थीं और गंदी बातें भी कर लिया करती थीं।
एक रात को जब हॉस्पिटल में कोई मरीज नहीं था.. तो आंटी रूटीन के मुताबिक सारे खिड़की दरवाजे बंद करके और बाकी के काम निपटाने चली गईं।
वो जब लौटीं तो मैं टीवी देख रहा था.. तो वो भी मेरे पास बिस्तर पर आकर बैठ गईं।
कुछ देर बाद मैं जैसे सोया हुआ सा था.. वो मेरे पैरों की तरफ मुँह कर के उल्टा लेट कर टीवी देखने लगीं।
थोड़ी देर बाद आंटी ने अपने पैर मेरी छाती पर रख दिए और रगड़ने लगीं और मुझे कामुकता से देखने लगीं.. जैसे वो मुझे इन्वाइट कर रही हों।
ये सब मेरे साथ पहली बार हुआ था.. तो मुझे डर लगा।
आंटी ने उठ कर हॉल की लाइट बंद कर दी और वापस वैसे ही सोने लगीं। अब वो अपने पैरों को घुटनों तक खुला करके मेरी छाती पर रगड़ने लगीं। अब मुझे समझ में आ गया था कि वो क्या चाहती हैं। इसलिए मैंने भी हिम्मत करके उनके पैरों पर अपने हाथ रख दिए और घुमाने लगा।
अब आंटी को भी मज़ा आने लगा था। फिर मैंने अपना हाथ घुटनों के आगे भी बढ़ाना चालू कर दिया.. जिससे मेरा हथियार खड़ा हो गया.. जिसको आंटी ने देख लिया था।
फिर उन्होंने भी मेरे हथियार पर हाथ फिरना चालू कर दिया। मैं जब आगे बढ़ा तब मुझे लगा कि आंटी ने अन्दर पैन्टी नहीं पहनी थी.. तो मैंने उनकी चूत पर हाथ फिरा दिया।
वो एकदम से सिहर गईं।
आह्ह.. क्या शेव्ड चूत थी..
मैं उनकी चूत में एक उंगली डालने लगा.. तो आंटी की चूत रस छोड़ने लगी.. जिससे मेरी उंगली आराम से उनकी चूत में जाने लगी.. और उनको भी मज़ा आने लगा।
अब वो ‘आह.. आह.. ह.. ह्म.. आहह..’ कर रही थीं।
मैंने एक के बाद दूसरी भी उंगली डाल दी.. जिससे उनको और मज़ा आने लगा, मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी थी उस दौरान उन्होंने मेरे हथियार को बाहर निकाल लिया था।
ऐसे ही हमने ये सब काफी देर तक किया।
अब आंटी खड़ी हो गईं और मेरे हथियार को देख कर बोलीं- ये तो काफ़ी मोटा और लंबा है।
उन्होंने जल्दी से मेरे हथियार को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।
मुझे ऐसे लग रहा था कि वो कोई लॉलीपॉप चूस रही हों, मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था।
अब आंटी ने मेरे पूरा हथियार अपने मुँह में लेने की कोशिश की.. लेकिन नहीं ले पाईं.. तो मैंने उनकी विश पूरी करने के लिए उनके सिर को बिस्तर से नीचे लटका कर लिटा दिया और मैंने खड़े हो कर उनके मुँह में अपने हथियार को डाल दिया.. जिससे उनको मज़ा आने लगा।
वो अपने सर को और थोड़ा नीचे करके सरक गईं और मेरे पूरे हथियार को अपने मुँह में लेने लगीं।
ऐसा आंटी ने देर तक किया.. जिससे मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनके मुँह में ही पिचकारी छोड़ दी और उनका मुँह पूरा अपने माल से भर दिया।
फिर वो बाथरूम चली गईं और साफ़ करके वापस आईं.. तब तक मैं पूरे जोश में था। आंटी को पकड़ कर मैंने बिस्तर पर लेटा कर उनके पैरों को चौड़ा करके उनकी चूत को चाटने लगा।
जैसे मेरी ज़ुबान उनकी चूत को छू लेती.. तो वो और चिल्ला कर सिसकारतीं- आअहह.. आहह.. हमम्म्म.. और ज़ोर से चाट।
अब उनकी चूत ने भी पानी छोड़ना चालू कर दिया था और उनसे रहा नहीं जा रहा था।
वो बोलीं- अब डाल भी दे.. अपना मोटा हथियार और मेरी प्यास बुझा दे।
मैं भी इसी के इंतज़ार में था.. तो मैंने अपना हथियार उनकी चूत पर रख कर धक्का लगाया.. तो वो चिल्लाईं- हाय रे.. फाड़ दी मेरी रे..
जब मैंने झटके लगाना चालू कर दिए.. तो उन्होंने मुझे धक्का देकर बाहर निकाला और अपने कपड़े उतार दिए और मेरे भी उतारने लगीं।
फिर हम दुबारा उसी पोज़िशन में आ गए और चुदाई एंजाय करने लगे।
देर तक चुदाई करने के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया और उनके मोटे मम्मों को चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद हम फिर से तैयार थे, अब आंटी ने मुझे नीचे लिटा दिया और वो मेरे ऊपर आ गईं। पहले वे मेरे हथियार को मुँह में लेकर खड़ा करने लगीं और फिर उन्होंने अपनी चूत को मेरे हथियार पर रखकर हिलना चालू किया और गप से लौड़े को चूत में ले लिया और अन्दर-बाहर करने लगीं।
मैं उनके झूलते मम्मों को दोनों हाथों से दबा कर मजा ले रहा था।
वो चुदाई के दरमियान अपनी रफ्तार बढ़ाती ही जा रही थीं और चिल्ला रही थीं- आहह.. अहह.. अवव.. ह्म्म मम.. उईईई माआ.. कम ऑन डियर.. चोदो मुझे.. मजा आ गया।
इस बार कुछ और देर तक चुदाई हुई और वो एकदम से सीत्कारते हुए झड़ गईं।
मैंने उनको अपने नीचे किया और जोरों से धक्के देने लगा.. क्योंकि मैं अभी झड़ा नहीं था.. इसलिए आंटी भी मेरा साथ दे रही थीं।
फिर मैं झड़ गया और आंटी के मम्मों पर ही अपना सर रख कर ढेर हो गया। हमने दूसरी बार में काफी देर तक चुदाई की थी.. तो हम दोनों पसीना-पसीना हो गए थे।
उस रात को मैंने उनको हर पोज़िशन में 4 बार चोदा.. और उस दिन के बाद आज तक हर रोज़ हम दोनों वैसे ही मज़ा करते हैं।
आपको एक आंटी के साथ मेरा पहला एनकाउंटर कैसा लगा। आप लोगों के मेल का इंतज़ार रहेगा।
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