मेरी पहली सुहागरात

मेरी पहली सुहागरात

दोस्तो, मेरा नाम रघु है, मेरी उम्र सिर्फ 18 साल है और मैं गाँव से शहर काम करने आया हूँ। मेरे एक रिश्तेदार एक बड़े घर में चौकीदारी का काम करते हैं।

इस बार जब वो गाँव आये तो मुझे भी उसी बड़े घर में काम के लिए अपने साथ लेते आये थे।

जब मैं शहर आया, तो मैं सारी चीज़े देखकर दंग रह गया था। बड़ी-बड़ी दुकानें, बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ, बड़े-बड़े घर, मेरी तो आखें फटी की फटी रह गई थी और जब मैं घर पहुँचा तो मैं तो बिल्कुल पागल हो गया।

क्या बड़ा घर? बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ ! सब कुछ सपने जैसा था। लेकिन यह सपना जल्दी ही टूट गया क्योंकि मैं सिर्फ वहाँ पर सिर्फ एक नौकर था, नौकर से ज्यादा मेरी क्या हैसियत हो सकती थी।

इतने बड़े घर में सिर्फ तीन लोग थे, बड़ी मेमसाहब, बड़े साहब और छोटी मेमसाहब। छोटी मेमसाहब मेरी उम्र की थी।

मेमसाहब और साहब दोनों के पास घर के लिए समय नहीं था, साहब अपने काम में और मेमसाहब अपने काम और पार्टी में व्यस्त रहते थे।

छोटी मेमसाहब घर अक्सर अकेले या अपने दोस्तों के साथ होते थी। मेमसाहब का कमरा बहुत बड़ा था, एक कमरे में 2-3 कमरे बने थे, अलग-अलग काम के लिए अलग।

घर में काफी नौकर थे और मैं उन सबमें सबसे छोटा था। मुझे छोटी मेमसाहब की सेवा में लगाया था।

मुझे उनके सोने, उठने, खाने, पीने, कपड़ों का ध्यान रखना होता था।

जब वो उठती थी, तब मैं उनकी कमरे में होता था और जब वो नहाती थी, तो मैं उनके बाथरूम के बाहर उनके कपड़े लेकर खड़ा होता था।

उनकी ब्रा और पेंटी भी मेरे ही हाथों में होती थी।

शुरू-शुरू में तो, मुझसे यह काम नहीं होता था लेकिन बाद में आदत पड़ गई।

कभी-कभी मैं बाथरूम के दरवाजे के छेद में से बेबी को नहाते देखता था, मुझे बड़ा मजा आता था क्योंकि बेबी जी का बदन गोरा और बड़ा मस्त था और मेरा लंड उनको देखते ही तन जाता था और बेबी जी को कपड़े बाहर से पकड़ा कर बाहर भाग जाता था।

एक दिन जब मैं बेबी जी को छेद में से देख रहा था, तो बेबी जी ने अचानक से दरवाजा खोल दिया और मुझे अंदर खींच लिया।

अब बेबी जी मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी और मैं मुँह खोले उनके सामने डरा सहमा खड़ा था और शॉवर के पानी में भीग रहा था।

बेबी जी ने कड़कती आवाज़ में पूछा- क्या कर रहे थे? मोम-डैड को बोलूँ क्या?

मेरी तो गाण्ड फ़ट गई, पैंट में ही मूत निकल गया। मैंने उनसे माफ़ी मांगी और दरवाज़ा खोल कर जाने लगा।

उन्होंने बोला- कहाँ जा रहा है? तूने मेरा बाथरूम गन्दा कर दिया, अब तुझे सजा मिलेगी। अपने सारे कपड़े उतार !

मैं तो कपड़े उतारने की बजाए उल्टा अपने कपड़े पकड़ कर खड़ा हो गया।

बेबी जी फिर बोली- उतारता है या बुलाऊँ किसी को?

मैंने डरते-डरते कपड़े उतारे और बेबी जी के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया। मेरा लंड भी डर के मारे सुकड़ गया।

बेबी जी ने मेरे लंड को हाथ में लिया और बोली- यह तो बहुत छोटा है, इससे मेरा क्या होगा !

और अपने हाथ से मेरा हस्तमैथुन करने लगी।

धीरे-धीरे मेरा डर जाने लगा और मेरा लंड खड़ा होने लगा।

जब वो पूरी तरह से खड़ा हो गया तो बेबी जी बोली- हाँ, अब कुछ ठीक है, लेकिन कोई बात नहीं, आज तेरी पहली सुहागरात है।

दो–तीन बार में थोडा बड़ा हो जायेगा।

फिर उन्होंने, मुझे टट्टी वाली जगह पर बिठा दिया और मेरी कमर को पीछे लगा दिया। अब मेरा लंड सीधा खड़ा हो गया और मेम साहब मेरे ऊपर यानि लंड के ऊपर अपनी चूत रखकर बैठ गई।

जैसे ही वो मेरी लंड के ऊपर बैठ कर नीचे हुई, मेरी तो वाट लग गई, मेरे लौड़े की सारी खाल खिंच कर नीचे आ गई और मैं दर्द के मारे चीखने लगा।

बेबी जी ने अपना हाथ मेरे मुँह में घुसा दिया और अपने आपको मेरे लंड से चोदती रही। मेरा तो दर्द के मारे बुरा हाल था और वो सी-सी करके मज़े ले रही थी।

थोड़े देर में मुझे अपने अंदर से कुछ निकलने का अहसास हुआ और कुछ झटके साथ मेरे लंड से निकल कर बेबी जी की चूत में निकल गया।

मेरी तो अब मैया चुदने लगी क्योंकि मेरा शरीर तो निढाल हो गया लेकिन बेबी जी अब भी मेरे ऊपर लगी हुई थी। मेरा पानी निकलते देख वो बोली- मां के लौड़े, इतना जल्दी? लेकिन अभी मैं प्यासी हूँ।

फिर उन्होंने मेरे मुँह के सामने अपनी चूत रख दी और चूत को चाटने का हुक्म सुना दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने मना कर दिया लेकिन बेबी जी ने जबरदस्ती मेरे मुंह को अपनी चूत में घुसा दिया और मैं भी चाटने लगा। मैं अपनी जीभ किसी कुत्ते की तरह चला रहा था।

थोड़े देर में बेबी जी मचलने लगी और मेरा मुँह हटा दिया और उनका पानी उनकी चूत से टपकने लगा और उनके मुख पर मुस्कान आ गई।

अब वो बोली- जा अपना लंड कल तक थोड़ा बड़ा कर ले, तुझे अभी बहुत काम करना है।

दोस्तो, आप यकीन करें, मेरी बेबी जी बिल्कुल पागल हैं और उसके बाद उन्होंने और उनकी सहेलियों ने जो मेरा हाल किया है, वो मैं आपको क्या बताऊँ !

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