मेरी बीवी की गैर मर्द के साथ रंगरेलियाँ मेरे सामने
मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
मेरे घर में मेरी चालू बीवी को उसके बॉस ने चोदा
में आपने जाना था कि मेरी बीवी अपने बॉस के साथ पूरी रात कमरे में चुदवाती रही.
अब आगे..
जब मैं देख आया कि कामिनी और विवेक बिना किसी चिंता के नंगे पड़े सो रहे हैं, मुझको समझ आ गया कि कामिनी के दिल में से अपने यार से मेरे सामने चुदने का डर बिल्कुल निकल चुका था.. नहीं तो वो इतनी मस्ती से अपने यार के साथ नंगी पड़ी न सो रहे होती. मैं नीचे आकर आंखें बंद करके लेटा रहा क्योंकि मुझको मालूम था कि आज संडे होने के कारण दोनों फ्री हैं और वे मस्ती से लेटे ही रहेंगे.
लगभग साढ़े नौ बजे उन दोनों की नींद खुली होगी. कामिनी जोर जोर से आवाज दे रही थी- राहुल राहुल..
मैं ऊपर गया तो वो कपड़े पहन चुके थे. उसने पूछा- तुम कब उठे?
मैंने कहा- अभी.
वो बोली- मेरे सर में दर्द हो रहा है, चाय बना लाओ.
मैंने कहा- बना लाओ..? तुम ही बना लो.
विवेक बोला- ये कह रही है तो बना ले ना..!
मैंने नीचे आकर चाय बनाई. तभी कामिनी नीचे आ गई.
मैंने कहा- चुदास पूरी हो गई होगी तुम्हारी?
वो बोली- हां क्यों खुजली हो रही है तुमको.. खुद तो 2-4 झटके मार पाते हो, वही बहुत है. अब ज्यादा बक बक मत करो, विवेक ऊपर ही है.
मैं बोला- तो क्या करेगा?
वो बोली- तुमको नंगा करके तुम्हारी चिकनी गांड है न.. वो मार लेगा और कुछ नहीं.. हालांकि वो गे नहीं है, पर जिनका तुम लंड चूस के आए हो, वो जरूर तुम्हरी गांड मार के वीडियो बना लेंगे.
मैं बोला- तुम धमका रही हो?
वो बोली- धमका नहीं रही हूँ, समझा रही हूँ या फिर मन है गांड मरवाने का तो जाओ और उसको बोल दो कि मेरी बीवी को मत चोदा करो.
मैं चुपचाप सुनता रहा.
फिर वो बोली- मुझको मालूम है कि तू हमारी चुदाई देख कर मुठ मारता है.. साले मूड मत ख़राब कर.
इतनी देर में विवेक की आवाज आई- कहां हो स्वीटू?
वो बोली- आ रही हूँ जानू.
वो चाय ले कर ऊपर चली गई.
वो दोनों एक घंटे में नीचे उतर के आए और ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी देखने लगे. कामिनी फ्रूट्स उठा कर ले गई और उसकी गोद में बैठ कर अंगूर खाने लगी और विवेक को खिलाने लगी.
कामिनी की चूत में विवेक के लंड की आग लग चुकी थी और वो इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं थी. थोड़ी देर ऐसे ही अंगूर खाने के बाद उसने विवेक की टी-शर्ट उतार दी.
विवेक बोला- क्या बात है फिर मूड हो गया?
वो बोली- तुम भी न.. चलो तुम्हारी मसाज कर देती हूँ.
वो बोला- मेरी जान इसी लिए तो तुम पे दिल आ गया है.
उसने कामिनी को चूमना चालू कर दिया. कामिनी ने फिर आवाज लगाई- राहुल जरा आयल की बॉटल दे दो.
मैंने तेल को बॉटल दे दी. उसने विवेक के सीने पे तेल लगाना शुरू कर दिया. फिर बैक पर लगाने लगी.
विवेक बोला- यार छोड़ो कुछ कुछ होता है.. लाओ अब मैं तुमको मसाज करता हूँ.
वो हंस कर बोली- वाओ.. तुम्हारे मर्दाने हाथों से मालिश करा के मजा आएगा.
कामिनी ने पल भर के अन्दर अपना टॉप उतार दिया और कुछ ही देर में वो काली ब्रा और शॉर्ट्स में थी.
विवेक उसको औंधा लिटा कर मसाज करने लगा. उसने कामिनी की ब्रा का हुक खोल दिया. कामिनी के बड़े बड़े 36 डी साइज़ के मम्मे नीचे से साफ़ दिख रहे थे. पहले कामिनी की पीठ पर काफी देर मालिश की, फिर हाथ फेरते हुए उसने कामिनी को पलटा दिया और उसकी बड़ी बड़ी गोरी गोरी चूचियों को गोलाई में मसाज करने लगा और मसलने लगा.
कामिनी सीत्कारते हुए बोली- आह.. मजा आ रहा है जान.
उसने कहा- एक मिनट रुको अभी और मजा आएगा.
उसने कामिनी के शॉर्ट्स का हुक खोल दिया और एक झटके में उसकी ब्लैक कलर की शॉर्ट्स और रेड पेंटी निकाल के कामिनी को एकदम नंगी कर दिया.
कामिनी चुत छिपाते हुए बोली- ये क्या बात हुई जान..
विवेक बोला- जानू चोदने के लिए नहीं उतारी है.. मेरी जान की चूत की मालिश करने का सोचा है.
अब वो कामिनी की चिकनी वैक्स की हुई चिकनी चुत में तेल डाल के मालिश करने लगा. कामिनी की मादक सिसकारियां निकलना शुरू हो गई थीं ‘आउह्ह्ह आउह्ह्ह आउह्ह्ह..’
वो बोला- क्या हुआ?
कामिनी बोली- इतनी रगड़ रगड़ के चूत मसल रहे हो.. क्या होगा चूत गीली नहीं होगी. तुम्हारे लंड पर ऐसे ही तेल लगा लगा कर मैं भी मालिश करूँ तो!
विवेक मेरी तरफ देख कर बोला- मैडम को केला खाना है.
कामिनी मुझे देख कर बोली- तुम भी न.. इधर ही सब करने के मूड में हो.. चलो नहाने जाना है.
विवेक बोला- अकेले नहाओगी?
वो बोली- नहीं मेरे जानू तुम्हारे साथ नहाते हुए, पानी में भीगते हुए अपनी इस जान की चूत मार लेना.
कामिनी ने विवेक की शॉर्ट्स और फ्रेंची उतार दे और दोनों पूरे नंगे हो गए.
कामिनी ने मुझको आवाज दी- राहुल, बाथरूम में टॉवल रख दो.
विवेक ने कामिनी को गोदी में उठा लिया और बाथरूम में ले गया. उन्होंने बाथरूम का दरवाजा भी बंद करना ठीक नहीं समझा. क्योंकि अब उनको किसी बात का डर और शर्म नहीं थी.
विवेक ने कामिनी को गोदी से उतार दिया और उसकी चुचियां मसलने लगा. कामिनी ने भी उसका लंड पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया.
विवेक ने एक हाथ से शावर तेज कर दिया. शावर से ठंडा पानी निकलते ही कामिनी विवेक से चिपक गई और बोली- बहुत बद्तमीज हो यार.. इतना ठंडा पानी है.
विवेक ने कामिनी के होंठ चूसना शुरू कर दिया. कामिनी के बदन में गर्मी आने लगी. वो भी विवेक को डीप स्मूच कर रही थी. फिर कामिनी नीचे बैठ कर विवेक के लंड से खेलने लगी. धीरे धीरे उसका लंड एकदम टाइट हो गया. अब कामिनी ने उसके लंड के टोपे पे जीभ मारना शुरू कर दिया.
विवेक सिसकारियाँ लेने लगा- आह्ह्ह ह्ह आआह्ह आह्ह…
कामिनी पूरी चुदक्कड़ थी, वो विवेक का लंड दस मिनट तक चूसती रही. विवेक का लंड फनफ़ना गया और वो कामिनी को चोदने के लिए बेचैन होने लगा. उसने कामिनी की चूत में लंड डालना चाहा.
कामिनी बोली- इतनी जल्दी अभी नहीं मेरी जान.
विवेक समझ गया कि कामिनी को गरम करना पड़ेगा. वो उसकी चूत में दो उंगली डाल के अन्दर बाहर करने लगा. उसकी चूत गीली हो चुकी थी.
विवेक बहुत हट्टा कट्टा था, उसने नीचे बैठते हुए कामिनी को अपने कंधे पे ले लिया और उसकी चूत चूसने लगा.
कामिनी गनगना उठी और बोली- आह.. क्या चूत चूसते हो जान.. पूरे बदन में करंट दौड़ा देते हो.
ऐसे ही चूत चूसने के बाद वो वहीं प्लास्टिक के छोटे स्टूल पर बैठ गया और कामिनी को अपने ऊपर बैठा कर उसकी चूत में लंड घुसा दिया.
कामिनी की चूत में पूरी आग लग चुकी थी, वो विवेक के लंड पर जोर जोर से कूद रही थी. विवेक कामिनी को गेंद के समान उछाल रहा था.
फच फच.. फट फट की आवाज से बाथरूम ही नहीं, पूरा कमरे भी गूंज रहा था. कामिनी की आवाज आ रही थीं ‘आआह्ह… आअह्ह क्या पेल रहे हो… क्या लौड़ा है मेरी जान…’
विवेक में चुदाई का जबरदस्त स्टैमिना था. दस मिनट ऐसे ही चोदने के बाद उसने कामिनी को दीवार पर हाथ रख कर झुका दिया और पीछे से लंड घुसा कर जोर से झटके देने शुरू कर दिए.
कामिनी जोर से बोली- आउउइइइ.. माँआआ बच्चेदानी में घुसा दिया.. हाय्यय मर गई..
विवेक ने फिर पीछे से झटके पे झटके देना शुरू किया. फट फट फ्छ्क फच.. की मधुर आवाज आने लगी.
कामिनी की ‘ऊह.. आह्ह्ह्हह..’ रुक ही नहीं रही थी. शावर पूरी स्पीड पे पानी फेंक रहा था.
थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद विवेक ने लंड निकाल कर कामिनी की गोरी गांड पे पिचकारी छोड़ दी. कुछ देर स्खलन की मस्ती में वे दोनों रुके रहे और शावर में खड़े रहे. फिर एक दूसरे का बदन पोंछ कर कमरे में नंगे ही आ गए.
मुझको कमरे में देख कर कामिनी बोली- बाहर नहीं जा सकते थे?
मैंने कहा- मुझको क्या मालूम कि तुम लोग बाहर आ जाओगे?
वो बोली- देख रहे हो विवेक इसको?
विवेक बोला- अब जाएगा भी यहाँ से कि यही गांड मराता रहेगा?
मैं कमरे के बाहर आ गया.
मेरे कमरे से निकलने के बाद कामिनी बोली- इसको थोड़ा और विटामिन चाहिये जानू.
विवेक बोला- दिलवा देते हैं.
ये सुन कर मेरी गांड फट गई. अब पता नहीं क्या करना पड़ेगा और मैं चुपचाप आगे कमरे में बैठा रहा.
आधे घंटे बाद वो बाहर निकल कर आए और डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाने के बाद वापस बेडरूम में जाकर सो गए.
मैं भी ऊपर के कमरे में जाके सो गया.
शाम को विवेक कामिनी को साथ घुमाने ले गया और रात को छोड़ गया.
घर लौट कर कामिनी ने बताया कि विवेक ने एक 4 बैडरूम का फ्लैट उसको गिफ्ट किया है और हमको वहां शिफ्ट होना है.
मैंने कहा- मैं नहीं जाऊंगा.
वो बोली- तुम यहीं रहना, मैं चेंज कर लूँगी.
मजबूरी में हमको उस फ्लैट में शिफ्ट होना पड़ गया.
एक वीक बाद पर फ्लैट में शिफ्ट होने के बाद मेरे साथ कांड क्या हुआ.. वो अगले भाग में आपको लिखूंगा.
राहुल
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