मेरी सहेली की चुदाई की तलब-2
मैं सुहानी चौधरी … मेरी इस कहानी के पिछले भाग
मेरी सहेली की चुदाई की तलब-1
में आपने पढ़ा कि मेरी सहेली अपनी कामवासना यानि चुदास से बेचैन थी, वो एक लड़के से अपनी चूत चुदवाने जाने वाली थी तो मुझे भी अपने साथ ले गयी.
अब आगे:
हम दोनों मुस्कुराई, हर्षिल का एक एक हाथ पकड़ कर उसे बेड पर बैठा दिया और हम दोनों उसके सामने खड़ी हो गयी।
हर्षिल बोला- यार, एक छोटी सी ख़्वाहिश पूरी कर दो, मैंने कभी दो लड़कियों को किस करते नहीं देखा रियल में … प्लीज एक बार करो ना।
मैंने झुक के कहा- जो हुकुम मेरे आका!
और मैंने अपने लाल होंठ तन्वी के गुलाबी होंठों पे रख के ज़ोर से दबा दिये। तन्वी को शायद मेरी ऐसी हरकत की उम्मीद नहीं थी, उसकी आंखें आश्चर्य से खुली ही रह गयी, मैं शायद अब कुछ ज्यादा ही बेशरम हो गयी थी, एक बार गर्म हो के मुझे किसी भी चीज़ की परवाह नहीं रहती।
हम दोनों भी अब बड़े जोश के साथ किस कर रही थी, मुंह में मुंह, होंठ में होंठ, जीभ से जीभ और हमारी आँखें बंद हो गयी थी।
हर्षिल का ये देख के जोश से बुरा हाल हो गया था। वो हमारे पास आया और हम दोनों को अलग कर दिया। हर्षिल ने मेरे होंठों पे एक हल्की सी किस की और मेरे पीछे चला गया.
अब उसने मेरी ड्रेस की ऊपर की चैन नीचे तक खोल दी और कंधे से फीते सरका के मेरी ड्रेस नीचे तक उतार दी। ड्रेस मेरे पैरों में आकर गिर गयी तो मैंने आगे कदम बढ़ा के उसे निकाल दिया और उठा के साइड में फेंक दी। अब मैं सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में खड़ी थी और हर्षिल मेरी कोमल पीठ पे अपने हाथ फिरा रहा था।
फिर उसने मेरे बाल भी खोल दिये और आधे बाल बिखर के आगे आ गयी. मेरी आँखें बंद थी और मैं इस्स स्स कर के सिसकारियाँ ले रही थी। तन्वी बेड पर बैठ कर ये सब देख रही थी तो थोड़ा जल भी रही थी क्योंकि हर्षिल उससे ज्यादा मेरे पे ध्यान दे रहा था।
मैंने हर्षिल से कहा- तन्वी को भी तो नंगी करो।
तब हर्षिल तन्वी की तरफ बढ़ा, उसकी टी-शर्ट नीचे से पकड़ के ऊपर को निकाल दी। मैंने तन्वी की टाँगें सीधी करके उसके शॉर्ट्स भी निकाल दिये और पीछे फेंक दिये। तन्वी ने नीले रंग की ब्रा पैंटी पहनी हुई थी।
हर्षिल ने मुझसे कहा- सुहानी, प्लीज एक बार मेरा लंड चूसो न, बहुत दिनों से तुम्हारे नर्म होंठों के स्पर्श को तरस रहा है।
अब तक मेरी सारी शर्म और घिन खत्म हो चुकी थी इसलिए मैं घुटनों के बल बैठ गयी और उसका लंड मुंह में लेकर प्यार से चूसने लगी। मैं सर को उसके लंड पे ऊपर नीचे कर के उम्म उम्म उम्म उम्म की आवाज के साथ उसका लंड चूस रही थी और तन्वी बेड पर बैठ कर उसे किस कर रही थी।
कमरे का माहौल पूरा गर्मा चुका था, मैंने थोड़ी देर बाद कहा- चलो अब चुदाई शुरू करो, बहुत हो गया ये सब!
मेरी चूत में आग लगी थी और शायद तन्वी की में भी। मैंने तन्वी को धकेल के साइड कर दिया और अपनी ब्रा पैंटी उतार के फेंक दी। अब कमरे मैं और हर्षिल पूरे नंगे हो चुके थे और फिर तन्वी ने भी अपने बचे हुए कपड़े यानि ब्रा और पैंटी उतार दी।
मैं पूरे जोश में थी तो हर्षिल को बेड पे लिटाया और उसके ऊपर आ के बैठ गयी. ऐसा लग रहा था कि वो मुझे नहीं, मैं उसे चोदने जा रही थी।
मैंने उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत के दरवाजे पे लगाया और एक ज़ोर की सीईईईई के साथ एक बार में पूरा लंड अंदर ले गयी। क्योंकि मैं दो तीन दिन पहले ही करन से चुदवा के आई थी तो ज्यादा दर्द नहीं हुआ और पूरा लंड एक बार में चूत में चला गया।
अब मैंने हर्षिल की छाती पे हाथ रखे और आगे झुक के उम्म्ह… अहह… हय… याह… की तेज़ आवाजों के साथ उसके लंड पे कूदने लगी। मेरे खुले बाल और बूब्स ऊपर नीचे हिल रहे थे और हर्षिल मेरे वजन से बेड में ऊपर नीचे हो रहा था। उसके भी मुंह से हम्म… हम्म….. हम्म… हम्म…की आवाजें आ रही थी.
इतनी देर तक तन्वी साइड में अपनी चूत खोले बैठी थी।
मैंने हर्षिल को आँखों ही आंखों में तन्वी की तरफ इशारा किया तो हर्षिल ने अपनी दो उँगलियाँ तन्वी की चूत में घुसेड़ दी. तन्वी एकदम से सीईई… की आवाज के साथ मचल गयी और स्सस्स स्सस्सस्स करके सिसकारियाँ लेने लगी. हर्षिल उसे अपनी दो उँगलियों से ही चोदता रहा।
4-5 मिनट के बाद मैं थकने लगी तो सांस फूलने लगी। फिर मैं साइड में उतार कर बैठ गयी और तन्वी को बोली- जा अब तेरी बारी, चुद ले।
अब तक तन्वी की चूत उंगली करने से गीली हो चुकी थी। हर्षिल ने तन्वी को कहा- टांगें खोल के सुहानी के बगल में लेट जा फटाफट।
तन्वी झट से मेरे बगल में आ के लेट गयी और टाँगें खोल ली।
हर्षिल तन्वी के सामने आया और उसकी चूत पे अपना लंड टिका के एक ही झटके में पूरा घुसा दिया। तन्वी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की सिसकारी के साथ ऊपर तक हिल गयी.
अब हर्षिल ने धक्के मारना शुरू किया और पट्ट पट्ट की आवाज आने लगी। तन्वी ज़ोर ज़ोर से आह आह करने लगी और हर्षिल तेज़ तेज़ धक्के मारे जा रहा था।
मैं अपनी चूत को ऊपर से रगड़ रही थी और उन दोनों को चुदाई करते हुए देख रही थी। कमरे में हम तीनों की वासना से भरी आह आहहह … आहा … हह … की सिसकारियां गूंज रही थी और पूरा बेड आगे पीछे हिल रहा था।
थोड़ी देर ऐसे ही दोनों चुदाई करते हुए देखने के बाद मैंने कहा- अरे मुझे भी तो चोदो! मैं क्या यहाँ तुम दोनों की ब्लू फिल्म देखने आई हूँ।
तन्वी ने हिलते हुए ही मेरी तरफ देखा और मुसकुराते हुए कहा- इसे भी चोद लो, वरना ये होस्टल जा के शिकायत करेगी मुझे!
अब हर्षिल मेरे सामने आया और मेरी बाईं टांग उठा के अपना लंड एक झटके में घुसा दिया, चिकनी चूत होने की वजह से एकदम चला गया और मैंने ज़ोर की सुकून की आआ आआहह हहह … भरी, और हर्षिल मुझे देखने लगा.
मैंने उसे देखा और कहा- देख क्या रहा है चूतिये? चोद ना!
अब हर्षिल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और मुझे पट्ट पट्ट पट्ट पट्ट करके चोदने लगा, उसके मुंह से हह हूह हुम्ह हहहह कर के आवाजें निकल रही थी और मैं जोश में आह … आह … आआहह … आहह… कर रही थी और उसे देख रही थी।
थोड़ी देर बाद तन्वी ने हर्षिल से कहा- अब तो बता दूँ इसे?
तो हर्षिल ने कहा- अब तो लंड के नीचे आ गयी सुहानी … बता दे अब तो।
मैंने चुदवाते हुए ही पूछा- क्या बताना है?
तन्वी बोली- हर्षिल ने परसों फोन पे कहा था कि ये मुझे तभी चोदेगा जब मैं सुहानी को भी बहला फुसला के लाऊँगी यहाँ चुदवाने को! अब तू मान ही नहीं रही तो मैंने जानबूझ कर तुझे फंसाया, सेक्सी ड्रेस पहनने को कही थी, और इस बेडरूम का दरवाजा भी जानबूझ कर खुला छोड़ा था. मुझे पता था तू एक बार झाँकने जरूर आएगी, और तू आ गयी।
मैंने गुस्से से कहा- तो तूने फिर से मुझे बेवकूफ बना के चुदवाया? चल कोई नहीं, मैं भी बदला लूँगी।
हर्षिल बोला- अरे जानेमन, गुस्सा मत हो और फिलहाल बस चुदाई के मजे लो!
और उसने और ज़ोर ज़ोर से चूत में धक्के मारने शुरू कर दिये।
ऐसे ही 5-6 मिनट तक पूरी ताकत से चोदने के बाद वो थक गया और लंड निकल से साइड में बैठ गया।
तन्वी बोली- क्या हुआ, इतना ही दम था? बस फट गयी?
हर्षिल चिढ़ गया और बोला- साली रुक जा थोड़ी देर … अभी तुम दोनों की चूत का भोसड़ा बनाता हूँ, सांस तो ले लेने दे।
अब तक मेरा गुस्सा भी सेक्स के जोश में खत्म सा हो गया था पर बदले की भावना नहीं गयी थी। मैंने सोचा इतनी देर ये आराम करे … तब तक मैं और तन्वी ही आपस में ही मजे लेती हैं.
तो मैंने तन्वी से अपने ऊपर आने को कहा। यह सुन कर तन्वी मेरे ऊपर आ गयी और मेरे गोल मोटे बूब्स से अपने बूब्स रगड़ने लगी और चूत से चूत रगड़ने लगी। हम दोनों एक दूसरे को बड़ी ज़ोर से किस कर रहे थे, होंठ से होंठ, जीभ से जीभ।
हर्षिल ये सब अपनी आँखों के सामने देख रहा था तो बहुत हैरान हो रहा था, इससे पहले उसने शायद ये सब ब्लू फिल्म में ही देखा होगा।
फिर वो उठा और मेरी चूत पे आ गया दुबारा चोदने के लिए, उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसाया और मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और तन्वी हमारे बीच में थी। मैं ज़ोर ज़ोर से आह आह आहह … आहहआ … आ … आहह … की सिसकारियां ले रही थी और हम तीनों एक दूसरे पे पड़े ज़ोर जोर के हिल रहे थे।
तन्वी ने हिलते हिलते ही ज़ोर से कहा- हर्षिल यार, तू तो सुहानी का दीवाना हो गया है पूरा, साले मुझे भी तो चोद … इसी की चूत में घुसा जा रहा है।
अब हर्षिल ने तन्वी के चूत में पीछे से लंड डाला और दोनों को धक्के मारने लगा।
तन्वी आहह … आहह … आहह … कर के चिल्ला रही थी और वो उस चोदे जा रहा था।
तन्वी थक सी गयी तो मेरे ऊपर पड़े पड़े ही मेरे गले लग गयी और चुदती रही। हर्षिल और मैं एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे और वो तन्वी को चोदे जा रहा था।
तभी मुझे कुछ शरारत सूझी, मैंने तन्वी से बदला लेने की सोची. मैंने हर्षिल को तन्वी की तरफ आंखों से इशारा किया और कहा- हर्षिल यार, थोड़ी वैसलिन क्रीम लगा लो लोड़े पे, और मजा आयेगा। हर्षिल मुस्कुराया और रुक गया और साइड में से वैसलिन की डब्बी उठा के अपने लोड़े पे लगाने लगा और मसलने लगा। मैं और तन्वी एक दूसरे के जिसमें को आपस में ऊपर नीचे रगड़ रही थी, और आह… अहह… हम्म हम्म… कर के सिसकारियां ले रही थी।
अब हर्षिल हम दोनों के पास आया झुक गया हम दोनों पर, मैंने तन्वी की तरफ इशारा करते हुये अपनी पलक धीरे से झपकाई।
मैंने तन्वी से कहा- ढंग से रगड़ ना अपना जिस्म मेरे जिस्म से!
और उसे बांहों में भर के ज़ोर से उसे अपने ऊपर दबा लिया।
तन्वी को कुछ पता नहीं चल रहा था कि मैं और हर्षिल क्या करने वाले हैं।
हर्षिल तन्वी की चूत पे आया और अपने लंड का मुंह उसकी चूत के बाहर रगड़ने लगा।
तन्वी बोली- ये क्या कर रहा है हर्षिल? लोड़ा घुसा ना!
मैंने उसको इशारा किया और हर्षिल ने एक झटके में तन्वी की अनचुदी गांड में अपना लंड उतार दिया और ज़ोर की आआ आआहहह … भरी। तन्वी गांड में लेने का सोच भी नहीं सकती थी, पर जब लंड चला गया पूरा तो ज़ोर से चिल्लाई- आआआईईई ईई ई ईई ईईई … मर गयी… ये क्या किया … साले निकाल!
क्योंकि मैंने उसे कस के पकड़ा हुआ था अपनी बांहों में तो वो मेरे ऊपर छटपटाने लगी और गुस्से में बोली- भोसड़ी के … गांड में क्यूँ डाल दिया? अभी निकाल … अभी निकाल … बहुत दर्द हो रहा है, निकाल ना प्लीज प्लीज प्लीज।
पर मुझे और हर्षिल को बहुत मजा आया तो हम दोनों हंसने लगे ज़ोर ज़ोर से।
मैंने कहा- थोड़ा दर्द बर्दाश्त कर ले तन्वी … मैंने भी तो मरवाई थी, तू भी मरवा के देख।
वो रोने सी लगी और बोली- यार बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज इसको बोल कि लंड निकाले।
मैं बोली- हर्षिल तू धक्के मार न, लंड अंदर बाहर कर ना।
तो हर्षिल उसकी गांड में लंड अंदर बाहर करने लगा और वो मेरे ऊपर तड़पते हुए उम्म्ह… अहह… हय… याह… सिसकारियां लेने लगी।
ऐसे ही 3-4 मिनट गांड मारने के बाद हर्षिल अपने आप हट गया और साइड में खड़ा हो गया। तन्वी झट से उठी और अपनी गांड को सहलाने लगी.
वो रो रही थी, बोल रही थी- ये तूने सही नहीं किया सुहानी, इसका बदला लूँगी मैं!
मैंने कहा- क्या बदला लेगी? मैं तो पहले ही मरवा चुकी हूँ, तूने मुझे बेवकूफ बना के फिर से चुदवाया तो मैंने भी तेरी गांड मरवा दी!
और हंसने लगी।
अब मैंने हर्षिल से कहा- चल बे, अब मेरी बारी … और चूत में डालियो. अगर गांड में डाला तो तेरी गोलियां भींच दूँगी।
वो हंसने लगा और बोला- नहीं जानेमन, तुमसे गद्दारी थोड़े ही करूंगा। चलो घोड़ी बन जाओ।
मैंने तन्वी को बोला- मेरे सामने आके बैठ जा, मैं सहला देती हूँ!
तो वो बैठ गयी अपनी टाँगें खोल के।
मैंने हर्षिल से कहा- अब डाल!
उसने लंड डाला और मुझे पीछे से डौगी स्टाइल में चोदने लगा।
मेरे खुले बाल, बूब्स, सर सब कुछ उसके लंड के झटकों से ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था और मैं आह आहह … आहह … आहह कर के ज़ोर से चिल्लाने लगी।
तन्वी मेरे सामने थी, मैं उसकी चूत को भी सहला रही थी एक हाथ से।
फिर मैं उसकी चूत पे झुक गयी, इससे मेरी गांड और ऊपर हो गयी तो हर्षिल हम्म … हम्म … उम्म … करके चूत में चोदता रहा। मैं तन्वी की चूत में उंगली कर के अंदर तक ले जा के ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगी और उसके चूत के दाने को रगड़ने लगी। तन्वी अपने चरम सुख की तरफ बढ़ने लगी।
मैंने हर्षिल से कहा- थोड़ा दबा के कर … मेरी क्लिट पे कम लग रहा है.
तो हर्षिल मुझे वैसे ही चोदने लगा।
अब हम तीनों ही एक साथ अपने ओरगास्म यानि झड़ने के करीब पहुँचने लगे। तन्वी की साँसें तेज़ हो गयी तो मैंने अपनी उंगली करने की स्पीड बढ़ा दी। वो आआ … आहह … आहह … करके एकदम से ऊपर को उठी और जोर से किलकारी मार कर झड़ गयी और बेड पे निढाल होकर गिर गयी।
मैं भी झड़ने के करीब पहुँच चुकी तो तो मेरी भी आवाजें बहुत तेज़ हो गयी थी और मैं आहह… आहह … आहह … आआ …आआउहा आआहह … कर के झड़ गयी और फ़च फ़च फ़च फ़च करके उसके लंड पे, जो मेरी चूत में ही फंसा हुआ था, झड़ गयी और वहीं उल्टी होकर लेट गयी थक के।
हर्षिल मेरे उल्टे लेटे लेटे ही मुझे चोदता रहा पट्ट पट्ट … और फिर कुछ ही देर में वो भी झड़ने वाला था तो मैं उसकी तरफ घूम के लेट गयी और टाँगें सीधी कर ली। अब उसने मेरी चूत में लंड डाल के 4-5 धक्के और लगाए और उसके अटक अटक के धक्के मारने लगा और फिर अपना लंड निकल के झड़ गया मेरी चूत के बाहर मेरे पेट पे … और मेरे ऊपर आ के गिर गया।
हम तीनों ने अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिया था और तेज़ तेज़ उन्न्हह… उन्नहह… उन्नहह… उन्नहह… करके साँसें ले रहे थे। हम ऐसे ही नंगे पड़े पड़े एक दूसरे के ऊपर सो गए।
लगभग 2-3 घंटे की नींद के बाद मेरी आँख खुली तो वो अब भी मेरे पेट पे पड़ा हुआ था। मैंने उसे साइड में उतारा तो देखा उसका वीर्य सूख के मेरे जिस्म से चिपक गया है।
मैं बेड से उतरी और बाथरूम में जाकर नहाने लगी, नहा के निकली तो तन्वी को उठाया और बोली- चल नहा ले, फिर हॉस्टल भी जाना है।
वो उठी और नहा धो के खुद को साफ किया।
हम दोनों ने अपने कपड़े ढूंढे और पहन के वापस जाने के लिए तैयार हो गयी।
अब तक हर्षिल भी उठ चुका था और घर में नंगा ही घूम रहा था। उसने बोला- जा रही हो इतनी जल्दी क्या?
मैं बोली- हाँ, और चोदने का मन है क्या?
वो बोला- अब तो अगले 3-4 दिन नहीं चोद सकता किसी को।
मैंने कहा- फिर रुक के क्या फायदा!
और उसे एक लंबी किस दी होंठों पे और बैग उठा लिया।
हर्षिल ने कहा- फिर कब आओगी?
मैं बोली- अब बार बार बेवकूफ बन के थोड़े ही आऊँगी।
उसने कहा- जब भी मन हो, मुझे बता देना, मेरा लंड हमेशा खड़ा है तुम्हारे लिए।
मैं मुस्कुरा दी और नीचे देखने लगी।
तन्वी ने कहा- चलें?
मैंने बोला- हाँ!
और हम दोनों नीचे आ के कैब में आकर बैठ गयी और हॉस्टल आ गयी।
हॉस्टल आके तन्वी ने बताया- सॉरी यार, मैं उस दिन तेरा दर्द नहीं समझ पायी, आज पता चला कि गांड मरवाने पे कितना दर्द होता है।
मैंने कहा- चल कोई नहीं, दोस्त तो होते ही हैं दर्द में सहारा देने के लिए!
और मुस्कुराने लगी।
रात को हम दोनों ने डिनर किया और दोनों सहेलियां नंगी होकर एक दूसरी से चिपक कर सो गयी।
तो दोस्तो, उम्मीद है कि आप सब पाठकों को मेरी यह सच्ची कहानी पसंद आयी होगी. कृपया अपने कमेंट्स और विचार मुझे जरूर बताइएगा. अगर मैं आपके ई-मेल्स का रिप्लाई न भी कर पाऊँ तो प्लीज बुरा मत मानिएगा क्योंकि इतने सारे लोगों को रिप्लाई करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, आप लोग समझ ही सकते हैं।
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