मेरी ज़िन्दगी के कुछ हसीन लम्हे

मेरी ज़िन्दगी के कुछ हसीन लम्हे

मैं सुजीत जयपुर का रहने वाला 36 साल का बिज़नसमैन हूँ। 5’9″ हाइट है और मजबूत शरीर का मालिक हूँ। मेरी अपनी एक IT कंपनी है जिसमें हम सरकारी और प्राइवेट क्लाइंट्स के लिए कई तरीके के सॉल्यूशंस पर काम करते हैं।

अब सीधे मतलब की बात पर आते हैं।

एक दिन मेरे पास एक फोन आया, बहुत प्यारी सी आवाज में एक महिला बोल रही थी- हेलो, क्या मैं सुजीत जी से बात कर सकती हूँ?
‘जी हाँ मैम, मैं सुजीत ही बोल रहा हूँ।’
‘हय सुजीत, मैं संगीता (बदला हुआ नाम) बोल रही हूँ और आपके एक दोस्त ने मुझे आपका नम्बर दिया है।’
‘जी, बताइये मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?’

संगीता- सुजीत मैं Mrs Rajasthan contest में फाइनल राउंड में पहुँचने वाली जयपुर की इकलौती पार्टिसिपेंट हूँ और मुझे वोटिंग प्रमोशन के लिए आपकी प्रोफेशनल सर्विसेस चाहिएँ, बताइये हम कब मिल कर बात कर सकते हैं?
‘आप अभी मेरे ऑफिस या जाइये सीतापुर में!’

संगीता- वो तो काफी दूर पड़ेगा, क्या आप मुझे गौरव टावर के CCD में मिल सकते हैं? क्योंकि मैं भी मालवीय नगर में ही रहती हूँ। मैं- ओके नो प्रॉब्लम, शाम 6:30 बजे मिलते हैं।
संगीता- ओ के, पक्का रहा!
पहचान के लिये हमने वट्सएप पर एक दूसरे की फ़ोटो मंगा ली थी।

कोई मिल गया सरे राह चलते चलते

शाम को सही टाइम पर मैं पहुँच गया। कॉर्नर की टेबल पर एक बहुत ही सुन्दर सी औरत काली साड़ी और मैचिंग ब्लाउज में बैठी थी। मैंने पहचान लिया कि वही संगीता है, मैं पास जाकर बोला- हेलो संगीता जी!

वो एकदम से चौंक कर खड़ी हुई और मुझे हेलो कहा।
खड़े होते ही उसकी नाभि के नीचे सलीके से बंधी हुई साड़ी उसे और भी सेक्सी और खूबसूरत बना रही थी।
वो न पतली थी न मोटी, माथे पर लाल बिंदी, आँखों में काजल की लकीरें और चेहरे पर एक अलग ही ग्लो था।
कुल मिला कर साक्षात काम की देवी लग रही थी।

मुझे एकटक घूरते हुए देख वो बोली- हेलो सुजीत जी, कहाँ खो गए आप? कभी कोई औरत नहीं देखी क्या?
मैंने कहा- बहुत देखी हैं पर आप जैसी कोई नहीं!
वो ठहाका लगा कर बोली- मर्द तो मर्द ही रहेंगे।

‘जी बताइये, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?
उसने मुझे अपना काम बताया तो मैंने सुनने के बाद कहा कि मैं आपके लिए अपनी टीम से सारे केम्पेन बनवा कर चला दूंगा और सभी से इस काम के हम 15000 महीना चार्ज करते हैं, आप हर महीने के 10000 दे दीजिएगा।

मेरी बात सुनते ही उसका चेहरा उतर गया, वो बोली- सुजीत जी, मेरे पास अभी पैसे नहीं हैं। मुझे अपनी तैयारियों के लिए जो पैसे चाहिएँ, वो भी पूरे नहीं है मेरे पास!
मैं- हम्म… तो आप ही बताइये कि बिना फीस के प्रोफेशनल सर्विसेस आपको कैसे मिलेंगी?
संगीता- सुजीत आप जो चाहो मैं करने को तैयार हूँ।

मैं- देखिये अगर ऐसा है तो आप 1 रुपया फीस दे दीजिए मैं आपका काम शुरू करता हूँ। मेरे लिए इतना ही काफी है। मैं आपकी किसी मज़बूरी का फायदा नहीं उठाऊँगा। ज़िन्दगी में जब हो तब दे दीजियेगा, नहीं तो कोई बात नहीं।

वो अचानक रोने लगी और बोली- लाइफ में पहली बार किसी ने मदद के लिए हाथ पकड़ा है और वो भी बिना किसी स्वार्थ के!
मैं- तुम जीत जाओ, यही मेरी फीस है।

हम लोग कॉफी पीकर वहाँ से निकल गए।
अगले दिन मेरी टीम ने संगीता से मिल कर काम समझा और पूरी शिद्दत से 3 महीने तक दिन रात काम किया, इस बीच उसके फोन पर मैसेज और कभी कभार कॉल्स भी आते रहे जिस पर नार्मल चैट या बातचीत हो जाया करती थी।
आखिर कॉम्पटीशन का फ़ाइनल हुआ और संगीता जबर्दस्त मार्जिन से वोटिंग में जीत गई और स्टेज पर भी उसकी शानदार फॉर्म रही और वो शानदार तरीके से Mrs राजस्थान चुनी गई।

मेरे स्टाफ ने रिजल्ट आते ही मुझे बताया।
मैंने संगीता को बधाई का अच्छा सा मैसेज भेजा और मन ही मन बहुत खुश भी हुआ।

उस दिन मैं अकेला ही एक शादी में गया हुआ था और रात को 11 बजे घर लौटते समय उसका फोन आया, उसने कहा- सुजीत ये सिर्फ आपकी वजह से हो पाया है, मैं ज़िन्दगी भर आपका अहसान नहीं भूल सकती। कोई अपना भी इतना नहीं करता जितना आपने मेरे लिए किया है।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, तुमने याद रखा… मेरे लिए इतना ही बहुत है।
बात आई गई हो गई।

करीब एक महीने बाद मैं मोर्निंग फ्लाइट से मुंबई जा रहा था मेरी एक मीटिंग के लिए।
तभी किसी ने मेरे पीछे से मुझे पुकारा, मैंने देखा संगीता थी और उसी फ्लाइट में मुम्बई जा रही थी।

उसने कहा- सुनो, मेरी सीट भी साथ ही ले लो।
हम साथ साथ बैठे औऱ भगवान शायद मुझ पर मेहरबान था क्योंकि फ्लाइट में भीड़ नहीं थी और हम दोनों के साथ कोई तीसरा नहीं था और साथ वाली तीनों सीट खाली थी।

टेक ऑफ़ के समय वो बाहर देख कर खुश हो रही थी।
‘यार सुजीत, तुम भी कमाल हो? इतने दिन से न कोई मैसेज, न कोई कॉल, आज यहाँ तो मेरी पकड़ में आ ही गए न!’
मैंने हँसते हुए कहा- आप अब सेलिब्रिटी बन गई हो इसलिए डिस्टर्ब करना ठीक नहीं लगा।

इतना कहते ही उसने मेरी बाह जोर से पकड़ ली और आँखों में आंसू भर कर बोली- प्लीज ज़िन्दगी में कभी ऐसा मत सोचना। तुम समझ नहीं सकते कि तुम मेरे लिये क्या अहमियत रखते हो।
मैंने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा- इट्स ओके यार… मैं मजाक में कह रहा था, आगे से कभी ऐसा नहीं कहूँगा।

इतने में एयर होस्टेस ने पास आकर कहा- सर आप चाय लेंगे या कॉफ़ी!
हम लोग चाय नाश्ते के साथ इधर उधर की बातें करने लगे।
बातों में पता ही नहीं लगा कि फ्लाइट 10 मिनट में लैंड करने वाली है।
तब वो बोली- सुनो, आप शाम को क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मेरी मीटिंग एयरपोर्ट पर सहारा होटल में है, अभी 10 बजे और फ्री होते ही जो भी फ्लाइट मिलेगी, सीधे जयपुर वापस आ जाऊंगा।
तो वो बोली- प्लीज ऐसा मत करो, आज मेरे होटल में ही मेरे मेहमान बन कर रुको। मेरे ऊपर बहुत अहसान हैं आपके, कम से कम एक डिनर तो बनता है न यार मेरी तरफ से!
मैंने कहा- ठीक है, फोन करूँगा पर पक्का मत मानना! मुझे अपने ऑफ़िस से बात करनी पड़ेगी।

वो बोली- मुझे कुछ नहीं सुनना, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी शाम जुहू बीच पर नोवाटेल होटल में!
मैं बोला- यार मैं तो कपड़े भी नहीं लाया?
तो वो बोली- साथ में चल कर शॉपिंग कर लेंगे। मैं एक प्रोडक्शन हाउस के बुलाने पर आई हूँ, मेरे पास कार है और मैं शाम को 4 बजे के बाद फ्री हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, 99% मेरा आना तय रहा… पर यार हम एक ही रूम में कैसे रहेंगे?
तो वो बोली- चिंता मत करो, खाऊँगी नहीं तुम्हें और अलग अलग बेड वाला रूम ले लूंगी।
मैंने कहा- ठीक है, मैं आता हूँ 5 बजे तक!

फ्लाइट लैंड होने लगी और वो मेरे गले लग गई।
मैंने उसके सर पर प्यार से हाथ रखे रखा।

हम लोग बाहर आ गए।
उसने अपना बैग लिया और अपने ड्राइवर से बात की, मैंने उसको उसकी कार तक छोड़ा और सहारा होटल के रेस्तराँ में बैठ कर अपने दोस्त का इंतज़ार करने लगा।

मेरी मीटिंग 12 बजे ख़त्म हो गई तो मेरे दोस्त को मैंने कहा- मेरा एक पुराना दोस्त अमरीका से आया है, वो भी यहीं है, इसलिए आज मैं यहीं रुकूँगा पर कपड़े नहीं हैं।

वो मुझे अपने साथ ले गया, खुद अपने ऑफिस उतर गया, अपने ड्राइवर को उसने मेरे साथ भेज दिया।
मैंने मार्किट जाकर उसके साथ कुछ कपड़े लिए संगीता के लिए मार्केट से एक शानदार 5 पीस नाईटी और एक परफ्यूम लिया।

इतने में 3:30 बज गए तो मैंने संगीता को मैसेज किया कि मैं 4:30 तक आ रहा हूँ।
उसने कहा कि वो 4 बजे से ही मेरा होटल लॉबी में वेट करेगी।

मैं 4:15 बजे ही पहुँच गया, होटल में अंदर जाते ही वो मुझे देख कर दौड़ते हुए आई और मेरे जोर से गले लग गई।
अबकी बार तो मुझे भी शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई। मैंने भी पहली बार उसे बड़े प्यार से गले लगाया।

मैंने रिसेप्शन पर अपनी ID दी और हम लोग उसके रूम की ओर चल पड़े।
छठी मंजिल पर समुद्र की तरफ शानदार नज़ारे वाला रूम था पर उसमें एक ही किंग साइज़ का बेड था। मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कराया तो वो बोली- यार, रूम पहले से ही बुक था और मैंने कोशिश की पर इतने सुन्दर नज़ारे वाला दूसरा रूम नहीं मिला।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं सोफे पर सो जाऊँगा।
वो बोली- अगर ऐसी बात है तो मैं वहाँ सोऊँगी तुम आराम से सोना।

मैं बोला- कोई बात नहीं, रात को देखते हैं।
उसने कहा- तुम फ्रेश हो जाओ, फिर कहीं चलते हैं।
मैंने कहा- ओके!
और मैं नहाने चला गया।

अंदर जाते ही मैंने देखा कि संगीता की पर्पल कलर की छोटी सी पेंटी और मैचिंग की डिजाइनर ब्रा खूंटी पर लटक रही है। मैंने बड़े प्यार से उन दोनों को अपने हाथ में लिया और पेंटी में उसके कामरस की सुगंध को जी भर के सूंघा और फिर उसके जिस्म की परफ्यूम मिली सुगंध को उसकी ब्रा में महसूस किया।

अब मुझसे रुका नहीं गया और मैंने उसके खूबसूरत बदन के हर कटाव को याद कर नहाते नहाते शावर के नीचे याद करते हुए एक बार तबीयत से मुठ मारी।
मेरा वीर्य निकले ही जा रहा था और मुझे अलग ही तरह की फीलिंग हो रही थी।

मैं थोड़ा सा बॉडी लोशन लगा कर तौलिये में ही बाहर आया तो मैंने देखा कि वो मेरी तरफ ही देख रही थी।
वो अचानक मेरी तरफ आई और उसने मेरे होंठों पर अपने जलते हुए होंठ रख दिए।
मुझे लगा कि वो जन्मों से प्यासी है।

हमारे होंठों के बीच से हमारी जीभ एक दूसरे से गुथी हुई थी।

इस बीच उसके गाउन की डोर और मेरा तौलिया कब गिर गया, पता ही नहीं चला।

मुझे होश तब आया जब उसका हाथ मेरे लंड को प्यार से दबाने लगा और मेरे हाथ भी उसके रुई जैसे गोलों को दबाने लगे।

करीब 10 मिनट बाद हम अलग हुए और तभी उसने मुझे खींच कर अपने बिस्तर पर गिरा दिया और मदमस्त होकर मेरे ऊपर सवार हो गई, वो फिर मेरे होंठों पर टूट पड़ी और मैं एक हाथ को उसके पीछे ले जा कर उसकी गांड के प्यारे से छेद को अपने हाथ से कुरेदने लगा और दूसरे हाथ से मैंने उसकी शानदार साफसुथरी चूत को पकड़ लिया और धीरे धीरे प्यार से उसमे उंगली करने लगा।

वो अचानक से थोड़ी ऊपर हुई और उसने अपने एक चूचुक को मेरे होंठों से लगा दिया, मैं उसे बड़ी तबियत से चूसने लगा।
तभी उसने दूसरा निप्पल आगे कर दिया।

अब वो मुँह से सिकारियां निकालने लगी- ओह्ह आह सुउउउजीइइइत उम्म्ह… अहह… हय… याह… यार बाइट करो न पूरा पी जाओ यार!कब से दुखी कर रखा है मुझे यार इन दोनों बूब्स ने।
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मैंने प्यार से उसे अपने नीचे उतारा और धीरे से उसके ऊपर छा गया। धीरे धीरे उसके कानों की लौ चूमते हुए उसके निप्पल्स को चूसते हुए उसकी गर्दन को चूमते हुए धीरे धीरे नीचे जाते हुए उसकी नाभि तक आकर उसकी नाभि में अपनी जीभ भर दी और प्यार से चाटने लगा।
मेरा एक हाथ उसके दायें बोबे को और दूसरा उसकी चूत को सहला रहा था।

वो बोली- प्लीज अब ये सब बस भी करो और मेरे अंदर समा जाओ।
मैंने और नीचे होकर उसकी चूत के प्यारे से होंठों को खोला और अपनी जीभ जितना हो सका अंदर डाल कर चूत से रिस रहे कामरस को चाटना शुरू कर दिया।
वो बुरी तरह से मचल गई पर मेरे हाथों की मजबूत पकड़ से छूट न पाई और सिसियाती हुई बोली- प्लीज सुजीत आ जाओ, न वर्ना मैं मर जाऊंगी।

मन तो मेरा भी था कि मैं उसे अपना लंड चुसवाऊँ पर वक़्त की नजाकत को देख कर मैंने उठ कर उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखी और और प्यार से अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर रख कर धीरे से धक्का मारा।
उसकी बुर में थोड़ा सा घुस कर मेरा लंड कही अटक सा गया… मैंने थोड़ा जोर लगाया तो संगीता के मुँह से चीख निकल गई।

‘ओह्ह गॉड प्लीज सुजीत, मत करो… रुक जाओ, मेरी फट जायेगी वर्ना!’
मैं थोड़ा रुका और फिर एक झटके से मैंने अपना लंड तेजी से अंदर डाल दिया… संगीता बिन पानी की मछली की तरह तड़प उठी।

मैंने अपना काम लगातार धीरे धीरे जारी रखा और फिर थोड़ा नार्मल होने के बाद वो भी नीचे से अपनी गांड उठा कर जवाब देने लगी। हम दोनों के बीच एक प्यार भरी रिदम बन गई।

उसने आँखों ही आँखों में इशारा किया तो मैंने उसे अपनी तरफ उठाया औऱ खुद नीचे हो गया और वो मेरे ऊपर आ गई।
ऊपर आते ही वो मेरे ऊपर आंधी तूफान की स्पीड से ऊपर नीचे होने लगी और फिर तेजी से ‘हाय सुजीत मेरी जान… यह तुमने क्या कर दिया… तुमने तो मेरी जान ही ले ली जानू! मैं गई मेरी जान… ओह्ह ओह्ह ओओओ आआआ…’

मेरे अंदर भी उसी वक़्त एक सैलाब सा आया और मैं उसकी चूत के संकुचन और उसकी गर्मी में ढेर हो गया।
संगीता मेरी चौड़ी छाती पर एक कटे पेड़ की तरह गिर पड़ी और बहुत देर तक मेरे ऊपर लेटी रही।
हम दोनों बिना कुछ कहे एक दूसरे को सहलाते रहे और गहरी गहरी सांसें लेते रहे।

कुछ देर बाद नार्मल होने पर मैंने संगीता से कहा- यार, आज मुझे अपने बारे में हर वो बात बताओ जो मैं नहीं जानता? तुम हमेशा मेरे लिए एक अनसुलझी पहेली सी रही हो, प्लीज बताओ यार!

इतना कहते ही उसकी आँखे छलक आई, वो बोली- पहले वादा करो कि सब जानने के बाद भी तुम मुझे कभी अपने से दूर नहीं करोगे? मैंने कहा- जिसने मिलवाया है, सब उस ऊपर वाले पर छोड़ो!

तो वो बोली- तो ठीक है फिर सुनो मेरी अजीब सी दास्तान!

तो दोस्तो, आगे बात अगली बार में करेंगे… तब तक के लिए विदा..
मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी पर अपने विचार अवश्य प्रकट कीजिए।

जयपुर से आपका दोस्त सुजीत
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