मॉम को चोदने की चाहत-2
हाय दोस्तो, मैं विराट आप सबके लिए अपनी कहानी को आगे बढ़ाते हुए एक बार फिर से हाजिर हूँ. आप सबने मेरी पिछली कहानी
मॉम को चोदने की चाहत
को बहुत पसंद किया, इसके लिए मैं सभी को धन्यवाद कहता हूं.
पिछली कहानी को आप लोग को निशा मतलब मेरी मॉम अपने मुँह से बता रही थीं, तो उन्होंने तो वही बताया जो उनके साथ हो रहा था और उनके मुताबिक विराट और नेहा अपने रूम में सो रहे थे और नामित उन्हें स्वर्ग की सैर करवा रहा था.
अब आप मेरे से सुनिए कि मैं और नेहा आंटी क्या कर रहे थे.
जब नामित और मॉम रूम में मदमस्त चुदाई का खेल खेल रहे थे, तब मैं और नेहा आंटी खिड़की से उनकी हर हरकत देख कर अपनी हवस की आग में भड़क रहे थे. मैं आप सबको बात दूँ कि मेरी मॉम बहुत ही सीधी और संस्कारी औरत हैं. उन्होंने अब तक केवल मेरे पापा से ही अपनी आग मिटाई थी और उन्हें सेक्स का असली मजा मिला ही नहीं था.
अब उन्हें इस टाइप के मजे के लिए तैयार करना बहुत ही कठिन था. वो तो नेहा आंटी ही थीं, जो ये सब कर रही थीं. नेहा आंटी की वो सेक्स के लिए उत्तेजित करने वाली दवाई ने अपना कमाल दिखा दिया था.
अब नेहा आंटी ने जब देखा कि मॉम इतने गंदे तरीके से चुद रही हैं, तो उन्होंने तुरंत मेरा लंड हाथ में ले लिया और हिलाने लग गईं. मैं तो पहले ही नंगा हो चुका था और मॉम को देखकर इतना उत्तेजित था कि जैसे ही नेहा आंटी ने मेरा लंड पकड़ा, मैंने तुरंत उनको भी नंगी कर दिया और सीधे उनके बूब्स चूसने लगा ‘उम्म उम्म उम्म ….’
नेहा आंटी के बूब्स बहुत ही टाइट और मजेदार थे, उनके निप्पल भी बहुत बड़े थे. मैं उनके दोनों निप्पलों को बारी बारी से अपने मुँह में गपागप चूसे जा रहा था. उधर नेहा आंटी निशा को अपने बेटे के साथ देखकर और उत्तेजित हो रही थीं.
मैंने देखते ही देखते अपनी एक उंगली नेहा आंटी की चूत में घुसेड़ दी, वो चीखने वाली ही थीं कि मैंने उनके रसीले होंठों को अपने होंठों में लगाकर चूस डाला.
‘अहहहह आह … उम्म …’
इसके बाद मैं अपनी उंगली अन्दर बाहर कर रहा था कि नेहा आंटी झड़ गईं.
मैं भी झड़ने वाला था … तो मैंने नेहा आंटी की गर्दन पकड़ कर बोला- चल अब मेरा लंड चूस.
नेहा आंटी झट से वहीं नीचे जमीन में बैठ कर मेरा लंड चूसने लगीं और मैं उनके बूब्स मसलने लगा. मुझे लंड चुसवाते समय उनके मम्मों को मसलने में बहुत मजा आ रहा था. वो इतने मजे से मेरे लंड को चूस रही थीं और सामने मॉम की ऐसी चुदाई देखकर तो मेरा लंड एकदम से गरम हो गया.
मेरा तो क्या, सामने ऐसा सीन देख कर किसी का भी लंड सिर्फ हाथ से ही झड़ जाए, यहां तो नेहा आंटी इतनी सेक्सी मदमस्त तरीके से लंड अपने मुँह से चूस रही थीं. लंड के मुँह से चुसाई का आनन्द मिल रहा था … साथ ही उनकी मादक आवाज़ ‘गुप् हूप जीप उम्म अअअअ मुहां … अह उउम्म …’ इतनी अधिक कामुकता बरस रही थी कि मैं उसी पल आंटी के मुँह में ही झड़ गया.
नेहा आंटी ने भी मेरे लंड का सारा माल पी लिया. उन्होंने मुझे लंड बाहर निकालने ही नहीं दिया.
हमारी चुदाई के बाद जब हमने वापस अन्दर देखा तो हम तो फिर से उत्तेजित होने ही वाले थे क्योंकि अन्दर मॉम अपने पेट के बल लेटी थीं और नामित उनकी दोनों टांगें फैला कर अपनी जीभ से उनकी गांड के छेद को चाट रहा था.
‘हहहह आह …’
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मॉम के इतना गोरे और उभरे हुए चूतड़ देखकर मैं और नेहा आंटी एक दूसरे को देखते रहे. फिर उनको नामित से चुदते देखते हुए मैं इधर नेहा आंटी की गेंदें दबा रहा था. नेहा आंटी मेरे लंड को मसल रही थीं. अन्दर नामित ने मेरी मॉम की पूरी गांड चाटी और मॉम की वैसे ही पोजीशन में अपना लौड़ा उनकी गांड के दरार में पेल दिया. अब तो मॉम को शायद पता भी नहीं चल रहा था, वो इतनी थक चुकी थीं.
उधर नामित लगातार उनकी गांड मार रहा था. अब तक मॉम पर से सेक्स की दवा का असर भी खत्म हो चुका था क्योंकि सुबह के 4 बज चुके थे.
फिर मैंने नेहा आंटी को वहीं सोफे पर लेटाया और उनकी चूत को चाटने लगा. नेहा आंटी भी चुदाई देख कर बहुत उत्तेजित हो गई थीं. उन्होंने तुरंत मेरा लंड पकड़ कर अपने चूत के छेद में टिका लिया और बोलीं- डाल दे बेटा … अब ज्यादा मत तड़पा … अन्दर तेरी मॉम की प्यास तो मेरा बेटा बुझा रहा है. तू मेरी चुदास शांत कर दे.
मैंने लंड लगाया और नेहा आंटी को घपाघप धकाधक चोदने लगा. नेहा आंटी भी चीख रही थीं ‘आआह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊउफ़्फ़ … उम्म्म …’
मैंने उनकी गांड को अपने हाथ से उठा लिया और उनकी चूत में और जोर से धक्के मारने लगा. साथ ही मैं उनकी गांड के दोनों पहाड़ मस्ती से मसल रहा था. वैसे तो चूत में धक्के मारते टाइम बूब्स ही मसलते हैं … किंतु मैं थोड़े अलग अंदाज में उनकी गांड मसल रहा था.
काफी देर की चुदाई के बाद अब हम दोनों चरम पर आ गए थे और एक दूसरे को होंठों में किस करते हुए बस अपने जोश का मजा ले रहे थे.
‘ऊम्म्म्म … आआह …’
मैंने और जोर से धक्के मारते हुए नेहा आंटी की चूत में ही अपना माल छोड़ दिया. झड़ने के बाद हम दोनों चिपक कर अपनी सांसों को नियंत्रित करते रहे.
चुदाई के बाद कुछ देर रुक कर वहां से उठ कर ऊपर रूम में जा कर सो गया.
अगली सुबह मुझे मॉम ने उठाया, तो दोपहर हो गयी थी. क्योंकि कल भोर तक चुदाई के बाद ही तो हम सभी सोये थे.
मैंने देखा कि मॉम ने कट वाली नइटी पहनी हुई थी, जो घुटनों तक ही आती थी. साफ दिख रहा था कि उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है. मेरा लंड तो वैसे भी सोकर उठो, तो खड़ा ही रहता है. मॉम को यूं देखकर तो मेरा लंड सीधे फुंफकार मारने लगा था. पर मैंने कुछ नहीं किया. नीचे जा कर देखा तो नामित नहीं था और नेहा आंटी लंच बना रही थीं. ये देख कर मॉम भी उनके साथ किचन में घुस गईं. थोड़ी देर में मैं नहा कर रेडी हुआ. फिर हम तीनों ने लंच किया.
मॉम बोलीं- मुझे तो नींद आ रही है.
वे ये कह कर सोने चली गईं … क्योंकि कल रात की उनकी नींद बाकी थी और आज रात भी उन्हें मजे करने थे.
मैं और नेहा आंटी हाल में बात कर रहे थे. नेहा आंटी भी गजब माल लग रही थीं उन्होंने टी-शर्ट और टाइट लैगीज पहनी हुई थी. उन्होंने भी ब्रा पैंटी नहीं पहनी थी.
हम दोनों बैठ कर बात करने लगे. आंटी ने बताया कि उन्होंने मॉम को अभी के खाने में फिर से उत्तेजित करने वाली दवा दे दी है. तो अब 2 घंटे बाद उसका असर शुरू हो जाएगा.
उतने में नामित आ गया. उसने मुझे बताया कि यार तेरी मॉम बहुत सेक्सी और हॉट हैं.
मैंने उन दोनों को बताया कि मैं मॉम को रंडी बनाने के बाद चोदना चाहता हूँ.
उसने बोला- किस टाइप की रंडी?
मैंने बताया- जो सेक्स की भूखी हो और किसी का भी लंड ले ले और सब पोजीशन में चुदाई के मजे करे.
नामित ने बोला- तू खुल कर बता कि क्या करना चाहता है.
तो मैंने बोला- बस तुम लोग मेरा साथ दो.
नेहा आंटी बोलीं- हम तो साथ ही हैं तेरे … बेटा, बस तू बोल. देख मेरे तगड़े बेटे ने पहले ही दिन तेरी मॉम की चूत खोल दी … अब तो तू आगे बोल.
मैंने उन्हें प्लान समझा दिया और अब प्लान के मुताबिक घर पर सिर्फ मॉम और नामित ही रह गए. मॉम उठ चुकी थीं.
मैं और नेहा कुछ कुछ प्लान बना कर एक बार घर से निकल गए.
इससे निशा मॉम को लगा कि घर में कोई नहीं, केवल वो और नामित हैं. जबकि हम दोनों ऊपर बालकनी से इन दोनों को देख रहे थे. उसी वक्त मॉम उठ कर बाहर आईं और देखा कि घर में मैं और नेहा नहीं हैं.
तो उन्होंने नामित से पूछा- ये दोनों कहां हैं?
नामित बोला- विराट तो रेडी होकर निकल गया, उसे कोई काम था, वो कह गया है कि रात में लेट आएगा और मेरी मॉम एक सहेली के यहां गयी हैं.
इस प्लानिंग में आगे की कहानी मेरी निशा मॉम की ज़ुबानी सुनिए.
नामित ने यह सब बताते हुए ही मुझे कसकर अपनी बांहों में पकड़ लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा. मैं भी अब तक दवा के असर से गरम हो चुकी थी. थकान भी दूर हो गई थी, सोकर जो उठी थी. तो मैं भी उसका साथ देने लगी.
‘ऊऊम्म्म … मम्म आआह … उम्म …’
उसने मेरे चूतड़ दबाना शुरू कर दिए. मैं और गरम होती जा रही थी और नामित मेरे मजे लिए जा रहा था.
मैं उसे रोकते हुए बोली- नहीं यहां नहीं, केवल रूम में करना … और ऐसे नहीं करना.
तब भी नामित मेरी नहीं सुन रहा था उसने वहीं सोफे पर मुझे लिटाया और मेरी चूत में अपनी जीभ घुसेड़ दी. मैं अपनी चूत में उसकी जीभ का अहसास पाते ही तिलमिला उठी. मेरे अन्दर करेंट दौड़ पड़ा और मैंने नामित के सिर को जोर से पकड़ लिया. वो लगातार अपनी जीभ मेरे अन्दर बाहर कर रहा था.
मैं कामुक सिसकारियां ले रही थी- अअअअह आहह … बेटा ऊफ़्फ़ … नहीं बेटा यहां नहीं करो!
किन्तु यह कहते हुए मैं भी अन्दर से जल रही थी और मेरा कन्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा था. उसने और अच्छे से मेरी चूत के बगल में अपनी उंगली घुमानी शुरू कर दी. साथ ही उसकी जीभ बहुत अन्दर से मेरी चूत को साफ कर रही थी. मैं बस स्वर्ग के आनन्द में डूबकर केवल उसके बाल पकड़े हुए मादक सिसकारियां ले रही थी ‘ऊउफ़्फ़ बेटा … अअअहह … ऊऊम्म्म … नहीं!
दस मिनट की धुआंधार चूत चटाई के बाद ही मेरा पहली बार माल निकल गया और मैं वहीं सोफे पे आंख बंद करके पड़ी थी. नामित भी उठ कर कहीं चला गया.
इसके आगे क्या हुआ वो अगली कहानी में लिखती हूँ. आप अपने मेल मुझे करते रहिएगा, मैं सभी के मेल पढ़ती हूँ … तो बहुत अच्छा लगता है.
आपकी निशा और विराट.
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