रक्षाबंधन के दिन सगी बहन की चुदाई
नमस्कार जी, मैं रविराज उर्फ़ राज और एक देसी पोर्न कहानी के साथ हाजिर हूँ.
मैं आप सभी की पसंदीदा वेबसाईट के लिए बहुत सारी सच्ची चुदाई की कहानी भेजना चाहता हूँ.
मैं बहनचोद रविराज हूँ.. हां बिल्कुल सही पढ़ा है आपने कि मैंने खुद को बहनचोद लिखा है.. दरअसल ये मेरे लिए एक गाली न होकर मेरी योग्यता को दर्शाने के लिए लिखा है.. आज मैं आप सभी के लिए एक नई पोर्न कहानी के साथ आया हूँ. मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी ये देसी पोर्न कहानी बहुत पसंद आएगी.
मैं इस वेबसाईट का बहुत पुराना पाठक हूँ.. और इधर मुझे मेरी आपबीती आपके साथ शेयर करने का मौका मिला है, इसलिए मैं इस साईट का बहुत शुक्रगुजार हूँ.
ये कहानी कोई कहानी नहीं.. बल्कि मेरे साथ घटी हुई सच्ची घटना है. आप सब भाई लोग अपना लंड अपने हाथ में ले लें और अगर लड़की, भाभी या आंटी हैं तो चूत में उंगली घुसा लें और कहानी को ध्यान से पढ़ें.
मेरी दो बहनें हैं, दोनों की शादी हो गई है. मेरी एक बहन स्वाति की चुदाई की कहानी
अपनी चालू बहन को चोदा
आप पहले ही पढ़ चुके हैं. उस बहन की चुदाई कहानी में मैंने आपको बताया था कि मैं अपनी दोनों बहनों को चोदता हूँ.
मेरे बड़े भैया की भी शादी हो गई है. मेरा भाई काम के सिलसिले में गाँव छोड़ कर भाभी के साथ शहर चला गया है. उधर उसे अच्छा खासा काम और बढ़िया पगार मिल रही है.. इसलिए वो कुछ महीनों से शहर में ही रहने लगा है.
बड़े भाई के चले जाने के बाद से हमारे घर में अब मैं और मेरी माँ हम दोनों ही रहते थे. पापा तो काम के सिलसिले में पहले से ही अधिकतर समय घर से बाहर किसी न किसी दूसरे शहर में ही घूमते रहते थे.
हमारे घर में तो घर के सारे कामकाज का बोझ माँ के ऊपर आ गया था. अब मेरे माता पिता मेरी शादी के बारे में भी सोच रहे थे.
यह बात रक्षाबंधन के दिन की है. मुझे राखी बांधने के लिए मेरी दूसरी बहन नेहा अपनी ससुराल से हमारे यहाँ रक्षाबंधन के एक दिन पहले ही आ गई थी.
उस रात को दीदी का मूड सही नहीं था.. इसलिए वो जल्दी ही सो गई थीं. मैं रात भर परेशान रहा.. लेकिन कुछ न कर सका और फ़िर दूसरे दिन रक्षाबंधन का त्यौहार था.
दूसरे दिन सुबह मेरी बड़ी दीदी नेहा मुझे राखी बांधने के लिए सज धज कर तैयार थी. माँ हमारे लिए चाय बना रही थी, मैं दीवान पे बैठा था और नेहा दीदी न्यूज पेपर पढ़ रही थी. इतने में माँ को मेरी मौसी का फ़ोन आ गया कि मौसाजी की तबियत अचानक खराब हो गई थी. इसलिए माँ जल्दी ही तैयार हो कर मौसी के गाँव चली गईं. माँ के जाने के बाद हम भाई बहन दोनों ही घर में रह गए थे.
मैं नहाने के लिए बाथरूम चला गया. दो मिनट बाद नेहा दीदी बाथरूम में आ गईं और मुझसे बोलीं- क्यों रे बहनचोद.. आज तू अपने बाबूराव की मलाई मुझे नहीं खिलाएगा क्या अपनी बहाना को?
मैं बोला- मेरी प्यारी दीदी, मैं तो कल रात से ही आपकी चूत के लिए तरस रहा था.. लेकिन तुम ही नहीं आईं तो आखिर मुझे मुठ मार कर ही सोना पडा.
वो बोलीं- कल रात में मेरे सर में दर्द हो रहा था इसलिए नहीं आ सकी. लेकिन तू फ़िक्र मत कर मेरे भाई… आज मैं तेरी पूरी कसर निकाल दूंगी. तेरा जो दिल करे, कर ले मेरे साथ, मैं तुझे किसी बात से नहीं रोकूंगी… चोद ले अपनी बहन की चूत दिल भर कर!
मैं अपने कपड़े उतारने लगा. दीदी चुपचाप तमाशा देख रही थीं. मैंने पूरे कपड़े उतार दिए. अब मेरे शरीर पर सिर्फ़ अंडरवियर ही बाकी बचा थी. दीदी ने वो भी खींच कर निकाल दिया और मेरे लंड के साथ खेलने लगीं. मैं भी दीदी के मम्मों के साथ खेलने लगा.
दीदी ने बड़े गले का गाउन पहना था. मैंने ऊपर से दीदी के एक मम्मे को हाथ में लिया और मसलने लगा. दीदी आहें भरने लगीं. मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.
मैंने दीदी का गाउन निकाल दिया. उनके बड़े बड़े मम्मे गाउन के बाहर आ गए. मेरे मुँह और लंड में पानी आ रहा था. मैंने दीदी का एक मम्मा मुँह में डाला और दूसरे को दूसरे हाथ से दबाने लगा. मैंने घूम कर उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया. दीदी ने भी मेरे लंड को सहलाना छोड़ कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
हम भाई बहन एक दूसरे को चूमने लगे. वो मदहोश हो रही थीं.
दीदी ने मुझे थोड़ा पीछे होकर नीचे बैठने को कहा, मैं पीछे हो गया और नीचे बैठ गया. अब मैं दीदी के दोनों पैरों को फैला कर उनकी जाँघों के बीच आते हुए लेट गया.
दीदी अपनी चुत को मेरे लंड पर सैट करके ऊपर बैठ गईं. मेरा लंड दीदी की चूत में टच करने लगा था. दीदी की चूत बहुत ही गहरी थी. उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद में घुसा लिया. दीदी की चुत गीली हो गई थी. इसलिए मेरा लंड दीदी की चुत में सटाक से चला गया.
साफ़ जाहिर था कि दीदी बड़ी चुदक्कड़ थीं, उनकी कामवासना बहुत प्रबल थी, दीदी मेरे जीजाजी के अलावा और भी कई लड़कों से वो चुदवाती रही थीं. जिस भी लड़के को या मर्द को वो देखती थीं, सबसे पहले वो उसके लंड के बारे में सोचती थीं और अगर मौका मिल जाता तो वो उससे जरूर ही चुदवा लेती थीं.
प्यारे दोस्तो, मैं एक बात बताना चाहता हूँ कि मेरा ऐसा कोई दोस्त नहीं है, जिसने मेरी नेहा दीदी को ना चोदा हो और उसके ससुराल में भी कोई ऐसा मर्द नहीं होगा, जिससे दीदी ने ना चुदवाया होगा.
अब दीदी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़ कर अपने मम्मों में जोर से दबा लिया और मादक सिसकारियां लेने लगीं. मैं मजे से दीदी को चोदने लगा. मेरी दीदी मुझसे ऐसे चुदवा रही थीं कि शायद ही कोई पोर्न की हीरोईन अपने हीरो से चुदवाती होगी.
दीदी कामुकता के आवेश में बोल रही थी- राखी के दिन मेरे भैया, इस चूत लंड के रिश्ते को निभाना… चोद मेरे बही… अपनी दीदी की गर्म चूत को चोद चोद कर फाड़ दे!
तभी दीदी मेरे दोस्तों के नाम ले लेकर बोलने लगी- भाई तू आशू का बुला ले, मैं उससे गांड मरवाऊँगी… भाई तो जग्गी को बुला ले… मैं उसका लंड चूसूंगी.
मैं दीदी को धीरे धीरे चोदने लगा, वो भी अपना बड़ी सी गांड को उठा उठा कर मेरे लंड से चुदवाने लगीं.
फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और दोनों चूतड़ों को पकड़ कर फिर से उनकी चूत में लंड ठोकने लगा. कुछ देर बाद मैं नीचे लेट गया और वो मेरे लंड को अपनी चूत में फंसा कर उछल उछल कर चुदवाने लगीं. दीदी की चूचियां रबड़ की गेंदों की तरह ऊपर नीचे झूल रही थी. बीच बीच में मैं उन्हें अपने दोनों हाथों से थाम लेता और मसलने लगता.
मैंने कहा- दीदी, आज तो राखी का दिन है.
तो वो बोलीं- इसलिए तो दिन के उजाले में पूरी नंगी होकर तुमसे चुदवा रही हूँ.
मैंने अपने बहन को बांहों में ले लिया और उनके रसीले होंठों को चूसने लगा. उनकी मदमस्त चूचियों को मसलने लगा.
वो ‘आआह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ़्फ़..’ कर रही थीं और बोल रही थीं- आह आज तूने खुश कर दिया, चोद दम से आह.. आज तूने अपनी बहन को खुश कर दिया, आज मुझे मेरा राखी का गिफ्ट मिल गया, मैं खुश हो गई. आह चोद और सुन, आज का पूरा दिन और पूरी रात हम दोनों को नंगा ही रहना है.
मैं बोला- तो ये राखी का उत्सव यादगार बनाना चाहती हो?
दीदी कुछ ना बोलीं.. सिर्फ़ मुस्कुरा उठीं. मैं समझ गया कि दीदी की चुत में भारी खुजली हो रही थी. दीदी मुझे उसी अवस्था में हाल में ले आईं.
अब दीदी ने मुझे सोफ़े पे बिठाया और मेरे लंड पर राखी बांधी. फ़िर अपनी चुत फ़ैला कर बोलीं- मेरे प्यारे चोदू भाई.. गिफ़्ट के तौर पर तुम अपना मोटा लंड मेरी चुत पे रगड़ो.. बड़ी जोर से चोदो, मुझे और बुझा दो प्यास मेरी.
मैंने वैसा ही किया. दीदी ने चुत को फ़ैला दिया और मैं शुरू हो गया. मुझे बहुत मजा आ रहा था. राखी पर जो घुंघरू लगे थे, उनका बड़ा ही मधुर आवाज आ रही थी. उस संगीत की लय पर हमारी चुदाई चालू थी.
एक बार मेरा लंड और दीदी की चुत में वासना का भयानक खेल चालू हो गया था जैसे कि तूफ़ान आ गया हो.
कुछ देर बाद दीदी ‘आअहह ऑश आहह..’ करते हुए एकदम से ढीली पड़ गईं और निढाल सी लेटी रहीं.
लेकिन मैं फिर भी दीदी और ऊपर होकर दीदी के पास लेट गया और दीदी से बोला- कैसा लगा दीदी?
वो कुछ नहीं बोलीं.. बस चुपचाप पड़ी रहीं.
लेकिन मैं रुकने वाला नहीं था, मैं दीदी के मम्मों को फिर से चूसने लगा और दीदी का एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और ऊपर नीचे करने लगा. मैं उनकी गांड ले ऊपर से हाथ फ़ेरने लगा और गांड को धीरे-धीरे मसलने लगा. मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
वासना की ये कैसी विडंबना थी यारो.. एक भाई अपनी सगी बहन को रक्षाबंधन के दिन चोद रहा था और वो बहन मजे से चुदवा रही थी. सच में वासना के आगे कोई रिश्ता नहीं होता.
अब मैं और भी गर्म हो गया था. दीदी के मम्मे जोर जोर से दबाने लगा और उनकी चुत को सहलाने लगा. फ़िर मैंने मेरा लंड दीदी की चुत पर सैट किया और धक्का मारने की कोशिश करने लगा. लेकिन मैं सफ़ल नहीं हो रहा था. दीदी की चुत ठंडी पड़ गई थी.
दीदी ने कहा कि भाई बस कुछ देर रुक जा.. मैं अभी सब करती हूँ.
दोस्तो, मैंने दीदी को दो बार चोदा और दोनों एक दूसरे को पकड़ कर सो गए.
पूरे दिन भर हम दोनों नंगे ही रहे.
फ़िर शाम को भी हमने नंगे ही खाना खा लिया. खाना खाते समय माँ का फ़ोन आ गया.
हमने माँ से बात की. माँ ने बताया कि मौसा जी की तबियत खराब होने के कारण वे चार-पांच दिन के बाद आ पाएंगी.
यह बात सुन कर हम दोनों भाई बहन बहुत खुश हो गए. देखिए कामवासना किस कदर दिमाग पर चढ़ जाती है कि अपने सगे रिश्तेदार की तबियत खराब होने पर भी दुखी होने की बजाए हम दोनों को खुश कर रही थी.
अब चार पांच दिन तो हमारी चांदी ही चांदी थी. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से हम दोनों भाई बहन ने चूत लंड का खेल खेला होगा.
दोस्तो आपको मेरी कहानी कैसी लगी. जरूर बता देना. इस घटना के बाद मेरी दीदी ने मेरी भाबी को भी मुझसे चुदवा दिया. वो सब कैसे हुआ, ये मैं मेरी अगली पोर्न कहानी में आपको जरूर बताऊंगा.
मेरी मेल आईडी है.
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