रसीली की रस भरी रातें-3
हिंदी एडल्ट स्टोरी का पहला भाग : रसीली की रस भरी रातें-1
कहानी का दूसरा भाग : रसीली की रस भरी रातें-2
रात को मेरे पति राजू ने पहले मोमबती से फ़िर अपने विशाल लण्ड से मेरी गाण्ड मारी तो रात भर मैं दर्द से तड़पती रही, सुबह मैंने चंपा को बुलाया।
चंपा ने मुझसे बात की और बोली- ओह, तो हमारी दुल्हन की गांड चुद ही गई!
मैं बोली- बड़ा दर्द हो रहा है।
चंपा और मैं कमरे में अकेली थी, चंपा ने अपना सहारा देकर मुझे उठाया और कमरे में थोड़ा चलवाया। उसने एक दर्द की गोली खाने को दी और मेरी गांड की सिकाई गरम पानी से कर दी, मेरी चूत गांड सहलाती हुई चंपा मेरे साथ लेट गई।
चंपा बोली- अगली बार जब घुसेगा तब दर्द कम होगा! और थोड़ी चूत की खिलाड़िन बन नहीं तो ये मर्द रात को मारेंगे और सुबह भूल जायेंगे। मेरी गांड के दर्द को सही होने में तीन दिन लगे, इस बीच इन्हें सताने के लिए चार दिन मैं सास के पास सोई।
एक दिन मुझे अकेले देखकर इन्होंने दबोच लिया और मेरी चूचियाँ दबाते हुए बोले कि इतना क्यों तड़पा रही हो। आज तो चुदवा लो, लौड़ा तेरी चूत चोदने के लिए पागल हो रहा है।
मुझे अब चूत की खिलाड़िन का मतलब समझ में आ गया था। मेरी चूत भी चुदने को कुनमुना रही थी, बिना देर किए मैं ऊपर कमरे में 10 मिनट बाद पहुँच गई।
सच बताऊँ तो 4-5 दिन तक एक नई दुल्हन की चूत में लौड़ा न घुसे तो चूत का बुरा हाल हो जाता है मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था। इनके अंदर आने से पहले ही मैंने दो बटन वाली मैक्सी पहन ली थी। इनके कमरे में घुसते ही मैं इनसे चिपक गई।
राजू ने मुझे हटाते हुए अपने कपड़े उतार दिए और मुझे नंगी करके अपनी जाँघों पर बैठा लिया, इनका लौड़ा पूरा तना हुआ था, मेरा हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और मेरी चूचियाँ उमेठते हुए सिगरेट पीने लगे।
राजू का लौड़ा सहलाते हुए मैं बोली- चोदो ना! मुनिया में आग लगी हुई है।
राजू मेरे बदन को सहलाते हुए सिगरेट पीने में मस्त थे, लौड़ा चिकना और ऊपर से रसीला हो रहा था। इनका लंड अभी तक मैंने चूसा नहीं था। मुझे लंड चूसना बहुत पसंद था, शादी से पहले मैं अपने 5-6 यारों का लंड चूस चुकी थी। मेरा बड़ा मन कर रहा था कि इनका सुन्दर लंड अपने मुँह में डालूँ। लेकिन मैं चाह रही थी कि राजू खुद लौड़ा चूसने को बोले।
मेरे मन की इच्छा पूरी हो गई, मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए ये बोले- रसीली, एक बार लौड़ा मुँह में लो ना! बड़ा मज़ा आएगा।
मैंने ना-नुकुर का नाटक किया।
राजू मेरे दोनों स्तनों को मलते हुए बोले- रसीली एक बार लंड चूसो ना, मैं तुम्हें बदले में 2-2 तोले की 4 चूड़ियाँ सोने की दूँगा।
मन ही मन मेरे लड्डू फूट पड़े। न नुकुर करते हुए उठकर मैं इनकी जाँघों के बीच बैठ गई और मैंने अपना मुँह खोल दिया, इन्होंने लंड मेरे मुँह में घुसा दिया। सब कुछ भूल कर मैं लंड चूसने लगी।
आह! क्या मज़ा था! इनका लंड चूसते चाटते हुए जन्नत की सैर का मज़ा आ गया। सब भूल कर कभी लंड मुँह के अंदर बाहर करती, कभी सुपाड़ा चाटने लगती, मेरी चूत से चूत रस की धारा बह निकली थी।
इनसे भी नहीं रहा गया, ये बोल ही पड़े- सच रसीली, मज़ा आ गया क्या मस्त लंड चूसा है तुमने।
राजू ने इसके बाद मुझे हटा कर बिस्तर पर गिरा दिया और मेरी चूत को अपने लंड से बजाने लगे। पुराने चोदू थे, 5-6 आसनों से इन्होंने मेरी चूत बजा बजा कर मेरे बदन के पुर्जे ढीले कर दिए और मेरी चूत अपने वीर्य से नहला दी।
आह! चुदने के बाद मुझे बड़ी शांति मिली।
अगले दो दिन मैंने इनका मस्त होकर लंड चूसा और और अपनी चूत कई आसनों से चुदवाई।
तीसरे दिन इन्होंने मुझसे कहा- रसीली, एक बार गांड की खिड़की में और घुसाने दो ना!
मैं बोली- पहले मेरी सोने की चूड़ियाँ लाकर दो, फिर ख़ुशी ख़ुशी गांड में डलवाऊँगी।
अगले दिन ही ये सोने की चूड़ियाँ ले आए, अब रात को मुझे गांड मरवानी थी, बड़ा डर लग रहा था। मैंने चंपा को बताया तो हँसते हुए बोली- दुखेगी, लेकिन तुझे मज़ा भी आएगा! आज और मरवा ले अगली बार तू खुद इनसे कह कर मरवाएगी। लेकिन तेल डलवा कर गांड मरवाना, अभी तो सिर्फ एक बार ही गांड चुदी है।
रात को इनकी गोद में मैं नंगी लेट गई मेरी चूत के होंटों से खेलते हुए बोले- तुम्हारी मांग तो पूरी हो गई, अब अपना वादा पूरा करो।
मैं इतराती हुई बोली- घर से लौटूँगी, तब मार लेना ना! कोई गांड घर पर छोड़कर तो आऊँगी नहीं।
इन्होंने मेरी कोहनी मोड़ते हुए कहा- बदमाशी नहीं चलेगी! अगर मैं कुत्ता बन गया तो तू दो दिन तक नहीं उठ पाएगी। अपने गाँव के कई लड़कों और भाभियों की गांड चोद चुका हूँ, तेरी मैं तो दो मिनट मैं अंदर तक पेल दूंगा।
मैं हाथ के दर्द से कराहते हुए बोली- दे दूंगी! हाथ तो छोड़ो।
इसके बाद इन्होंने मेरी चुदाई कर दी। थोड़ी देर के लिए इनका लंड शांत हो गया था।हम लोग बातें करने लगे। रात एक बजे इन्होंने मुझे गांड चुदाई का इशारा किया, बकरी की माँ कब तक खैर मनाएगी, मैंने कहा- पहले मेरी गाण्ड में तेल डाल दो!
इन्होंने पास रखी तेल की शीशी निकाली और मेरी गांड में तेल डाल दिया। इन्होंने मुझे पलंग पर टांगें चौड़ी करके पेट के बल लेटा दिया था और मेरी गांड पर ढेर सारा थूक डाल कर उंगली से उसका छेद चौड़ा किया। बड़ी गुदगुदी हो रही थी। अब इनका लंड मेरी गांड के मुँह पर दस्तक दे रहा था पहला धक्का बड़ा तेज पड़ा, लौड़ा अंदर घुस चुका था, मैं चिल्ला उठी, इन्होंने मेरी कमर पकड़ कर मुझे अपनी कुतिया बना रखा था। इसके बाद धीरे धीरे लौड़ा अंदर घुसा कर मेरी गांड चोदनी शुरू कर दी। मैं दर्द भरी आहें भर रही थी लेकिन आज दर्द पहले से कम था।
थोड़ी देर में ही इनका लंड मेरा सरपट गुदा मंथन कर रहा था। एक चुदती औरत की तरह मैं उह.. आह.. उह.. उह.. आह.. की आहें भर रही थी, आँखों से आँसू टपक रहे थे लेकिन आज थोड़ा मजा भी आ रहा था।
अगले 10 मिनट कुतिया चुदाई के थे, लौड़े के वार तेज हो गए थे, टट्टे गांड से टकरा रहे थे, आहें चीखों में बदल गई थी। ये बिल्कुल हैवान वाली चुदाई कर रहे थे, मेरी बेरहम गांड चुदाई हो रही थी, इनका मेरी गांड पर पूरा कब्ज़ा हो चुका था, लग रहा था गांड पूरी फट जाएगी।
मैं राजू की गुलाम बनकर चीखती हुई चुदवा रही थी। दस मिनट बाद जब गरम गरम वीर्य गांड में घुसा, आह! एक जबरदस्त मज़ा आया, उसके बाद बड़ी राहत मिली।
इन्होंने अपनी बाँहों में मुझे सुला लिया। सुबह बदन दुःख रहा था और मैं लंगड़ा रही थी लेकिन मुझे लग रहा था अब आगे गांड चुदवाने में मुझे कोई डर नहीं लगेगा।
अगली तीन रातें मस्त चुदाई में कटीं, चौथे दिन भाई लेने आ गया। चूत गांड मुँह सबमें लौड़ा घुस चुका था। दस हज़ार रुपए और सोने की चूड़ियाँ मैंने अपनी चूत के खेल से पा लिए थे, मुझे लगा अगर मैं चूत की सफ़ल खिलाड़िन बन जाऊँ तो अपने घर की गरीबी मिटा सकती हूँ।
अगले दिन घर जाने की ख़ुशी थी लेकिन चूल भी उठ रही थी कि 15 दिन लौड़ा खाए बिना कैसे रह पाऊँगी।
अगले दिन भाई के साथ मैं अपने घर चली गई।
काल्पनिक हिंदी एडल्ट स्टोरी का अगला भाग चूत की खिलाड़िन जल्दी ही प्रकाशित होगी।
मस्तानी ऊषा
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