रागिनी एम एम एस देख कर चुदाई हुई
सभी दमदार लंडों और प्यासी चूतों को मेरा सलाम।
मेरा नाम सुमेद है.. मैं महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ। जिम जाने की वजह से मेरी बॉडी एकदम फिट है। मेरा कद 5’7″ है। लण्ड का साइज़ खासा लंबा और मोटा है।
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.. उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी।
पिछले साल मेरे घर के बाजू में एक नव विवाहित जोड़ा रहने आया था। उसमें जो फीमेल थी.. वो बहुत ही खूबसूरत थी.. उसको आंटी कहने का दिल तो नहीं करता.. पर कहना पड़ता था।
मैंने जब उन्हें पहले बार देखा तो बस देखता ही रह गया। क्या गदर माल थी वो.. गोरा गोरा बदन.. नशीली भूरे रंग की आँखें.. रसगुल्ले से रसभरे लाल होंठ.. तीखी नाक.. शायद 34 इंच का उठा हुआ सीना.. 24 की कमर और 36 की गान्ड… वो देखने में लगभग 26 साल की लगती थी।
उसे देखने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैं उससे बात करने चल दिया।
जान-पहचान होने के बाद मैं उससे बहुत घुल-मिल गया।
वो काम करते वक़्त गाउन पहना करती थी.. तो जब वो झुकती थी तब उसके भरे-भरे दूध देख कर मेरा लण्ड लोहा बन जाता था.. और मैं उन्हीं के बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुठ मार लेता था।
एक दिन जब हम दोनों मार्केट गए थे.. तब भीड़ होने के कारण हम एक-दूसरे से टकरा रहे थे। मैंने मौके का फ़ायदा उठाया और कभी उसकी गाण्ड को हल्के से दबा देता तो कभी उसका हाथ मेरे हाथ मेरे गरम लोहे को छू लेता था।
भीड़ में हम दोनों कहीं खो न जाएं.. यह बहाना बना कर मैं उसका हाथ पकड़ लेता था।
मैं उसका नरम-नरम हाथ एक बार जो पकड़ता.. तो छोड़ने का दिल नहीं करता था.. पर भीड़ से बाहर निकलने पर मजबूरन छोड़ना पड़ता।
उसके पति एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर थे.. तो दिन का काफ़ी समय ऑफिस में ही बिताते थे। जब वो घर पर थक के आते थे.. तो अपने कमरे में दारू पीकर जल्दी सो जाते थे।
मैं उसके साथ देर रात तक मूवी देखता रहता था। चूंकि मैं उससे 5 साल छोटा था.. जिस वजह से उसके पति को मुझ पर कभी शक नहीं होता था।
पिछले महीने मेरे कॉलेज की परीक्षा ख़त्म होने के बाद हम दोनों रात को ‘रागिनी एमएमएस’ देख रहे थे।
हम पॉपकॉर्न भी खा रहे थे.. तो मैं जानबूझ कर उसके हाथ को छू देता था।
उसके नरम हाथ के स्पर्श से ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था।
बाद में जैसे ही हॉट सीन शुरू हुआ.. फिर तो मेरा लण्ड एकदम कड़क हो गया था। मैंने लौड़े के उभार को छिपाने के लिए तकिया लेकर अपने लण्ड के ऊपर रख लिया।
ये सब वो भी देख रही थी.. तो वो हँस पड़ी।
मैंने उससे पूछा.. तो वो कुछ नहीं बोली।
जब मुझसे रहा नहीं गया.. तो मैं बाथरूम गया और मुठ मार कर वापस आ गया।
मुझे आने में 5 मिनट लगे होंगे.. पर आने के बाद भी वही सीन चल रहा था.. तो मुझे समझ आ गया कि आज यह चुदने के मूड में है और पति के सो जाने की वजह से शायद मेरे साथ ही चुदाई करवा ले।
मैंने उससे शरारत करते हुए कहा- क्या आंटी ये सब बार-बार देखने की ज़रूरत आपको नहीं.. हम कुंवारों को है.. आप तो सब करते रहते होंगे।
वो फिर से हँसने लगी और बोली- ये ऐसी चीज़ है कि कितना भी करो.. मज़ा ख़त्म ही नहीं होता.. बल्कि और और.. करने का मन करता है।
मैं- हाँ आपको तो बड़ा मज़ा आता होगा.. पर मुझको तो ब्लू-फिल्म देख कर ही गुजारा करना पड़ता है।
तो वो अचानक बोल पड़ी- हाँ पता है.. कि तुम्हारा मुठ मारने की वजह से कितना बुरा हाल है।
मैं तो एकदम सन्न सा हो गया, मैं दिल में सोच रहा था कि इन्हें कैसे पता चल गया।
अब मुझे थोड़ा डर भी लगने लगा कि कहीं ये किसी को बता न दे।
मैं उसके पास बैठा और कहा- आप ये बात किसी को मत बताईएगा.. आप जो बोलोगी.. मैं वो करूँगा.. पर प्लीज़ मत बताना।
उसने अपना हाथ मेरे लण्ड पर रखा और बोली- क्या इससे नहीं मिलवाओगे?
अब मैं समझ गया कि ये खुद चुदना चाहती है.. तो मैंने तुरंत अपना लण्ड.. जो उसके हाथ के स्पर्श से फिर से गरम हो गया था.. उसके हाथ में दे दिया.. और फिर उसे अपनी ओर खींच कर किस करने लगा।
मैं उसे इस तरह से चूम रहा था.. जैसे सदियों का प्यासा हूँ।
कोई करता भी क्या.. जब ऐसे हुस्न की मल्लिका खुद चल कर आपके पास चुदने के लिए आई हो.. तो कौन खुद पर सबर रख पाएगा।
मैं उसे बेतहाशा चूमने और चाटने लगा।
उधर वो मेरा लण्ड दबा-दबा कर मेरा जोश और बढ़ा रही थी। हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में इस कदर समाए थे.. जैसे कई दिनों से प्यासे हों।
बहुत ज़्यादा उत्तेजित था मैं.. तो मैं जल्दी से उसका गाउन उतारना चाहता था.. पर उसकी चैन नहीं मिल रहा था।
उसके गाउन को मैं ताक़त लगा कर खींचने लगा.. तो वो बोली- आराम से.. मेरी जान.. मैं अभी तुम्हारी ही हूँ.. आराम से करो।
मैं- क्या जानू.. इतने दिनों से मुझे तड़पा रही हो और आज जब हाथ आई हो तो मुझसे सबर नहीं होता।
इस बात पर उसने खुद ही चैन खोली तो उसका गाउन नीचे गिर गया, मेरे सामने उसके भरे हुए मम्मे थे.. जिन पर मैं टूट पड़ा।
वो इतनी कामुक हो गई थी कि वो मेरा सिर अपनी सीने में घुसा रही थी। मैं भी उसको कसके पकड़ कर उसके पूरे मम्मों को अपने मुँह में भरना चाहता था।
बारी-बारी से मैं उसके दोनों मम्मों को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था। मुझे लग रहा था कि मैं अमृत पी रहा होऊँ और मानो में सातवें आसमान पर उड़ रहा हूँ।
उस वक़्त की खुशी में लफ्जों में बयान नहीं कर सकता।
मैं उसका बदन चूमते हुए नीचे आने लगा.. जब मैंने उसकी नाभि पर चूमा तो वो सिहर उठी और मुझ अपने पेट पर दबाने लगी.. पीछे मेरा हाथ उसकी गाण्ड को दबा रहा था।
फिर उसकी चूत पर मैंने अपने होंठ लगा दिए और वो मादक सिसकारियाँ लेने लगी।
वो अपने एक हाथ से मेरे लण्ड को दबा कर मेरा भी बुरा हाल कर रही थी।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली और अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ मिनट बाद उसने मुझे बहुत ज़ोर से पकड़ा और वो अकड़ने लगी। फिर उसका रस निकल गया और वो मैं पी गया। अजीब सी खुश्बू थी उस अमृत की।
अब उसकी बारी थी.. तो उसने मुझे लेटा दिया और मुझ पर सवार हो गई, मेरा लण्ड हाथ में लिया और सहलाने लगी, फिर मुँह में लेकर चूसने लगी।
इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था, मेरा भी थोड़ी देर बाद निकल गया और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया।
फिर वो ऊपर आई- क्यों जानू.. क्या तुम बस इतने में थक गए?
उसने मस्ती से मेरे बालों में हाथ डालकर मुझको अपनी बांहों में भर लिया।
उसके बदन से कुछ ही देर चिपक कर रहने के बाद मेरा ‘हीरो’ फिर से अपने फॉर्म में आ गया। तो मैं उठा और उसकी गाण्ड के नीचे तकिया लगाया.. जिससे उसकी चूत ऊपर हो गई।
मैं अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
उससे रहा नहीं जा रहा था.. इसलिए वो बार-बार बोल रही थी- मेरी जान मुझे और न तड़पाओ.. प्लीज़ जल्दी डाल दो।
पर मैं कहाँ मानने वाला था.. मैं फिर से उसे चूमने लगा। लड़कियों को जितना तड़पाओ.. उतना ही उन्हें ज़्यादा मज़ा आता है.. ये मैं जानता था।
जब वो ऊपर होकर मेरे लण्ड को अपने अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.. तो फिर मैंने लण्ड सैट किया और एक जोरदार झटका लगाया।
मेरे आधा लण्ड उसकी चूत में गया और उसे थोड़ा दर्द हुआ.. वो मेरी कमर को पकड़ कर पीछे कर रही थी.. मेरा लण्ड निकालना चाहती थी पर मैंने किस करते हुए हाथ पकड़ किए और फिर से जोरदार झटका मारा।
चूत थोड़ी कसी होने की वजह से जाने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
उसकी आँखों में से आंसू निकल रहे थे.. उसे दर्द हो रहा था.. पर मैंने कोई रहम नहीं दिखाई और लगातार झटके मारते गया।
कुछ मिनट के बाद मुझको लगा कि मेरा अब निकलने वाला है.. तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और कुछ देर बस उसको किस करता रहा। मैं और मज़ा लेना चाहता था, इसलिए ऐसा किया।
अब तक वो दो बार झड़ चुकी थी.. पर मैं इतने जल्दी झड़ना नहीं चाहता था। मैंने फिर से उसकी चूत में अपना हथियार डाला और फिर से शुरू हो गया।
मैं बहुत तेज-तेज कर रहा था और 5-7 मिनट में वो एक और बार झड़ गई।
अब मेरा भी निकालने वाला था.. तो लण्ड निकाल कर मैंने उसके मुँह में डाल दिया.. उसने खूब चूसा और मेरा सारा वीर्य चट कर गई।
मुझे थोड़ी थकान हो रही थी.. तो मैं उसके बाजू हो कर लेट गया और वो संतुष्ट हो कर मुझे चूमने लगी- सुमेद.. आज तुमने मुझे बहुत मज़ा दिया.. मैं आज से तुम्हारी ही हूँ.. जब दिल करे बस करने आ जाना।
वो फिर से मुझे चूमने लगी.. उस रात मैंने उसे 3 बार अलग-अलग तरीके से चोद कर मज़ा लिया।
पर अब वो अपने पति के साथ जा चुकी है और मैं उसकी याद में मुठ मारता हूँ।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. ज़रूर मेल कीजिए।
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