लिफ्ट लेकर दिल्ली के रास्ते में चुदी

लिफ्ट लेकर दिल्ली के रास्ते में चुदी

दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है। मैं आजकल चंडीगढ़ में एक एमएनसी में पोस्टेड हूँ। मेरी पहले प्रकाशित कहानियाँ आपने बहुत पसंद की हैं उसके लिए आप सभी का धन्यवाद। आपकी मेल मुझे लिखने के लिए प्रेरित करती रहती हैं। मैं केवल अपने सच्चे अनुभव ही लिखता हूँ।

बात कुछ दिन पहले की है जब मैं एक रोज सुबह 7 बजे अपनी कार से दिल्ली जाने के लिए अपनी सोसाईटी से बाहर निकला ही था कि कुछ ही दूरी पर एक लेडी एक बच्चे को गोद में और एक सूटकेस लिए सड़क के किनारे खड़ी दिखाई दी। उसने हाथ से कार रोकने का इशारा किया तो मैंने कार रोक दी।
लेडी ने कहा- मैं किसी ऑटो का इन्तजार कर रही हूँ, ऑटो मिल नहीं रहा है, क्या आप मुझे बस स्टैंड तक लिफ्ट दे सकते हैं?

बस स्टैंड मेरे रास्ते में ही पड़ता था, मैंने उसके सूटकेस को पिछली सीट पर रखा और उन्हें आगे बैठा लिया। लेडी ने मेरा थैंक्स किया.
मैंने उस महिला से पूछा- आपको कहाँ जाना है?
वह बोली- मुझे दिल्ली जाना है।
मैंने कहा- दिल्ली तो मुझे भी जाना है, अतः आप मेरे साथ ही चलो, मैं आपको दिल्ली तक ही लिफ्ट दे देता हूँ।

वह थोड़ा झिझक रही थी।
मैंने कहा- आपकी मर्जी है, मैं तो सोच रहा था साथ हो जाएगा, तो मैं भी बोर नहीं हूँगा।
वह कुछ सहज लगी और उसने मुस्करा कर कहा- ठीक है, यदि आपको कोई तकलीफ नहीं हो तो मुझे तो बल्कि सुविधा रहेगी।

वह कोई 30-32 साल की गजब की सुन्दर नयन नक्स वाली लेडी थी, उसका फिगर 36-32-36 होगा। सुन्दर गोरा रंग, मोटी मोटी आँखें, बड़े बड़े मम्मे, भरी मांसल जांघें और चूतड़। उसने लाल रंग का कॉलर वाला स्लीवलेस कुर्ता जिसकी नीचे से गोल कटाई थी और काली सलवार पहन रखी थी।

कुर्ते पर गोल्डन कलर की चेन और बटन लगे हुए थे जिसके ऊपर के तीन बटन खुले थे। उसके कुर्ते से उसके सुडौल मम्मे बाहर दिखाई दे रहे थे। हाथ और पाँव की उँगलियाँ बहुत ही नाजुक और सुन्दर थी, जिन पर लाल रंग की सुन्दर नेल पोलिश लगी थी। लम्बे घने बालों को उसने जूड़े में बाँध रखा था।
कुल मिलाकर वह बड़ी सोहनी पंजाबन लग रही थी जो हिंदी बोल रही थी। उसने अपनी गोद में लगभग एक साल का बच्चा लिया हुआ था और उसने अपना नाम सिमरन बताया था।

उसके हुस्न और गदराये शरीर को देखकर मेरा लण्ड अपने आप पैंट में टाइट होने लगा।
जब मैंने उससे पूछा कि वह अकेली दिल्ली कहाँ जा रही है तो उसने बताया कि दिल्ली के रोहिणी इलाके में उसके मामा की लड़की रहती है, उससे मिलने जा रही है।
मैंने पूछा- आपके हस्बैंड क्या करते हैं?
तो उसने बताया कि प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता है।

बातों बातों में पता चला कि उसने अपने परिवार की मर्जी के ख़िलाफ़ उससे विवाह किया है और अब पछता रही है। हस्बैंड कई काम बदल चुका है, परंतु हर बार असफल रहता है। हस्बैंड केवल प्लस टू पास है और वह बी. ए. तक पढ़ी है।
सारा किस्सा यह था कि उस रोज वह हस्बैंड से नाराज हो कर अपनी बहन के पास दिल्ली जा रही थी।

मैं सब कुछ समझ गया था और ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करने लगा कि शायद ऊपर वाले ने आज यह मेरे लिए ही भेजी है।
मैंने उसे पटाना शुरू किया और पूछा- आपकी क्या क्या हॉबीज़ हैं?
उसने बताया- वैसे तो घूमना फिरना और अच्छे लोगों से मेल मिलाप मेरी हॉबी है, परन्तु अब तो सब कुछ ख़त्म हो गया है।

यह कह कर वह उदास हो गई। हमने इन बातों में अम्बाला क्रॉस कर लिया। मैंने सिमरन से चाय के लिए उससे पूछा तो उसने बताया कि वह तो घर से बिना कुछ खाये पिए ही निकली थी, क्योंकि रात को ही उसका हस्बैंड से झगड़ा हुआ था।

अम्बाला कैंट से निकाल कर कई अच्छे होटल और रेस्टोरेंट हैं, मैंने एरोप्लेन के आकार वाले रनवे नामक रेस्तराँ पर गाड़ी रोकी और थोड़ा चाय नाश्ता लिया।
मैंने सिमरन को कहा- सिमरन! क्या मैं तुम्हें एक कॉम्प्लीमेंट दे सकता हूँ?
वह बोली- दीजिये।
मैंने कहा- आप बहुत ही सुन्दर और स्वीट हो।
वह खुश हो कर बोली- थैंक्स; आप भी बड़े हैंडसम और स्वीट हो।

मैंने सिमरन से पूछा- क्या हम इस सफ़र को यादगार सफ़र बना सकते हैं?
वह कुछ नहीं बोली, उसने मौन स्वीकृति दे दी।
हम चाय पीकर आगे बढ़े, बच्चा सो रहा था, उसे हमने पिछली सीट पर सुला दिया था।

बातें कुछ और होने लगी, हम एक दूसरे से खुलने लगे। मैंने उसके शरीर और हुस्न की तारीफ़ करनी शुरू कर दी।
उसने कहा- आप बातें बहुत अच्छी करते हैं।
मैंने कहा- मैं प्यार भी बहुत अच्छा करता हूँ।
वह शरमा गई और बोली- वह तो लगता है।

मैंने कहा- आपके हाथों की उँगलियाँ बहुत सुन्दर हैं, एक बार छू सकता हूँ?
उसने हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया।

मैंने उसकी उँगलियों को एक हाथ से पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया, उसकी सांसें तेज होने लगी। मैंने उसकी पूरी नंगी, नरम और गुदाज बाजू पर हाथ फिरा दिया और उसके हाथ को पकड़ कर अपनी गोद में रख लिया.
वह कुछ नहीं बोली।

मैंने धीरे से उसका हाथ अपनी पैंट में तने 8 इंच लंबे और तीन इंच मोटे लण्ड पर रख कर दबा दिया। उसने लण्ड की लंबाई मोटाई नाप ली और मेरी पैंट के उभार को देखने लगी, शायद वह मन ही मन खुश हो रही थी।

मैंने गाड़ी चलाते चलाते उसके शर्ट में हाथ डाल कर उसके एक मम्मे को दबा दिया।
वह कुछ नहीं बोली।
मैंने पूछा- सिमरन! तुमने आखरी बार सेक्स कब किया था?
उसने कहा- पता नहीं, शायद 8-10 महीने हो गए हैं, अब मेरा दिल नहीं करता, क्योंकि मुझे मेरे हस्बैंड से नफरत हो गई है, हमारा हर रोज झगड़ा रहता है।

मैंने गाड़ी को थोड़ा साइड में एक पेड़ के नीचे खड़ा किया और उसको बांहों में भर कर उसके रसीले होठों पर किस कर लिया। साथ ही अच्छी तरह से उसके मम्मों और गुदाज कमर पर हाथ फिरा दिया।
वह बोली- यह रास्ता है, आप आराम से गाड़ी चलाओ।
मैंने अपना लौड़ा पैंट से निकाला और उसके हाथ में पकड़ा दिया।

लौड़े का साइज़ देखकर वह चौंक गई और कई देर तक उसे देखती रही, वह बोली- इतना बड़ा और मोटा तो मैंने पहली बार देखा है।
वह हाथ में लेकर लौड़े को ऊपर नीचे करने लगी।

मैंने उसे कहा- एक बार लौड़े को मुँह में ले लो, फिर चलते हैं।
उसने नीचे झुककर मेरे लण्ड को अपने मुंह में लिया जो उसके होठों में ही फंस गया। उसने जोर से मुंह खोल कर एक बार फिर ट्राई की और एक चुस्का मार कर छोड़ दिया और बोली- अब चलो।
मैंने कहा- एक बार अपनी चूत तो दिखा दो।
वह बोली- कार में कैसे देखोगे? कोई आ जायेगा, सलवार कैसे उतारूँ?

मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी पैन्टी में से चूत पर हाथ फिराया। चूत एकदम चिकनी और बिना बालों वाली थी। चूत पानी छोड़ चुकी थी।
सिमरन कहने लगी- राज! जल्दी घर चलो, वहां जो करना है कर लेना।
उसने बताया कि उसकी बहन रश्मि के साथ वह खुली हुई है, उसे वह मना लेगी। उसका हस्बैंड सब्जी मंडी में आढ़ती है और सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक वहीं रहता है। रश्मि की एक 6 साल की लड़की है।

मैंने गाड़ी आगे बढ़ाई और कोई रिस्क न लेते हुए जी टी रोड पर करनाल के पास बने एक होटल में उसे खाना खाने के बहाने ले गया।
वहाँ मैंने सिमरन से कहा- सिमरन! यदि तुम्हें बुरा न लगे तो थोड़ी देर कमरे में आराम कर लेते हैं और यहीं खाना खा लेते हैं। सिमरन एक कटी पतंग थी, और वह भी उसी समय चुदना चाहती थी, अतः एकदम मान गई।

मैंने कमरा लिया और कमरे में जाते ही बच्चे को सोफे पर सुला दिया। फिर मैंने सिमरन को बाँहों में भर कर उठा लिया और उसके मादक शरीर को चूमने लगा।

मैंने दो बियर और खाने का आर्डर किया। बैरा सारा सामान साथ ले आया। सिमरन ने एक मग बियर पिया और उसे सरूर हो गया।
मैंने उससे कहा कि वह सलवार और पैन्टी उतार दे। मैंने भी अपनी पैंट, अंडरवियर और शर्ट उतार दिया। मैंने सिमरन को कहा कि ब्रा भी निकाल दे और केवल शर्ट में मेरी गोद में बैठ जाये।
उसने वैसा ही किया।

सिमरन केवल लाल शर्ट में थी, जिसकी नीचे की गोलाई उसकी चूत के थोड़ा नीचे तक थी, वह गजब की सेक्सी लग रही थी, उसकी गोरी चिकनी जांघें और टाँगें किसी हिरोईन को भी लजा रही थी। वह मेरी गोद में आकर बैठ गई।

मुझसे रुका नहीं गया और एकदम बियर खत्म कर उसे गोद में लिटा लिया और उसकी नंगी चूत को देखा।

क्या क़यामत की चूत थी, एकदम गोरी, गुलाबी, चिकनी और फूली हुई। मैंने बड़े ही प्यार से उसकी नरम चूत पर हाथ फिराया। सिमरन आँखें बंद किये लेटी रही। मैंने उसकी शर्ट को ऊपर किया और उसके मम्मे पीने लगा और एक हाथ से उसकी चूत में बीच वाली उंगली चलाता रहा। ऐसा लग रहा था मानो उसने दो चार बार ही चूत में लण्ड लिया होगा।

उसे शर्ट ऊपर करने से दिक्कत हो रही थी, वह बैठ गई और बोली- शर्ट निकाल दूँ?
मैंने स्वयं उसकी शर्ट को निकाल दिया। अब वह मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी। क्या संगमरमर जैसा बदन था उसका। हम दोनों खड़े हो कर आपस में लिपट गए और बहुत देर तक एक दूसरे के चिपके रहे।

मैंने उसे लण्ड चूसने को कहा तो वह बोली- बेड पर लेट जाते हैं।
मैं समझ गया वह भी चूत चुसवाना चाहती है।

हम 69 की पोजीशन में हो गए और एक दूसरे के लण्ड और चूत को चूसने लगे। जब भी मैं उसके क्लीटोरियस को चूसता था तो वह मेरा लण्ड छोड़ कर मेरे सिर को अपनी गुदाज टांगों में भींच लेती थी।
कुछ देर बाद हम दोनों ने अपना अपना पानी एक दूसरे के मुँह में छोड़ दिया। मेरे लण्ड की गर्म गर्म पिचकारियाँ उसके मुंह में चलने लगी और वह आखरी बून्द तक पी कर लण्ड को चूसती रही। मैंने भी उसकी चूत को चाट चाट कर लाल कर दिया।

मैंने एक बियर और पी और हम दुबारा शुरू हो गए। जैसे ही मैंने उसके मम्मों को छेड़ा, मेरा लण्ड फिर तन गया और सिमरन भी अपनी टांगें चौड़ी करके बेड पर लेट गई। मैंने उसके गुदाज पटों पर हाथ फिराया और थोड़ा उसकी टांगों को मोड़ कर अपने लौड़े के सुपारे को उसकी छोटी सी गुलाबी चूत पर रखा और थोड़ा ऊपर नीचे रगड़ा। चूत गीली हो चुकी थी और लण्ड भी प्रीकम से चिकना हो गया था।

जैसे ही मैंने सिमरन की चूत पर लण्ड का दबाव बढ़ाया लण्ड का सुपारा अन्दर चला गया। सिमरन ने अपने दोनों हाथ मेरी छाती पर लगा लिए और बोली- धीरे धीरे डालना, आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है, मेरे हस्बैंड का तो इससे आधा भी नहीं है।

यह सुनते ही मेरे अन्दर जोश आ गया और मैने एक झटके में आधे से ज्यादा लण्ड चूत में उतार दिया। सिमरन की चीख निकल गई और उसने जोर से आँखें और दांत भींच लिए। मैंने रुक कर उसके होठों पर प्यार किया और उसके मम्मों को प्यार से सहलाया।
थोड़ी देर में वह सहज हो गई। उसने नीचे हाथ लगा कर बचे हुए लण्ड को छू कर देखा।

मैंने उसको बाँहों में भर कर, उसके कन्धों को पकड़ा और अपनी कमर से एक झटका और अन्दर की तरफ मारा। सिमरन एक बार फिर तड़पी और सारा लण्ड चूत में फंस कर बैठ गया। ऐसा लग रहा था जैसे चूत में एक बाल भी अन्दर जाने की जगह नहीं बची थी।

मैंने धीरे धीरे लण्ड को आगे पीछे करना शुरू किया। लण्ड चूत में इतना टाइट फंसा था कि चूत का छल्ला लण्ड के साथ बाहर आ रहा था। थोड़ी देर में सिमरन कुछ सहज लगने लगी और मेरा साथ देने लगी।
धीरे धीरे उसने सित्कारियाँ भरनी शुरू की। मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई। सिमरन हर धक्के पर आह… उह… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर से… चोदो… चोदो… फाड़ दो… करो… हाँ… हाँ… बोलती रही।
कमरे में फचा फ़च की आवाजें आने लगी। सिमरन कह रही थी- अब तक कहाँ थे… चोदो… चोदो… जोर से… फाड़ो… मार दो मुझे…
एकदम सिमरन का शरीर अकड़ने लगा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, वह निढाल हो गई।

मैं रुक गया और लण्ड अन्दर किये किये उसके ऊपर लेटा रहा।

कुछ देर बाद मैंने सिमरन को घोड़ी बनने को कहा, तो वह घोड़ी बन गई। क्या चिकनी और मस्त गाण्ड थी उसकी। मैंने उसे पीछे खींच कर बेड के किनारे पर किया और नीचे फर्श पर खड़े होकर उसकी चिकनी चूत में लण्ड डाला। थोड़ा चूतड़ों को एडजस्ट करके उसने पूरा लण्ड चूत में लील लिया और घोड़ी बनकर चुदने लगी। मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी जांघों को पकड़ा और घमासान चुदाई शुरू कर दी।

सिमरन ने अपने सिर के लम्बे बाल खोल दिए थे और वह हर धक्के पर अपने सिर और बालों को घुमाने लगी। वह वासना के समुद्र में गोते लगा रही थी। आठ इंच का लौड़ा सटासट चूत में अन्दर बाहर हो रहा था।

अचानक फचाफ़च की आवाजें बढ़ गई जो कमरे से बाहर सुनाई दे रही थीं। मैंने चुदाई की स्पीड कम कर दी। धीरे धीरे हम दोनों अपने अपने मुकाम के करीब पहुँचने लगे। मैंने उसके खड़े मोटे मम्मों को अपने हाथों से मसलना शुरू किया और उसकी कमर पर, लण्ड अन्दर फंसाये फांसाये, अपनी छाती टिका दी और उसकी गर्दन और कमर पर पीछे से किस करने लगा। यह उसका हॉट पॉइंट था, उसने एकदम आ…आ…आ… करके अपनी चूत से पानी छोड़ दिया और बेड पर पेट के बल पसर गई।
मैं नीचे खड़ा रह गया।

मैंने कुछ देर बाद उसे सीधा किया और बेड पर चढ़ कर उसकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा और एक जोरदार शॉट मारकर लण्ड को सीधा उसकी बच्चेदानी तक ठोक दिया। सिमरन एक बार फिर तिलमिला गई परंतु मैंने चुदाई जारी रखी।
सिमरन थक चुकी थी, उसने कहा- अब बस करो, मैं तो आज तक कभी इससे आधी भी नहीं चुदी हूँ। आपने तो सारी हड्डियाँ चटका दी हैं।

मुझे उस पर दया आ गई और 15-20 शॉट के बाद उसकी चूत को वीर्य की गर्म पिचकारियों से लबालब भर दिया और बहुत देर तक उसके गुदाज शरीर, जांघों और पटों के ऊपर मिशनरी पोजीशन में लण्ड अन्दर डाले लेटा रहा। जब हम उठे तो चूत और लण्ड के पानी से काफी चादर भीगी हुई थी।
सिमरन ने मुझे जगह जगह चूमा।

हमने खाना खाया और होटल से निकल कर रश्मि के घर 5 बजे रोहिणी पहुँच गए।

रश्मि ने सिमरन से बड़े रूठे अंदाज में कहा- चंडीगढ़ से 7 बजे की निकली हुई तुम अब पहुंची हो? फिर मेरी तरफ देख कर बोली- गाड़ी पंचर हो गई थी क्या? सिमरन कहने लगी- तू अन्दर तो आने दे, सारा हिसाब दे दूंगी।

रश्मि की चुदाई कैसे की यह अगली कहानी में लिखूंगा।
राज शर्मा
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