लिफ्ट लेकर दो लौड़े गांड में लिए
प्रेषक : अंकित मिश्रा
सबसे पहले गुरुजी को शुक्रिया और प्रणाम, फिर समूचे अन्तर्वासना स्टाफ को प्रणाम, फिर पाठकों का जिन्होंने इतने इ-मेल किये, मुझे याहू चेट के ज़रिये संपर्क किया, मेरी पहली कहानी “रिक्शा वाले से गांड मरवाई” को बेहद पसंद किया। दोस्तो, उनके लौड़ों से चुदने के बाद मुझे वो वापिस कभी नहीं मिले न उनको मेरी पहचान रही न मुझे !एक रात में क्या पहचान होगी? जाता तो मैं रोज़ ही था अपनी बुआ के घर ! मेरे साथ एक रोज़ हादसा भी हुआ। मैं वहां से रिक्शा लेने के लिए खड़ा था कि एक बन्दे को देख मुझे लगा कि वो वही है। मैंने थोड़ी मुस्कान सी दी, वो वैसे ही मुस्कुरा दिया। मुझे लगा वो ही है। उस रात दारू का नशा था। मैंने फिर स्टेशन जाने को कहा। रास्ते से दारू पी, जैसे ही रिक्शा एक कालोनी से निकल रहा था, मैंने कहा- कैसे हो?
बोला- ठीक !
मैं सीट और उसकी सीट के गैप में पाँव के बल बैठ सा गया और अपना हाथ आगे ले जा कर मैंने अपना हाथ उसके लौड़े पर ले जा लुंगी के ऊपर से उसको मसल दिया और फिर सहलाने लगा। वो चुपचाप अपनी ही मस्ती में चलाता रहा, मैंने सोचा वो ही है।
अँधेरा देख उसने रिक्शा साइड पे लगा लिया। मैंने उसका लण्ड निकाल मुँह में ले लिया। वो बोला- किस्मत खुल गई ! कोई चूसेगा गरीब का, सोचा नहीं था !
तभी पीछे से किसी ने कहा- पकड़ो इनको !
मैंने वहां से भागने की सोची और भाग गया। उसके बाद मुझे लौड़े मिलने में मुश्किल आने लगी। अपने आस-पास मैं यह काम करना नहीं चाहता था इसलिए मैं बेचैन रहने लगा। तभी मेरे साथ मेरे यह घटना घटी।
मैं अपने मोटर साइकिल से जा रहा था, एक छोरे ने मेरे से लिफ्ट मांगी। कुछ पल आगे जाकर उसने अपना बैग डिग्गी पे रख लिया और मेरा लौड़ा पकड़ कर बोला- कभी किसी की ली है? शादी हुई या अभी नहीं?
उसने जिप खोल हाथ डाल दिया।
मैंने कहा- यह सब?
बोला- यार मैं ऐसे ही अपने लिए लौड़े चुनता हूँ, ऐसे ही लिफ्ट लेकर हाथ जमाता हूँ अगर अगले बन्दे का मूड बन जाये तो ठीक, वरना ज्यादा से ज्यादा उतार देगा और क्या कर लेगा?
मैंने कहा- मैं गांड नहीं मारता, बल्कि मैं खुद गांडू हूँ, इसलिए उतर जाओ प्लीज़ !
उसे उतार मैं आगे निकल गया। वहां एक पार्किंग में बाइक पार्क किया और खुद केन्ट रोड पर पहुंचा जहाँ कोई ऑटो और रिक्शा नहीं चलते !
मैं हूँ बहुत चिकना !
काफी इन्तज़ार के बाद बुल्लेट मोटर साइकिल से हेलमेट डाले दो बन्दे आते दिखे। आर्मी का था वो बुल्लेट ! मैंने लिफ्ट के लिए डरते डरते हाथ दिया, पहले ही दो थे, ऐ चिकने, यहाँ क्यूँ खड़ा है?
जी कोई सवारी नहीं मिल रही ! मैंने मुस्कुरा के होंठ चबाते हुए कहा।
चल छोड़ देते हैं !
मैंने कहा- लेकिन कैसे? पहले ही दो लोग हो ! मुझे लेकर क्यूँ तकलीफ लेते हो ?
बैठ बीच में ! वो बोले।
डरते हुए मेरा हाथ उसके लौड़े की ओर गया अनजान सा बनते हुए मैंने सहला दिया !!!
वो बोला- अबे ओये चिकने ! ठीक से मसल !
पीछे वाले को कुछ कुछ माजरा समझ आया, उसने पीछे से दबाव देना चालू कर दिया। उसका खड़ा होने लगा और दो मिनट में मुझे चुभने लगा। आगे वाले का मैंने पहले ही खड़ा कर दिया था।
दोनों बोले- मादरचोद, तुझे देख कर ही मैं जान गया था कि लिफ्ट काहे के लिए लिया गया !
उसका लौड़ा बहुत लंबा निकला। एक हाथ पीछे ले जाकर दूसरे के को पकड़ा, उसका भी काफी बड़ा निकला। दोनों गर्म थे। दोनों ने बाहर ही एक मकान किराए पर लिया हुआ था। सीधा जाकर वहीं रुके। पीछे वाले का नाम था रामशरण और दूसरे का पुरुषोत्तम था।
राम मुझे लेकर घर गया, उसकी उम्र ३३ साल थी और पुर्शोतम की ३६ साल ! वो बाईक पार्क करके अन्दर आया, ए.सी ऑन करने के बाद राम भी कमरे में आया, दोनों ने मिलकर मुझे नंगा कर दिया। सिर्फ अंडरवियर छोड़ा जिसमें मेरा लौड़ा बन्द था। मेरी छाती देख वो भी अन्य पहले मिले लोगों की तरह हैरान से हुए।
बहुत मस्त मॉल मिला है आज !
अब मेरी बारी थी। पहले मैंने एक की पैंट उतारी फ़िर दूसरे की ! फिर एक की शर्ट साथ में ही दूसरे की ! दोनों मेरे सामने सिर्फ कच्छों में थे, फूले हुए थे। मैंने पहले राम का कच्छा उतारा और लौड़ा मुँह में डाल लिया। उसके मुँह से अहऽऽ निकला। उसका चूसते हुए ही मैंने दूसरे का कच्छा उतारा, उसका आधा खड़ा लौड़ा पकड़ा।
राम बोला- पहले इसका खड़ा करवा !
दोनों ने पेनेग्रा नाम की आधी-आधी टेबलेट ली और मुझे तब तक मसलते रहे। कुछ पल में ही दोनों के लौड़े दहाड़ने लगे। उस टेबलेट से इतनी जल्दी इतना असर देख मैं भी हैरान था। राम फ़्रिज से तीन ठंडी बियर लाया। दोनों मेरे चेहरे के करीब बैठ गए मैंने अपना मग डकार लिया, उसको और डालने को कहा। दो मग अन्दर गए। कभी एक का चूसता कभी दूसरे का ! वो बियर पीते हुए मुझसे चुसवाते देख मस्त थे। मैं उनको पूरा खुश करना चाहता था। ताकि आगे से भी मुझे उनके लौड़े मिलते रहें।
वाह यार ! तू ग्रेट है !
मैंने नशे में रंडी का रूप ले लिया था और वैसे चूस रहा था, मैंने कहा- अब मेरी गांड खुश कर दो !
वो अपने मुँह से थूक निकाल लौड़े पर लगाते हुए बीच में आया। मैं पहले से ही अपनी गांड में उंगलियाँ डाल गीला कर चुका था। उसने लौड़ा रखा, आठ इंच का लौड़ा, उसने सोचा कि इसको दर्द होगा ! लेकिन मैंने उसे कहा- बेरहम हो जाओ साईं !
उसने झटका लगाया और उसका मोटा लंबा लौड़ा घुसता गया, देखते ही पूरा अन्दर डाल दिया और लगा चोदने ! एक लौड़ा मेरे मुँह में था। गुप गुप सी सी सिसकारियाँ ले ले में उनका जोश बढ़ाने लगा- और तेज़ औ औ अह अह और और तेज़ !
वो भी मशीनगन की तरह तेज़ होता गया और एक दो जोर से झटके लगाते हुए उसका माल मेरी गांड में गिरते ही मैंने आंखें मूँद ली। साफ़ पिचकारी महसूस की थी मैंने !
उसने निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया और पुरुषोत्तम ने गांड में घुसा दिया और अब वो लगा मेरी जलन पूरी तरह से ख़त्म करने !
मैंने राम का लौड़ा साफ़ कर दिया और दूसरे ने मेरी गांड पे ज़बरदस्त धक्के लगाने शुरु किये। उसको गांड मारने का असली तरीका पता था जिससे मुझे भी मजा आ रहा था। उसने मालूम नहीं क्या किया- मेरी गांड के अन्दर गांड की कोई गुठली पर लौड़ा रगड़ना शुरु किया जिससे मैं पागल हो गया, आसमान में उड़ने लगा। उसकी एक एक रगड़ मुझे औरत जैसा मजा देने लगी। इतना गर्म हुआ कि पास में बैठे राम के सोये हुए लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगा। दूसरे ने मुझे कहा- दीवार को पकड़ कर खड़ा हो !
मेरे पाँव के नीचे उसने कुछ रख लिया और खुद पीछे खड़ा हुआ उसका लौड़ा मेरी गांड के अन्दरूनी भाग में ऊपर वाले एरिया से घिसने लगा। एक एक रगड़ जब ऊपर घिसती, मेरी आंखें बंद हो जाती। उसने घोड़ा भी बनाया और लगा रौंदने !
मैंने फिर से सामने राम के लौड़े को मुँह में डाल लिया। पुरुषोत्तम तेज़ तेज़ धक्के देता हुआ पानी छोड़ गया और निकाल कर मुँह में डलवा साफ़ करवाया। फ़िर वो मुझे बाथरूम ले गए, शॉवर खोला, साथ नहाने लगे। मेरी गांड की धुलाई की और वहीं चुसवाने लगे। पानी के नीचे चूसने का मजा अलग था। जैसे ही दोनों के तन गए मुझे पौंछकर बिस्तर पे लिटा दिया।
राम सीधा लेट गया, मैं उसके लौड़े पर बैठ गया। उसने मुझे अपने और खींच सीने से लगाया और झटके देने रोक लिए। पुरुषोत्तम पीछे से आया, राम के लौड़े के साथ अपना लौड़ा लगा दिया। राम ने निकाल लिया, दोनों ने अपने अपने लौड़ों के सर जोड़ते हुए घुसा दिए।
मेरी फट गई- प्लीज़ रुक जाओ !
लेकिन दोनों नहीं माने ! राम ने तो पूरा घुसा लिया, पुरुषोत्तम का सिर्फ सर और थोड़ा हिस्सा घुसा। जब राम का आराम से हिलने लगा तो यह देख उसने भी झटका मारा और उसका भी पूरा घुस गया। मेरी फट चुकी थी, यह देख एक ने निकाल लिया और मुँह में दे दिया। राम तेज़ तेज़ रगड़ने लगा।
इस तरह यह नंगा नाच शाम तक चलता रहा। क्या सुख पाया था !
मैंने उनके मोबाइल नंबर लिए और वहाँ से कपड़े पहन राम ने मुझे वहीं छोड़ दिया जहाँ से लिया था। मुझे चलने में तकलीफ थी लेकिन जब मुझे चुदाई याद आती तो मेरा रोम रोम मस्ती से झूमने लगता। इस तरह मेरा लिफ्ट वाला आईडिया कामयाब हुआ।
उसके बाद क्या क्या हुआ, मैं अपनी गांड चुदाई के एक एक किस्से को सबके सामने लाता रहूँगा, मुझे प्यार देते रहना, इ-मेल, चेट करते रहना !
गुरु जी, प्लीज़, मेरे किस्से छापते रहना ताकि मैं लड़ीवार अपने किस्से भेजता रहूँ !
मुझे पूरा भरोसा है आप पर और अंतर्वासना पर !
एक बार फिर से प्रणाम !
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