विधवा मकान मालकिन की सेवा करके चूत चुदाई

विधवा मकान मालकिन की सेवा करके चूत चुदाई

मेरी तरफ से हिंदी सेक्सी स्टोरी की बेस्ट साईट अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।
मेरा नाम राज है। मैं एक सीधा-साधा लड़का हूँ.. मेरी उम्र 26 साल है.. और दिखने में ठीक-ठाक हूँ। ये मेरी पहली और सच्ची कहानी है।

बात उस समय की है, जब मेरी पोस्टिंग हरियाणा के फतेहाबाद में हुई थी।
मैं एक कमरा किराए पर लेकर रहने लगा। यह घर के बाहर के हिस्से में बना रूम था.. अन्दर के हिस्से में मकान मालकिन अपने 2 साल के बच्चे के साथ अकेली रहती थी, उसका नाम साधना था।

साधना की उम्र 28 साल थी, उसका रंग गोरा.. और फिगर 34-28-34 के लगभग की थी। साफ़ साफ़ कहूँ तो साधना एक बिल्कुल मस्त पटाखा माल थी।

मैं उसे अक्सर महीने के आख़िर में ही देख पाता था, जब किराया देने के लिए अन्दर जाता था।

एक दिन अचानक अन्दर से बच्चे की रोने की आवाज़ आई। उस वक्त रात का एक बज रहा था। काफ़ी देर तक बच्चा चुप नहीं हुआ तो मैंने आवाज़ दी, पर मुझे कोई जवाब नहीं मिला।

मैंने अन्दर का गेट ठकठकाया, ये गेट घर के अन्दर खुलता था। जब कुछ उत्तर नहीं मिला तो मैंने दरवाजे को धक्का दिया.. दरवाजा खुला हुआ था, सो मैंने अन्दर चला गया।

अन्दर जाकर मैंने देखा कि साधना पेटीकोट ब्लाउज में बेहोश पड़ी है और उसे बहुत तेज बुखार भी है। मेरी कुछ समझ में नहीं आया और मैं उसे तुरन्त एक चादर में लपेट कर रिक्शे से हॉस्पिटल लेकर गया। डॉक्टर को दिखाया तो उसने एड्मिट कर लिया।

मैं साधना के बच्चे को सुलाकर वहीं बैठ गया। मैं पूरी रात जागता रहा.. सुबह 10 बजे साधना को होश आने के बाद उसने बड़े अचंभित होकर मेरी तरफ देखा और बोली- मैं कहाँ हूँ?

मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- आप चिंता न करो.. रात को बेहोशी की वजह से मैं आपको यहाँ लाया था। अब आप बिल्कुल ठीक हो.. मैं डॉक्टर से छुट्टी लेकर आपको घर लेकर चलता हूँ।
मैंने डॉक्टर से दवाइयाँ लीं..
डॉक्टर ने बोला- इनको आराम की ज़रूरत है।
मैं साधना के पास आया और उसको घर चलने के लिए बोला।

मैंने महसूस किया कि वो कुछ शर्मा रही थी। बड़ी मुश्किल से उसने नज़रें नीचे करके कहा- राज आप जब मुझे लाए थे तो रात थी.. अब दिन है। मैं इस हालत में कैसे चल सकती हूँ.. मोहल्ले वाले क्या सोचेंगे?

उसका इशारा अपने कपड़ों की तरफ था। मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं अभी आता हूँ।

मैंने बाहर एक दुकान से एक पिंक कलर की साड़ी खरीद कर उसे दे दी ‘लो जल्दी से साड़ी पहन लो।’

वो भावुक हो गई.. उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे। मैं उसके करीब बैठकर उसे समझाने लगा- इसमें रोने की क्या बात है?

मैंने उसके आँसू पोंछते हुए कहा.. तो वो मेरे सीने से लग गई। वो मुझे ज़ोर से भींचते हुए बोलने लगी- तुम नहीं समझोगे राज.. उनके मरने के बाद तुम पहले हो, जिसने मुझे साड़ी लाकर दी। तुमने उनकी तरह से पूरी रात जाग कर मेरा ध्यान रखा।

अब मुझे भी कुछ-कुछ होने लगा था, मैंने जल्दी से उसे अलग किया ‘अच्छा अब घर चलो..’

उसने मेरे सामने ही साड़ी पहनी। नई साड़ी में क्या कयामत लग रही थी। उसके बच्चे को मैंने गोद में ले लिया और हम दोनों घर आ गए।

उनको घर पहुँचा कर मैं होटल से खाना लेकर आया और अपने हाथों से उसे खाना खिलाने लगा।

मैंने ऑफिस फ़ोन कर दिया कि मैं एक हफ्ते के लिए घर जा रहा हूँ। यह कह कर मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली।

वो फ़ोन पर मेरी बात सुन कर खुश हो गई और वो फिर से मेरे सीने से लग गई।

अबकी बार मैंने भी उसे अपनी मजबूत बांहों में भर लिया। कब उसके होंठों पर मैंने होंठ रख दिए.. और कब हम दोनों एक-दूसरे को आपस में बेतहाशा चूमने लगे.. इसका अहसास ही नहीं हुआ।

उसका बच्चा सो रहा था। मैं उसे गोद में उठा कर कमरे में ले गया और उसे लिटाकर पागलों की तरह चूमने लगा।
वो भी अपने होश खो बैठी और उसका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा। कब हमने एक-दूसरे के कपड़े उतार दिए.. पता ही नहीं चला।
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उसकी चूत तो इतना करने पर ही पानी छोड़ चुकी थी। अब साधना मेरा तना हुआ लंबा और मोटा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। कुछ मिनट में ही उसने मुझे निचोड़ लिया और मेरा रस पी गई। कुछ देर तक उसे मैं सहलाता रहा।

अब वो पूरी तरह से चुदने को तैयार थी। मेरा लंड भी दोबारा खड़ा हो चुका था। अब ज़्यादा देर न करते हुए मैंने उसकी टाँगें उठाकर कंधे पर रख लीं और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया। वो मारे दर्द के बिलबिला उठी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… काफ़ी कसी हुई चूत थी उसकी।

कुछ देर रुकने के बाद वो नीचे से कमर हिलाने लगी और मैंने भी धकापेल चुदाई शुरू कर दी। दस मिनट में ही वो 3 बार झड़ चुकी थी।

अब मेरा भी होने वाला था सो मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- अब अन्दर ही करो.. मैं पूरा मजा लेना चाहती हूँ।
मैंने धक्के तेज कर दिए.. चार-पाँच धक्के में ही मेरी पिचकारी छूट गई और मैं साधना के ऊपर ही गिर गया।

उसके बाद मैंने पूरे हफ्ते रात-दिन उसे खूब चोदा और हम दोनों पति-पत्नी की तरह रहने लगे।

तो दोस्तो, यह थी मेरी सच्ची सेक्सी स्टोरी, प्लीज़ मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए मुझे इस सेक्सी स्टोरी के लिए मेल ज़रूर करें, ताकि मैं आपके लिए अपने बहुत सारे अनुभव साझा कर सकूँ।
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