विधवा साली की मज़ेदार चूत चुदाई
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा एक बार फिर नमस्कार।
मेरा परिचय तो आप जानते ही हैं मैं रितेश शर्मा, ताज नगरी आगरा का रहने वाला हूँ।
पिछली कहानी के बाद पूरे भारतवर्ष से बहुत सारे पुरुष और महिला मित्रों के मेल मिले थे जिनमें से एक मित्र ने फेसबुक पर निवेदन किया कि मैं उनकी आत्मकथा अन्तर्वासना तक पहुँचाऊँ, तो जो आत्मकथा उन्होंने मुझे बताई, मैंने उसे अपने शब्दों में वर्णन किया!
तो आगे की कहानी मेरे मित्र मोहन सिंह की जुबानी!
दोस्तो, मेरा नाम मोहन सिंह है, मैं राजस्थान के एक कस्बे का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 40 वर्ष है।
मैं इस कहानी में आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने अपनी पत्नी रमा की बड़ी बहन यानि अपनी बड़ी साली राधा देवी के साथ चुदाई की।
मेरी पत्नी की बड़ी बहन राधा 42 वर्षीय महिला है, उसके पति की मृत्यु 4 साल पहले हो चुकी है, उनका गुजारा खेती-बाड़ी से चलता था, इसके अलावा मैं भी उनकी समय समय पर मदद कर देता था, मैं हर दो तीन महीने में उनका हाल जानने उनके गाँव जाता रहता था।
मैं इस बार भी उनके गाँव गया और उनके लिए एक साड़ी और उनके इकलौते पुत्र के लिए कपड़े और कुछ मिठाई लेकर पहुँचा।
उनका घर छोटा सा है, जिसमें 3 कमरे हैं।
मुझे देखते ही वे बहुत खुश हो गए, बेटे ने मेरे चरणस्पर्श किये। मैंने उन्हें कपड़े और मिठाइयाँ दी, वो लोग बहुत खुश हुये।
मेरी साली का बेटा बोला- मौसा जी, आप बहुत अच्छे हो।
इसके बाद वो अपने कमरे में चला गया।
अब मैं और राधा देवी सोफे पर बैठे हुए थे, चाय पानी आदि से निवृत होकर मैंने उनके हाल चाल पूछे।
राधा ने कहा- बस जिंदगी कट रही है।
राधा बोली- अगर आप लोग मदद न करें तो हमारा तो गुजारा ही मुश्किल हो जाये।
फिर मैंने कहा- यह तो मेरा फर्ज है, अगर मैं आपकी मदद नहीं करूँगा तो कौन करेगा!
और मैंने जेब में रखे दस हजार रुपये उसे दिए।
उसने रुआँसी सी होते हुए रुपये ले लिए।
मैं बोला- आप परेशान क्यों होती हो? मैं हूँ ना!
इतना कहते ही मैं राधा की तरफ खिसका और उन्हें गले लगा लिया, वो और जोर से रोने लगी।
अब मैं सांत्वना देते हुए अपना एक हाथ उनकी पीठ पर ले गया और सहलाने लगा, मुझे पीछे से उनकी ब्रा की पट्टी महसूस हुई।
अब थोड़ा सा मेरा मन डोल गया और मैं उनकी ब्लाउज़ के ऊपर से ब्रा की लाइन पर हाथ चलाने लगा।
अब मैं अपने हाथ को ब्लाउज़ के नीचे जो पीठ की नंगी जगह होती है, वहाँ ले आया।
अब तक राधा देवी जिसे नार्मल समझ रही थी, अब उन्हें भी कुछ अजीब लगा और वो मेरे से अलग हो गई।
मैंने हिम्मत करके कहा- क्या हुआ? आपको अच्छा नहीं लगा?
वो थोड़ी देर तक कुछ नहीं बोली, फिर कहा- मोहन जी यह गलत है, कोई क्या कहेगा। अगर मेरी बहन अर्थात आपकी पत्नी को पता चल गया तो क्या कहेगी।
मैंने कहा- वास्तव में राधा जी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो और आप भी साडू साहब के जाने के बाद बहुत अकेली हो… मैं आपको बहुत प्यार दूँगा, प्लीज हाँ कर दो, मैं आपका बहुत ख्याल रखूँगा।
वो कुछ नहीं बोली।
मैंने कहा- कुछ तो बोलो?
फिर वो बोली- जैसी आपकी मर्ज़ी, रात में बेटे के सोने के बाद कुछ देखेंगे।
यह सुनते ही मेरी तो मन की मुराद पूरी हो गई ।
मैंने उन्हें एक बार फिर गले से लगा लिया, फिर वो उठ कर रसोई में खाना बनाने चली गई।
खाने से निवृत होने के बाद रात्रि 11 बजे वो मेरे कमरे में आ गई।
मैं तो कब से उनका इंतजार कर रहा था, मैंने आते ही उन्हें बाँहों में भर लिया।
उन्होंने कहा- लाइट तो बंद कर दीजिये, उजाले में मुझे बहुत शर्म आएगी।
मैंने कहा- डियर, उजाले में करने में ही तो मजा है।
फिर मैंने बेड पर बिठाते ही उन्हें चुम्बन करना चालू कर दिया, पहले उनके गाल पर, फिर उनके होटों पर और फिर उनकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा।
अंतत मैंने उनकी साड़ी उनके बदन से अलग कर दी। अब पेटीकोट और ब्लाउज़ में उनका भरा हुआ बदन देखते ही बन रहा था।
फिर मैं उनके बूब्स उनके ब्लाउज़ के ऊपर से दबाने लगा।
इसके बाद मैंने उनकी पेटीकोट और ब्लाउज़ को उतार दिया, वो मेरे सामने सफ़ेद ब्रा और लाल रंग की चड्डी में थी।
मैं तो पहले से ही बनियान और लुंगी में था।
ब्रा उतारते ही मैं उनके रस भरे आमों पर टूट पड़ा और लगा मीठे आमों का रसपान करने में। कभी उनके बूब्स को हाथ से दबाता तो कभी चूसता।
फिर मैंने उनकी लाल चड्डी उनके बदन से उतार दी, उन्होंने भी अपने कूल्हे उठाकर मेरा साथ दिया।
मैंने देखा कि उनकी चूत पर बहुत सारी काली काली झांटें थी, उनकी चूत झांटों के झुरमुट से भरी हुई थी।
मैं उनकी चूत के बालों में हाथ सहलाने लगा और फिर एक ऊँगली उनकी चूत में डाल दी।
फिर मैंने पूछा- चूत के बाल साफ नहीं करती?
वो बोली- किसके लिए करूँ? उनके जाने के बाद केवल पीरियड आता है, उससे पहले साफ करती हूँ महीने में एक बार बस।
फिर मैंने उन्हें लिटा दिया और उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उनकी चूत को चौड़ी करके चूत के छेद पर जीभ से चाटने लगा।
वैसे मुझे चूत चाटना अच्छा नहीं लगता था और मैं अपनी पत्नी की भी चूत बहुत कम चाटता था, किन्तु अपनी मस्त साली को देख कर कुछ भी करने को तैयार था।
उनकी चूत को चाटने लगा, वो कहने लगी- मेरे पति तो ऐसे कभी नहीं करते थे, ऐसा मज़ा मुझे पहली बार आ रहा है।
और वो मात्र दो मिनट में ही झड़ गई।
मैंने अनुरोध किया- आप भी इसे मुंह में लीजिये थोड़ा सा!
अनुरोध करने पर वो मान गई।
अब वो मेरे लण्ड को मुँह में आगे पीछे करने लगी।
अब मैंने उन्हें लेटने का कहा और अपना लण्ड उनकी चूत पर सेट किया और एक झटके में आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया और एक और झटके में पूरा लण्ड उनकी चूत में उतार दिया।
उनके मुँह से आह निकल गई।
फिर क्या था मैं दमादम धक्के लगाने लगा, वो नीचे से सीत्कार करने लगी।
अगर सच बोलूँ तो उनकी चूत 3 साल से न चुद पाने के कारण मेरा लण्ड उनकी चूत में टाईट चल रहा था जो दोगुना मज़ा दे रहा था।
वो भी नीचे से कहने लगी- करते रहिये मोहन जी, बहुत मज़ा आ रहा है आज 3 साल बाद चुदवा कर।
मैंने उन्हें 10 मिनट तक चोदा फिर मैं उनकी चूत में ही झड़ गया।
इसके बाद मैंने अगले राउंड में उन्हें विभिन्न मुद्राओं में चोदा, जिसमे मैंने उन्हें घोड़ी बना कर चोदा।
घोड़ी बनाकर चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था क्योंकि जब मेरा पूरा लण्ड घोड़ी बना कर उनकी चूत में जाता तो मेरा धक्का उनकी गांड तक लगता था और उनकी उभरी हुई गांड हिलती थी।
मैं भी धीरे-2 उनकी गांड पर चोदते हुए चपत लगाता था।
इसके बाद मैंने उन्हें अपने ऊपर ले लिया और वो अपने चूतड़ उठा उठा कर धक्के लगाने लगी।
इस प्रकार मैंने उन्हें पूरी रात चोदा, हमने 4 राउंड चुदाई की और सुबह 3 बजे कपड़े पहन कर वो अपने कमरे में चली गई।
इसके बाद मैं सुबह अपने घर लौट आया।
अब मुझे अगली बार उनके घर जाने जाने का इंतज़ार है।
दोस्तो, यह कहानी थी जो मेरे दोस्त मोहन ने भेजी थी।
उम्मीद है, आपको पसंद आई होगी। आपको कैसी लगी, अपने विचारों से अवगत जरूर करायें।
आप मुझे अपनी प्रतिक्रिया मेल करके दे सकते हैं और इसी ईमेल आईडी से फेसबुक पर भी सर्च कर सकते हैं।
धन्यवाद.. आपके मेल की प्रतीक्षा में।
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