शानदार फौजण की उफनती तरसती जवानी
सबसे पहले तो मैं अन्तर्वासना साईट का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा..जहाँ लोग अपने सेक्स के अनुभव सबके साथ बांटते हैं और अपनी भावनाएँ शेयर करते हैं।
मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ.. उसी इलाके से जहाँ के लोग सबसे ज्यादा फौज में जाते हैं।
मैं एक प्राइवेट कंपनी में अच्छा जॅाब करता हूँ.. और मस्त रहता हूँ। मेरी उम्र 24 साल है और हाईट 5 फुट 8 इंच है। कोई ज्यादा पहलवान टाईप नहीं हूँ.. एकदम छरहरा सेक्सी हूँ.. स्मार्ट हूँ.. सेक्सी औरतों और लड़कियों का दीवाना हूँ।
आज अपनी एक सच्ची कहानी आप सब से शेयर करने जा रहा हूँ, यह मेरी जिंदगी का पहला सेक्स अनुभव था।
बात तीन साल पहले की है, मैं अपने शहर में पढ़ने के लिए कमरा किराये पर लेकर रहता था। मेरा कमरा छत पर था.. छत पर टहलने के लिए काफी जगह थी।
दूसरी तरफ मेरे घर के सामने ही वाले घर की छत के दो कमरों में एक शानदार फौजण रहती थी। उम्र 32-34 होगी.. बस थोड़ी सी सांवली थी। उसका नाम मंजू (बदला हुआ नाम) था।
मैं यहाँ बता देना चाहता हूँ कि इस उम्र की औरतें चुदाई में सबसे पागल कर देने वाले दौर में होती हैं। अनुभवी, अपने मर्दों से थकी हुईं.. हर जगह से भरी हुईं.. संतुलित और लौड़े की भूखी होती हैं।
इस उम्र की औरतें आपको कच्चा खा सकती हैं, हर जगह से चूस-चूस कर पागल कर सकती हैं। किसी भी सेक्सी क्रिया के लिए मना नहीं करतीं।
मेरा तो मानना है कि इन्हें आप नहीं चोदते.. ये आपको चोद देती हैं.. पागल कर देती है। ऊपर से अगर इनमें एक और गुण हो कि यह फौजण हो.. तो फिर आप समझिये कि आपका सपना पूरा हुआ।
दोस्तो, ऐसा ही मेरे साथ हो गया था। इस शानदार फौजण में अद्भुत आकर्षण था। जब वो नहा कर अपनी मैक्सी में निकलती थी.. तो मेरा मन उसे सबसे ज्यादा चोदने को करता था। हल्की नारंगी रंग की मैक्सी में उसका बदन और भी ज्यादा कातिल लगता था।
बड़े-बड़े भारी भरकम थिरकते चूचे.. कमर पतली और गाण्ड भी एकदम बड़ी-बड़ी.. एकदम सुडौल.. कहीं से भी ना कम ना ज्यादा।
मैंने उसके इन आकारों का उसकी मैक्सी से आसानी से अनुमान लगा लिया था। मेरा एक और अनुमान था कि वो कभी भी नहाने के तुरंत बाद अंडरवियर नहीं पहनती थी.. क्योंकि जब वो बाहर आती और फिर बैठकर कपड़े धोती थी.. तो उसकी वो मैक्सी गाण्ड की दरारी में फंस जाती थी।
उसकी चाल में चुदने की कुलबुलाहट थी.. चुदने वालियों की गाण्ड घूमती रहती है.. चलते वक्त उनका पूरा बदन हरकत करता है।
एक और खास बात थी.. उसमें उसके बाल चोटी से लेकर उसकी गाण्ड की छेद तक लंबे थे। वो अपने लंबे और घने बालों को मेरे सामने ही धोती थी.. सुखाती थी और बनाती भी थी।
इस सब पर उसकी मोटी आंखें बगैर कुछ कहे ही सब कुछ कह देती थीं।
वो एक घटा थी.. जिस पर भी बरस पड़े.. उसकी सारी प्यास बुझा दे।
मैं यह मंजर रोज देखता था और वो भी मुझे रोज बीच-बीच में देख लेती थी। इसके बाद मैं उसको चोदने की संभावना तलाश कर रहा था।
मुझे मौका मिला.. उसके छ: साल के बेटे रोहन के जरिए… वो मेरे पास खेलने के लिए आ जाता था। मैंने उसे ट्यूशन भी पढ़ाना शुरू कर दिया।
इस बहाने मेरी बातचीत और मुलाकात शानदार फौजण से होने लगी।
वो मुझे ट्यूशन के रूपये देना चाहती थी.. लेकिन मैंने कभी नहीं लिए.. हमेशा टाल देता था, इसी बहाने हमारी दोस्ती बढ़ गई।
एक दिन जब उसका बेटा शाम को ट्यूशन पढ़कर जाने लगा तो मुझे साथ ले जाने की जिद करने लगा।
मैं भी बच्चे की जिद टाल नहीं पाया। जब मैं उसके घर पहुँचा तो शाम को गर्मी के मौसम में 6 बज रहे थे, मेरा पहुँचना हुआ और मंजू का नहाकर निकालना हुआ।
वहीं पागल कर देने वाली अदा.. बगैर अंडरवियर के उसकी गाण्ड में धंसती हुई मैक्सी.. पहाड़ सरीखे चूचे और हिलती हुई गाण्ड.. मुझे झुरझुरी सी आ गई।
मुझे देखते ही मंजू मेरी तरफ मुस्कुराई।
मैं होश में आया और हल्का सा मुस्करा दिया।
उसने कहा- आप तो हमारे घर आते ही नहीं।
मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. आप बुलाएंगी.. तो क्यों नहीं आऊंगा।
मैंने शिकायत करते हुए कहा।
मंजू- अच्छा तो ऐसी बात है.. नाराज हैं.. चलिए आज से रोज बुलाऊंगी। मैं कपड़े धो लेती हूँ.. आप बैठिए.. फिर बातें करते हैं।
इसी बीच रोहन ‘बाय’ करता हुआ बाहर खेलने चला गया।
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अब मैं और मंजू ही घर पर थे। मैं इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। उसी वक्त मंजू ठीक मेरे सामने बैठकर अपनी अंडरवियर और ब्रा धोने लगी।
मेरी तो हालत खराब हो रही थी, उसके चूचे अब मुझे और ज्यादा साफ दिख रहे थे, उसके कपड़े धोने से बुरी तरह हिल रहे थे।
यह सब देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था।
उसी वक्त मंजू ने नजर उठाकर मुझे देखा और कहा- आप बाथरूम से एक बाल्टी पानी लाकर दे देंगे.. तो मेहरबानी होगी।
मैंने कहा- नहीं.. इसमें मेहरबानी जैसी कोई बात नहीं है.. मैं अभी लाया।
मैं दो मिनट में बाल्टी लेकर आया और उसे दूसरी बाल्टी में डालने लगा।
मंजू बिल्कुल मेरे पास ही बैठी थी.. मैं जैसे ही पानी डालने के लिए झुका तो उसके मैक्सी के गले में से एक बार फिर मुझे चूचे दिखे। दोस्तो, मैं अपने होश खो बैठा था, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी बाल्टी का पानी खत्म हो गया।
मंजू ने मुझे जगाया- आपकी बाल्टी का पानी खत्म हो चुका है।
मैं अचानक से जागा.. इसी दौरान मेरी चोरी पकड़ी गई, मंजू ने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया था।
मैं तुरंत नजर बचाते हुए वहाँ से दूसरी तरफ चला गया। दूसरी तरफ जाते ही मुझे मंजू का पिछला हिस्सा दिखने लगा। वो उसके कपड़े धोने से आगे-पीछा हो रहा था। उसके बड़े-बड़े मतीरे (तरबूज) मुझ पर कहर ढा रहे थे, वे कभी जमीन को छूते.. तो कभी थोड़ा ऊपर उठ जाते थे।
मैं समझ गया कि आज मेरा बचना नामुमकिन है।
उसी वक्त एक हल्का आंधी का झोंका आया.. उसके वो सेक्सी बाल इधर-उधर हिलने लगे।
मंजू ने पीछे देखते हुए कहा- मेरे हाथ पूरी तरह गीले हैं.. आप मेरे बालों को रबड़ से बांध दीजिए प्लीज़।
मैंने तुरंत पास ही चारपाई पर रखा रबड़ उठाया और मंजू के पीछे जाकर उसकी गाण्ड के छेद के पास से बाल पकड़ लिए, इसी बहाने मैंने धीरे से उसके चूतड़ छू लिए.. उसने कुछ नहीं कहा।
फिर मैंने उसकी पूरी कमर को छुआ.. फिर भी उसने कुछ नहीं कहा।
मेरी हिम्मत बढ़ रही थी.. इतने में मंजू उठ गई.. मेरे सामने ही अपनी गीली अंडरवियर-ब्रा और दूसरे कपड़े सुखाए।
मेरी हालत खराब हो गई थी.. मंजू ने कहा- चलो अन्दर बैठते हैं.. आंधी आने वाली है।
हम कमरे के अन्दर चले गए।
अन्दर जाते ही मंजू खड़े होकर गैस पर चाय बनाने लगी, मैं हिम्मत करके उसके पास चला गया।
मैंने कहा- मंजू जी आपके बाल बहुत लंबे-घने और खूबसूरत हैं, आप भी बहुत खूबसूरत हैं।
इतनी तारीफ सुनते ही वो मुस्कुराने लगी, इस बार जब उसने मुझे देखा तो उसकी आंखों में आग साफ दिख रही थी।
मैंने कहा- मैं आज आपके बाल बनाना चाहता हूँ।
वो कुछ नहीं बोली.. बस उसी तरह खड़ी रही।
मैं धीरे से उसके और करीब आ गया। मैंने उसके उन रेशमी बालों को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया, उसके मुलायम बालों को अपने सर पर बिखेर लिया।
मुझे कमरे की शानदार रोशनी में भी कुछ नहीं दिखाई दे रहा था, मैंने धीरे से अपनी नाक और होंठ मंजू की पीठ पर रख दिए।
वो धीरे-धीरे मस्त होती जा रही थी।
फिर मैंने उसकी पूरी कमर को चूमा और मुँह को उसकी गाण्ड पर रख दिया, मैक्सी के ऊपर से ही उसकी गाण्ड के छेद को चूसने लगा।
वो तो पागल हुए जा रही थी, मैं पूरी ताकत से अपने होंठों और दांतों से उसके मतीरों को खा रहा था, वो बस टांगों को चौड़ा किए हुए खड़ी थी और बस ‘सीईई..ऊऊ..’ की आवाजें कर रही थी।
इतने में पीछे से भागते हुए रोहन की आवाज आई- मम्मी मम्मी..
मैं और मंजू तुरंत मस्ती से जागे और थोड़े सामान्य हुए। फिर मंजू ने रोहन को दूध गर्म करके दिया.. रोहन टीवी देखने लगा।
तभी मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों ना मंजू के साथ शराब पीने का प्लान बनाया जाए।
मैंने मंजू से कहा- आप मेरे साथ शराब पीना पसंद करेंगी।
मंजू ने कहा- वैसे तो मैं शराब नहीं पीती हूँ.. लेकिन आज आपकी दोस्ती के खातिर पी लूंगी।
तब मैंने उससे कहा- अच्छा तो मैं बाजार से लेकर आता हूँ।
तो मंजू ने बताया- आपको शराब लाने की कोई जरूरत नहीं है.. घर में एक ओल्डमोंक की बोतल रखी हुई है। मेरे पति फौज से छुट्टी आते वक्त अक्सर दो-चार बोतल खुद के लिए लेकर आते हैं। उन्हीं से एक बची हुई है। मैं उन्हें बोल दूँगी कि घर में काम करते हुए फर्श पर गिरने से बोतल फूट गई थी।
अब मैं खुशी के मारे पागल हो रहा था कि आज तो शराब और शवाब दोनों साथ ही मिल गए हैं।
उसके बाद मैं और रोहन टीवी देखने लगे।
मंजू ने हम तीनों के लिए खाना बनाया.. रोटी और पनीर की सब्जी थी। हम तीनों ने साथ ही बैठकर खाना खाया।
फिर थोड़ी देर बाद मंजू रोहन को दूसरे कमरे में सुलाकर आ गई। अब उसने थोड़ा परफ्यूम भी लगा लिया था और होंठों पर हल्की सी लिपिस्टिक और हाथों में दो गिलास और ओल्डमोंक की बड़ी वाली बोतल मेरी तरफ लेकर आ रही थी।
मैं भी मैदान मारने को तैयार बैठा था।
उसके बाद मंजू ने पैग बनाने शुरू कर दिए और हमने शुरू में तीन-तीन पैग पीए।
फिर मैंने कहा- अब हम पहले एक-दूसरे की मालिश करेंगे।
उसने नशे में झूमते हुए भी ‘हाँ’ कह दी, मंजू अन्दर जाकर सरसों का तेल लाई।
उसने सबसे पहले आते ही मेरे होंठों को पूरे जोश से खाना शुरू कर दिया, मुझे बहुत मजा आ रहा था, कभी वो मेरे गालों को.. कभी कानों को और कभी मेरी गर्दन पर चूम रही थी।
फिर एकदम से मंजू ने एक के बाद ताबड़तोड़ हमले करने शुरू कर दिए, वो एकदम अपना आपा खो बैठी थी, मैं भी उसका साथ दे रहा था।
इसी दौरान उसने मुझे पास ही रखे बिस्तर पर धकेल दिया औऱ खुद मेरे ऊपर चढ़ गई, फिर अगले बीस सेकेंड में मुझे पूरी तरह नंगा कर दिया।
मेरे मोटे तगड़े लण्ड ने मंजू को सलामी दे दी.. वो देखते ही तड़प उठी।
मैंने उसका ध्यान भटकाते हुए मालिश की याद दिलाई.. उसने तुरंत अपने हाथों में तेल मला और धीरे-धीरे मेरे पूरे शरीर पर प्यार से मालिश करने लगी।
मेरे पूरे शरीर में पहले से ही खून कई गुना रफ्तार से दौड़ रहा था.. ऊपर से मंजू की कामुक अदाएं मुझे पागल कर रही थीं। मैं आसमान की सैर कर रहा था।
इतने में ही मंजू ने लपककर मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। वो किसी पेशेवर खिलाड़ी की तरह चूस रही थी.. इसी का नाम अनुभव है दोस्तो!
मेरे पूरे बदन में मजे के झोंके उठ रहे थे… मंजू लण्ड को जड़ तक चूसती और फिर ऊपर टोपे तक जाती।
वो बार-बार ऐसे ही कर रही थी।
फिर उसने मेरे आंडों को भी चूसा.. मेरा लौड़ा तनकर मूसल बन गया था।
मैंने मंजू को इशारा दिया कि मेरा लण्ड झड़ने वाला है।
मंजू ने मुँह में झड़ने का इशारा किया और मैंने छोड़ दिया.. उसने सारा वीर्य चूस-चूसकर पी लिया।
वाह.. क्या मजा था.. फिर उसने मेरी गाण्ड भी चूसी।
आहाह.. जीवन का अद्भुद आनन्द मिल रहा था।
अब मेरी बारी थी दोस्तो.. मैं भी किसी भी मामले में पीछे नहीं रहना चाहता था, मैंने मंजू को झटककर बिस्तर पर लिटा दिया।
मंजू तो उसी तरह भूखी शेरनी की तरह मुझे देख रही थी।
मैंने भी मंजू के होंठों पर बुरी तरह किस करना शुरू कर दिया। फिर मैंने धीरे से अपनी एक टांग मंजू की मैक्सी में फंसा दी और नीचे की तरफ जाकर उसकी मैक्सी को ऊपर करके उतार दिया।
उसने भी हाथ उठाकर मेरा साथ दिया।
मैंने पहली बार उस फौजण को एकदम नंगी देखा औऱ उसकी खाल को छूकर देखा। मुझे लगा कि मैं किसी भैंस की एकदम चिकनी खाल को छू रहा होऊँ। वो एकदम चिकनी थी..
यह सब देखकर और छूकर मैं मंजू पर टूट पड़ा, पहले हाथों में तेल लगाकर उसके पूरे बदन की थकान दूर की।
मेरी मालिश से अब वो औऱ भी ज्यादा बेकाबू हो गई थी।
इससे पहले कि वो कुछ करती मैंने उछल कर उसकी दोनों टांगों के बीच अपनी लपलपाती हुईं जीभ रख दी। मेरी जीभ उसकी चिकनी चूत के अन्दर समा चुकी थी।
मैंने अब उसकी चूत को अगले 20 मिनट तक बड़ी ही बेरहमी से चूसा, उसका सारा माल पी गया, फिर मैंने भी उसकी गांड को चूसा।
अब वो बिना चुदास से पागल हो चुकी थी।
मंजू ने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई, थोड़ी देर लण्ड का चूसा और लण्ड के मूसल बन जाने के बाद अपनी चूत को मेरे लंड से लगाकर चीखते हुए उसे एक ही झटके में पूरा अन्दर ले लिया।
मैं दर्द से कराह उठा था.. क्योंकि यह मेरा पहला अनुभव था।
उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया औऱ ताबड़तोड़ झटके मारना शुरू कर दिए।
मैं सातवें आसमान पर था.. वो पीछे से अपने चूतड़ पटक-पटक कर मुझे चोद रही थी। साथ ही ‘उईई.. उउहह..’ की सेक्सी आवाजें निकाल रही थी।
वो पूरी तरह से मचल रही थी.. उसकी छातियाँ भी हिल रही थीं। मैंने अपने हाथों से उन्हें दबाकर और सख्त कर दिया था।
इसके बाद उसने एक बाद एक कोई आठ-दस बार आसन बदले होंगे।
काफी देर तक मंजू ने लगातार मुझे चोदना जारी रखा, हम दोनों सातवें आसमान पर उड़ रहे थे, मंजू आसन पर आसन लगा-लगा अपनी चूत की खाज मिटा रही थी।
मेरा छूटने वाला था और मंजू का भी.. मैंने अब मंजू को पीछे से झटके मारने शुरू किए। बस बीस-पच्चीस झटकों के बाद हम एकदम आखिर में आ चुके थे।
मंजू ने मुझे अन्दर ही छोड़ने का इशारा दिया, मैंने चंद आखिरी झटकों की पुरजोर ताकत के साथ सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया.. इसी के साथ ही वो भी झड़ चुकी थी।
कुछ देर निढाल पड़े रहने के बाद मंजू ने एक बार फिर ओल्डमोंक के पैग बनाना शुरू किए।
अब हम पूरी तरह मस्त हो चुके थे। एक बार फिर मैं मेरी उस सपनों की रानी मंजू के ऊपर चढ़ चुका था।
इसके बाद मैंने उसकी शानदार गांड भी मारी, इसका अनुभव अगली कहानी में लिखूँगा।
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