सम्भोग पूर्व क्रीड़ा मुखमैथुन-1
Sambhog Poorv Krida Mukhmaithun-1
हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम विक्की है, मैं यू.पी का रहने वाला हूँ पर फ़िलहाल पूना में जॉब कर रहा हूँ। मेरी उम्र 24 साल है कद 5’10”, रंग गेहुँआ, गठीला शरीर, देखने में भी स्मार्ट हूँ।
आज मैं आप लोगों को अपनी पहली कहानी सुनाने जा रहा हूँ, उम्मीद है आपको पसंद आएगी।
चूंकि यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना.कॉम पर, तो अगर मुझसे कोई गलती होती है तो आप अपने कीमती सुझाव भेजने का कष्ट अवश्य करें।
जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि आजकल प्रोफेशनल लाइन में सब बिल्कुल खुल कर बातें करते हैं, लड़के लड़कियाँ सेक्स की बातें भी खुल कर करते हैं।
हमारे ग्रुप में भी ऐसी बात होती रहती थीं पर मुझे यह अंदाजा नहीं था कि ग्रुप की एक लड़की पर इसका गहरा असर पड़ेगा।
उस लड़की के बारे में बता दूँ, नाम रूपा, कद 5’3″, रंग सांवला जरूर था लेकिन उसका फिगर एकदम मस्त था, चूचियाँ एकदम राकेट की तरह तनी रहती थीं, बहुत बड़ी नहीं थीं पर जब वो फिटिंग की शर्ट या टीशर्ट पहनती थी तो मेरे अंदर हलचल जरूर हो जाती थी।
और उसके हिप्स के क्या कहने… चिपकी हुई जीन्स देख कर लगता था कि पीछे से ही पकड़ कर मसल दूँ।
इतनी हलचल होने के बावजूद मैं कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि उसकी और मेरी बहुत पटती थी हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे, हर तरीके की समस्या को मिल कर सुलझाते थे।
खैर यह सिलसिला तब शुरू हुआ जब सितम्बर 2012 में हम दोनों कुछ ज्यादा ही करीब आये और आपस में ब्लू-फिल्म्स के बारे में भी बात करने लगे थे लेकिन इतना खुले नहीं थे कि ‘चूत’ ‘लंड’ जैसे शब्दों का प्रयोग करें।
उसको मेरे बारे में पता था कि मेरे कॉलेज में सम्बन्ध रहे हैं पर उसको उससे कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत हेल्पिंग और केयरिंग हूँ और उसके साथ कभी कोई ऐसी हरकत नहीं की जिसकी वजह से मेरे बारे में गलत सोचे।
ऐसे ही एक दिन ब्लू-फिल्म के बारे में सामान्य बात चल रही थी और उसने मुझसे cunnilingus (चूत चाटना) और fellatio (लंड चूसना) के बारे में पूछा, कि मेरी क्या राय है।
मैंने मजाक में कहा कि ‘क्या तुम्हारा मन हो रहा है?’
तो बोली- नहीं बस ऐसे ही लोगों की राय जानना चाहती हूँ।
तो मैंने बताया कि मेरे विचार में यह व्यक्ति पर निर्भर है कि वो यह चाहता है या नहीं… जैसे कि कॉलेज में कुछ लड़कियों को चूसना पसंद नहीं था, मैंने उन पर कभी जोर नहीं डाला और ना ही उन्होंने मुझे उनकी चाटने से मना किया क्योंकि उनको उसमें मज़ा आता था। और कुछ जानना है?
रूपा- अच्छा… तो तुम्हारे साथ कोई ऐसा भी था क्या जिसे केवल वही करना या कराना होता था?
मैं- हाँ एक ऐसी भी थी, वो कुँवारी थी और अपना कुंवारापन खोना नहीं चाहती थी उसे केवल मौखिक मज़ा लेना था।
रूपा- ओके… तो उसकी कोई स्पेशल ख्वाहिश होती थी क्या?
मैं- इस चीज में सफाई बहुत जरूरी होती है तो यह ख्वाहिश हम दोनों की ही थी बल्कि इसके अलावा कोई स्पेशल चीज नहीं कही उसने कभी।
रूपा- ओके… ओके…
और उसने फिर बात का विषय बदल दिया, मैंने भी बात को सामान्य समझ कर वहीं छोड़ दिया, इस बात से अंजान कि उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।
बस मुझे इतना समझ आया कि वो मेरी हर बात को बहुत ध्यान से सुन रही थी पर मैंने समझा उसके लिए नया है सब तो इतना रुचि ले रही होगी।
बात आई-गई हो गई।
हमारी बात सामान्य तरह से चलती रही, फिर एक दिन नवम्बर के आखिरी हफ्ते के सन्डे को उसका कॉल आया कि उसे कुछ जरूरी बात करनी है।
मैंने कहा कि कल ऑफिस आकर कर लेंगे वो कहने लगी- जरूरी है।
मैंने पूछना चाहा- इतना क्या जरूरी है, फ़ोन पे ही बता दो?
तो बोली- नहीं, फ़ोन पर नहीं सामने ही बताना है।
मैंने कहा- अच्छा मिलते हैं 10-15 मिनट में।
मैं जैसे घर पर पड़ा हुआ था, वैसे ही चला गया लोअर और टीशर्ट में।
उसने ऑफिस के पास ही बुलाया था क्योंकि सन्डे के दिन वहाँ तो खाली ही रहता है।
खैर उसे देखते ही लगा कि कुछ चल रहा है इसके मन में, क्योंकि वो मेकअप वगैरा कर के आई थी, जो कि वो सामान्यतः नहीं करती थी।
मैंने पूछा- ऐसी क्या जरूरी बात है बताओ जल्दी।
तो उसने कहा- आये हो बैठो आराम से, बात करते हैं।
मैंने कहा- तुम कह रही थी कि जरूरी बात है तो मैं ऐसे ही आ गया बताओ ना।
वो बोली- अरे यार, घर पे बोर हो रही थी तो बुला लिया। और जरूरी इसलिए बोला ताकि जल्दी आ जाओगे और वही हुआ।
और ठहाका लगा के हंस दी, मैं भी हंस के बैठ गया और बात करने लगे।
हमेशा की तरह बात सामान्य तरीके से शुरू हुई फिर मोड़ लेकर नॉन-वेज पे आ गई।
आज वो पहली बार अपनी रूम-पार्टनर्स के बारे में अपने आप खुल के बता रही थी, मेरे बिना पूछे, कि उसका ये चक्कर है, उसका वो चक्कर है।
उसकी रूम-मेट उसे सब बताते थे, वो सब भी ओरल सेक्स करते थे और बड़े से खुल के बताते थे।
मैं सब आराम से सुन रहा था कि अचानक उसने उस दिन की बात उठाते हुए कि ‘जिस लड़की के साथ तुम सिर्फ ओरल सेक्स करते थे उसके साथ कभी इंटरकोर्स नहीं किया क्या?
मैंने कहा- नहीं।
रूपा- क्यों उसने करने नहीं दिया या तुमने ही करना नहीं चाहा?
मैं- ये सब करने से पहले हमारे बीच समझौता हुआ था कि वो ओरल सेक्स के दौरान कितना भी कहे कि सम्भोग करो पर मुझे नहीं करना होगा अपने पे कंट्रोल रखना होगा।
रूपा- और अगर तुम कंट्रोल ना रख पाओ तो?
मैं- सेक्स के बीच में बार-बार उसने कहने पर भी मैंने कुछ और नहीं किया इतना तक कि वो पागलों की तरह चिल्लाती थी कि कर दो पर फिर भी मैंने नहीं किया और शायद इसी विश्वास की वजह से कॉलेज में सबसे ज्यादा मेरा उसी से चला।
रूपा- वाओ… गजब कंट्रोल है यार तुझमें तो!
मैं- हाँ जी, खैर यह मुझे उसके साथ रह के पता चला।
रूपा- मेरे साथ कण्ट्रोल आजमाएगा?
मुझे लगा कि मजाक कर रही है तो मैंने भी वैसे ही जवाब दिया।
मैं- हाँ हाँ बिल्कुल, बताओ कब कहाँ कैसे आजमाना है मुझे?
रूपा- यार, मैं मजाक नहीं कर रही, सीरियस हूँ।
और उसका चेहरा देख कर लगा कि वो वाकयी सीरियस थी, मेरी तो साँस ही रुक सी गई, मैंने कभी उसके बारे में ऐसे सोचा भी नहीं था कि ऐसे एकदम से मुझसे ऐसा करना को कहेगी, बात करना अपनी जगह है पर सही में करना अलग है।
खैर फिर भी मुझे लगा कि शायद पोपट बनाने की कोशिश कर रही है तो मैंने कहा- यार, सुबह से और कोई नहीं मिला क्या बनाने को जो मुझे पकड़ लिया?
वो और सीरियस हो गई और बोली- रूम-पार्टनर्स की सुन-सुन के मेरा मन बहुत पहले से हो रहा था कि कोई मेरे साथ भी करे पर यही डर था कि जो करेगा वो सब कुछ करना चाहेगा पर मुझे केवल ओरल का मज़ा चाहिए था। मुझे लगा कि तुमसे बात करके थोड़ी तो संतुष्टि मिलेगी पर तुमने तो और बेचैन कर दिया। मैंने खुद कभी नहीं सोचा था कि तुम्हारे साथ ही मन बन जायेगा। मैंने बहुत सोच समझ कर आज तुम्हारे सामने बात रखी है।
मैंने कहा- यह गलत है यार, हम बहुत अच्छे दोस्त हैं ये सही नहीं होगा।
वो बोली- मेरे मन में तुम्हारे लिए ऐसे ख्याल आ चुके हैं तो मैं तो अब तुम्हें नार्मल नहीं ले पाऊँगी और आज तुम्हारे कंट्रोल के बारे में सुन कर पक्का हो गया कि तुमसे ही करवाऊँगी।
मैं- कंट्रोल वाली बात बनाई हुई भी हो सकती है या फिर अगर तुम्हारे साथ खुद को रोक नहीं रह पाया तो सब कुछ चौपट हो जाएगा।
मेरा एक तरफ मन हो भी रहा था और एक तरफ नहीं भी हो रहा था, बड़ी दुविधा थी दोस्तो!
रूपा- एक और कारण है जिसकी वजह से तुम्हें चुना।
जब से बात शुरू हुई थी उसकी गर्दंन नीचे ही थी।
मैं- क्या?
जिज्ञासा हुई कि ऐसी क्या खासियत है मुझमें।
रूपा- मेरा रंग!
मैं- मतलब?
मेरे समझ में कुछ कुछ आ रहा था।
रूपा- तुमने अपने एक रिलेशन के बारे में बताया था कि वो भी सांवली थी जिसके साथ ‘सब कुछ’ किया तो मेरे साथ भी कर सकते हो और मुझे भी खुशी दे सकते हो क्योंकि मुझे तो केवल ओरल ही करना और करना है।
मैं- यह सोचना गलत है तुम्हारा की सांवले रंग की वजह से तुम्हें कोई ओरल सेक्स का मज़ा नहीं देगा।
रूपा- मेरे सभी रूम-पार्टनर्स के बॉय-फ्रेंड्स का यही मानना है काली चूत कौन चाटना चाहेगा, अभी तक तुम्ही एक ऐसे मिले हो जिसे इस चीज से दिक्कत नहीं है तो मेरा तुम्हारे तरफ झुकाव गलत नहीं है।
उसके मुँह से चूत सुन कर एक सेकंड के लिए तो मैं सन्न हो गया, खैर संभल कर बोला- ऐसे कोई भारतीय लड़की नहीं है जिसकी योनि गुलाबी होगी। भारत की हवा ही ऐसी है कि लड़का हो या लड़की उसका गुप्त अंग उसके शरीर के रंग से दबे हुए ही होंगे।
रूपा- आज तक इतना किसी को नहीं समझाया होगा, अपनी सबसे अच्छी दोस्त को ही सब समझाने को बचा रखा था क्या?
वो अब गुस्से में थी, उठी और चल पड़ी, मैंने रोका भी पर रुकी नहीं।
मुझे वाकयी नहीं समझ आ रहा था कि क्या किया जाये, कॉल भी किया पर काट दे रही थी बार-बार।
फ़िलहाल के लिए सोचा कि कल ऑफिस आके बात करूँगा रात-भर में शायद थोड़ा नार्मल हो जाये।
कहानी जारी रहेगी…
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