सहकर्मी को चुत चुदाई का मजा दिया
मेरी पिछली सेक्सी कहानी
ऑफिस में बॉस से गांड चुदाई करवाती पकड़ी गई
में आपने पढ़ा कि कैसे मैं अपने बॉस से उनके केबिन में गांड मरवा रही थी कि ऑफिस स्टाफ का एक लड़का अंदर आ गया और उसने हमें गांड चुदाई करते देख लिया.
शाम को भी मैं बस उसी बात से परेशान थी. मौसा जी वापिस अपने घर चले गए थे. अजय पढ़ाई कर रहा था.
मैं आ कर सोफे पर बैठ गई और सिर पर पट्टी बांध ली.
अजय- क्या हुआ दीदी? सर में दर्द है क्या.. कोई दवा दूँ आपको?
मैं- नहीं मैं ठीक हूँ.. बस थकान लगी है.
अजय- ठीक है, फिर आपके लिए मैं चाय लाता हूँ.
मुझे यह बात बहुत अच्छी लगी कि मेरे लिए कोई चाय बना रहा है. अजय ने बहुत अच्छी चाय बनाई थी, जिससे मेरी थकान वाकयी कम हुई.
अब मैं शाम को ऑफ़िस वाले लड़के, जिसका नाम विनय था उसको पटाने के बारे में सोचने लगी.
अगले दिन मैंने ऑफ़िस में सबसे पहले विनय से बाहर किसी कॉफ़ी शॉप पर चलने को बोला. बाहर हम लोग कॉफ़ी पी रहे थे और तब विनय सॉरी बोल रहा था.
मैंने विनय का हाथ पकड़ लिया और बोला- विनय प्लीज, तुम किसी को मत बताना.
विनय- हां नेहा, मैं किसी से कुछ नहीं बोलूंगा.
मैं- थैंक्स विनय.. तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो.
विनय- नेहा, एक बात बोलूं?
मैं- हां विनय, हम दोनों फ्रेंड्स हैं तो तुम कुछ भी बोल सकते हो.
विनय- तुम अन्दर से बहुत खूबसूरत हो नेहा.
मैं शर्मा कर नीचे देखने लगी और बोली- नहीं मैं इतनी भी खूबसूरत नहीं हूँ.
विनय- तुम बहुत खूबसूरत हो नेहा.. और तुम्हारी वो और भी ज्यादा खूबसूरत है चिकनी और गोरी सी.
मेरी चूत में अब कामुकता से कुछ गुदगुदी होने लग गई थी. मैंने विनय का हाथ दबा दिया, जिसे विनय ने भी महसूस किया और बोला- नेहा कल पूरी रात मैं बस तुम्हारे बारे में ही सोचता रहा. मन कर रहा था तुमसे कुछ अपने दिल की बात कहूँ.
मैं- विनय ऐसी बातें कॉफ़ी शॉप में नहीं करनी चाहिए, किसी ने सुन लिया तो गलत हो जाएगा.
विनय- क्या तुम मेरे साथ कहीं और चलोगी?
मैं- कहाँ चलें? कोई ऐसी जगह भी नहीं है.
विनय- मैं अकेला ही रहता हूँ. प्रॉब्लम ना हो तो मेरे फ्लैट पर चलो, फिर बातें करेंगे और फिर वापिस आ जाना.
मैंने कुछ सोचा फिर उसे हाँ बोल दिया. अब मैं विनय के पीछे उसकी बाइक पर बैठ कर उसके फ्लैट पर चली गई.
विनय- फ्लैट थोड़ा गन्दा सा है, पर तुम आराम से बेड पर बैठ जाओ.
मैं- कोई बात नहीं विनय, तुम भी बैठो.. बाद में सफाई कर लेना.
विनय- हां ठीक है.
मैं- अब बताओ विनय क्या कह रहे थे? क्या बात है तुम्हारे मन में?
विनय- नेहा तुम सच में किसी परी की जैसी हो.. तुम्हारी हर चीज बनाने के लिए गॉड ने बहुत टाईम लिया होगा.
मैं अपनी तारीफ सुन कर खुश हो रही थी और शर्मा भी रही थी. फिर विनय ने मेरे हाथ पर अपने हाथ में ले लिया और अपनी जांघों पर रख दिया.. जिसे मैंने भी नहीं हटाया.
मैं- विनय तुमको क्या अच्छा लगा मुझमें?
विनय- नेहा कुछ बातें ऐसी होती हैं, जिनको ऐसे वर्ड्स में नहीं बोल सकते. वो थोड़ी गंदी भी हो जाती हैं.
मैंने सोचा अब जब इसके सामने चुदवा सकती हूँ तो इससे सुनने में क्या जाता है.. इसलिए मैंने बोला- विनय जो भी हो बताओ बिल्कुल खुल कर.. मैं तुम्हारे होंठों से सुनना चाहती हूँ.
विनय- ठीक है नेहा.. मैं कल पूरी रात तुम्हारे बारे में सोचता रहा. तुमको याद करके अपना लंड हिलाता रहा. जब तुम्हारी चुदाई को देखा था तो मन कर रहा था, मैं भी तुमको चोद दूँ. कल पूरी रात नेहा मेरा लंड सिर्फ तुमको याद करके अपना रस निकालता रहा.
मैं विनय की बातों से उत्तेजित होने लगी और मैंने देखा विनय का लंड भी वासना से खड़ा हो गया है.. जिसके ऊपर मेरा हाथ था.
मैं- विनय तुम मेरे साथ क्या करना चाहते थे?
विनय- नेहा तुमको प्यार करना चाहता हूँ. तुमको नंगी करके तुम्हारा नंगा जिस्म देखना चाहता हूँ.
अब मैं विनय के लंड को दबाने लगी, जिससे विनय की हिम्मत बढ़ गई.
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और बोला- फिर?
विनय- तुम्हारे होंठों का रस पीना चाहता हूँ.
अब विनय ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और मैंने भी विनय की गर्दन में अपनी बांहें डाल दीं और दूसरे हाथ से विनय का लंड सहलाने लगी. हम दोनों एक दूसरे के मुँह का पानी पीने लगे. विनय ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को अपने होंठों में फंसा लिया.
धीरे धीरे उसने मेरे टॉप को ऊपर उठा दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चुचियों को दबाने लगा. साथ में मेरी जीभ को अपने जीभ से चूस भी रहा था.
मैंने विनय की शर्ट के सारे बटन खोल दिए. अब विनय ने शर्ट को उतार दिया और मेरे टॉप को ऊपर से निकाल दिया. फिर वो मेरे मुँह में मुँह डाल कर चूसने लगा और पीछे हाथ ले जाकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया.
मैं और विनय दोनों ऊपर से नंगे हो गए थे. विनय ने मेरे एक निप्पल को मुँह में ले लिया और दूसरी चुची को जोर से दबाने लगा.. जिससे मैं बहुत उत्तेजित हो गई. मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मैं विनय के बालों को सहला रही थी और उससे अपने निप्पल चुसवा रही थी.
काफी देर तक मेरे दोनों निप्पलों को चूसने के बाद विनय ने निप्पल चूसते हुए ही मेरी जींस के बटन को खोल दिया और निकलने लगा. मैंने अपनी गांड उठा कर विनय का सहयोग किया. अब मैं सिर्फ पेंटी में लेटी हुई थी, जो मेरी चूत पर गीली हो गई थी. विनय मेरे पेट और कमर को चाट रहा था और धीरे धीरे नीचे मेरी चूत तक जाने लगा.
इसके बाद विनय ने मेरी पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को चूम लिया.. जिससे मैं सिहर गई और आंख बंद करके नंगी होने का इन्तजार करने लगी. विनय ने मेरी पेंटी को साइड में किया और मेरी चूत को देखने लगा. फिर उसने मेरी चूत पर अपनी नाक को रख दिया और सूंघने लगा. उसकी गर्म सांसें मेरी चूत को बहुत अच्छी लग रही थीं.
मैंने विनय के बालों में उंगलियां डाल कर उसका सर कसके पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबा दिया, जिससे उसका मुँह मेरी चूत में लग गया.
अब विनय ने मेरी पेंटी को अपने दोनों हाथों से नीचे खींच दिया और मेरी टाँगों को फैला कर मेरी चूत में मुँह लगा कर चूसने लगा.
मैं वासना से पागल होने लगी और उम्म्ह… अहह… हय… याह… कहते हुए विनय की जीभ को अपनी गीली हुई चूत में घुसवा रही थी. विनय ने जीभ से मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया, जिसे मैं ज्यादा देर तक नहीं झेल पाई और विनय के मुँह में ही झड़ गई.
मैं झड़ जाने के बाद आँखें बंद करके लेट गई. विनय मेरी चूत का रस पीकर खड़ा हो गया और अपनी पैंट निकालने लगा.
विनय- नेहा, मेरे लंड को देखोगी, जो पूरी रात तुम्हारी याद में रोता रहा है?
मैं उठ कर बैठ गई और विनय की चड्डी के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने लगी.
विनय ने अपनी पैंट उतार दी.. और मैंने उसकी चड्डी को नीचे करना शुरू किया. अभी आधा लंड ही दिखा था कि विनय के लंड के ऊपर की तरफ छोटा सा एक तिल था, जिसे देख कर मैं मुस्कुरा दी.
विनय- क्या हुआ नेहा?
मैं- जिनके लंड के ऊपर तिल होता है, वो बहुत सेक्स करते हैं.
विनय- अच्छा क्या मेरा लंड तुमको पसन्द आया?
मैं- वो तो टेस्ट करके ही पता चलेगा.
अब मैंने विनय की चड्डी को नीचे कर दिया और उसका 7 इंच का भूरे रंग का लंड मेरे सामने आ गया.
मैं विनय के लंड को उठा कर उसके नीचे देखने लगी और उसमे मुँह लगा कर सूँघने लगी. फिर उसके सुपारे को खोल कर देखने लगी.
विनय- नेहा लंड चूसोगी?
मैं- नहीं.. मैं इसे खा जाऊंगी.
मैंने लंड को मुँह में ले लिया और जोर जोर से लंड चूसने लगी.
मैं- विनय क्या तुम सिर्फ मेरी चूत चोदना चाहते हो?
विनय- नहीं मेरी जान, मैं तुम्हारे हर छेद को चोदना चाहता हूँ.
मैं- तो देरी किस बात की?
यह कह कर मैंने विनय के लंड को फिर से मुँह में ले लिया. अब विनय ने मेरा सिर पकड़ लिया और एक झटके में लंड को मेरे गले तक पेल दिया, जिससे मुझे खांसी आ गई.
विनय- सॉरी नेहा.
मैं- जो अभी किया, वो सबसे मस्त था.. उसके लिए सॉरी मत बोलो और मेरे मुँह को जोर से चोदो.
अब विनय ने मेरे बालों को एक हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह में लंड घुसा दिया और जोर जोर से चोदने लगा. मैं लंड पर थूक थूक कर उसे गीला कर रही थी और अपना मुँह चुदवा रही थी.
कुछ देर बाद विनय झड़ने वाला था.. तो उसने लंड बाहर निकाल लिया और मेरे पूरे चेहरे पर अपने लंड का पानी निकाल दिया.
मैं- बाहर क्यों निकाला?
विनय- मुझे लगा कि तुम लंड रस नहीं पीती होगी.
मैंने जीभ निकाल कर विनय के लंड को चाट लिया और साफ करके बोली- इससे अच्छा टेस्ट किसी चीज का नहीं है.
विनय ने अपने लंड से मेरे चेहरे पर लगा हुआ वीर्य पोंछ कर मेरे मुँह में दिया और मैं विनय का पूरा वीर्य चाट गई. फिर मैं बाथरूम में जाकर अपना चेहरा साफ करके आई और मिरर के सामने बाल ठीक करने लगी.
इतने में विनय ने मेरे नंगे जिस्म को पीछे से पकड़ लिया. मेरी चुचियों को अपने हाथों में लेकर दबाने लगा और मेरे कान को चूसते हुए बोला- क्या मैं तुमसे कुछ मांग सकता हूँ?
मैं- हाँ तुम कुछ भी मांग लो.
विनय- मैं तुम्हारी पेंटी अपने पास रखना चाहता हूँ.
मैं- ठीक है रख लो.. पर क्या करोगे पेंटी का?
विनय- रोज तुम्हारी पेंटी को सूँघ कर अपने लंड को शांत कर लिया करूंगा.
मैं- अच्छा और लंड शांत नहीं हुआ तो?
विनय- यही तो सबसे बड़े दुख की बात है कि मेरे पास कोई नहीं है.. जिससे मैं अपने लंड को शांत करवा लूँ.
मैंने विनय को बांहों में ले लिया और नंगी ही उसकी बांहों में सिमट कर उसके होंठों को चूम लिया.
मैं बोली- अभी तक कोई नहीं थी.. पर अब तो है.
मेरी इस बात पर विनय ने भी मुझे कस लिया और मेरे होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया. विनय ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर 69 की अवस्था में चढ़ गया. विनय की जीभ मेरी चूत में घुस गई और लंड मेरे मुँह में फिर से घुस गया.
अब मेरी चूत को मजा आने लगा और विनय का लंड पूरा टाइट होकर 7 इंच का मूसल लंड हो गया. अब विनय सीधा होकर मेरे ऊपर लेट गया और मेरी चूत के ऊपर अपना लंड रगड़ने लगा.. जिससे मैं तड़पने लगी.
मैंने विनय को बोला- प्लीज विनय मेरी चूत को और मत तड़पाओ… जल्दी से पेल दो.
विनय ने एक करारा शॉट मारा और उसका लंड मेरी चूत में घुस गया. एकदम से लंड घुसने से मेरी चीख निकल गई- आह्ह्ह मर गई..
विनय- नेहा तुम तो चुदी हुई हो फिर भी दर्द हुआ? बॉस तो तुमको हमेशा चोदते हैं ना?
मैं- हां… पर बॉस ने काफी दिनों से मेरी चूत नहीं मारी.
विनय- इसका मतलब कल तुम बॉस से गांड मरवा रही थीं?
मैं- हां विनय.. कल बॉस को मेरी गांड से प्यार हो गया इसलिए वे सिर्फ गांड ही मारना चाहते थे.
फिर विनय ने एक और शॉट मारा, जिससे उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया. अब मैं विनय के नीचे नंगी दर्द से तड़प रही थी. विनय ने मेरी चूत में लंड घुसा कर मेरे होंठों पर किस किया और मेरे मुँह में अपने जीभ को डाल दिया, जिससे उसके मुँह की लार मेरे मुँह में आने लगी. मैं अमृत समझ कर उसकी लार को पीने लगी.
फिर विनय ने मेरे निप्पलों को चूसना और दबाना शुरू किया. अब मुझे थोड़ा सा अच्छा लगने लगा और मैंने विनय को बोल दिया- अब ठीक लग रहा है विनय.. अब जोर से चोदो मुझे.
विनय- नेहा मेरी जान, तुम्हारी चूत बहुत टाइट है.
मैं- फैला दो विनय.. चोदो जोर से.. मेरी चूत फ़ाड़ दो आज.
विनय को जोश आने लगा और वो मेरी टांगों को अपने कन्धे पर रख कर जोर जोर से मुझे चोदने लगा. मुझे मजा आ रहा था, मैं गांड उठा कर उससे अपनी चुत चुदवा रही थी.
मैं- आह्ह्ह्ह आअह्ह फ़क मी विनय.. चोदो मुझे.. आह जोर से चोदो..
विनय- आह्ह्ह आहह.. बहुत मस्त चूत है नेहा तुम्हारी.. आह आह्ह्ह..
कुछ देर चोदने के बाद विनय नीचे लेट गया और मैं उसके ऊपर बैठ कर चुदवाने लगी. विनय मेरी झूलती और थिरकती हुई चुचियों को मुँह में लेकर पीने लगा, जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था. मैं ‘आह्ह्ह आअह्ह..’ करके चुदवा रही थी.
विनय- और जोर से नेहा और तेज..
मैंने रफ्तार बढ़ा दी और खुद की चुत को झाड़ते हुए विनय के ऊपर लेट गई. विनय अभी नहीं झड़ा था, इसलिए दो पल बाद उसने मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड मेरी चूत में पेल दिया.
विनय ने मेरी गांड के छेद को उंगली से सहलाते हुए कहा- नेहा, तुम्हारी गांड बहुत खूबसूरत है.
फिर वो मेरी गांड में अपनी एक उंगली घुसा कर मेरी चूत मारने लगा. मुझे गांड में उंगली लेकर चूत चुदवाने में मजा आ रहा था. विनय अब और जोर जोर से मेरी चूत चोदने लगा और मेरी गांड में उसने अपनी 2 उंगलियां घुसा कर मेरी गांड की भी फिंगरिंग चालू कर दी.
विनय- मेरी जान मेरे लंड का रस निकलने वाला है.. कहां लोगी?
मैं- अब लंड का रस बर्बाद मत करना.. मुझे टेस्ट करना है.
विनय ने झट से चूत से लंड निकाल कर मेरे मुँह में दे दिया. मैं बड़े स्वाद से विनय का लंड चूसने लगी और विनय के लंड ने वीर्य की एक पिचकारी मेरे मुँह में छोड़ दिया, जिसे मैं पी गई. इसके बाद मैंने विनय के लंड को चाट कर साफ किया.
फिर हम दोनों लंड चूत धोकर बेड पर बात करने के लिए बैठ गए.
विनय- थैंक्स नेहा.
मैं- किसलिए?
विनय- मुझे चुत चुदाई का सुख देने के लिए.
मैं- थैंक्स मेरी तरफ से भी मुझे तुमसे अपनी चुत चुदाई करवा कर बहुत अच्छा लगा.
फिर मैं और विनय एक दूसरे को किस करने लगे.
विनय- क्या मुझे भी तुम्हरी गांड का स्वाद मिलेगा?
मैं- शायद मिल सकता है.. पर आज नहीं फिर कभी.
थोड़ी देर और बात करके हमने कपड़े पहन लिए. विनय ने मुझे मेरे फ्लैट पर छोड़ दिया और वापिस चला गया.
शाम को अजय अपना SSC का एग्ज़ाम देकर आया तो मुझे फ्लैट पर देख कर चौंक गया.
मैंने उसको बोल दिया- मेरी तबियत ठीक नहीं है.
फिर आगे क्या हुआ ये अगली सेक्सी कहानी में बताऊंगी.
बाय बाय दोस्तो… लव यू ऑल.
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इसके बाद क्या हुआ, पढ़ें मेरी अगली कहानी में: गांड मरवा कर प्रेमी को तृप्त किया
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