सेक्सी चाची की चुदक्कड़ बहनें
हिन्दी सेक्स स्टोरी पढ़ने के शौकीन अन्तर्वासना के पाठको, मैं आज आपको अपनी एकदम सच्ची कहानी बता रहा हूँ.. जिसके कारण आज मैं इतना बड़ा चोदू बना हूँ।
बात उस समय की है.. जब मेरी उम्र लगभग 18 वर्ष थी, मैं अपने गाँव में रहता था। हमारे घर के पास में मेरी एक रिश्ते के चाचा रहते थे, उनकी अभी नई-नई शादी हुई तो नई नई चाची ब्याह कर आई थीं।
वो एकदम मस्त माल थीं।
मेरा घर में आना-जाना था।
कई बार तो ऐसा भी होता कि चाची घर में बाथरूम न होने के कारण आंगन में अपनी चूचियों तक पेटीकोट को उठाकर नहा रही होती थीं और मैं अचानक घुस जाता था।
इतने पर भी वे आराम से नहाती रहती थीं। उनकी टांगों से उठे हुए पेटीकोट से चूत की दरार दिख जाती थी और मेरा लण्ड खड़ा जाता था।
परन्तु हमारे बीच रिश्ता कुछ ऐसा था कि कुछ करने की हिम्मत नहीं होती थी।
इसी बीच चाची को बच्चा होने वाला हो गया तो घर का काम करने के लिए चाची की दो छोटी बहनें उनके मायके से आ गईं।
दोनों में बड़ी बहन नीलू मुझसे लगभग 2 साल बड़ी थी और एकदम गदराई जवानी की मालकिन थी।
इधर आने के बाद से ही वह मुझसे ज्यादा घुल-मिल गई थी।
गर्मी का समय था और मैं सुबह 7-8 बजे नहाने के लिए पास की नदी में चला जाता था।
एक दिन नीलू ने मुझसे कहा- मुझे भी नदी में नहाना है.. मुझे भी ले चलो।
दूसरे दिन मैं नीलू को लेकर नदी पहुँच गया।
वहाँ पहुँच कर मैं सारे कपड़े उतार कर सिर्फ अंडरवियर में हो गया और नीलू ने अपनी सलवार को उतार दिया। वो कुर्ता और चड्डी पहन कर नदी में घुस गई।
हम दोनों पास-पास ही नहा रहे थे, आस-पास सन्नाटा था।
नीलू बार-बार पानी उछाल कर मुझे छेड़ रही थी, मैं भी उसकी तरफ पानी उछाल रहा था।
पानी से भीग कर उसका कुर्ता बदन पर चिपक गया था और उसकी छत्तीस इंच की उभार वाली चूचियां अपने पूरे आकार में दिख रही थीं.. क्योंकि उसने कुर्ते के नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी।
मेरा लण्ड उसकी चूचियां देखकर पानी में तन गया था।
मैं पानी में तैरता हुआ उसके पास पहुँच गया।
तभी नीलू ने कहा- तुमको तैरना आता है.. मुझे भी सिखा दो।
मैंने उससे अपने हाथ पर पेट के बल लेने के लिए और दोनों पैर पानी में उछालने के बारे में कहा.. तो वह मेरे दोनों हाथों पर लेट गई। उसकी दोनों सख्त चूचियां मेरे एक हाथ पर और उसकी मुलायम चूत मेरे दूसरे हाथ पर कपड़े के ऊपर से टच कर रही थी।
मेरे लण्ड के साथ मेरी भी हालत खराब होती जा रही थी।
मैंने नीलू से दोनों पैर बारी-बारी से पानी में उछालने और दोनों हाथों से पानी काटने की क्रिया बताई और उसे तैरना सिखाने लगा।
मेरा लण्ड एकदम सलामी दे रहा था। मैंने उसकी चूचियां कसके पकड़ लीं और चूत की दरार में उंगली फंसा दी और हिलाने लगा।
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थोड़ी देर बाद वह पानी में खड़ी हो गई और और मेरा लण्ड कच्छे से बाहर निकाल लिया और पकड़ कर हिलाने लगी।
इसके बाद वो पानी में बैठ कर मेरा लण्ड चूसने लगी और मेरा लण्ड उसके मुँह में झड़ गया.. जिसे वो पूरा पी गई।
इसके बाद हम बाहर आए और कपड़े बदल कर घर की ओर चल दिए।
रास्ते में वो मुझसे चिपक कर चल रही थी और मैं एकान्त में उसकी चूचियां पकड़ कर दबा देता और उसके नरम होंठों को चूसने लगता।
मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया था।
घर पहुँचते-पहुँचते 11 बजे गए थे और खाना बन रहा था।
खाना खाकर दोपहर में जब सब लोग आराम करने के लिए चले गए.. तब नीलू ने मुझे इशारा किया और अपने कमरे में चली गई।
मैं इधर-उधर देखकर थोड़ी देर बाद उसके कमरे में घुसा तो कमरे में अंधेरा था।
तभी नीलू की आवाज आई और मैं उसकी ओर जाकर उसके बगल में लेट कर उसे मसलने लगा।
मुझे पता चला कि वो तो बिल्कुल नंगी लेटी थी। उसने उठकर मुझे भी नंगा कर दिया और मेरा लण्ड चूसने लगी और मेरा सर अपनी चूत पर लगा दिया।
मैं उसकी रसीली चूत चूसने लगा.. जो पाव रोटी की तरह फूली हुई थी।
उसमें से रस निकल कर टपकने लगा और मेरे लण्ड की भी हालत खराब होने लगी।
अब नीलू सीधी हुई और मेरे लण्ड पर अपनी बुर रख कर बैठ गई। मेरा लण्ड फनफनाते हुए उसकी बुर में घुसता चला गया और वह मुझको ऊपर से पेलने लगी।
किसी बुर को चोदने का मेरी जिन्दगी का यह पहला मौका था। बल्कि यूं कहना चाहिए कि किसी बुर से चुदवाने का पहला मौका था।
मैं कहाँ उसको चोद रहा था.. वही मुझको चोद रही थी।
मैं तो उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां नीचे लेट कर मसल रहा था और वह सिसकारी भरे जा रही थी ‘हाय मेरे राजा.. बहुत दिन से तेरे लण्ड को खाने की इच्छा थी.. पर साला हाथ ही नहीं आ रहा था।’
‘मैं तो जब से तू आई है.. तब से तेरे ऊपर नजर लगाए था रानी.. पर आज तूने मेरा ही शिकार कर लिया।’
‘हाँ साले.. क्या लम्बा जिस्म और लम्बा लण्ड है तेरा.. मजा आ गया। आज तक ऐसा लण्ड नहीं खाया।’
‘तू क्या पहले चुदवा चुकी है?’
‘और नहीं तो.. ऐसे ही तुझे चोद डालती साले..’
यह कहते-कहते वो झड़ गई और मुझे कस कर दबोच लिया। उसके दबोचते ही जैसे मेरे लण्ड के अन्दर से कुछ निकल कर उसकी बुर में समा गया।
नीलू थोड़ी देर तक वैसे ही लेटी रही और मुझे चूमती रही। करीब 15 मिनट तक वह मुझसे खेलती रही तो मेरा लण्ड उसकी बुर में फिर से खड़ा हो गया।
उसे पता चल गया कि मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया है तो उसने बगल में पड़ी चादर उठाई और मेरा हाथ उस चादर के नीचे डाल दिया तो मैं उछल पड़ा।
क्योंकि उस चादर के नीचे उसकी छोटी बहन नीतू बिल्कुल नंगी लेटी थी और उसकी चूचियां पूरी तरह तनी हुई थी।
वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी और उसकी चूत से रस निकल कर बह रहा था ‘अब मेरी नीतू को चोद डाल राजा.. तो इसको भी मजा आ जाए।’
मैं उठ कर नीतू की बुर चाटने लगा और नीतू सिसकारियां ले-ले कर मेरा लण्ड चूसने लगी।
थोड़ी देर में नीलू ने इशारा किया तो मैंने अपना लण्ड नीतू की बुर पर रखा और ठेलने लगा.. पर उसकी बुर टाइट थी.. लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था।
‘ये अभी चुदी नहीं है राजा.. बस मेरे साथ खेलती रहती है.. जरा आराम से धीरे-धीरे पेल.. मैं इसको संभालती हूँ।’
नीलू ने मुझे लण्ड पेलने का इशारा किया और नीतू की चूचियां मसलते हुए उसके होंठों पर होंठ रख कर चूसने लगी।
मैंने जोर का धक्का मारा और आधा लण्ड नीतू की बुर में पेल दिया।
नीतू जोर से कसमसाई.. मगर नीलू ने उसे दबा रखा था और फिर नीतू कमर उठाने लगी जो मजा आने का इशारा था।
मैंने बाकी का आधा लण्ड भी नीतू की बुर में पेल दिया और नीलू ने अपनी बुर नीतू के मुँह पर रख दी और इधर मैं नीतू की बुर में लण्ड पेल रहा था.. उधर नीलू उससे चूत चुसवाने लगी।
कुछ मिनट चुदाई के बाद नीतू ऐंठने लगी और निढाल पड़ गई।
तब नीलू ने मुझे नीतू पर से हटा कर अपनी बुर पर बुला लिया और मैं कस-कस कर नीलू को चोदने लगा।
दस मिनट चुदाई के बाद नीलू शान्त हो गई और मैंने अपना लण्ड उसकी बुर में जड़ तक घुसेड़ कर झाड़ दिया और उसके ऊपर लेट कर आराम करने लगा।
नीतू भी हम से आकर लिपट गई।
उसके बाद हम लोगों का रोज दिन व रात में चुदाई का कार्यक्रम चाची के बच्चा होने तक चला।
इसके बाद मैंने चाची को कैसे चोदा आगे की कहानी में बताऊंगा।
प्रशान्त लखनऊ
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