सोने का नाटक
मैं अपनी पहली कहानी लिख रहा हूँ, उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी।
मेरा नाम सुशील है, मैं कोलकाता में रहता हूँ, उम्र 28 की है और मैं किराए के घर में अकेला रहता हूँ। बात उन दिनों की है जब मैं 24 साल का था और हमारी काम वाली जिसकी उम्र 34 की थी और बदनाकार 36-30-38 था, हमारे यहाँ काम करती थी। मैं उसके मस्त सेक्सी बदन को देख देख कर उसके बारे सोच सोच कर रोज अपने लंड से घंटों खेला करता था। वो जब घर पर झाड़ू लगाने लगती, तो मैं बातों-बातों में उसके जिस्म को निहारता रहता था और मेरा लंड फूल कर 7″ का हो जाता था और पैंट से बाहर आने को बेक़रार रहता था, जिसे देख कर वो मुस्कुराती थी।
एक दिन मैंने ठान लिया कि जैसे भी करके मैं उसकी बूर चोदूँगा और फिर गांड भी मारूँगा। उस दिन से मैंने योजना बनानी शुरु की। वो सुबह काम पर 6.30 बजे आती थी, तो एक दिन मैं सुबह जल्दी उठ गया, बदन से सारे कपड़े उतार दिए, अपने घर के दरवाजे की कुण्डी खोल कर वापस अपने बिस्तर पर जाकर उसके आने का इन्तजार करने लगा और अपने लंड पर थूक लगा कर उसके साथ प्यार से उसके जिस्म के बारे सोच कर खेलने लग गया।
खेलते खेलते मेरा लंड का सुपारा फूल कर लाल हो गया और मेरा लंड पूरा 7″ से भी ज्यादा हो गया। इतने में उसकी आने की आवाज सुनाई दी तो मैं चुपचाप लेट गया। वो दरवाजे पर दस्तक देने लगी तो उसे लगा कि दरवाजा तो खुला है, तो वो अन्दर आकर दरवाजा बंद कर रसोई की तरफ चल पड़ी। कमरे में अंधेरा होने के कारण वो मुझे देख नहीं पा रही थी और ख्याल भी नहीं किया।
उसने झाड़ू उठा कर मेरे कमरे की बत्ती जलाई तो देखा कि मैं पूरी तरह से नंगा हूँ और लंड पूरी तरह से खड़ा था।
उसे देख कर उसके मुँह से इस्स सस्स्स्स की आवाज निकल गई।
पर मैंने सोने का नाटक जारी रखा। वो मुझे नींद में देख कर मेरे पास आकर बैठ गई और गौर से मेरे लण्ड को निहारती रही, कुछ देर देखने का बाद उसे मस्ती सूझी और वो खुद में बड़बड़ाने लगी- हाय, कितना बड़ा है !
मेरे 7″ के खड़े लण्ड को देख कर उसकी बूर में खुजली शुरु हो चुकी थी, उसने अपना मुँह मेरे लण्ड के लाल सुपारे के ऊपर ले जाकर अपनी थूक छोड़ी तो लण्ड पूरी तरह से उसके थूक से भीग गया और पहले से भी ज्यादा चिकना और तन कर खड़ा हो गया।
मैं चुपचाप सोने का नाटक करते हुए मजा ले रहा था। पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरे लंड के सुपारे को जो लाल हो चुका था और हल्का सा रस भी टपका रहा था, उस पर आहिस्ता से अपनी जीभ फेरना शुरु किया। मुझसे तो रहा नहीं जा रहा था पर फिर भी मैंने चुपचाप अपनी आँखें बंद रखी।
वो शायद समझ चुकी थी कि मैं सोने का नाटक कर रहा हूँ, इसलिए उसने बिना कुछ सोचे मेरे लण्ड को अपना मुँह में लिया और प्यार से चूसना चालू कर दिया। उसकी सांसें जोर से चल रही थी और वो पूरे होश खोकर मेरे लण्ड को अपनी मुँह में ले चूसे जा रही थी।
और कुछ एक मिनट बाद उसने मुझे पुकारा- सुनील, अब उठ भी जाओ, मैं जान चुकी हूँ कि तुम सोने का नाटक कर रहे हो !
यह सुन कर मैं उठ गया और उसे अपने बाँहों में भर चूमने लगा। फिर मैंने कहा- मेरी रानी, अपने कपड़े तो उतारो !
उसने कहा- तुम ही उतार दो !
मैंने झट से उसके कपरे उतारने शुरु किए और उसे पूरी तरह नंगा कर दिया। उसका नंगा बदन देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया क्योंकि उसकी चूचियाँ और चुचूक पूरे तने हुए थे और बुर पर काली झांटें भी थी।
मैं कुछ सोचे बिना उसके चुचूक अपने मुँह में लेकर एक बच्चे की तरह चूसने लगा और वह कहती रही- राजा पी ले स्स्स्सस्स्स्स …. म्मम्मम .. और पी ! और पी .. ख़त्म कर दे सारा दूध .. बहुत दिन से भरी पड़ी हैं ये ! हअइ रअजअ ससससस..मइनइ अअकहइ हओओओ !
मैं उसकी बुर में ऊँगली करने लगा, 2-3 मिनट बाद मैंने उठ कर उसे 69 की अवस्था में ले कर अपने ऊपर चढ़ा लिया और प्यार से उसकी बुर चाटने लगा।
उसने कहा- हय राजा चाटते रहो, म्मम्म… अअअहहहहह… रुकना मत चाटते रहो !
कह कर मेरे लण्ड अपने मुँह में ले चूसने लगी। पूरा घर चप -चुप -उप्प्प की आवाज़ से भर गया।
एक ही मिनट बाद मेरे लण्ड ने पूरा रस उसके मुँह में छोड़ दिया और वो उसे चाट चाट कर गटकने लगी, साथ ही वो भी मेरे मुँह पर झड गई और मैं भी उसकी बुर का पानी बड़े मजे के साथ चाटने लगा और पूरी बुर अपनी जीभ से साफ़ कर डाली।
हम दोनों बिस्तर पर लेट गए… पूरी रात न सोने के कारण मैं चुपचाप लेटे-लेटे सो गया।
और उसके बाद की कहानी मैं दूसरे भाग में लिखूँगा।
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