होने वाली बीवी का गांडू भाई-3
इस सेक्स स्टोरी के पिछले भागों
होने वाली बीवी का गांडू भाई-1
होने वाली बीवी का गांडू भाई-2
में अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने अपनी होने वाली बीवी के गांडू भाई की गांड मारी और दोस्तों को दी गई शादी की पार्टी में अपने पुराने गांडू दोस्त लोकेश द्वारा उत्तेजित किए जाने पर उसकी गांड भी चोदी।
जल्दी ही शादी का दिन भी आ गया. घुड़चढ़ी में लोकेश भी मेरे दोस्तों के साथ नाचने में मग्न था। घुडचढ़ी हुई और फूलों से सजी कार में मुझे बैठा दिया गया। मेरे साथ मेरी बड़ी बहन के बच्चे और मेरा एक करीबी दोस्त भी था।
सब लोग अपनी-अपनी कारों में बैठे और हम शादी के लिए रवाना हो गए।
लड़की वालों के गांव में पहुंच कर बारात के रुकने के स्थान पर जलपान करने के बाद मुझे रथ में बैठा दिया गया और फिर से मेरे चाहने वालों और रिश्तेदारों ने बैंड बाजे के सामने नाचना कर दिया।
आधे घंटे बाद लड़की वालों के घर पर बाराती पहुंचे और वरमाला के बाद फेरों की तैयारी होने लगी।
लड़की का नाम बबीता(बदला हुआ) था। फेरों के लिए मंडप सज गया और पंडित ने अग्नि प्रज्वलित कर दी। पंडित के पीछे और अगल बगल में लड़की वाले और मेरे पीछे लड़के वाले और बाराती बैठे हुए थे।
पंडित ने मंत्र पढ़ने के दौरान लड़की का हाथ मेरे हाथ में रखवा दिया। उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरी ठरक ने उछाला मारा और लंड को पैंट में आकार देना शुरु कर दिया लेकिन बैठे होने के कारण लंड का दम घुटने लगा और पूरी तरह से अपने आकार में आने से पहले ही रुक गया।
ये सब इसलिए हो रहा था कि मैंने बबीता की नंगी फोटो देख रखी थी और उसके चूचों और चूत के बारे में सोचते ही लंड फिर से मेरी टाइट फ्रेंची में कसमसा कर रह जाता।
ऐसा दो तीन बार हो चुका था लेकिन लंड पूरी तरह से बैठा नहीं था।
पंडित ने लड़की के भाई यानि प्रियांशु को भी बुला लिया। सेहरे के अंदर से मैं सबको देख रहा था। लोकेश मेरी दाहिनी तरफ मुंह लटका कर बैठा हुआ था जबकि टिंकू मेरी बाईं तरफ बैठा हुआ प्रियांशु की तरफ देखते हुए मुस्कुरा रहा था। प्रियांशु भी टिंकू की तरफ देखकर अपना एक्सप्रेशन देने से बच रहा था। उसके चेहरे से पता चल रहा था कि वो कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है।
पंडित ने फेरों के लिए हमें खड़े होने के लिए कहा। मैं खड़ा हुआ तो मेरा आधा सोया हुआ लंड भी मेरी टाइट पैंट में अलग से दिख रहा था जिसे प्रियांशु चुपके नज़र बचाते हुए देख जाता था।
वो मेरे लंड के साइज़ से अच्छी तरह वाकिफ था और उसे पता था कि कुछ देर पहले मेरा लंड खड़ा होने के कारण ही इस शेप में दिखाई दे रहा है।
मैं मन ही मन सोच रहा था कि चूत के साथ साथ इसके भाई की चिकनी गांड भी मुझे मिल रही है। लेकिन फिलहाल अपने आधे सोये हुए लंड के कारण मैं थोड़ा शर्मिंदा भी हो रहा था क्योंकि अगर इसी तरह के विचार आते रहे तो लंड पूरा खड़ा हो जाएगा और कैमरे मे फिल्म के दौरान सब कुछ साफ-साफ पता चल जाएगा कि मैं कितना ठरकी हूं। इसलिए मैंने सेक्स की बातों से अपना ध्यान हटा लिया और फेरों पर ध्यान लगाने की कोशिश करने लगा।
फेरे जल्दी ही खत्म हो गए और आधे घंटे में बाकी की रस्में भी कर ली गईं। उसके बाद मुझे खाना खिलाया गया और विदाई का समय आ गया।
औरतों का रोना-धोना शुरु हुआ, दुल्हन गाड़ी में आकर बैठ गई। गाड़ी को मेरा करीबी दोस्त चला रहा था और प्रियांशु भी अगली सीट पर ही बैठा था। विदाई के बाद हमारी कार वापस दिल्ली की तरफ चल पड़ी।
घर आकर फिर से रस्मों का दौर शुरु हो गया। मैं तो सच में पक ही गया था। कितने झंझट करने पड़ते हैं यार एक चूत की खातिर।
पूरे दिन की थकान से हालत ऐसी हो गई थी मानो बस अभी बिस्तर पर जाकर गिर जाऊं लेकिन वो हरामी फोटो वाले भी खूब परेशान कर रहे थे; कभी ये पोज़ दो, कभी वो पोज़ दो, अभी ऐसे हाथ रखो, कभी वैसे बांहों में लो।
उनका ड्रामा खत्म हुआ तो रिश्तेदारों और दोस्तों की लाइन लग गई।
अब मुझे सच में गुस्सा आ रहा था लेकिन झूठ मूठ का मुस्कुराना पड़ रहा था। जैसे तैसे करके रात के 2 बजे छुटकारा मिला और मैं अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर गिर गया। अब मुझमें बिल्कुल भी हिम्मत नहीं बची थी; बेड पर गिरते ही मुझे नींद आ गई।
दरवाज़े की खट-खट के साथ आंख खुली तो सुबह हो चुकी थी, माँ मुझे बाहर आने के लिए कह रही थी।
मैंने उठ कर हाथ मुंह धोया और फ्रेश होकर नीचे चला गया। आज दुल्हन को दोबारा उसके घर ले जाना था। नहा धोकर जल्दी से तैयार कर दिया गया और टिंकू ने गाड़ी निकाल ली।
प्रियांशु भी साथ ही था।
11 बजे के करीब हम फिर से लड़की को उसके मायके के लिए लेकर चल पड़े।
वहां जाकर खाना खाया और सबसे मिलने के बाद वापस चलने की तैयारी होने लगी।
शाम के 5 बजे हम वापस घर आ गए। आज हमारी सुहागरात थी जिसको लेकर पहले से ही कमरा तैयार कर दिया गया था।
रात के 8 बजे खाना खाने के बाद मैं कमरे में गया तो बबीता बिस्तर पर लेटी हुई थी; शायद उसे नींद आ गई थी। दरवाज़े की आवाज़ के साथ वो उठ बैठी और उसने साड़ी का पल्लू सिर पर डाल लिया।
मैंने कुर्ता पजामा पहना हुआ था।
चुदाई के ख्यालों के चलते मेरा लंड तो पहले ही मेरे अंडरवियर में मचल रहा था।
मैंने बबीता को पहले तो थोड़ा रिलेक्स फील करवाया ताकि उसे यह न लगे कि मैं उसकी चूत मारने के लिए मरा जा रहा हूँ। जब वो थोड़ी कम्फर्टेबल हो गई तो मैंने उसे अपनी छाती पर लेटा लिया।
सामने टीवी चल रहा था।
धीरे धीरे मैंने उसकी बाजुओं पर हाथ फिराना शुरु कर दिया।
मुझसे ज्यादा कंट्रोल नहीं हो रहा था और जल्दी ही मेरे हाथ उसके चूचों पर पहुंचने की कोशिश करने लगे। थोड़ी झिझक भी हो रही थी लेकिन बबीता भी किसी तरह का विरोध नहीं कर रही थी। मैंने बबीता का मुंह अपनी तरफ घुमाया और उसके होठों को चूसना शुरु कर दिया।
मैंने अगले कुछ ही पल में उसको बिस्तर पर लेटा लिया और उसके चूचों को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा। बबीता के हाथ भी मेरे बालों में आकर फिरने लगे जिससे मुझे उसके गर्म होने का संकेत मिल रहा था।
कुछ देर उसके होठों को चूसने के बाद मैंने उसके ब्लाउज को उतरवा दिया और उसके चूचों को नंगा कर दिया। उसके मोटे चूचे मेरी आंखों के सामने झूल गए। मैंने दोनों हाथों में दोनों चूचों को भर लिया और उसके निप्पलों को बच्चे की तरह चूसने लगा।
वो भी हल्के से कसमसा रही थी।
बीच बीच में मैं उसके निप्पलों को दांतों से काटता तो उसके हाथों की पकड़ मेरी कमर पर बढ़ जाती थी। उसके चूचों को चूसते हुए मैंने उसकी साडी़ की सिलवटें खोल दीं और नीचे हटाते हुए पेटीकोट का नाड़ा भी खुलवा लिया।
मैंने उसके पेटीकोट में हाथ डाला और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा। उसकी चूत की फांकें उसकी पैंटी में अलग से उभरी हुई मेरे हाथों पर महसूस हो रही थीं। मैंने पेटीकोट को पूरा उतरवा दिया और उसकी पैंटी को नीचे खींचते हुए सीधे अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिए और उसकी टांगों को चौड़ा करवा कर चूत को चाटने लगा।
उसकी चूत में जीभ अंदर डाली तो उसके कामरस का स्वाद मेरे मुंह में आने लगा जिसके अहसास से मेरे लंड ने पजामे के अंदर ही बगावत शुरु कर दी।
मेरा लंड मानो अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने के लिए मरा जा रहा था, झटके पर झटके मार रहा था।
कुछ देर तक लंड को तड़पाने के बाद मैंने अपने कपड़े उतारे और पजामे को निकाल कर एक तरफ डाल दिया। अब मैंने बबीता की टांगों के बीच में अपना अंडरवियर वाला नुकीला भाग लगा कर उसके होठों को फिर से चूसना शुरु कर दिया।
उसके चूचे इतने मस्त थे कि मन कर रहा था उनको काट ही लूं।
लेकिन बीवी तो मेरी ही थी… इसलिए थोड़ा कंट्रोल भी कर रहा था।
मैं अंडरवियर समेत ही लंड को उसकी चूत पर रगड़ता हुआ उसके होठों को चूसने का आनन्द ले रहा था।
कुछ देर तक ऐसा करते रहने के बाद बबीता ने खुद ही मेरा अंडरवियर निकलवा दिया और मेरे तने हुए लंड को अपने हाथ से चूत के मुंह पर रखवा कर मुझे अपनी तरफ खींचते हुए मेरे होठों को चूसने लगी।
उसने अपनी टांगें मेरी कमर पर लपेट लीं और लंड धीरे धीरे चूत में अपना रास्ता बनाने लगा। स्वर्ग सा आनन्द जिसको शब्दों में कहा नहीं जा सकता, उसका अहसास होने लगा। पूरा लंड चूत में उतरने के बाद मैंने बबीता की चूत में लंड को अंदर बाहर करना शुरु किया और अपने जोश को काबू में रखते हुए मैं धीरे धीरे बबीता की चूत को चोदने लगा, साथ ही उसके होंठों को भी छोड़ने का मन नहीं कर रहा था।
नई चूत थी इसलिए जल्दी ही लंड ने मेरा साथ छोड़ दिया और 5-7 मिनट में ही मैं बबीता की चूत में झड़ गया।
हालांकि सेक्स टाइम बढ़ाने की गोली भी खाई थी लेकिन उसका भी कुछ खास असर नहीं हुआ।
4 दिन की छुट्टी और बची थी, इस बीच जब भी मुझे मौका मिलता मैं अपनी बीवी की चूत मार लेता। कभी कभी तो दिन में भी और रात में तो दो बार किए बिना चैन नहीं मिलता था।
एक हफ्ते के बाद बबीता को वापस मायके छोड़ने के लिए जाना था। पहली रात को मैंने उसकी चूत को जम कर रगड़ा क्योंकि उसके बाद मुझे भी ऑफिस जाना था और एक महीने बाद ही वापस आना था।
अगले दिन टिंकू और लोकेश को लेकर मैं बबीता के मायके पहुंच गया। वहां प्रियांशु ने हम तीनों की खूब खातिरदारी की।
लोकेश और मैं बेड पर लेटे हुए थे, प्रियांशु भी हमारे सामने सोफे पर बैठा हुआ था। वो बार बार मेरी पैंट की जिप की तरफ देखे जा रहा था। मुझे उस पर गु्स्सा आ रहा था क्योंकि मैं इस वक्त उस तरह के मूड में नहीं था।
मैंने लोकेश की तरफ देखा तो वो प्रियांशु को देख कर हल्के से मुस्कुरा रहा था; उसकी मुस्कुराहट में कुछ राज़ छिपा हुआ था।
मैंने प्रियांशु के जाने के बाद लोकेश से पूछा- तेरे मन में बड़े लड्डू फूट रहे थे, बड़ा मुस्कुरा रहा था उसे देख कर!
लोकेश ने कहा- ये भी मेरी ही कैटेगरी का है.
“तुझे कैसे पता?” मैंने पूछा।
तो लोकेश ने अपने फोन में एक वीडियो दिखाया जिसमें प्रियांशु मेरे छोटे भाई टिंकू का लंड चूस रहा है.
मैं वीडियो देखकर सन्न रह गया।
मैंने वीडियो को फॉरवर्ड करके देखा तो आगे टिंकू प्रियांशु पर चढ़ा हुआ था; उसने प्रियांशु की टांगें अपने हाथों में पकड़ रखी थीं और उसकी गांड में लंड को पेल रहा था।
मैंने मन ही मन कहा ‘साला मेरे भाई पर भी हाथ साफ कर गया।’
बड़ा ही पहुंचा हुआ गांडू निकला ये तो।
लेकिन इसने ये किया कब..?
मैंने वीडियो की डेट देखी तो ये उसी डेट का वीडियो था जिस दिन मैं छुट्टी लेने के लिए जयपुर गया हुआ था। मैं समझ गया कि मेरे पीछे से इसने टिंकू को भी फंसा लिया। तभी मैं कहूं कि फेरों के वक्त टिंकू प्रियांशु को देखकर स्माइल क्यों कर रहा था।
मैंने लोकेश से पूछा- तेरे पास ये वीडियो कहां से आई?
लोकेश ने बताया- टिंकू ने शादी के एक दिन पहले खुद मुझे ये वीडियो दिखाई थी।
उस दिन के बाद से मैंने प्रियांशु से कन्नी काटना शुरु कर दिया। मैं ना तो उसके मैसेज का रिप्लाई देता था और ना ही उसके फोन उठाता था।
वापस आकर मैंने फिर से ऑफिस ज्वॉइन कर लिया लेकिन चूत की कमी बहुत खलती थी। मैं सोचता था कि लोकेश ही सही निकला यार, मैंने उसकी फीलिंग्स को कभी समझा ही नहीं। कम से कम वो हर किसी के साथ गांड मरवाता तो नहीं फिरता। और जब बोलता हूं मेरे लिए तैयार खड़ा रहता है।
अब मुझे अपने किये पर पछतावा हो रहा था।
इधर प्रियांशु के लिए मेरी बेरुखी का क्या नतीजा निकलने वाला है ये मैं नहीं जानता था।
जब मैं घर वापस लौटा तो मैं अगले दिन लोकेश से मिलने गया लेकिन उसने मुझसे ठीक ढंग से बात नहीं की।
मैंने कहा- तेरी प्रॉब्लम क्या है यार… जब मैं बात नहीं करता तो तुझे दिक्कत होने लगती है, और अब मैं तुझसे मिलने आया हूं तो तू मुझे इग्नोर कर रहा है।
लोकेश ने कहा- मेरे पास आने की तुम्हें जरूरत ही क्या है; उस रंडी प्रियांशु के पास ही रहा करो।
मैंने पूछा- अब क्या हो गया, मुझे उससे क्या लेना-देना है?
लोकेश ने कहा- लेना देना तो तुम दोनों काफी बार कर चुके हो, अगर मुझे पता होता कि तुम इतने गिरे हुए निकलोगे तो कभी तुम्हारे पास ना जाता, अब मुझे अपने आप पर घिन आती है। कहते कहते लोकेश का गुस्सा आंसुओं में बदल गया।
“क्या कहना चाहता है तू, साफ साफ बता ना… ड्रामे क्यों कर रहा है?”
लोकेश ने फोन में कुछ फोटो निकाली और मेरी आंखों के सामने करते हुए कहा- मुझे सब पता है तुमने किसके साथ क्या क्या गुल खिलाए हैं… अब मैं किसी पर भरोसा नहीं करुंगा, और खा़स कर तुम जैसे टॉप पर जिसको सेक्स के अलावा कुछ दिखाई ही नहीं देता!
मैंने उसके हाथ से फोन छीन कर फोटो देखी तो पहले मैं हैरान रह गया और बाद में मेरे अंदर जैसे आग लग गई। उस हरामी प्रियांशु ने उसकी गांड मारते हुए मेरी मेरी फोटो खींच ली थी।
लोकेश ने कहा- अब कह दो कि ये फोटो भी तुम्हारी नहीं है… है ना? टिंकू ने ही भेजी हैं मुझे ये पिक्चर्स…
मेरा दिमाग बुरी तरह से खराब हो गया और मैं वहां से गुस्से में निकल आया। मैंने सोच लिया था कि उस साले प्रियांशु को तो मैं छोडूंगा नहीं; उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरी फोटो खींचने की।
फिर सोचा, लेकिन ग़लती मेरी भी तो थी।
मैंने ही अपनी ठरक के चलते उसकी गांड मारने की गलती की और आज मैं अपने भाई और सबसे अच्छे दोस्त दोनों की ही नज़रों में गिर गया।
दोस्तो, इसी तरह के लोगों से समलैंगिक समाज बदनाम है, लेकिन जिंदगी में सेक्स ही सब कुछ नहीं होता। यह बात जब तक समझ में आती है तब तक हम बहुत कुछ खो चुके होते हैं।
ये कहानी सिर्फ समलैंगिक ही नहीं बल्कि गैर समलैंगिक लोगों पर भी लागू होती है। अपनी हवस के चलते हम अक्सर इस तरह की गलतियां कर बैठते हैं जिन पर पछताने के सिवा हमारे हाथ में कुछ नहीं बचता।
मेरी बीवी की सुहागरात की चुदाई कहानी कैसी लगी?
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