फ़ेसबुक से मिली सरिता की वासना
हैलो मेरी प्यारी सेक्सी भाभियो.. आप सभी को अभि का लण्ड उठा कर सलाम..
प्यारे दोस्तो, ये मेरी पहली कहानी है। मैंने यहाँ पर अधिकतर कहानियाँ पढ़ी हैं मुझे इन कहानियों को पढ़ कर बहुत मजा आता है। मैं आपको एक असली घटना बताने जा रहा हूँ.. जो आप लोग पढ़ने के बाद मुझे बताना कि आपको वो सच्ची लगी है.. या फिर झूठी..
मैं खुद कुछ भी नहीं बताऊँगा कि मेरी कहानी सच्ची है.. वो आप लोग खुद तय करना.. तो मैं अब अपनी कहानी पर आता हूँ।
मैं अभि गुप्ता.. 21 साल का हूँ। मेरा लंड 7 इंच से थोड़ा लंबा और 3 इंच करीब मोटा है। कुछ लोगों को झूठ लगेगा.. वो मुझे ईमेल करके कैम पर मेरा लण्ड देख सकते हैं।
मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है..
बात अब से 3 महीने पहले की है.. जब मैं अपने इम्तिहान देकर घर पर खाली बैठा बोर हुआ करता था।
मेरी फेसबुक पर आईडी थी.. पर मैंने ज़्यादा फ्रेण्ड नहीं बनाए थे।
एक दिन मेरे मन में आया कि नए लोगों को अपनी लिस्ट में एड करूँ.. तो मैंने फ्रेण्ड रिक्वेस्ट भेजना स्टार्ट किया।
मैंने कुछ लेडीज.. कुछ गर्ल्स.. को फ्रेण्ड रिक्वेस्ट भेजी.. कुछ ने मेरी रिक्वेस्ट स्वीकार की.. कुछ ने नहीं की..
मैंने सोचा जिन्होंने रिक्वेस्ट स्वीकार की है.. उनसे कुछ बातचीत की जाए।
तो मैंने देखा कि उनमें से एक लड़की ऑनलाइन थी.. सरिता शर्मा (बदला हुआ नाम है)
उसका रियल नाम नहीं लिखूंगा दोस्तों.. माफ़ करना.. क्योंकि वो विवाहिता है।
उसने अपनी असली फोटो फेसबुक की प्रोफाइल में नहीं लगा रखी थी।
इसलिए पहले तो मुझे भी लगा कि वो कोई फेक आईडी है.. पर धीरे-धीरे जब उससे मेरी बात हुई.. हमने एक-दूसरे के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो दिल्ली से है और एक हाउसवाइफ है।
मैंने भी उसे बताया- मैं दिल्ली से ही हूँ।
तो वो बोली- अच्छा.. आपकी उम्र क्या है?
मैंने बोला- 21.. और आपकी?
तो बोली- 30 साल।
मैंने कहा- आप दिखने में बहुत सेक्सी होंगी?
वो कुछ नहीं बोली और ऑफलाइन हो गई।
मैंने सोचा कि बुरा मान गई होगी।
मैंने उसको ‘सॉरी’ लिखा.. पर कोई जबाव नहीं आया।
अगली सुबह उसका ‘गुड मॉर्निंग’ का मैसेज आया।
मैंने भी जबाव दिया और पूछा- कल ऑफलाइन क्यों हो गई थी?
बोली- हबी आ गए थे।
तो मैंने कहा- ओके..
इसी तरह हमारी रोज बात होती थी.. धीरे-धीरे हम काफ़ी क्लोज़ हो गए। हम रात 12 बजे तक चैट करते थे..
फिर एक दिन मैंने कहा- मुझे आप अपनी एक पिक दोगी।
तो वो बोली- ओके.. पर वादा करो कि किसी के साथ शेयर नहीं करोगे।
मैंने कहा- ओके..
दोस्तों क्या बताऊँ.. क्या गजब की माल थी वो.. मेरा लंड तो उसका पिक देखते ही खड़ा हो गया।
मैंने उससे बोला- आप बहुत सेक्सी और खूबसूरत हो।
वो बोली- थैंक्स।
फिर उसने मुझसे मेरी पिक माँगी.. मैंने दे दी।
इसी तरह धीरे-धीरे हम एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए।
अब बारी आई फोन नम्बर साझा करने की.. मैंने उससे उसका मोबाइल नम्बर माँगा.. तो उसने मना कर दिया।
बोली- अपना दे दो.. जब फ्री होऊँगी.. तो तुम्हें कॉल करूँगी।
मैंने नम्बर दे दिया।
उसी रात 10 बजे एक कॉल आई.. मैंने फोन उठाया। वो बोली- मैं सरिता बोल रही हूँ।
मैंने कहा- उम्मीद नहीं थी डियर.. आप इतनी जल्दी कॉल करोगी।
वो बोली- अच्छा डियर तक आ गए..
मैं हँस पड़ा।
हमारी करीब 20 मिनट तक बात हुई.. फिर उसने कहा- कल बात करते हैं।
उसने एक चुम्बन दिया और फोन कट कर दिया।
मैं शॉक था.. कि आज उसने चुम्बन क्यों किया।
फिर दिन बीतते गए और हम दोनों अब केवल फ्रेण्डस से गर्ल-फ्रेण्ड ब्वॉय-फ्रेण्ड बन गए थे.. फोन सेक्स करने लगे थे।
मैंने एक दिन बोला- मुझे तुमसे मिलना है।
वो बोली- मेरी जान कोई दिक्कत हो जाएगी।
मैंने वादा किया- कोई दिक्कत नहीं होगी।
तो उसने कहा- ओके.. रविवार को मिलेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
हम दोनों एक रेस्टोरेंट में मिले.. हम लोगों ने साथ कॉफी पी.. और फिर एक पार्क में चले गए।
उसे दिन मैंने उसे हकीकत में चुम्बन किया।
दोस्तो.. सच बता रहा हूँ.. क्या रसीले होंठ थे.. मैं होंठों को चूस रहा था।
मैंने एक हाथ से उसके मम्मों को दबाया तो वो बोली- डियर, ओपन में ये सब ठीक नहीं है।
मैंने कहा- तुम इतनी गरम माल हो.. कि खुद को रोक ही नहीं पा रहा हूँ।
उसने कहा- अच्छा ठीक है.. हम सब कुछ करेंगे.. पर सही समय आने दो।
इस तरह कुछ दिन और बीते।
एक दिन वो बोली- मेरे पति जल्द ही 2 दिन के लिए शहर से बाहर जा रहे हैं। मेरी सास भी उनके साथ जाएँगी.. बस घर पर पापा जी ही रहेंगे।
मैंने कहा- ठीक है तुम मुझे फोन कर देना मैं तुरंत आ जाऊँगा।
वो दिन आया.. मैं रात को 11 बजे उसके घर पहुँचा।
मैंने कॉल की- कहाँ हो?
बोली- दरवाजा खुला है.. धीरे से अन्दर आ जाओ और दरवाजा की सिटकनी लगा देना।
मैंने कहा- ओके..
मैं दबे पाँव अन्दर गया.. उसको देखा और बस देखता ही रह गया।
वो हल्के आसमानी रंग की साड़ी में बिल्कुल हूर की परी लग रही थी।
उसको देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया मैंने उसे वहीं से अपनी गोद में उठा लिया और चूमने लगा।
फिर उसके कमरे में ले जाकर उसे पलंग पर लिटा दिया।
मैं बड़ी बेताबी से उसके होंठों को चूमने लगा और उसके मस्त और उठे हुए मम्मों को दबाने लगा।
उसे भी मज़ा आ रहा था।
मैं उसकी गर्दन.. गाल.. होंठ.. कान.. पेट सबको बेतहाशा चूम रहा था।
काफ़ी देर तक चूमा-चाटी के बाद वो गरम हो गई और कहने लगी- अब मेरी चूत में अपना लौड़ा पेल दो।
मैंने कहा- पहले 69 में करते हैं।
बोली- ओके…
‘मैं चूत चूसूंगा.. तुम मेरा लौड़ा चूसना…’
उसने कहा- ओके..
फिर हमने 5 मिनट तक एक-दूसरे के लण्ड-चूत को खूब चूसा।
अब उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी।
मेरा लंड भी उसके चूसने से पूरा गीला हो गया था।
वो चुदासी सी बोली- अब तो डाल दो..
फिर मैंने अपना 7 इंच का लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो चिल्ला उठी- ये नहीं जाएगा बहुत बड़ा है अभि.. इसे बाहर निकालो..
मैंने उसे चुम्बन किया और उसकी बात को अनसुना करते हुए झटका मारा, मेरा आधा लौड़ा चूत में घुसता चला गया।
वो दर्द से तड़फ रही थी पर अपने ससुर की वजह से चिल्ला नहीं पा रही थी।
मैंने बिना रुके एक और तगड़ा शॉट मारा.. अबकी बार पूरा लण्ड भीतर चला गया था।
उसको दर्द हो रहा था.. मैं रुका नहीं उसको चोदता रहा।
उसे भी अब मज़ा आ रहा था, वो भी अब चूतड़ों को उठा कर मज़े ले रही थी। हम लोग पूरी मस्ती में धकापेल चुदाई कर रहे थे।
बीस मिनट के बाद में उसकी चूत में ही झड़ गया.. वो भी दो बार झड़ चुकी थी।
फिर दूसरी बार में मैंने उसकी घोड़ी बना कर उसकी चूत बजाई।
फिर उसकी रसीली गाण्ड भी मारी।
अब तो उसके साथ मेरा टांका फिट हो गया था उसको नए नए लौडों से चुदने का शौक था, मैंने भी उसे खूब बजाया।
दोस्तो, मेरी कहानी कैसे लगी.. आपकी ईमेल का इंतजार रहेगा।
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