दुकान वाली लड़की की चूत
अन्तर्वासना की गर्म चूत वालियों को और खड़े लंड वालों को उदय का नमस्कार!
मैं उदयपुर में रहता हूँ.. चित्तौड़ में पैदा हुआ हूँ। मैं दिखने में बहुत अच्छा हूँ। मेरा लंड लम्बा और मोटा है.. जो किसी भी लड़की को संतुष्ट करने के लिए काफी है।
आज पहली बार मैं अपनी कहानी अन्तर्वासना पर भेज रहा हूँ। पसंद आए या ना आए, मुझे मेल जरूर करें।
मैं रोजाना एक चाय के ढाबे पर सिगरेट और चाय पीने जाता था। उस दुकान पर बहुत ही सुन्दर लड़की थी, उसको मैं कई बार इशारा भी कर चुका था। वो बहुत ही सुन्दर बदन की मालकिन थी। उसका 36-28-38 का मस्त देख कर कोई भी देखे तो अपना लंड मसलने लग जाए।
एक दिन मैं वहाँ गया.. तो उसने मुझसे नंबर देने का इशारा किया। मैंने उस टाइम उस पर ध्यान नहीं दिया और चला आया।
फिर बाद में मेरी समझ में आया कि वो क्या कहना चाह रही थी और अगले दिन नोट पर नंबर लिख कर उसे दे दिया।
उसने मुझे फोन किया तो बातें शुरू हो गईं, रोज फोन पर बातें होने लगी थीं।
फिर बहुत मुश्किल से मैंने उसे सेक्स के लिए पटाया।
उसने मुझसे एक दिन सवाल किया- तुम पढ़ाई करते हो तो तुम्हारे पास इतने पैसे कहाँ से आते हैं?
क्योंकि मैं जब भी उसके यहाँ जाता था तो 200-300 रूपये खर्च कर देता था।
मैंने बोला- मैं एक जिगोलो हूँ और उन औरतों की जरूरतें पूरी करता हूँ.. जिनको लंड की जरूरत होती है और उसके बदले मैं उनसे पैसे लेता हूँ।
उसने हँस कर कहा- अच्छा है.. तुम मुझसे भी पैसे ले लेना।
मैंने कहा- तुम्हारी तो चूत ही काफी है।
खैर.. एक दिन हम दोनों को मौका मिल ही गया, उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया, मैं उसे एक गेस्ट हाउस में लेकर गया।
उस दिन क्या माल लग रही थी वो.. कि बस तुरंत पकड़ कर चोद लो।
वह मेरे साथ कमरे में आई। कमरे में घुसते ही मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और उसे किस करने लगा।
वो बोली- मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.. थोड़ा तो सब्र रख लो।
मैंने बोला- अब सब्र नहीं होता.. दुकान पर बहुत बार चूचे दिखा कर तुमने मुझे मुठ मारने के लिए मजबूर किया है।
उसने हँसते हुए कहा- चलो आज सारी कसर निकाल देना।
मैं उसे वहीं खड़े-खड़े बांहों में भर कर चूमने लगा।
फिर धीरे-धीरे मैं उसके बोबों तक पहुँच गया और उसके मम्मों को टॉप के ऊपर से ही मसलने लगा। फिर उसका टॉप खोल दिया।
हय.. क्या चूचे थे.. क्या बताऊँ यार..
मैं एक हाथ से चूचे दबाते हुए दूसरे हाथ को उसकी जींस के पास ले गया और उसकी चूत पर हाथ रख दिया, हाथ रखते ही पता चला कि जीन्स भी गरम हो गई थी।
फिर हम बिस्तर पर आ गए और एक-दूसरे को चूमना शुरू कर दिया। हम दोनों कब पूरी तरीके से नंगे हो गए.. पता ही नहीं चला। जोश-जोश में मैंने उसकी ब्रा भी फाड़ दी थी।
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, पहले तो उसने लौड़े को चूसने में खूब नखरे किए.. पर बाद में वो मस्त हो कर लौड़ा चूसने लगी।
जब मैं उसकी चूत में जुबान डाल-डाल कर चाटने लगा.. तो उसका पानी निकलने वाला हो गया था, वो ‘आह्ह.. आह..’ आवाज निकाल रही थी.. तो मैंने अपना लंड फिर से उसके मुँह में डाल दिया, वो भी मस्ती से लौड़ा चूसने लगी।
थोड़ी ही देर में उसकी चूत झड़ गई। उससे बहुत मजा आ रहा था.. वो ‘आह्ह..’ करते हुए सीत्कारें ले रही थी।
कुछ देर बाद मैंने भी पानी उसके मुँह में छोड़ दिया।
क्या आनन्द प्राप्त हुआ.. शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
मेरे लौड़े के माल को चाटने के बाद भी वो लंड को चूसती रही, मेरा लंड एक बार फिर तूफान की गोली बंदूक में भर चुका था।
वो बोलने लगी- प्लीज़ डाल दो।
तो मैंने भी समय की मजबूरी समझते हुए उससे सीधा लेटा दिया और उसकी गांड में उंगली डालते हुए उसकी गांड के नीचे तकिया रखा। फिर अपना लंड पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगा.. तो उसने कहा- अब डाल भी दो.. क्यों तड़पा रहे हो।
मैंने उससे बोला- डाल तो दूंगा.. पर पहले कितनी बार चुदी, ये तो बता.. और देख सही-सही बताना।
उसने शर्माते हुए कहा- एक बार..
मैंने कहा- फिर तो ठीक ही है.. अभी भी नया माल ही हो।
उसने कहा- अब बातें चोदना छोड़ो और चूत चोदो.. जल्दी डालो..
मैं फिर लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा, वो सनक गई और इस बार उसने मेरे लंड को पकड़कर हाथ से खींच लिया, मुझे भी दर्द हुआ तो अब मैं उसकी चूत में अपना लंड पेलने के लिए तैयार था।
मैंने अपना लंड का टोपा उसकी चूत में सरका दिया.. तो वो चिल्लाने लगी ‘ओह.. उई.. मुझे छोड़ दो.. नहीं करना अब..’
फिर मैंने उसके होंठों से उसके होंठों को लगा दिया और एक बार में पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया, उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे।
मैं धक्के लगाता रहा और थोड़ी ही देर में उससे अच्छा लगने लगा, अब वो उछल-उछल कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेने लगी।
मैं उसके मम्मों को दबाने के साथ उसको चुम्बन करता जा रहा था, इससे उसे बहुत मजा आने लगा, वो ‘आहा.. आह्ह.. अह्ह्ह्ह.. अह..’ करने लगी और मैं पेलता गया।
उसने मेरी पीठ पर नाखून गड़ा दिए और झड़ गई।
झड़ जाने की वजह से कमरा ‘फच.. फच्च..’ की आवाजों से गूंजने लगा।
फिर मैं लंड निकाल कर उसकी गांड में डालने लगा.. तो उसने मना कर दिया, उसने कहा- मत करो.. बहुत दर्द होगा.. अगली बार मार लेना।
मैं भी बात को समझते हुए उसकी चूत चोदने लगा और 2-3 मिनट बाद झड़ गया।
फिर उसे जल्दी थी तो उसे मैं छोड़ कर आ गया।
अगली कहानी में उसकी गांड का उद्घाटन का किस्सा जानने के लिए मेल करते रहिए.. मेरा मेल एड्रेस है।
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