होली पर भाभी चूत चुदवाने आ गई

होली पर भाभी चूत चुदवाने आ गई

आप सभी सुधि पाठकों को मेरा प्रणाम

आशा करता हूँ आप सब मस्त होंगे.. सबके लंड और चूतों ने खूब जमकर होली खेली होगी।

मेरी कहानी आप सबको पसन्द आई, आप सभी के मुझे काफी ईमेल मिल रहे हैं.. उन सबके लिए आपका धन्यवाद।

अब कहानी पर आते हैं..
जैसा कि मैंने बताया था कि मैंने रात को पायल भाभी को घुप्प अँधेरे में चोद दिया.. तो अगला दिन होली रंग खेलने का था।

मैं सुबह दस बजे करीब उठा.. पूरा जिस्म तरोताजा महसूस हो रहा था। यार बहुत दिनों बाद चूत मारी थी न.. इसलिए…

नीचे जाकर मम्मी-पापा को रंग लगाया होली का आशीर्वाद लिया, फिर ऊपर आया तो पायल भाभी के पति ने मुझे रंग लगाया.. हम गले मिले, पायल भी आ गई.. मैं उसे देखकर थोड़ा नज़रें चुरा रहा था।

इस पर वो ज़ालिम कातिलाना हँसी हँसते हुए आई और मेरे चेहरे पर रंग लगाकर धीरे से कहने लगी- क्यों शर्मा रहे हो.. जब छोटी होली.. भाभी संग खेल ली.. तो अब बड़ी होली पर रंग नहीं लगाओगे जी?

मैं समझ गया कि भाभी को सब कुछ पता है कि रात को उनकी चूत को चोदने वाला में ही था।

खैर.. मैंने उनके गालों पर गुलाल लगाया और अपने कमरे में चला गया।

यहाँ मैं बता दूँ कि मुझे बाहर जाकर होली खेलना पसंद नहीं है।

बारह बजे करीब मेरे तीन पक्के दोस्त ओसी ब्लू की दारू की बोतल लेकर आए।
हमने वो बोतल खोली.. चक्खने में गुजिया.. भुजिया थी।
हम लोग हो गए शुरू.. हम तीनों ने पूरी बोतल खत्म की और वो तीनों चले गए।

अब में अपने कमरे में रात की मस्त चुदाई को याद करके अपना लंड सहला रहा था और सहलाते हुए मुठ मार ली और झड़ गया.. और ऐसे ही लेट गया।

फिर 2 बजे करीब भाभी ऊपर आई.. उनके हाथ में एक कटोरी थी।
भाभी कमरे के बाहर खड़ी थी।

मैंने उन्हें देखा.. तो लंड खड़ा हो गया, साली डीप गले का कुरता पहने हुए थी.. जो बहुत ज्यादा सा फटा हुआ था.. पता नहीं किस रंग का था.. क्योंकि वो बहुत ज्यादा रंग में रंगी हुई थी.. उसके बाल खुले थे.. चूतड़ों तक आ रहे थे।

भाभी बोली- अनूप जी.. ये चिकन बनाया है.. आपके लिए लाई हूँ.. अन्दर आ जाऊँ क्या?

मैं- हाँ भाभी.. आओ ना.. बाहर क्यों खड़ी हो।

मैंने पी तो ली थी.. तो अब मैं अपनी फॉर्म में था.. शर्म तो जैसे माँ-चुदाने चली गई थी।

भाभी झूमते हुए अन्दर आकर कटोरी टेबल पर रखकर मेरे पास बिस्तर पर बैठ गई।

मैंने कहा- क्यों भाभी.. भैया ने तो पूरा रंग दिया आपको.. खूब होली खेली है…

भाभी- अरे क्या बताऊँ.. वे तो सुबह से ही दारू पी रहे हैं.. अब होली खेलने का टाइम आया तो औंधे हो कर सो गए.. अब रात को उठेंगे.. तब तक तो होली खत्म ही हो जाएगी।

मैं- अरे.. तो आपको ये रंग किसने लगाया?

भाभी ने इतराते और इठलाते हुए कहा- ये तो पड़ोस वाली भाभी और इनके कुछ दोस्त आए थे.. तो सुबह से सब रंग ही लगा रहे हैं.. पर जिसने कल रात को रंग लगाया था.. वो आज रंग लगाने में शर्मा रहा है…

मैं- भाभी कहाँ खेल ली आपने रात को होली?

भाभी मेरे लंड पर हाथ रखती हुई बोली- मुझे इतनी अनाड़ी और खुद को इतने बड़े खिलाड़ी ना समझो अनूप जी.. मेरी नज़र आप पर जब से है.. जब उस कुतिया पल्लवी के साथ तुम मज़े ले रहे थे…

मैं- भाभी ठीक तो हो.. ‘पी-वी’ कर आई हो क्या?

भाभी- हाँ.. वो तो सो गए और तुम्हारे पास आकर कल रात की बात करनी थी.. तो मैंने भी दो-तीन पैग पटियाला वाले खींच लिए.. कल रात मेरे पास तुम भी तो पी कर आए थे.. है ना?

मैंने सोचा भाभी को जब सब पता ही है तो खुलकर बात करते हैं।

‘भाभी सच कहूँ.. तो आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो.. आपको देखकर ही कुछ हो जाता है। कल रात जो भी हुआ आपकी मर्जी से हुआ.. है ना?’

भाभी- हाँ जी जनाब.. हमारी मर्जी से हुआ है सब.. किसी की हिम्मत नहीं जो बिना मेरी मर्जी के मुझे छू ले।

भाभी बातों-बातों में मेरी बैल्ट और ज़िप खोलकर पैन्ट नीचे सरका चुकी थीं और हाथों से मेरा लंड सहला रही थीं।

मैं- भाभी कोई आ जाएगा.. जाओ पहले दरवाजा तो बंद कर दो और छत की तरफ का दरवाज़ा भी बंद कर दो।

भाभी बाहर गई.. दरवाज़ा बंद करके बाथरूम में होकर आई और कमरे का दरवाज़ा बंद करके मेरे पास आई और अचानक मेरे चेहरे पर ढेर सारा रंग मलने लगी।

मैंने भी उन्हें जकड़ लिया और उठाकर बिस्तर पर पटक दिया।

अगले ही पल मैंने उनके ऊपर चढ़कर उनके दोनों हाथ पकड़े.. ऊँगलियों में ऊँगलियां फंसाई और उनके रंगे हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जो चूसना शुरू किया तो पूछो मत।

दोनों ने दारू पी हुई थी.. एक-दूसरे के होंठों को.. जीभ को.. बुरी तरह चूस रहे थे। मेरे मुँह में उसका जो रंग आ रहा था.. मैं उनके मुँह में ही थूक रहा था.. वो चाट रही थी। मैंने उनके गालों को.. कानों को.. गले को.. हर जगह चूसा.. गरदन पर जमकर काटा।

जब कुरता को फटा देखा तो मैंने पूछा- भाभी ये फटा कैसे?

तो उन्होंने बोला- मेरे ‘वो’ दारू में धुत थे रंग लगाते टाइम फाड़ दिया…

मैंने भी उन्हें आँख मारी और चूचियों के बीच में हाथ डालकर ब्रा से लेकर कुरता पूरा नीचे तक फाड़ दिया।

भाभी के मुँह से निकला- हाय जानू.. तुम पागल हो गए हो क्या?’

मैंने उनकी सलवार का नाड़ा भी तोड़ दिया और सलवार खींच कर उतार दी। अगले कुछ पलों में मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए और भाभी के चूचे चूसने लगा।

वो मेरा सर पकड़ कर चूचों पर दबा रही थी.. वाह उसके चूचों की चुसाई में क्या मज़ा था।

अब भाभी ने मुझे लिटाया और धीरे से मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया। वो सिर्फ सुपारा ही अन्दर ले पा रही थी और सच कहूँ तो सुपारा चूसने की कोशिश कर रही थी.. पर उनके चूसने के तरीके से मुझे कुछ मज़ा नहीं आ रहा था।

तो मैंने उन्हें उठाया और उन्हें नीचे खड़ा करके बिस्तर पर झुका कर घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी गीली चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा।

वाह.. उनकी मलाई वाली चूत कितनी गीली थी.. जी हाँ उनकी चूत का नाम मैंने मलाई वाली चूत रखा हुआ था जो उन्हें भी पसंद आया…

भाभी ने कहा- जानू अब तड़पाओ मत.. घुसेड़ दो.. अपना शेरू मेरी गुफ़ा में…

मैंने कहा- ले जानू.. ले..

और इतना कहते ही मैंने एक धक्का मारा और गीली मलाईदार चूत में लंड फिसलता हुआ सीधा बच्चेदानी से जा टकराया…

भाभी के मुँह से सिर्फ ‘उईईईईई माँ.. मर गई..’ इतना निकला और तुरंत बोली- चोदो जानू.. खूब जोर से.. आज मेरी चूत को खूब होली खिलाओ…’

मैंने तेज़-तेज़ झटके लगाने शुरू किए।

‘फच.. फच.. फट.. फट..’ के साथ उसके मुँह से- आह्ह्ह ओह्हह्हह्ह.. हाय मर गई.. उईइम्ममाआअ.. जोर से चोदो…

उसकी इन आवाजों से कमरा गूंज रहा था। नीचे गली में तेज आवाज में डीजे बज रहा था क्योंकि होली थी.. तो हमें कोई टेंशन नहीं थी।

मैंने भाभी के लम्बे बाल पकड़ कर तेज़-तेज़ धक्के लगाए…

‘भाभी तेरी चूत आज फाड़ दूँगा.. ले साली और ले.. आह्ह्ह ले.. आह…’

यही सब चल रहा था कि भाभी बोली- बस करो जान.. अब बस करो.. मैं झड़ गई हूँ.. मेरी चूत झड़ गई रे.. तूने मार दिया रे.. मेरी बहुत बुरी तरह झड़ी है.. छोड़ दे.. अब तेरे लंड की रगड़ बर्दाश्त नहीं होती.. निकाल लो प्लीज़…’

‘पर जान.. मेरा तो अभी झड़ा ही नहीं है.. मैं क्या करूँ?’

‘मेरे मुँह में झाड़ लेना प्लीज़…’ भाभी ने कहा।

मेरे दिमाग में एक मस्त ख्याल आया कि आज भाभी की मोटी गाण्ड भेदी जाए।

मैंने कहा- हाँ भाभी.. निकाल तो लूँगा.. पर फिर गाण्ड मारूँगा.. वहीं अपना माल निकालूँगा।

‘पर मैंने तो आज तक नहीं मरवाई जानू..’ भाभी बोली।

‘तो आज मेरी ख़ुशी के लिए मरवा लो …’

मैंने लंड चूत से बाहर निकाल लिया और उन्हें बाँहों में भरकर बोला- जानू.. मैंने आज तक किसी की गाण्ड नहीं मारी.. तुम प्लीज़ गाण्ड दे दो.. मैं बहुत प्यार से आराम से मारूँगा.. जानू प्लीज़…

भाभी राजी हो गई- ठीक है.. पर आराम से…’

मैंने उन्हें चूमा और बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया और वैसलीन लेकर खूब सारी उनकी गाण्ड में भर दी।

फिर उसकी गाण्ड में एक ऊँगली डाली.. भाभी थोड़ी कसमसाई- उईइ आराम से…’

मैंने धीरे-धीरे ऊँगली अन्दर-बाहर की.. फिर दूसरी ऊँगली डाल दी और वैसलीन अच्छे से गाण्ड में अन्दर तक भर दी।
भाभी शांत लेटी थी.. अब मैं अपनी पोज़ीशन में आया.. अपने लंड पर भी वैसलीन लगा ली थी।

मैंने उनकी टाइट गाण्ड पर लंड रखा और भाभी ने डर कर कहा- आराम से करना जान..

मैंने कहा- ठीक है मेरी जान.. बस तुम थोड़ा दर्द सह लेना।

मैंने लंड उनकी गाण्ड के छेद पर लगा कर हल्के से अन्दर घुसाया.. भाभी उछल पड़ी- आउच.. आराम से…

मैंने कहा- ठीक है।

मैंने भाभी की कमर को कसकर पकड़ लिया और उनकी टांगों पर अपने मुड़े हुए घुटने रख दिए और एक जोर का झटका देकर लंड गाण्ड की गहराइयों में उतार दिया।

भाभी जोर से चिल्लाई- मर गय्यी..ईईई.. ईईईईईईईइ…

वो अपने दांत भींच कर चुपचाप तकिए में सर दबा कर रोने लगी।

मेरा पूरा लंड उसकी गाण्ड में था। मैं उनकी पीठ सहला रहा था।

‘भाभी सॉरी.. अब सब ठीक है.. प्लीज़ आप रो मत.. आई लव यू जान…’

करीब पांच मिनट में वो नार्मल हो गई और बोली- जान.. तुम्हारे लिए सब करुँगी.. अब मैं ठीक हूँ.. तुम चुदाई शुरू करो।

मैंने लंड थोड़ा बाहर खींचा.. फिर अन्दर किया।

हाय टाइट गाण्ड का बजाना.. क्या मज़ा था.. बता नहीं सकता.. चूत से 100 गुना ज्यादा मज़ा आ रहा था।

मैंने धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में धक्के लगाने शुरू कर दिए। बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था।

भाभी ने पूछा- क्यों जी.. मज़ा आ रहा है आपको?

मैंने कहा- भाभी.. चुप रहो बस.. ये मज़ा मुझे भोगने दो…

वो हँस दी.. कहा- जी जनाब.. मेरी गाण्ड चोदने का मजा लीजिए।

मुझे गाण्ड चोदते-चोदते दस मिनट ही हुए होंगे कि लंड अकड़ गया और मेरा सारा लावा उनकी गाण्ड में फूट गया।

‘पच.. पच..’ करके पूरा माल निकल गया।

वो मज़ा अनमोल था.. वाह क्या मज़ा है गाण्ड चोदने का.. आज मुझे महसूस हुआ कि औरत की गाण्ड देखकर ही लंड अपने आप क्यों खड़ा हो जाता है क्योंकि गाण्ड में जाकर ही लंड को असली सुख मिलता है।

फिर मैंने चार बजे तक भाभी को दो बार और चोदा.. गाण्ड भी बजाई और मलाईदार चूत भी चोदी.. दोनों खूब मारी।

अब भाभी तो मेरे लौड़े की कायल हो ही गई थी.. पर अभी आगे भी मैंने कई चुदाईयाँ की हैं।

वो आगे की कहानियों में बताऊँगा।
धन्यवाद।

मुझे उम्मीद है कि आप सबको कहानी पसंद आई होगी.. आप अपने सुझावों के लिए मुझे ईमेल करें।

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