आरती का कौमार्य भंग
प्रेषक : देवाशीष
दोस्तों मैं देवाशीष, नागपुर का रहने वाला हूँ और 30 साल का एक गबरू जवान हूँ। मैं दिखने में गोरा हूँ और मेरा लंड 6″ लम्बा और 2″ मोटा है।
आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, जो बताते हुए मुझे दुःख भी हो रहा है। मेरे चचेरे भाई की साली जिसका नाम आरती के साथ भाई के शादी के बाद मेरा प्रेम-प्रकरण चल रहा था। हम दोनों एक-दूसरे को खूब चाहते थे। वो दिखने में एकदम सुन्दर और पढ़ाई में भी होशियार थी।
हमने निर्णय कर लिया था कि उसका बीएससी के अंतिम वर्ष की परीक्षा होते ही शादी कर लेंगे। मैंने अपने घर में आरती से शादी के बारे में बात कर ली थी। उसने भी अपने घर में बता दिया था और हमारी शादी भी पक्की हो गई थी।
हम दोनों रविवार को घूमने जाते थे। हमारे बीच में चुम्बन एक सामान्य बात हो गई थी। लेकिन मैंने कभी सम्भोग के बारे में नहीं सोचा था क्योंकि मैं यह सोचता था कि जब शादी ही करनी है तो सम्भोग करके अभी से मजा क्यों किरकिरा किया जाए।
वो रामटेक तहसील की रहनेवाली थी और नागपुर में ही हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही थी। एक दिन ऐसे ही हमने प्लान बनाया कि शनिवार को शाम को किसी रिसॉर्ट में जायेंगे और रात भर वहीं रुक कर दूसरे दिन आ जायेंगे।
शनिवार आया, हम शाम 5 बजे रिसॉर्ट जाने के लिए निकले और वहाँ पहुँच कर रूम बुक कर लिया। रात को खाना खाया और कुछ देर बातें करके बेड पर ही सो गए।
रूम में एक ही बेड होने की वजह से हम दोनों नजदीक-नजदीक ही सोये हुए थे। रात के करीब 2 बजे थे, मेरी नींद खुल गई। मैंने देखा कि आरती नींद में थी और उसका चेहरा मेरी तरफ था।
आरती का कुरता उसके पेट तक ऊपर आ गया था उसकी छाती (चूचियाँ) देखते ही मेरे मन में सम्भोग करने की इच्छा जागृत हो गई। मैंने पूरा मन बना लिया था कि ‘जाने दो वैसे भी हम शादी करने वाले हैं और शादी के जो करना है वो अभी कर लिया तो क्या होगा।’ मैंने धीरे-धीरे आरती के चूचियों को मसलना शुरू किया तो आरती भी जाग गई।
आरती बोली- अरे यार, यह क्या कर रहे हो ! तुमने ही बोला था ना कि ये सब शादी के बाद करेंगे।
मैं- अरे जाने दे ना यार, अभी मूड हो रहा है। तुम्हारी चूचियाँ मुझे बार-बार सम्भोग करने के लिए उकसा रही हैं।
ये कह कर ही मैंने आरती को अपने पास खींच लिया। आरती ने भी विरोध नहीं किया क्योंकि हम 6 महीने के बाद शादी करने वाले थे।
वो मेरी बाँहों में थी और हम दोनों एक-दूसरे के मुँह में मुँह डाल कर चुम्बन का आनंद ले रहे थे। 5 मिनट आरती के होंठों को चूसने के बाद मैंने कुरते के ऊपर से ही उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे चूची को अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया। आरती के मुँह से गर्म-गर्म साँसें निकल रही थीं। बीच-बीच में उसकी गर्दन, पेट पर भी चूम रहा था।
“आह्ह… आह्ह्ह.. प्लीज मत करो ना…!”
अगले ही पल मैंने आरती का सलवार और कुरता निकाल दिया,अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी। मैं भी चड्डी में ही था।
हम दोनों ने एक-दूसरे को बाँहों में भर लिया और पागलों की तरह एक-दूसरे को चूम रहे थे। मैंने आरती की ब्रा को भी उतार दिया और एक-एक करके उसकी दोनों चूचियाँ दबा रहा था और चुचूकों को अपने मुँह में भर के चूस रहा था।
आरती भी अब खुल गई थी, वो भी मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से आगे-पीछे कर रही थी। धीरे-धीरे मैं नीचे, उसकी चूत की ओर उतर रहा था। मैं चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूम रहा था, वो पागलों की तरह मेरे सर को अपने चूत पर दबा रही थी।
5 मिनट चूत को चाटने के बाद मैंने उसकी चड्डी उतार दी। उसके चूत पर एक भी बाल नहीं था, शायद घूमने जाने वाले थे इसीलिए उसने बाल साफ़ कर लिए थे।
अब मुझे भी लग रहा था कि अब मुझे अपना लंड आरती के चूत में डाल देना चाहिए।
मैंने आरती से पूछा- आरती मैं डाल दूँ?
आरती- मुझे तो डर लग रहा है ! मुझे कुछ होगा तो नहीं?
मैं- कुछ नहीं होगा।
उसके बाद उसने इशारे में ही लंड डालने के लिए हामी भर दी। मैं उसके पैरों की तरफ आ गया और अपने एक उंगली से उसकी चूत के छेद को टटोलने लगा। उसकी चूत गीली हो गई थी। जैसे ही मैंने अपनी उंगली थोड़ी सी अन्दर डालनी चाही, तो आरती दर्द के मारे उचक पड़ी, वैसे ही मैंने अपनी उंगली निकाल ली।
आरती- दर्द हो रहा था।
मैं- थोड़ा सा तो होगा ही, पहली बार है न !
मुझे लगा कि अगर मैं एक ही बार पूरा लंड डाल दूंगा तो ये चिल्लाएगी और रो देगी, इसीलिए मैंने उसके पैरों को अपने कंधे पर कर लिया। लंड को चूत के छेद के पास सैट कर लिया और अपने मुँह में उसके होंठो को भर लिया।
इधर धीरे-धीरे मैं अपना लंड उसकी चूत में घुसेड़ रहा था, उसको दर्द हो रहा था पर मुँह बंद होने की वजह से आवाज बाहर नहीं आ रही थी। अभी मेरा लंड सिर्फ 3″ ही अन्दर गया था।
मैं थोड़ी देर रुका और एक ही झटके में पूरा लंड आरती की चूत में डाल दिया। अब आरती एकदम चिहुंक उठी और रोना शुरू कर दिया। उसकी आँखों से आँसू निकल आए। मैं ऐसे ही लंड डाल कर उसके होंठों को चूस रहा था।
2-3 मिनट बीत गए थे, मैंने उसके आँसू पोंछे और उसके माथे पर अपना हाथ फिराया। अब मैंने उसके होंठ भी आजाद कर दिए।
आरती- दर्द हो रहा है, निकाल लो बाहर। नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैं- कुछ नहीं होगा, पहली बार है इसीलिए दर्द हो रहा है।
अब मैंने धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। अब आरती का दर्द कम हो गया था, उसने मुझे बाँहों में पूरा जकड़ लिया था। अब उसे भी आनन्द आ रहा था। धीरे-धीरे मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और लंड आरती की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
इधर मुँह से चुम्बन का मजा ले रहा था और हाथों से चूचियाँ दबा रहा था। कभी-कभी चूचियों को मुँह में भी भर कर चूस रहा था।
आरती ‘आह्ह्ह… आह्ह्ह..’ करके अपनी आहें भर रही थी। ऐसा ही 10 मिनट तक चला और अब आरती अकड़ने लगी थी और अगले ही पल आरती का पानी छूट गया और गर्म-गर्म लावा मेरे लंड को गीला कर गया।
मैं अब भी लंड को अन्दर-बाहर कर रहा था। अब मुझे लगने लगा था कि कुछ ही पल में मेरा भी पानी छूट जायेगा इसीलिए मैं भी अपनी स्पीड बढ़ा रहा था।
अगले ही पल 7-8 धक्कों में मेरा पानी छूट गया और आरती की चूत में समा गया।
हम निढाल होकर ऐसे ही पड़े रहे। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना लंड आरती के चूत से बाहर निकाला तो मेरा पूरा लण्ड खून से सना पड़ा था।
मैंने अपना लंड और आरती ने अपनी चूत साफ़ कर ली और बेड़ पर वापस आ गए।
मैंने आरती माथा प्यार से चूमा और बोला- आरती आज तुने अपना कौमार्य मुझे समर्पित किया, इसके लिए मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करता हूँ !
और फिर से एक बार चूम कर उससे वादा किया कि अब शादी के बाद ही करूँगा और सो गए।
आपका देवाशीष
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