अल्पना चाची की चूत में गुलरी का फूल है
अल्पना चाची की चूत में गुलरी का फूल है
मैं विपिन सिंह आप सभी का बसंत पंचमी पर दिल से नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर स्वागत करता हूँ. दोस्तों, अगर सरस्वती देवी ना होती तो संसार में कोई पढा लिखा ना होता. कोई किताब या अक्षर या कोई शब्द, कोई संगीत की ध्वनि सा होती. दूसरे सरल शब्दों में कहूँ तो अगर संसार में सरस्वती ना होती तो कोई भी व्यक्ति कोई किताब, कविता या कहानी ना लिख पाता. तो सायद दोस्तों, आप भी इस सेक्सी कहानी का लुफ्त ना उठा पाते. इसलिए आज वसंत पंचमी के दिन मैं बुद्धि की देवी सरस्वती की उपासना करता हूँ. और उससे कहता हूँ की मुझे श्रेष्ठ ज्ञान दे जिससे मैं आप सभी मित्रों को हर रोज अच्छी कहानी सुना सकूं.
तो सुनाता हूँ. दोस्तों, जैसा की आप सभी की घर में चाची, मामियां, भाभियाँ होंगी, वैसे मेरे रोशनलाल चाचा की शादी हुई तो अल्पना चाची घर में आई. शादी से पहले हम सब घर के लोग रोशनलाल चाचा को खूब परेशान करते थे.
क्यूँ चाचा !! आपको ये तो पटा है ना की सुहागरात की रात को क्या करते है?? कहीं ऐसा ना हो की आप कोई कहानी, नोवेल, उपन्यास पढ़ने बैठ जाए?? हम सब भाई और बहन रोशनलाल चाचा की खूब खिल्ली उड़ा रहें थे. कारण की वो जादा घर में किसी से बात नही करते थे. या तो टीवी देखते थे या कोई नोवेल पढते थे. चाचा अभी २४ साल के थे, जवानी की सीटियाबाजी वाली इश्क मुहब्बत करने के उम्र थे. इस उम्र में तो लड़के लड़कियों के चक्कर काटा करते है, पर रोशनलाल चाचा तो बड़े शर्मीले थे. किसी जवान लड़की से बात करमे में तो वो कांप जाते थे. हमेशा बचकर बाग लेटे थे. इसी वजह से हम भाई बहन चाचा का खूब मजाक उड़ाते थे. सब कहते थे की कहीं ऐसा ना हो की नई चाची सुहागरात में बैठी चाचा का इन्तजार करती रह जाए और चाचा फिर से कोई किताब ना पढ़ने बैठ जाए.
पर दोस्तों, ऐसा नही हुआ. नई चाची के रूप को देखकर चाचा के होश उड़ गए. उन्होंने कहा ‘किताब की माँ की आँख’ गाड़ मराए किताब!! अब तो मैं अपनी बीवी को ही पढूंगा. दिन रात बस उसी को लेकर पढता रहूँगा. और यही हुआ भी. रोशनलाल चाचा ऐसा चाची के रूप सुंदार्य पर आसक्त हुए की किताबे, नोवेल्स पढ़ना तो उन्होंने बिलकुल बंद ही कर दिया. जहाँ मौका मिलता चाची को लेकर कमरे में घुस जाते और कीर्तन [मतलब ठुँकाई, चुदाई] करने लगते. मेरी नई चाची का नाम अल्पना कुमारी था. पर चाचा ने जब सुहागरात की रात को नई वाली चाची की सील तोड़ दी तो उनका नाम अल्पना कुमारी से अल्पना सिंह हो गया. मेरी नई चाची बड़ा की चिक्कन माल थी. उनके आने से हमारा घर महक गया. चाची सुबह सुबह नहाकर बाथरूम से निकलती और पूजा के कमरे में जाती, अगरबत्ती सुलगाती तो उनकी लाल साड़ी के बगल से उनका चिकना पतला मखमली पेट और उनकी नाभि दिख जाती. मुझे तो इतना देककर ही मजा आ जाता था दोस्तों.
मैं तो अपने कमरे में जाकर अपना काम तमाम [मुठ] कर लेता था. चाची खूब गोरी थी. मेरे ३ चाचा और थे पर उनकी बीवियां तो ढोलक जैसी थी, ना शकल की ना सूरत की. उपर से मोटी मोटी. अपनी नयी वाली अल्पना चाची के आ जाने के बाद से मैंने तो अपनी दूसरी चाचियों के पास बैठना की छोड़ दिया. मैं तो बस अल्पना चाची का दीवाना हो गया था. वो मुझे कोई भी काम देती मैं झट से कर देता. कभी बहाना नही बनाता था. जबकि बाकी चाचियाँ कुछ कहती तो मैं बहाना बना देता.
दिल में सपना भी था कास कभी चाची चुम्मा चुम्मी दे देती, काश कभी चाची के नए नए बूब्स पीने तो मिल जाता तो मेरी तो जिंदगी बदल जाती. मैं तो दोस्तों, अपनी नई चाची के बारे में बिलकुल पगला गया था. जितना मैं चाची को दिन रात सोचता था उतना तो मेरे रोशनलाल चाचा भी नही सोचते थे. मेरे में मन में यही ख्याल आता था की कहीं अल्पना चाची अकेले में मिल जाए तो इनको चोद लूँ. पर दोस्तों, ये सिर्फ मेरे चंचल मन की कल्पना थी. हकीकत में मैं चाची का बड़ा सम्मान करता था, उनकी बड़ी इज्जत करता था. दोस्तों अल्पना चाची की शादी के ३ साल की हो पाई की रोशनलाल चाचा की एक सड़क हादसे में मौत हो गयी. ये बड़ी दुखद बात थी. सायद सबसे जादा दुःख मुझे इस बात का हुआ दोस्तों. अब मेरी चाची विधवा हो गयी थी, कहाँ वो नए नए रंग बिरंगे कपड़े पहनती थी,, और अब कहाँ सफ़ेद साड़ी पहनती थी. उनकी आँख में हमेशा आशू रहते थे. अल्पना चाची हमेशा रोशनलाल चाचा को याद करती रहती थी.
१ साल और बीत गया तो मैंने एक रात जो वो मेरे कमरे में मेरे लिए खाना परोस के लायी तो मैंने उनका हाथ पकड लिया.
अल्पना चाची !! मैं आपसे शादी करूँगा! मैंने कहा.
उन्होंने मुझे एक थप्पड़ जोर से मारा. पर दोस्तों, फिर भी मैंने उनका हाथ नही छोड़ा.
अल्पना चाची !! तुम मुझे मारना चाहती हो तो मार लो, पर मैं तुमसे शादी करके रहूँगा. तुमको रोज रोज मैं रोता हुआ नही देख सकता हूँ’ मैंने कहा. उस दिन चाची मेरे दिल की बात समझने लगी. फिर दोबारा उन्होंने मुझे नही मारा. वो समझ गयी की उनका भतीजा उनको बहुत प्यार करता है. मेरी इस कोसिस से आज चाची पुरे एक साल बाद हसी. वरना तो वो डीप्रेशन में चली गयी थी. दूसरी रात १० बजे मेरे कमरे में खाना लेकर आई. आज उन्होंने रंगीन साड़ी रहन रखी.
अल्पना चाची !! आई लव यू ! मेक लव विद मी ! मैंने अंग्रेजी में कहा.
चाची समझ गयी की उनका भतीजा आज उनसे प्यार करना चाहता है. मैं उनका मिजाज भांप लिया. मैं दरवाजा हल्का सा भेड़ लिया. चाची की नाजुक पतली गोरी कलाई पकड़ के खींच लिया अपनी ओर.
भतीजे जी !! क्या करते हो ?? चाची ने अपनी काली छुडाते हुए कहा.
अपनी सुंदर सुंदर चाची से प्यार कर रहा हूँ मैं! इसमें क्या गलत है! मैंने कहा.
अल्पना चाची मेरे पर लट्टू हो गयी. आज सालों बाद चाची से रंगीन साड़ी पहनी थी. मैंने खड़े खड़े की चाची के मस्त पतले सुरमई होठों पर अपने होठ रख दिए. मैंने अपने प्यार की मोहर लगा दी. चाची की पीठ में मैंने झटके से हाथ डाल दिया और अपनी ओर खींचा. चाची कांपने लगी. मैंने उनके मुह से जोड़ के उनके होठ पीने लगा. अल्पना चाची के बाल और उनकी लटे [जुल्फे] जो इधर उधर निकली हुई थी मेरे मुह पर छानें लगी. मैंने बड़े प्यार से उनकी जुल्फों को सवारा. और फिर से उनके होंठ पीने लगा. आह! जिस चाची की मैं अभी तक पूजा की थी, जिसको अपनी देवी माना था उस चाची से मैं प्यार कर रहा था. मैं अपनी जगह पर बिलकुल सही था. क्यूंकि किसी के आंशु बाटना कोई गलत बात नही होती है. आज मेरी वजह से ही वो साल भर के बाद वो हँसी थी.
चाची भी मेरा पूरा साथ निभा रही थी. जो दाल चावल सब्जी रोटी वो लायी थी वो अब ठंडा हुआ जा रहा था. मैं इधर चाची से लपटा झपटी कर रहा था. मेरी हाथ चाची की कमर पर था. उनकी कमर बहुत ही गोरी थी और चिकनी मैने अप्लना चाची की कमर पर अपना बायां हाथ टिका दिया था, और सहलाने का मजा ले रहा था. अब चाची भी चुदासी हो रही थी. मेरे होंठ से होठ लगाकर वो मेरा होंठ पी रही थी. जब होंठों पर जोरदार गरमा गरम चुम्बन हो गया तो मैंने चाची की ठोंडी पकड़ ली. उनके गोरे गाल पर मैंने जोर से काट लिया और फिर चुमन करने लगा. चाची भी आज फूल चुदने के मूड में थी. अब मैं उनके महकते जिस्म पर उपर से नीचे आने लगा. मैंने उनके पतले गले पर खूब चुम्मा लिया. हल्के से चाची के पतले नाजुक कान को भी काट लिया. चाची तो और भी चुदासी हो गयी. मैंने फिर से उनको अपनी ओर खींचा. उनको सीने से लगा लिया. चाची के मस्त ३२ साइज़ चूचे मेरे सीने से सटे हुए थे, उनका मुलायम गोल गोल आभास मुझको बहुत सुख पंहुचा रहा था.
चाची आज दे दो ! मैंने कहा.
चाची समझ गयी की उनका भतीजा आज उनको चोदना चाहता है. उनकी चूत मांग रहा है. चाची ने मेरे जवाब में कुछ नही कहा. मैं समझ गाया की आज वो चुदवाने को तयार है. मैंने भी उनको बिस्तर पर खीच लिया. दरवाजा में अंडर से सिटकनी दे दी. चाची को मैंने गोद में उठा लिया. सीधा अपने कमरे में अंदर ले गया जहाँ मेरा बेड पड़ा था. वहां जाकर मैंने चाची को अपने बेड पर पटक दिया. मैं डर रहा था की वो मना करेंगी. उन्होंने कुछ नही कहा. ये उनका एक गुप्त संकेत था. चाची झम से बिस्तर पर आ गिरी. मैं धीरे धीरे उनकी साड़ी निकालने लगा. निकाल दी. जिस अल्पना चाची को देख के मैंने तरह तरह के सपने देखे थे, कितनी बार मुठ मारी थी, आज वो मुझको चोदने के लिए मिल गयी थी. मेरा सिर पर खून सवार था और लंड पर चुदास. मेरा सारा खून गदराई चाची के मस्त बदन को भोगने और चोदने में लिए उबाल मार रहा था.
मेरे बहन में गर्मी बढ़ गयी थी. मेरा खून १०० की रफ्तार से भाग रहा था. आइने अपनी शर्ट की एक एक बटन खोलना शुरू कर दी. चाची सायद अपने भतीजे से खुद को चुदते हुए ना देख पाती इसलिए उन्होंने अपने चेहरे को हाथ से झाक लिया था. मैंने शर्ट निकाली तो मेरे सीने के बाल दिखने लगी. लगे हाथों मैंने अपनी पैंट भी निकाल दी. तिकोनी अंडरविअर में मेरा लंड फुफकार मार रहा था. मैंने अपना १२० रुपए वाला वो तिकोना रूपा कंपनी का नई डिज़ाइन वाला अंडरविअर भी आखिर निकाल दिया. मेरी वासना शीर्ष पर जा पहुची. कभी सोचा नही था जिस चाची को माँ की तरह प्यार करता था उसी के साथ काम और सम्भोग करूँगा. उसको चोदुंगा. मैंने चाची के उपर लेट गया. एक एक करके उसके ब्लौसे के बटन खोल दिए. फिर उनकी ब्रा भी निकाल दी.
चाची के स्तन आज भी बला के खूबसूरत थे. वही गोलाई, वही उभार, वही निपल्स के चारों ओर बड़े बड़े काले घेरे. मैं बाया स्तन मुह में भर लिया और पीने लगा. आज चाची को जरुर अपनी सुहागरात याद आ गयी होगी. चाची चुप थी, शांत थी. कहीं कोई हरकत नही. मैंने खूब मम्मे पिए उनके. अंत में उनके पेटीकोट के नाडा खोल दिया. चाची ने दोनों घुटने उपर किये तो मैं पेटीकोट निकाल दिया. मन में एक उमंग भी थी की चाची खुद अपने मन से आज चुदवा रही है. मैंने कोई जोर जबरस्ती नही की उनसे. फिर चाची की सफेद काटन पैंटी भी निकाल दी. चाची की बुर साफ थी, जानते बनी थी.
चाची पैर खोलो !! मैंने कहा
मेरी प्यारी अल्पना चाची ने एक बार में ही दोनों पैर खोल दिए. मैंने उनकी चूत के दीदार के लाखों सपने देखे थे, झूट नही बोलूँगा, पर ये नही सोचा था की सपने हकीकत भी बन जाएँगे. ४ इंच लम्बी बुर की बींच की लाइन मुझे दिखी तो मेरे होश उड़ गए. चाची से पैर खोल दिए तो उसकी मस्त गोरी चिकनी बुर सामने प्लेटफोर्म की तरह उपर आ गयी. मैं उनकी बुर पर झुक गया और पीने लगा. अल्पना चाची लजा गयी. मैं अपनी जीभ को नीचे से उपर और उपर से नीचे दौड़ाने लगा. चाची के खुले नंगे कमनीय बदन में उमंग की तरंगे दौड़े नही . उसकी चूची अब और भी टाईट हो गयी. मैं उनकी गहरी गोरी चूत को दोनों अंगूठे से खोल दिया. लगा की कोई ब्राउन ब्रेड है जिसमे चोकलेट भरी है. मैं अपनी मस्त अल्पना चाची की बुर में भरी सारी चोकलेट खाने लगा. ४० मिनट तक उनकी बुर पीने के बाद मैं अपने दोनों घुटने मोड कर बैठ गया. अपना मोटा सा स्वथ्य लंड अल्पना चाची के भोसड़े पर लगा दिया. और उनको चोदने लगा. घप घप घप घप चाची की मस्त बुर को मैंने ५० मिनट ट्रेक्टर की तरह उनकी बुर के खेत में जोता. उनको खूब चोदा और झड गया. खुच समय के लिए उनकी चूत सिकुड गयी.
फिर कुछ देर बाद सही होकर फूल गयी.
चाची! तुम्हारी चूत में तो गुलरी का फूल है !! मैंने कहा. और फिर से उनको कुतिया बना के पीछे से उनकी चूत मरने लगा. २ बार जल्दे से मैंने उनको चोद लिया.
भतीजे जी !! रात में कमरे में आना ! वो बोली.
रात में १ बजे मैं उनके कमरे में गया तो दरवाजा खुला था. पूरी रात मैं उनके पास ही था और तरह तरह से चाची को लेता रहा. आप ये कहानी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहें है.
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