आकांक्षा की चूत चुदाई
मेरा नाम सलीम खान है। मैं 28 साल का हूँ, 6 फुट का हूँ, और मैं गुड़गाँव की एक टेलिकॉम कंपनी में काम करता हूँ।
एक दिन मैं कार से ऑफिस से घर आ रहा था। रास्ते में बहुत से बस स्टॉप मिलते हैं, उसमें से बहुत सारे ऐसे भी हैं जहाँ कम बसें रूकती हैं।
ऐसे ही एक बस स्टॉप में एक अकेली महिला बैठी हुई थी, दिखने में मस्त थी। मुझे लगा कि शायद इसको कोई साधन नहीं मिल रहा है। उसके उदास चेहरे को देख कर मुझसे रहा नहीं गया।
मैंने कार रोकी और पूछ ही डाला- क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ?
जबाब में उसने कुछ नहीं कहा और चुप रही।
मैंने सोचा फालतू में इसको डिस्टर्ब कर रहा हूँ तो मैं चल पड़ा।
अचानक उसने पीछे से पुकारा और बोला- क्या आप मुझे ड्रॉप कर सकते हैं? बहुत देर से कोई ऑटो नहीं आया है।
मैंने ‘हाँ’ कर दी और वो मेरे बगल वाली सीट पर बैठ गई। हमने रास्ते में बहुत सी बात की, उसने अपना नाम आकांक्षा बताया।
अचानक जब रास्ते में एक स्पीड ब्रेकर आया तो उसका राईट हैण्ड मेरे पैंट के जिप के ऊपर तक चला गया। 2-3 सेकंड के बाद उसने हाथ हटा दिया। इसका एहसास मुझे होने लगा और मेरा लंड खड़ा होने लगा।
मैंने ‘सॉरी’ बोला फिर मैंने अपने घर के पास आकर उससे पूछा- आपकी कहाँ जाना है? मेरा घर तो आ गया !
जबाब में उसने बोला- मेरा घर तो पीछे रह गया। आपके साथ सफ़र का पता ही नहीं चला। पर क्या हम थोड़ी देर और घूम सकते हैं?
मैं चौंक गया ! वैसे भी यह शुक्रवार की रात थी तो मुझसे कोई प्रॉब्लम नहीं थी। सो हम लोग फिर से लॉन्ग-ड्राइव पर निकल पड़े। हमने बहुत सी बातें की, पति, प्रेमिका इत्यादि।
मैंने एक गोल-गप्पे के शॉप पर कार रोकी और उससे कहा- चलो गोल-गप्पे खाते हैं। मुझे पता है कि लड़कियों को गोल-गप्पे बहुत पसंद होते हैं।
उसने कहा- ठीक है, मैंने कार रोकी और वो कार से उतारी।
‘अभी तक मैंने उसको ठीक से देखा भी नहीं था, क्या नजारा था यार, क्या सेक्सी लेडी थी ! ठीक-ठाक घर की लगती थी, 34-30-36 की फिगर, दोनों हाथों में लम्बे नाखून, क्रीमी नेलपोलिश के साथ गुलाबी रंग की साड़ी, उफ़ ! मैं मदहोश हो गया और देखता ही रह गया, मुझे लम्बे नाखून बहुत पसंद हैं।
अचानक उसने चुटकी बजाकर मुझे जगाया और हँसते हुए पूछा- क्या हुआ?
मैंने तुरंत ही बोल दिया- आप बहुत सुन्दर हो।’
इसमें वो हँसते हए गोल-गप्पे खाने लगी और बोली- फ़्लर्ट बहुत हुआ, अब चलें।
मैंने कहा- मैं सच बोल रहा हूँ।
हम लोग कार में बैठ गए। इस बार मैंने महसूस किया कि वो थोड़ा और नजदीक आ गई है। उसका चेहरा लेफ्ट कान के पास था और मुझे उसकी साँसों की आवाज़ भी सुनाई दे रही थीं।
मैंने उसी वक़्त मुँह उसकी तरफ घुमा दिया और मेरे लब उसके गालों को छू गए। फिर मैंने तुरंत ही हटा लिया। मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मैंने बोला- अब चलते हैं।
‘ठीक है।’ बोली।
और मैंने कार अपने घर की तरफ घुमा दी।
घर के पास आते ही उसने बोला- तुम मुझे अपने घर के पास ही छोड़ दो। मैं ऑटो लेकर चली जाऊँगी।
फिर मैंने कार पार्क की और कॉफ़ी के लिए अपने घर में बुलाया, तो वो मान गई।
मेरा घर एक बैचलर रूम था, सामान इधर-उधर पड़ा हुआ था। मैंने उसको बिठाकर काफी बनाने चला गया। जब लौटा तो देखा वो मेरे घर का सामान ठीक करने में लगी है।
मैंने मना किया, लेकिन वो मानी नहीं और थोड़ा बहुत ठीक-ठाक करके मेरे साथ सोफे पर बैठ कर काफी पीने लगी।
हम लोग चुप-चाप कॉफ़ी पी रहे थे और मैं उसकी गहरी घाटियों को देख रहा था। उसका ध्यान दूसरी तरफ था। मैंने अचानक उसका हाथ पकड़ा और बोला- कितने प्यारे हाथ हैं !
वो हँसी और हम बात करने लगे। उसी बीच मैं उसके हाथ को लेकर खेलने लगा और मेरा लंड खड़ा होने लगा।
थोड़ा-थोड़ा करके मैं उसकी तरफ बढ़ रहा था और बहुत ही क्लोज होकर हम लोग बातें करने लगे कि अचानक मैंने उसके होंठों पर चुम्बन कर दिया।
और वो तो जैसे भूखे शेर की तरह मुझे चूमने लगी, जैसे कि जन्म-जन्म की प्यासी हो और मेरे इशारे का इन्तजार कर रही थी।
उसी बीच उसका हाथ मेरे लंड की तरफ बढ़ गया। पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी। मैंने उसको गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। बिस्तर पर लिटा कर धीरे-धीरे उसकी साड़ी को घुटनों के ऊपर सरकाने लगा।
‘कसम से… मुझे साड़ी उतारने से ज्यादा मजा साड़ी सरकाने में आता है।’
उसकी दूधिया जाँघों को देखकर मैं पागल हो गया, बिल्कुल केले के तने जैसे थीं। मुझे उसकी पैंटी नजर आई।
मैं उसके ऊपर लेट कर उसको किस करने लगा और धीरे-धीरे उसका ब्लाउज और ब्रा उतार दी।
उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और अंडरवियर छोड़ दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
फिर मैं उसके पूरे बदन पर पागलों की तरह चुम्बनों की बरसात करने लगा। उसकी सेक्सी सिसकारियों ने मुझे पागल बना दिया।
वो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पैंटी के बीच ले गई और मेरे कान में धीरे से बोली- मुझे और मजा चाहिए, मैं बहुत प्यासी हूँ।
जब मैंने छुआ तो ‘माय गॉड’, नीचे जैसे नाली बह रही थी।
मैंने उसके उभारों को चूसते-चूसते अपनी एक उंगली चूत की दरार में डाल दी, और उंगली को ऊपर की तरफ करके जी-स्पॉट खोजने लगा।
उसकी सिसकारियों से ही पता चल रहा था कि वो कौन सी जन्नत में है।
उसने मेरा हाथ नीचे से खींचा और मेरी उंगली को अपने निप्पलों पर फिरवाने लगी।
फिर मैंने पैंटी उतारी और उसने मेरा अंडरवियर। मेरा लंड देख पर पागल हो गई।
मैंने उसके हाथ को अपने गर्म हथौड़े जैसे लंड पर रख दिया, वो मेरे लंड को धीरे-धीरे सहलाने लगी।
मैं घुटने के बल बैठकर अपना लंड उसके चेहरे में फिराने लगा। वो समझ गई कि अब मुझे क्या चाहिए!
वो मेरे लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर लॉलीपॉप की तरह चाट रही थी। पूरे लंड को वो मुँह के अन्दर लेकर फिर बाहर करने में उसे मजा आने लगा।
पर… वो मुझसे कुछ कहने में शरमा रही थी।
करीब 5 मिनट तक चूसने के बाद मैं अपनी उंगली उसकी चूत में फिराने लगा और फिर उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियों को रगड़ने लगा।
वो ‘आह-आह’ कर मजे लेने लगी। अब मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी और उसे उंगली से ही चोदने लगा।
मेरी पूरी हथेली उसकी चूत के पानी से गीली हो गई और मुझे बेड पर चित लिटा कर 69 पोजीशन में आ गई।
मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे लॉलीपॉप।
वो कभी जीभ को लंड के ऊपर चला रही थी तो कभी चूस रही थी, कभी अपने गले तक लेकर फंसा लेती थी।
उसी दौरान दोनों स्खलित हो गए, मैंने उसका सारा पानी पी लिया और उसने मेरा।
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद वो धीरे-धीरे मेरी छाती की घुंडियों चूम रही थी और मेरे लंड को हौले-हौले सहला रही थी।
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने मेरे लंड को होंठों के बीच दबा लिया और चूसने लगी।
मैं भी धीरे-धीरे उसकी चूत को सहला रहा था। अब मैंने उसको नीचे लिटा दिया और उसके पैरों के बीच बैठ कर लंड से उसके चूत सहलाने लगा और मैं उसके चेहरे के भावों को देख रहा था। ‘उफ़… क्या लग रही थी…’
उसकी वासना में डूबी आवाज आई- प्लीज अब और मत तड़पाओ, पेल दो न अन्दर!
मैं तो उसको थोड़ा तड़पाना चाहता था, मैंने सुपाड़े से चूत के होंठों को सहलाना जारी रखा। उससे रहा नहीं गया। उसने उठ कर मुझे नीचे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गई।
मेरा लंड उसकी चूत ऐसे घुस गया जैसे कि मक्खन में छुरी और वो ऊपर-नीचे होने लगी।
उसकी चूत कसी हुई थी, मेरा लंड फंस कर ऊपर-नीचे हो रहा था। बहुत मजा आ रहा था।
मैंने उसके वक्ष मजबूती से पकड़ रखे थे और उन पर उठे हुए चूचुकों को मसल रहा था। कुछ ही देर में उसका बदन ऐंठ गया और मेरे को जकड़ लिया।
मैं समझ गया कि वो झड़ गई है। पर अभी मेरा काम बाकी था, मैंने उसे घोड़ी बना कर खड़ा करके पीछे से एक झटके में अपना लौड़ा पेल दिया।
उसकी एक घुटी सी आवाज निकली और फिर वो सिस्कारियों ले रही थी- …आह्ह… फक मी… फक मी हार्ड… उईईइ… मसल दो मुझे… मैं आज सिर्फ तुम्हारी हूँ… आःह्ह…’ उसको और मज़ा आने लगा।
उसके चूतड़ मुझे बहुत ही आनन्द दे रहे थे। 2 मिनट में ही वो अपनी चूतड़ उठा-उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी।
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। मेरा जोश बढ़ गया और मैंने 15 मिनट तक उसके कूल्हे पकड़ कर धक्के मारता रहा। वो बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही थी।
वो 2 बार और झड़ गई पर मेरा लंड ऐसे ही खड़ा था। फिर मैंने उसको नीचे लिटाया और उसकी टाँगों को अपने कन्धों पर रख कर कस कर पेला। उसने मेरे पीठ को नाखूनों से नोच दिया।
मैंने 10-15 जोर के झटकों के बाद अपना लावा उगल दिया और कुछ देर उसके ऊपर ही लेटा रहा।
फिर हमने कपड़े पहन लिए, और वो मेरा नंबर लेकर चली गई। लेकिन उसके बाद उसका फ़ोन नहीं आया।
लेकिन आप लोग मेल जरूर करना।
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