गर्म तवे पर रोटी सेंकी
प्रेषक : रणजीत चौहाण
यह कहानी एक गांव की है, जिस गांव के लोग किसी जमाने में अपने बेटे बेटियों को खेलने कूदने का वक्त नहीं देते थे, पर उस गांव के लड़के-लड़कियाँ आज खेल-खा रहे हैं, हर लड़का फोन लेकर किसी न किसी लड़की से बात करता रहता है, लड़कियों की बुर हमेशा खुजलाती रहती है, लड़के तो क्या हर बूढ़े-जवान इससे तंग आ चुके हैं।
सोहन कहता : अरे देख, दीवान साहब की लड़की बुर खुजला रही है !
सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता !
यह बिमारी लड़कियों क्या गांव की महिलाओं को भी लग चुकी थी, जहाँ देखो फोन पर बतियाती रहती, और बुर को मसलती रहती।
एक बार सोहन ने गांव की महिला शीला को बुर मसलते देख लिया, बस वह जाकर उसे इशारा करने लगा, लण्ड पर हाथ फेरने का इशारा पाकर पहले तो वह बौखलाई, फिर बोली : देख, मैं श्यामू से बात दूंगी !
श्यामू उसका यार था जिससे वह फोन पर बात करती थी।
सोहन ने कहा : देखो, अगर बताना है तो बता दो ,लेकिन इससे भी अच्छा यह होगा कि बात तो तुम फोन पर करो उससे, लेकिन चुदवाओ मुझसे ! वैसे भी अकेले बुर मसलती हो, मुझसे मसलवा लो क्या फर्क पड़ेगा।
आखिर शीला मान गई, रात को वो छत पर फोन लगा कर बतियाती और श्यामू मजा लेता ! पर असली मजा तो सोहन ही लेता था।
श्यामू : और जानेमन, क्या कर रही हो?
शीला : बुर में कीड़े रेंग रहे हैं।
श्यामू : लाओ, मैं खुजा दूँ।
शीला : क्या फोन में उंगली डालोगे?
सोहन : नहीं बुर में डालूँगा।
सोहन खड़े-खड़े शीला को सीने से चिपका लेता है और शीला की गांड के नीचे से बुर को खुजाने लगता है।
शीला : खुजाओगे बस, डालोगे नहीं?
श्यामू : बस यह समझ लो कि उंगली तुम्हारी बुर में गई !
सोहन श्यामू की बात सुनते ही अपनी उंगली शीला की बुर में डाल देता है।
शीला : धीरे, तुम्हारी उंगली तो बहुत मोटी है।
श्यामू : मेरी उंगली तो बहुत पतली है।
शीला : तो क्या हुआ मुझे तो बहुत जोर से लग रही है ना !
श्यामू : अच्छा अपने कपड़े उतारो !
शीला : अभी नहीं !
सोहन अपने हाथ में फोन लेकर काट देता है और कहता है : अभी नहीं तो कभी नहीं !
सोहन शीला के ब्लाऊज को खींच कर खोल देता है और चुच्चों को मस्ती से दबाने लगता है, चूचे बड़े और भारी होने के कारण कभी ऊपर उठते तो कभी नीचे गिर जाते।
शीला सोहन के बाँहों में झूल गई, फोन का मजा अब असली में आने लगा था।
वो अपने चूतड़ों को रगड़ने लगी फिर सोहन ने शीला के लहंगे को खींचा और उतार दिया। शीला चड्डी में थी कि तभी फोन आ गया, शीला फोन उठाने गई तो सोहन ने अपने एक उंगली चड्डी में फंसा कर चड्डी खींच ली, शीला नंगी हो गई।
शीला बोली : मुझे शर्म आ रही है, कम से कम फोन तो उठा लेने दो !
सोहन शीला आंटी को बाहों में उठा कर कहता है : लाओ मैं तुम्हें ले चलता हूँ, लेकिन एक शर्त पर, तुम्हें मेरे लंड पर बैठना होगा !
शीला मान गई, सोहन कुर्सी पर बैठा और अपने लंड का सुपारा बाहर निकाल लिया।
शीला अपनी दोनों टांगों को खोल कर, सोहन की तरफ मुँह करके कुर्सी पर बैठने लगी तो सोहन ने कहा : एक काम करो, सुपारा अपनी बुर में फंसा लो !
शीला क्या करती, सुपारा अपनी बुर में फंसा लिया।
शीला को हल्का दर्द महसूस हुआ तो सोहन ने अपने ओंठों से शीला के ओंठ जकड़ लिए।
शीला अपनी बुर में गर्म गर्म डण्डा महसूस कर रही थी।
शीला बोली : अब चलो, मैं फोन उठा लूँ !
सोहन ने शीला को उठाया तो इस चक्कर में लंड बुर से आधा निकल कर फिर से घुस गया, अब सोहन अपने कदम बढ़ाता तो शीला की बुर की चुदाई होती !
शीला फोन तक पहुँचते ही मस्त हो चुकी थी, शीला सोहन के ओंठों को चूसते हुए बोली : एक बार मेरी बुर को चोद दो, फिर मैं बाद में फोन उठाऊँगी।
सोहन खुश हो गया, अब वो शीला को बेडरूम में ले गया और शीला को बोला : तू तो मस्त रंडी लगती है।
शीला बोली : तू भी तो रंडा है, इतना बड़ा लुंड घुसाया मेरी बुर में, अभी तक चिल्ला रही है !
सोहन प्यार से पुचकारते हुए : शीला, वो तो मैं तेरी खुजली मिटा रहा था।
शीला बोली : एक काम कर, फिर से डाल और जम कर खुजली मिटा !
सोहन शीला की बुर में लंड को घुसेड़ कर जो भका-भक अंदर बाहर करता रहा।
शीला बोली : आह आ आह तेरा बांस तो बहुत गर्म है मेरी तो बुर को मलाई की तरह मथ रहा है।
सोहन शीला की गांड को दबाते हुए : मजा तो तेरी गांड भी ले रही है !
शीला ने सोहन को झरते हुए बाँहों में दबा लिया।
सोहन बोला : मेरा लंड तो झरा ही नहीं?
शीला : तो फिर मेरी बुर तो गीली हो गई है।
सोहन : कोई बात नहीं मैं मार लूँगा !
अब शीला की बुर फच-फच करने लगी, सोहन झरा तो पानी बाहर आने लगा, शीला मस्त हो गई।
सोहन ने इधर श्यामू को फोन लगा दिया, श्यामू शीला को फिर से गर्म करने लगा इस तरह सोहन ने गरम तवे पर रोटी सेंकी।
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