भाभी की कुँवारी पड़ोसन पट कर चुद गई
दोस्तो, मैं राज (रोहतक) हरियाणा से फिर हाजिर हूँ।
आपने मेरी कहानी
देसी भाभी की रात भर चुदाई
पढ़ी, इस कहानी पर आपने अपने मेल किए उसके लिए धन्यवाद।
जैसे कि आपने अब तक पढ़ा था की जब मैं भाभी के घर से निकला.. तो उनकी एक पड़ोसन ने मुझे देख लिया था।
दोस्तो, वो पड़ोसन एक 20 साल की लड़की थी जिसका नाम बबीता था, यह काल्पनिक नाम है क्योंकि मैं किसी की गोपनीयता को भंग करना नहीं चाहता हूँ।
मैंने आपसे पिछली कहानी में कहा था कि अगली कहानी में इस पड़ोसन की चूत चुदाई के बार में लिखूँगा सो आप इस बबीता रानी की पूरी दास्तान का मजा लीजिए।
उस दिन जब मैंने बबीता को मुझे देखते हुए देख लिया तो सुबह मैंने भाभी को फोन पर बताया कि बबीता ने मुझे आपके घर से निकलते हुए देख लिया था।
भाभी बोली- करवा दिया कबाड़ा.. तुम देख कर नहीं निकल सकते थे? चल कोई बात नहीं.. मैं समझा दूँगी उसे..
मैंने कहा- ठीक है मेरी जान.. अभी फिर से आ जाऊँ.. अगर अकेली हो तो?
भाभी बोलीं- नहीं.. आज नहीं.. रात का तो शरीर टूटा हुआ है.. अभी रहने दे फिर देखती हूँ।
मैंने ‘ओके जान’ कहकर फोन काट दिया।
फिर 15 दिन तक भाभी की चूत मारने का कोई मौका नहीं मिला।
हमारे खेत की कुछ जमीन भाभी के घर के साथ लगती थी.. तो पापा ने वहाँ एक घर बनाने की सोच रखी थी। कुछ दिन बाद वहाँ हमने काम शुरू करवा दिया.. अब मैं ज्यादातर वहीं रहने लगा।
लेकिन भाभी की चुदाई का मौका नहीं मिल पा रहा था.. यूँ ही बस कभी उनकी चूचियाँ दबा देता.. कभी होंठ चूस लेता।
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इतने दिन मकान का काम लगे हो गए थे.. पर बबीता नहीं दिख रही थी।
मैंने भाभी से पूछा.. तो भाभी ने बताया- आजकल वो अपने मामा के घर गई है.. वो उसी दिन चली गई थी जब उसने तुम्हें मेरे घर से निकलते देखा था।
जिस दिन मैंने भाभी से बबीता के बारे में पूछा था उसके दो दिन बाद बबीता वापस आ गई।
मैंने उसे देखा वो एक चुस्त पजामी.. हरा कुरता पहने हुए गाण्ड मटका कर सीढ़ियाँ चढ़ रही थी।
चलिए आपको पहले बबीता के बारे में कुछ बता देता हूँ।
मेरे घर के दाईं ओर भाभी का घर है.. तथा बाईं ओर बबीता का घर है.. बबीता के घर के लोगों का रहना खाना-पीना सोना सब ऊपर की मंजिल में ही था।
उसके परिवार में चार सदस्य हैं.. वो.. उसका छोटा भाई उसकी माँ.. और बाप.. बबीता और उसकी माँ ऊपर और उसका बाप और भाई नीचे सोते हैं।
बबीता के चूतड़ थोड़े चौड़े और चूचियाँ ऊपर को उठी हुई हैं.. कुल मिलाकर उसकी चाल से ऐसा लगता था कि उसकी चूत को एक बड़े लण्ड की जरूरत थी।
बबीता भी सीढ़ियों से ऊपर-नीचे जाते समय मुझे देखती रहती थी.. पर साली भाव भी बहुत खाती थी।
एक दिन वो शाम को छत पर एक किताब लेकर बैठी थी। वो कभी मेरी और देखती.. कभी किताब में देखने लगती..
मैंने उसे आँख मार दी और फोन नम्बर का इशारा किया।
तो उसने हाथ हिला कर मना कर दिया.. फिर मैंने मौका देख कर कागज पर अपना नम्बर लिखकर उसकी तरफ फेंक दिया.. पर उसने मेरा नम्बर लिखा हुआ कागज मुझे दिखाते हुए फाड़ दिया और अन्दर चली गई।
मुझे गुस्सा तो बहुत आया.. पर क्या करता।
अब मैंने सोच लिया था कि इसकी तरफ देखूँगा भी नहीं और मैंने उसकी तरफ देखना बंद कर दिया।
वो रोज शाम को छत पर किताब लेकर बैठ जाती। कोई 3-4 दिन के बाद शाम के करीब पांच बजे के आस-पास मैं उनकी दीवार के पास कुर्सी डाल कर बैठा था.. तभी एक कागज का टुकड़ा मेरे आगे गिरा.. मैंने वो उठाया तो उस पर ‘सॉरी’ लिखा था..’ साथ में लिखा था ‘कॉल मी प्लीज.. नीचे नम्बर लिखा हुआ था।
एक मैंने ऊपर देखा.. तो बबीता देख रही थी।
मैंने भी वो कागज फाड़ दिया और कुछ देर बाद घर आ गया।
अगले दिन मैं दोपहर को अपने नए बन रहे घर की तरफ जा रहा था.. तो मैंने देखा कि भाभी का ससुर रोहतक जा रहा है.. भाई भी नहीं थे।
कुछ देर बाद मैं चारों ओर देख कर भाभी के घर में घुस गया.. अन्दर जाकर देखा कि भाभी बिस्तर पर सो रही हैं।
मैं अन्दर जाते ही भाभी के ऊपर गिर गया.. भाभी चौंक कर एकदम उठ गईं।
फिर बोलीं- आवाज नहीं दे सकते थे.. मैं डर गई?
मै बोला- जान ये आवाज देने का टाइम नहीं है..
मैं उनके होंठों को चूसने लगा।
भाभी भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.. तभी भाभी को ध्यान आया कि दरवाजा खुला है।
भाभी ने मुझे हटाया और कहा- मरवाओगे तुम तो.. दरवाजा खुला है.. रूको मैं बंद करके आती हूँ।
भाभी उठकर दरवाजा बंद करने चली गईं और मैं भी उठकर लण्ड पर वैसलीन लगाने लगा।
तभी भाभी की आवाज आई- आ जा बबीता.. बहुत दिन में आई।
यह सुनते ही मैंने लण्ड को वापस पैंट में डाल लिया और मन ही मन कहा- हो गया खड़े लण्ड पर धोखा।
मैं सोफे पर बैठ गया और बबीता अन्दर आ गई, वो दोनों बिस्तर पर बैठ गईं।
बबीता बिल्कुल मेरे सामने थी और भाभी की पीठ मेरी ओर थी।
बबीता और भाभी आपस में हँसी- मजाक कर रही थीं और बीच में मैं भी कुछ मजाक कर रहा था।
फिर थोड़ी देर में लाइट आ गई और बबीता ने टीवी चला लिया। भाभी लेट गई और बोलीं- तुम टीवी देखो.. मैं कुछ देर सो रही हूँ.. जाते टाइम टीवी बंद कर देना।
इतना कह कर भाभी करवट लेकर सो गईं। करीब 5 मिनट बाद मैं भी जाने लगा। मैं उठकर मुड़ा ही था कि बबीता ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरा गाल चूम कर धीरे से ‘सॉरी’ कहा।
मैंने धीरे से कहा- कोई बात नहीं..
मैं भी उसके होंठ चूमने लगा।
वो कुछ शर्मा रही थी.. लेकिन थोड़ी देर में वो भी होंठ चूमने लगी।
फिर मैंने उसे सोफे पर लिटा दिया और मैंने भी सोफे पर बैठकर बबीता का सिर गोद में ले लिया और हमने चूमना शुरू कर दिया।
अब तो बबीता पूरे जोश में आने लगी.. हमारी जीभें भी आपस में लिपट गई थीं.. ये सब बिल्कुल चुपके से हो रहा था।
अब मेरे हाथ बबीता की चूचियों पर चला गया.. उसकी अमरूद के साइज की चूचियां थीं।
कुछ ही देर में मेरा लण्ड अकड़ कर दर्द करने लगा।
मैंने बबीता से कहा- स्वीटी.. एक काम कर दो।
उसने कहा- क्या काम?
मैंने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुए कहा- इसे ठंडा कर दे..
मैंने पैंट की जिप खोल दी।
लण्ड के बाहर निकलते ही वो ध्यान से देखने लगी। मैंने उसका एक हाथ लण्ड पर रखकर खुद ही उसके हाथ को आगे-पीछे करने लगा.. उसने आखें बंद कर लीं।
मैंने धीरे से कहा- अब मैं अपना हाथ हटाता हूँ.. तुम अब अपना हाथ हिलाना..
मैंने पाना हाथ हटा दिया और वो धीरे-धीरे हिलाने लगी।
आह्ह.. क्या मस्त मजा आ रहा था.. दुनिया में लौड़े की मालिश से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- जरा तेजी से हिला न..
उसने भी मेरा लौड़ा मुठियाने की रफ्तार बढ़ा दी।
मेरा लौड़ा आग उगलने को तैयार हो गया था और कुछ ही पलों में मेरा माल निकल गया। मेरा सारा माल उसके कपड़ों और हाथ पर गिर गया।
उसने अपनी चुन्नी से हाथ व कपड़े पोंछे।
मैंने भी भाभी के बिस्तर की चादर से लण्ड पोंछ लिया।
फिर मैं बबीता के पास बैठ गया और हल्के-हल्के से उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
मैं धीरे से बोला- स्वीटी.. आज रात को तुम अपने घर के पीछे वाले खेत में आ जाना।
वो बोली- नहीं आ सकती.. माँ साथ ही सोती हैं।
मैं बोला- तुझे आना होगा.. मेरी कसम।
वो बोली- कोशिश करूँगी।
फिर मैंने उसे अपना नम्बर दिया और कहा- मैं घर जा रहा हूँ.. रात को यहीं आऊँगा सोने.. और खेत में आते ही मुझे फोन करना..।
उसने ‘ओके’ कहा और मैं घर चला आया और रात होने का इन्तजार करने लगा।
रात को 8 बजे मैंने खाना खाया और एक छोटी शीशी में सरसों का तेल डालकर नए घर पर आ गया।
नींद तो जैसे कोसों दूर थी। मैंने बाहर खाट डाली और लेट गया और उसके फोन का इन्तजार करने लगा। उसके रसीले चूचों की सोचते-सोचते मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैं लेटे-लेटे मुठ मारने लगा।
अपना माल निकालने के बाद पेशाब करके मैं सो गया।
फिर अचानक मेरी आँख खुली.. तो मैंने देखा कि मेरे फोन में दो मिस काल पड़ी हैं… मैंने काल किया तो बबीता बोली- उठ जा कुंभकर्ण.. मैं खेत में आ रही हूँ.. पांच मिनट में आ जा वहाँ।
मैंने ‘ओके’ कहा और चल दिया ठिकाने पर।
थोड़ी देर में वो आई.. तब तक मैंने धान की पुआल बिछा कर बिस्तर बना दिया था।
उसके आते ही मैंने उसके गाल पर पप्पी ली और कहा- लेट जाओ।
वो लेट गई.. और मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा। कुछ ही पलों में वो मेरा खुल कर साथ दे रही थी.. कभी वो मेरे ऊपर.. कभी मैं उसके ऊपर चढ़ जाते रहे।
कुछ समय बाद मैंने उसका कुरता उतार दिया और उसकी चूचियाँ चूसने लगा।
बबीता ‘आईईईई… सीसीहीई..’ की आवाज करने लगी।
मैं कभी उसकी उसकी पूरी चूची को मुँह में लेने की कोशिश करता.. कभी हल्के से काट लेता।
वो लगातार सिसकारियाँ ले रही थी ‘आआउह.. राज.. आआ..ई.. मुझे कुछ हो रहा है.. आईईई.. उउउईई..’
मादक आवाज करते हुए वो अपने चूतड़ हिलाने लगी.. वो शायद उत्तेजनावश इतने में ही झड़ गई थी।
मैं उसे चूमते-चूमते उसकी नाभि को अपनी जीभ से चोदने लगा।
बबीता बोली- ओह.. राज कितने अच्छे हो तुम..
वो फिर से गर्म होने लगी, मैंने धीरे से उसकी सलवार उतार दी और उसकी जांघों को चाटने लगा। बबीता की सांसें तेज होने लगीं। मैंने भी एक हाथ से अपने लोवर को नीचे करके लण्ड को आजाद कर दिया।
बबीता का बुरा हाल था.. वो कहने लगी- राज.. आह.. उउहह.. पागल ही कर दोगे क्या आज..
मैं बोला- जानू प्यार करने वाले पागल होते हैं।
मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी, उसने थोड़ी दर्द की आवाज की ‘आआइइइ..’
मैंने भी सोचा कि अब इसकी चूत चोद देनी ही चाहिए।
मैं उसके साइड में लेट गया और एक हाथ से उसकी चूची दबाने लगा और उसके हाथ में तेल की शीशी देकर कहा- डार्लिंग.. तुम तेल निकाल कर मेरे लण्ड पर लगाओ।
वो तेल निकाल कर मेरे लण्ड पर लगाकर उसकी मुठ मारने लगी।
मैं देर करने के मूड में नहीं था.. सो मैं उसके ऊपर चढ़ गया और लण्ड का टोपा उसकी चूत पर लगा दिया।
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया… और एक धक्का लगाया.. तो लण्ड का टोपा चूत में घुसता चला गया।
बबीता हाथ-पैर पटकने लगी.. तो मैंने एक जोर का धक्का फिर से मारा.. मेरा आधा लण्ड चूत को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया। शुक्र था कि मैंने उसके होंठ अपने होंठों में ले रखे थे.. नहीं तो उसकी चीख से आज मैं फंस जाता।
बबीता की आँखें बाहर आ गई थीं.. मैंने बिना रुके एक धक्का और लगाया.. तो मेरा पूरा लण्ड उसकी छोटी सी चूत में फिट हो गया।
मैं उसके होंठ छोड़ कर उसके कान के पीछे काटने लगा और हल्के झटके मारने लगा।
बबीता लगातार रो रही थी।
अब मैं उसके चूचे दबाने लगा.. वो भी अब नीचे से चूतड़ हिलाने लगी।
मैं उसके आँसुओं को चाट गया और झटके लगाने लगा।
बबीता अब मस्त होने लगी और कहने लगी- आहह.. उईई.. उह.. करो और तेज से.. उईई.. उउहह.. करो..
मैं भी फुल स्पीड से उसको चोदने लगा.. जब मेरा पूरा लौड़ा अन्दर घुसता तो वो दर्द भरी सिसकारी लेती।
थोड़ी देर में बबीता की सिसकी तेज हो गईं- आआहह.. राज.. आहह..
वो पूरे लण्ड को अन्दर जकड़ने की कोशिश करते हुए झड़ गई।
मैंने भी झटके तेज कर दिए और 8-10 झटकों में अन्दर ही झड़ गया।
फिर हम दोनों ने थोड़ी देर चूमा-चाटी की और मैंने बबीता को कपड़े पहनाए। उसकी चूत से जो खून निकला था.. उसे एक रूमाल से पोंछ कर रूमाल को खेत में ही दबा दिया।
फिर बबीता को सहारा देकर उसके घर के पास छोड़ कर अपनी खाट पर आकर लेट गया।
तो दोस्तो, यह थी मेरी और बबीता की चुदाई की कहानी..
आगे कभी आपको बताऊँगा कि भाभी की गाण्ड कैसे मारी और बाकी दो और चूतों की कहानी भी है जिनको मैंने इसी साल चोदा है।
दोस्तो, आपसे एक प्रार्थना है कि प्लीज कोई भी मेल करके भाभी का पता या उनसे दोस्ती कराने को ना कहे.. मैं दोस्ती में किसी का भरोसा नहीं तोड़ता.. भाभी भी मेरी दोस्त हैं, उनके साथ मैं धोखा नहीं कर सकता हूँ।
यह कहानी कैसी थी.. दोस्तो, जरूर बताना।
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