खिलता बदन मचलती जवानी और मेरी बेकरारी -2
मेरी कहानी खिलता बदन मचलती जवानी और मेरी बेकरारी -1 में अब तक आपने पढ़ा..
अगले दिन सभी का नशा उतरा.. पर मैं अब भी कल रात के नशे में रह-रह कर मुस्कुरा रहा था। अब एक किशोर वय के लड़के को और क्या चाहिए।
पापा का शिफ्ट में काम होता है। वे एक हफ्ते दिन में और अगले हफ्ते रात की शिफ्ट में ड्यूटी करते थे।
मम्मी-पापा सुबह-शाम सैर पर जाते थे, अगले रात भी गए। मैं और मेरा भाई सोया था.. पर रिया फोल्डिंग पर थी।
आज रिया थोड़ा बदली-बदली सी लग रही थी। मेरे सर में कुछ दर्द सा था.. तो मैं टाइगर बाम लगाने लगा।
रिया अचानक मेरे पास आई और मेरे हाथ से बाम लेने लगी।
मैंने जब गुस्सा दिखाया तो उसने कहा- मेरी कमर में भी दर्द है.. लगाना है।
अब आगे..
मैंने कहा- आप विक्स लगाओ।
पर उसने अचानक फिर से आ कर मेरे हाथ से बाम खींच ली.. तो मुझे गुस्सा आ गया।
मैंने भी तेज़ी से उसको पकड़ना चाहा तो उसका सूट का किनारा मेरे हाथ में आ गया।
मैंने उसी से उसे खींचना चाहा.. तो वो इस तरह से अपने हाथ उठाकर मुड़ गई कि उसका कमीज मेरे हाथों उतरने सा लगा, मेरे सामने उसकी पूरी नंगी पीठ और गोरी मखमली कमर आ गई।
जब उसकी ब्रा की पट्टी तक दिखने लगी.. तो डर के मारे मैंने उसको छोड़ दिया।
वो वहीं बैठ कर मेरे सामने अपनी कमर में बाम लगाने लगी तो मेरे सीने में दिल हथौड़े की तरह धड़कने लगा था।
मैं डर गया और रज़ाई ले कर सो गया।
अगली सुबह मेरी जब आँख खुली तो मैं चौंक गया.. मुझे लगा मेरी कैपरी में किसी का हाथ है.. मैं उठा और नीचे दीवान पर रिया को पाया। मैं अब सब समझने लगा था कि दो रात पहले जब मैंने उसके मम्मों को छुआ था.. तब वो नींद के नशे में नहीं थी। तभी तो आज वो मेरे साथ वही कर रही थी.. जो उस रात में उसके साथ हुआ।
मैं खुश भी था कि अब मैं शायद उसके मम्मों को पास से देख और दबा सकूँगा.. ह्म्म्म्म म..
जब तक मैं पूरे होश में आया.. मम्मी पापा आ गए थे और रोज़ के काम भी शुरू हो गए।
फिर अगले दिन टीवी देखते हुए उसके इशारे का इंतज़ार करने लगा.. पर मेरा भाई आज सोने का नाम ही नहीं ले रहा था। किसी तरह उसको नींद आई.. सुबह फिर से वो मेरे पास मेरे कैपरी में हाथ डाल कर मेरे चुन्नू (छोटा लौड़ा) को मसलने लगी।
मुझे दर्द हो रहा था.. पर अच्छा भी लग रहा था।
मैंने जब उसको मना करते हुए कहा- अरे आराम से करो न.. वरना टूट जाएगा।
मैं उसका हाथ निकालने लगा, रिया हँसने लगी, उसने मेरा हाथ लेकर अपने शर्ट में डाल दिया। मेरा हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से उसके ताजे मम्मों पर थे।
ऊवाहह्फ्ह.. क्या कहूँ.. बड़ा दिलकश मंजर था।
तभी वो शर्ट के ऊपर से मेरे हाथ को दबाने लगी.. मैं समझ गया कि अब वो क्या चाहती थी।
मैंने वैसा ही किया.. वो भी मेरे कैपरी में हाथ डाल कर फिर से मेरे चुन्नू को मसलने लगी।
मैंने थोड़ी देर उसके चूचे दबाने के बाद अपना हाथ बाहर निकाला और उसको अपने ऊपर खींचना चाहा.. पर वो भारी थी। मेरे हाथों में दर्द होने लगा.. तो मैंने इशारा किया।
फिर वो अपने आप ही मेरे बगल में आकर लेट गई। अब मेरा हाथ गले की तरफ से अन्दर नहीं जा पा रहा था.. मैं कुछ मायूस सा हो गया। तब वो मेरा हाथ लेकर अपने सूट में डालने लगी.. पर अब उसके मम्मे फूल जाने के कारण हाथ नहीं डाल पा रहा था।
तभी वो मेरे सामने रज़ाई से बाहर आकर अपना कुरता गले से ऊपर करके निकालने लगी.. पर मैंने रोका और उसे ऐसे ही रज़ाई में खींच लिया और कहा- आप क्या पागल हो.. किसी ने देख लिया तो?
पर वो तो मदमस्त हो चुकी थी।
मैंने गुस्सा किया तो रिया मेरा हाथ अपने पेट से ले जाते हुए अपने मम्मों की तरफ ले जाने लगी और मेरी बोलती बंद हो गई। मैं भी ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों को दबाने लगा.. तो उसने रोका और मेरे हाथ से अपनी ब्रा को हटाते हुए अपने नंगे मम्मों पर ले गई।
आह्ह.. क्या मक्खन से चूचे थे।
आज पहली बार मैंने किसी के मम्मों को इसे छुआ था, मेरी साँसें बहुत तेज हो गई थीं।
उसके मम्मों का आकार एकदम गोल और बहुत बड़ा था। रसीले आमों के जैसे मम्मों को बस छूने मात्र से मेरा मन गदगद हो गया था।
जब उसने फिर से मेरा हाथ दबाना शुरू किया तो मैं और जोर दबाने लगा।
उसके मम्मे नर्म स्पंज की तरह थे, सच में यार.. मैंने कभी इतना खूबसूरत एहसास नहीं किया था।
थोड़ी देर में मम्मी-पापा आ गए.. और हम दोनों का दिल टूट गया।
आज मेरी छुट्टी थी तो मैं और भाई घर में ही थे। भाई बाहर खेलने चला गया, दादा जी और पापा जी ड्यूटी पर और दादी किसी के घर चली गई थीं। मम्मी बहुत देर तक नहाती हैं। तो जब वो नहाने गईं.. तो मैं और रिया अकेले थे।
पहले जब मैं उसके पास गया.. तो वो दूर जाने लगी.. पर फिर मैंने उसे पकड़ा तो अपने पास लेटा कर उसके ऊपर बैठ गया और उसकी चूचियों को देखने की कोशिश करने लगा। पर अब वो नखरे करने लगी.. तो मैं उसको छोड़ बाहर जाने लगा।
अब उसने मुझे पकड़ा और मेरा हाथ अपने सूट के गले में डलवाने लगी।
मैं उसकी ब्रा के अन्दर अपना हाथ ले जाकर उसके मम्मों को मसलने लगा।
आज मैंने एक हाथ उसकी सलवार में भी डाल दिया.. पर जैसे ही मेरा हाथ उसकी पैन्टी के ऊपर से ही योनि तक पहुँचा.. मैं चौंक गया। वहाँ पर बिल्कुल बाल जैसा कुछ भी नहीं था। मेरे ऐसा करने से शायद वो भी चौंक गई थी। मैं उसके मम्मों को छोड़ कर उसकी योनि देखने की ज़िद करने लगा।
उसने मना कर दिया.. मैंने जबरदस्ती की.. तो भी नहीं दिखाई.. पर जब थक कर बैठ गया.. तब वो अपने आप ही कहने लगी- तुम मेरे मम्मों को देख लो..
मैंने कुछ सोचा और मान गया।
तब वो शर्माते हुए धीरे-धीरे अपना कुरता ऊपर की तरफ से उतारने लगी।
उसकी कमर बिल्कुल मेरे सामने थी। वो हल्की सी सांवली थी.. मगर चमकीली सी थी।
उसने अब कुरते को अपने गले से ऊपर करते-करते अचानक नीचे किया.. शायद ये देखने के लिए कि मैं कहीं कोई शरारत न करूँ.. पर मुझे बैठे देख उसने पूरा कुरता उतार दिया।
दोस्तो, मैं अभी कैसे बताऊँ कि मेरी क्या हालत थी.. रिया ऊपर के जिस्म पर बस ब्रा में थी।
मैंने जब ब्रा हटाने को कहा तब वो बोली- तुम खुद ही हटा लो ना..
मैं उसके पास गया और मैंने उसकी ब्रा का हुक ढूँढने लगा.. पर जब नहीं मिला तो पहले की तरह उसने खुद ही ब्रा को ऊपर कर दिया।
रिया के मुँह से ‘उउफ़फ्फ़..’ की आवाज़ आई और मेरे दिल में गड़ गई। उसकी नजरें मुझ पर पड़ीं.. तो मैं उसे देखने लगा। तब शर्म से उसने अपने हाथ से अपना मुँह ढक लिया।
वो शायद मुझसे एक साल बड़ी होगी.. अच्छे ख़ान-पान से उसका यौवन या कहें कि मदमस्त जवानी.. पूरे चोटी पर थी। वो पूरी जवान ही थी.. उसके बदन से कुछ महकने सा लगा था.. जो मुझे पागल किए जा रहा था। उसके दोनों मम्मे बिल्कुल गोल थे और दोनों पर बीच में एक भूरे रंग का छोटा सा बटन जैसा टंका था।
मैं ऐसे ही उसे देखने लगा, तभी वो अचानक बोली- बस देखना ही था.. या और कुछ भी करोगे..??
मैं समझ गया था कि वो अपने मम्मों को दबवाने का इशारा था। मैं उस पर भूखे शेर की तरह कूदा और उसके मम्मों को अपने दोनों हाथों में लेने लगा।
उउउफ़फ्फ़.. उसके मम्मों का साइज़ तो मेरे हाथों से भी थोड़ा बड़ा था.. जो अब फूल गए थे और पहले से ज्यादा कड़क हो गए थे।
मैंने जब उसे देखा तो वो ये देख कर इतराने और मुस्कुराने लगी। मैंने देर ना करके उसके मम्मों को मुठ्ठी में पकड़ा और बड़े प्यार से सहलाने लगा और सहलाने के साथ-साथ मस्त रसीले आमों को बीच-बीच में थोड़ा दबा भी लेता था।
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तब उसने अपना हाथ मेरे हाथों पर रख कर कहा।
रिया- क्या यार अर्शित.. डर लग रहा है क्या?
मैं कैसे कहता कि मेरी तो डर के मारे फटी जा रही थी.. पर मैंने कहा- नहीं..
‘हम्म..’
मैंने- पर क्यों पूछा तुमने..?
रिया- फिर ज़ोर से दबा न.. और डर मत ये नहीं टूटेगा।
कह कर वो हँसने लगी।
मैं उससे उम्र में जरूर छोटा था.. पर हाइट बराबर ही थी। मैंने उसे पीछे धकेला और दीवान पर गिरा कर उसके मम्मों को ज़ोर से दबाने लगा.. पर वो तो बहुत ज्यादा प्यासी थी और गर्म भी थी। वो भी बहुत सेक्सी होने लगी। मेरे हाथों पर अपना हाथ रखा और ज़ोर-ज़ोर से अपने मम्मों को निचुड़वाने लगी।
दोस्तो, मैं अपने जीवन की एकदम सत्य घटना लिख रहा हूँ.. इसमें कहीं लेश मात्र भी झूठ नहीं है.. इस घटना के विषय में आप सभी से गुजारिश है कि अपने विचार मुझे ईमेल जरूर कीजिएगा।
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घटनाक्रम जारी है।
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