बिना कन्डोम के ही मेरी सील तोड़ो

बिना कन्डोम के ही मेरी सील तोड़ो

सबसे पहले सेक्सी लड़कियों और भाभियों को मेरा नमस्ते।
मैं राजवीर हूँ लुधियाना से.. मेरी उम्र 23 साल है। मैं दिखने में भी अच्छा हूँ।
बात 3 साल पहले की है तब मैं 12वीं में था।
मेरा एक दोस्त था.. उसका नाम नहीं लूँगा.. मैं रोज उसके घर आता-जाता था।
कभी-कभी उसके घर पर ही सो भी जाता।
पहले तो वो और उसकी दादी ही रहते थे, लेकिन एक दिन गाँव से उसकी बहन आई थी।
मैंने पहली बार उसे देखा तो देखता ही रह गया.. क्या माल थी..
उसकी ऊँचाई 5’5”.. खुले काले रेशमी बाल..
उसके मम्मे भी खासे बड़े थे।
उसकी गाण्ड तो.. हाय मार ही डाले..
मैंने उसके बारे अपने दोस्त से पूछा तो उसने उसका नाम स्नेहा बताया।
वो उम्र में मुझसे दो साल बड़ी थी।
अब मैं पहले से ज्यादा उसके घर जाने लगा।
स्नेहा भी मुझसे घुल-मिल गई, हम खूब मस्ती करते।
मुझे लगा कि वो भी मुझे अब पसंद करने लगी है।
एक दिन मैं दोपहर में उसके घर गया तो वो अकेली थी।
मेरा दोस्त उसकी दादी को हॉस्पिटल लेकर गया था।
हम बातें करने लगे।
मैं तो उसे ही देखे जा रहा था।
तभी उसने मुझसे पूछा- क्या मैं इतनी अच्छी लगती हूँ?
मैं- हाँ..
वो- तो आज तक कुछ कहा क्यों नहीं।
मैं- मौका ही नहीं मिला।
इतना सुनते ही उसने होंठ मेरे होंठों पर रख कर मुझे चुम्बन करने लगी।
मैं भी साथ देने लगा।
यह दस मिनट चला।
उसने मेरे हाथ पकड़ कर उठाया और अपने मम्मों पर रख लिया और दवबाने लगी।
उसकी चूचियाँ एकदम तन गई थीं।
जैसे ही मैंने उसकी चूची को पकड़ कर मसला.. वो सिसक उठी ओर बोली- आई लव यू जान.. स्स्स्स्स प्लीज जोर से दबाओ.. और जोर से प्लीज़ज्ज्… स्स्स्स्स् हाय..
मैं यह सुन कर ऊपर से ही और जोर से दबाने लगा।
मैं आगे बढ़ने ही वाला था कि तभी दरवाजे की घंटी बजी.. हम जल्दी से सामान्य हुए और उसने दरवाजा खोला तो उसका भाई और दादी थे।
उसके बाद मैं अपने दोस्त के साथ बातें करने लगा और बातें खत्म होते ही मैं अपने घर आ गया और मुठ मार कर अपने लंड को शांत किया और सो गया।
तभी मेरे मोबाइल पर मेरे दोस्त का कॉल आया।
मैं पहले तो डर गया.. पर उसने कहा- आज वो अपनी दादी को लेकर गाँव जा रहा है तो बहन घर पर अकेली है.. उसको अकेले रात को डर लगता है। तुम रात को मेरे घर पर सोने आ जाना।
मैंने ‘ओके’ कहा और जैसे ही कॉल कट हुआ.. मैं खुशी से नाचने लगा।
रात को मैंने जाने से पहले एक कन्डोम का पैकेट ले लिया और रात को 8.30 बजे उसके घर पहुँचा।
वो तो जैसे मेरा इन्तजार ही कर रही थी और तैयार ही थी।
उसने दरवाजा खोला, मैं अन्दर आ गया।
आज मैं उसे देखता ही रह गया वो गोरे-गोरे जिस्म पर सिर्फ लाल रंग की ब्रा और पैन्टी में खड़ी मेरा इन्तजार कर रही थी।
मैं तो एकदम से उस पर टूट पड़ा उसको बुरी तरह से चूमने और चाटने लगा।
उसने खुद ब्रा का हुक खोल दिया और पैन्टी भी निकाल कर फेंक दी।
अब मैं उसके मम्मों को हाथ में लेकर मसल रहा था.. सहला रहा था।
वो तो पागल हो गई और बोलने लगी- दबा क्या रहे होहअअआअ.. चूसो ना..आहह.. अब रहा नहीं.. जा रहा है.. चूसो न डार्लिंग..
ये सब सुन कर मैं और भी जोश में आ गया और जोर से चूसने और काटने लगा।
वो अब भी बड़बड़ा रही थी- ओह्ह.. मेरी जान.. जोर से चूसो पी.. जाअओ आह्ह्ह.. जोर.. से जान. आआअ स्स्स्स्स् ऊउइ माँ.. हाय.. डार्लिंग वैरी गुड..ह्ह्ह्ह्ह्ह मम्मी.. जोर से और आजह्ह्ह् उम्म्म्म्म इइइइइ।
अब मैंने अपने कपड़े उतार कर उसकी चूत को हाथ से सहलाने लगा।
उसकी चूत एकदम साफ़ थी.. एक भी बाल नहीं था।
मैंने देर ना करते हुए अपनी लपलपाती जीभ उसकी चूत पर लगा कर चूसने लगा।
उसकी चूत फूली हुई थी और सील भी नहीं टूटी थी।
मैंने अपनी ऊँगली उसकी तपती हुई चूत में डाल दी।
उसकी चूत बहुत कसी हुई थी.. अब धीरे-धीरे मैं ऊँगली अन्दर-बाहर कर रहा था और चाट भी रहा था।
पूरे घर में सिर्फ सिस्कारियां ही गूंज रही थीं।
‘अह्ह्ह्ह्ह राजाजआआआ नहहीई जोर्रर्र और जूओआआ गुल्ल्लल्लाआम ओह्ह्ह्ह्ह्ह चुस्ससो जोर से..’
थोड़ी देर के बाद वो अकड़ गई और उसने अपना पानी छोड़ दिया।
मुझे उसका स्वाद अच्छा नहीं लगा.. इसलिए मैंने अपना मुँह हटा लिया।
अब वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मेरी ‘आह’ निकल गई।
उसने कहा- अब रहा नहीं जा रहा.. अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
मैंने भी कन्डोम निकाला…
लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- प्लीज़.. मेरा पहली बार है इसलिए बिना कन्डोम के ही मेरी सील तोड़ो।
मैंने उसको लिटाया और उसके पैर अपने कन्धे पर रखे।
मैं अपना तनतनाया लवड़ा उसकी चूत की फांक पर रगड़ने लगा और उसको तड़पाने लगा।
मैंने उसकी आँखों में देखा और जब मैंने महसूस किया कि वो चुदने को तैयार है।
मैंने जरा झुक कर अपने अधरों से उसके मुँह को बन्द किया और एक धक्का लगाया।
मेरा लौड़ा उसकी दरार में फँस गया।
वो अपनी मुठ्ठियों को बाँध कर चादर को खींच कर अपना दर्द भूलने की कोशिश करने लगी।
तभी मैंने एक और झटका मारा.. मेरा आधा लौड़ा अन्दर घुस गया।
अब उससे रहा नहीं गया वो रोने लगी मगर मेरे होंठ उसकी आवाज को दबाए हुए थे।
मैं समझ तो रहा था कि इसको थोड़ी देर और दर्द होगा सो लंड को बाहर खींच कर एक करार प्रहार किया और मेरा लौड़ा उसकी चूत की गहराइयों में उतर गया।
फिर मैं कुछ देर तक रुका रहा।
मैं उसके मम्मों को सहलाता रहा।
कुछ ही पलों के बाद उसका दर्द कम हुआ और वो मुझसे अपनी बाँहें लपेट कर चिपक गई।
मैं समझ गया और फिर हमारी चुदाई धीरे-धीरे अपने मुकाम तक पहुँचने लगी।
करीब 20 मिनट की धकापेल के बाद वो झड़ने के कगार पर थी।
उसने मुझे जोर-जोर से करने को कहा।
मैं समझ गया कि ये जाने वाली है।
मैं उसको पूरी रफ्तार से चोदने लगा।
कुछ ही समय में मैं हम दोनों ही एक साथ झड़ गए।
एक बार की चुदाई पूरी होने के बाद हम लोग उठे तो चादर पर खून के दाग लगे थे।
वो मुस्कुरा उठी उसका कौमार्य भंग हो चुका था।
इसके बाद उस रात हमने दो बार और चुदाई की।
फिर तो गाहे-बगाहे जब भी मौका मिलता हम दोनों अपनी प्यास बुझाने लगे।
यह मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी है।
आपके विचारों को जानने के लिए मुझे आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।



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Aglay din me subha uthi to khud ko bohot tar o taza mehsoos ker rahi …

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