दोस्त की बहन की चुत की सील तोड़ चुदाई
यह हिंदी सेक्स स्टोरी मेरी और मेरे दोस्त की बहन अंजलि की चुत की सील तोड़ चुदाई की है।
हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम अमित बिश्नोई है, मैं हिसार, हरियाणा से हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है और मेरा लंड बहुत मोटा व लम्बा है।
अंजली के भाई का नाम रविंदर है जो मेरे साथ ही काम करता था। हमारा काम फील्ड का था, तो कई बार उसकी बहन अंजलि भी हमारे साथ आ जाती थी। इस तरह मैं और अंजलि नजदीक आ गए थे और एक-दूसरे से खुल कर बात करने लगे थे।
चूंकि मैं और अंजलि खुल कर बात करते थे, तो एक दिन मैंने उससे पूछ ही लिया कि क्या उसका कोई बॉयफ्रेंड है?
मेरे सवाल पर पहले तो वो शर्मा गई फिर बोली- नहीं.. ऐसा कोई मिला ही नहीं, जिसके साथ फ़्रेण्डशिप करूँ।
मैं बोला- फिर कोई पसंद कर लो, कब तक ऐसे अकेली रहोगी?
तभी उसका भाई आ गया और हम अपने काम में लग गए। कुछ दिन बाद हमारी फोन पर नॉर्मल बातें होने लगीं।
इस घटना के बाद धीरे-धीरे हम दोनों एक-दूसरे के करीब आने लग गए, फोन पर बातों के दौरान ही हम दोनों सेक्स की बाते भी करने लगे।
एक दिन उसका भाई हमें ऑफिस में छोड़ कर अपने काम से चला गया, तो हम ऐसे ही बात करते रहे। कुछ देर बाद मैंने उसे प्रपोज़ कर दिया और उसने भी ‘हाँ’ कह दी।
मैं अपनी कुर्सी से उठ कर उसके पास गया और उसे किस किया, तो उसने शर्मा कर अपनी आँखें बंद कर ली। हम एक-दूसरे को स्मूच कर रहे थे, तभी उसके भाई का फ़ोन आ गया.. तो हम दोनों कार लेकर चल पड़े। वो बहुत खुश लग रही थी।
फिर जब हम घर आकर फ़ोन पर बात करने लगे.. तो मैंने उससे सेक्स के लिए पूछा, तो पहले वो ना-नुकुर करने लगी। अंत में फ़ोन काटते वक्त उसने कहा- मुझे कल फतेहाबाद आकर मिलोगे क्या?
मैंने भी झट से ‘हां’ कह दी और मैं अगले दिन का इन्तजार करने लगा। उस रात मैंने उसके नाम की तीन बार मुठ मारी और सो गया।
सुबह जब उसका फ़ोन आया, तो मेरी आँख खुली और हम ऐसे ही बात करने लगे।
फिर मैं उससे मिलने की तैयारी करने लगा और बाजार से उसके लिए एक कलाई घड़ी ले ली। कुछ देर बाद उसका फ़ोन आया कि वो बस स्टैंड पर पहुँच चुकी है.. तो मैं भी उसे लेने पहुँच गया।
जब वो मुझे दिखी, तो वो आज कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही थी। हम अपनी कार में बैठे और पार्क में चले गए, वहां कुछ देर बाद बात करके मैंने उससे सेक्स के लिए पूछा।
मैं- क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी?
अंजलि- अब मैं तुम्हारी हूँ, जो तुम चाहो कर सकते हो।
वो इतना कहकर शर्मा गई।
तभी मैंने अपने एक दोस्त को फ़ोन किया और रूम के लिए बोला। मैंने उससे पहले ही रूम के लिए बोल रखा था, तो उसने एड्रेस बता दिया.. जहाँ वो रहता था।
फिर जब हम दोनों वहाँ पहुंचे, तो वो हमें रूम की चाभी देकर चला गया।
जैसे ही हम कमरे में आए, मैंने दरवाजा लॉक कर दिया और उसे किस करने लगा। कुछ ही देर बाद वो भी शर्म छोड़ कर मेरा साथ देने लगी।
एक दूसरे को किस करते हुए हम इतना खो गए थे कि हमें पता ही नहीं चला कि कब हमने ऊपर के कपड़े निकाल दिए। मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया और उसकी ब्रा खोल कर एक हाथ से उसके चूचे को मसलने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चुत सहलाने लगा। वो भी मजे में आकर ‘ऊह आह हहह..’ करने लगी।
मैंने उसकी नाभि को चूसते हुए उसकी सलवार खोल कर उतार दी। वो अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी रही। मैं उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चुत को चूसने लगा और वो भी सीत्कार करते हुए ‘आह.. ऊह.. ईईई..’ करने लगी।
अब मैंने उसकी पेंटी को उतार दी और उसकी चुत चूसने लगा। कुछ ही पलों में हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।
थोड़ी ही देर में हम एक-दूसरे के मुँह में ही झड़ गए। मैंने उसकी चूत के पानी को चाट कर साफ कर दिया।
झड़ने के बाद कुछ देर ऐसे ही लेटे हुए मैं उसके मम्मों को चूसने लगा। थोड़ी ही देर में वो गर्म हो गई और लंड को पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगी। कुछ देर हम 69 की पोजीशन में आ गए और फिर मैंने उठ कर उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखीं और लंड को उसकी चुत पर घुमाने लगा।
तभी वो चुदासी हो उठी और बोली- अब डाल भी दो जान.. क्यों तड़फा रहे हो!
मैंने थोड़ा सा थूक लंड पर लगा कर एक झटका लगा दिया। अभी मेरे लंड की टोपी ही चूत के अन्दर गई थी कि वो जोर से चिल्लाने लगी- आह छोड़ दो मुझे.. मेरी फट जाएगी.. उम्म माँ मर गई।
मैंने बिना परवाह किए एक जोर का झटका और मार दिया और मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी चुत को चीरते हुए अन्दर चला गया।
वो चिल्लाए जा रही थी- आह छोड़ दो मुझे, मेरी चुत फट जाएगी। मैं और नहीं सह सकती मम्म्मा.. आहह उइई माँ..!
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मैं कुछ देर ऐसे ही उस पर लेटा रहा और उसके मम्मों को एक-एक करके चूसने लगा। जब वो कुछ शांत हुई, तो मैंने उतने ही लंड को ही चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ देर बाद उसको भी अब दर्द कम होने लगा था, तो मैंने ये भांपते ही अपना पूरा लंड बाहर निकाला, जो उसके खून से लाल हो चुका था और जोर से धक्का देते हुए चूत में चांप दिया। इस बम पिलाट धक्के से मेरा पूरा लंड उसकी चुत में अन्दर तक घुस गया। वो इस एकदम से हुए प्रहार से सकपका गई और छटपटाने लगी।
मैं कुछ देर उसे किस करता रहा, फिर जब उसका दर्द कुछ कम हुआ.. तो वो अपनी कमर हिलाने लगी, तो मैं भी धक्के लगाने लगा।
वो मादक सीत्कार करने लगी- आह.. मजा आ रहा है जानू.. और जोर से चोदो मुझे.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… हहह.. हाय मैं मर गई..!
फिर कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और जोर से चिल्लाती हुई झड़ गई।
मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसे हचक कर चोदने लगा। कुछ देर बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गए और ऐसे ही लेटे रहे। उसके बाद हम बाथरूम में गए, मैंने उसकी चुत को धोया और उसने मेरे लंड को साफ़ किया।
हम ये सब करते हुए वहीं फिर से गर्म हो गए और एक बार फिर चुदाई का सिलसिला चल पड़ा। पूरे बाथरूम में हमारी चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं।
कुछ देर बाद मैं उसकी चुत में ही झड़ गया। इस दौरान वो कई बार झड़ चुकी थी। फिर हमने कपड़े पहने और हम किस करके वहाँ से निकल आए।
उसे चलने में दिक्कत हो रही थी, तो मैंने उसे दर्द निवारक दवा दिलवाई और अपने घर चल दिए।
उसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिला.. हम सेक्स कर लेते थे। एक महीने पहले उसकी शादी हो गई। सेक्स तो हम आज भी करते हैं, पर अब हमारे पास पहले जितना मौका नहीं होता है।
अब मैं नई चुत सर्च कर रहा हूँ, काश कोई मिले, तो ये लंड भी शांत हो जाए।
तो फ्रेंड्स ये थी मेरे दोस्त की बहन की चुत की चुदाई की स्टोरी, प्लीज मुझे मेल जरूर करें, मैं आपके मेल का इन्तजार करूँगा।
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