चेतना की सील तोड़ी

चेतना की सील तोड़ी

प्रणाम पाठको, आपका अपना शिमत वापिस आ गया है अपनी नई कहानी को लेकर, वैसे आपने मेरी पहले वाली बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं ! आज

मैं आप को अपनी एक नई और सच्ची कहानी बताने जा रहा रहा हूँ, वैसे आपको मेरा तो पता है ना, मैं पांच फ़ुट सात इंच, साफ़ रंग और मेरा लौड़ा सात इंच का है और मुझे लड़कियों की चूत चाटना बहुत अच्छा लगता है।

तो बात तब की है जब मैं अपनी अपनी ऍम बी ए की ट्रेनिंग के लिए एक कम्पनी मैं गया था, वहाँ पर और भी काफ़ी विद्यार्थी आये थे ट्रेनिंग के लिए लेकिन अपने कॉलेज से सिर्फ मैं ही गया था। तो मैं जैसे ही पहले दिन वहाँ पर गया, कइयों से बात हुई, कोई कहीं से आया हुआ था तो कोई कहीं से ! वहाँ पर मेरा काम था एच आर में ट्रेनिंग का। वहाँ पर मेरे साथ के लिए तो पाँच छ: जने और थे, लेकिन फिर मेरी नज़र एकदम से एक लड़की पर पड़ी, क्या चीज़ थी यार वो ! एकदम गोरी चिट्टी, उसका फीगर लगभग 34-24-36 का होगा। उसको देखते ही मेरा तो लौड़ा फुंकारे मारने लगा, मुझे लगा अब तो ट्रेनिंग का बहुत मजा आएगा। मेरे दिमाग में तो पता नहीं कहाँ-कहाँ से क्या-क्या चलने लगा। फिर मुझे पता लगा कि यह हमारे ही साथ ट्रेनिंग लेगी, मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा और मैंने सोच लिया कि जो भी हो, इसको जरुर पटाऊँगा।

फिर मेरा खुराफाती दिमाग उसको पटाने की तरह तरह की तरकीबें सोचने लगा। एक हफ्ता निकल गया लेकिन कुछ बात ही नहीं हो पाई।

एक दिन मैनेजर सर ने हमारे ग्रुप बाँट दिए और कहा कि तुमको ग्रुप में काम करके यह असाइनमेंट करना है और इत्तेफाक से मेरा नाम चेतना के साथ आ गया मुझे तो बस जैसे सब कुछ मिल गया हो। फिर क्या था मैंने भी मौका हाथ से जाने नहीं देना था, काम करते-करते हम दोनों काफी घुलमिल गए और हमने एक बहुत अच्छा असाइनमेंट तैयार कर दिया और सर ने सबसे अच्छा असाइनमेंट हमारा ही बताया। हम दोनों ही बहुत खुश हुए।

फिर हमारे ऐसे करते- करते काफी बात होने लगी, हम दोनों एक साथ घूमने जाने लगे, मौज मस्ती करने लगे। फिर एक दिन मैंने उसको प्रोपोज़ कर दिया- आई लव यू !

वो कुछ ना बोली और वहाँ से चली गई। और अगले दिन उसने मुझ से बात भी नहीं की। मुझे लगा कि नाराज हो गई लेकिन फिर दो दिन बाद वो मुझे छुट्टी के समय पर मिली और बोली- शिमत, मुझे तुमसे एक बात करनी है !

मैंने कहा- बोलो !

तो वो बोली- मैंने बहुत सोचा तुम्हारे बारे में ! मुझे लगता है मुझे भी तुमसे प्यार हो गया है !

मैं तो खुशी से पागल हो गया और मैंने उसको गले से लगा लिया !

और फिर क्या था, फिर तो मैंने उसको बस चोदने का प्लान बनाना था, और एक दिन उसके घर पर कोई नहीं था। उस दिन मैं और वो कंपनी में नहीं गए और मैं उसके घर गया, वो अपने घर पर थी और मैं जब वह पहुँचा, तो वो नहा रही थी।

मैंने डोर बैल बजाई तो आवाज आई- दो मिनट रुको, मैं नहा रही हूँ, अभी आती हूँ।

मैंने कहा- मैं हूँ शिमत !

तो वो बोली- अभी आती हूँ।

वो बिना ब्रा पहने टॉप में आ गई। उसकी चूची साफ़ दिख रही थी, मेरी तो नज़र वहाँ से हटी ही नहीं !

वो बोली- क्या हुआ? अंदर आ जा !

मैं अंदर चला गया।

फिर वो बोली- मैं अभी कपड़े बदल कर आती हूँ, तुम इतने टी वी देखो !

मुझसे रहा नहीं जा रहा था लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ से शुरू करूँ।

मैं धीरे से उसके कमरे के पास गया जहाँ वो कपड़े बदल रही थी, मैं वहाँ पर जैसे ही पहुँचा, वो पैंटी पहन रही थी, क्या चूत थी और गांड तो लाजवाब थी, मेरा तो मन कर रहा था कि उसकी चूत और गांड दोनों ही चाट लूँ, चूचियाँ उसकी तनी हुई और थोड़ी बड़ी-बड़ी संतरे जैसी थीं। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, मुझसे अब रहा ही नहीं जा रहा था, मैं वहाँ से चुपचाप आकर टी वी के पास बैठ गया।

वो वहाँ पर आई और बोली- क्या लोगे, चाय, कॉफ़ी या कुछ ठंडा?

मैंने कहा- मैं ठंडा लूँगा !

तो वो रसोई में चली गई और ठंडा लेकर आई, और मेरे पास आकर बैठ गई।

हम दोनों बात करते रहे और टी वी देखते रहे, अचानक ही टी वी में एक रोमांटिक सा दृश्य आ गया, वो थोड़ा शरमा गई।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

वो बोली- कुछ नहीं।

मैंने कहा- तुमको रोमांटिक दृश्य पसंद नहीं हैं क्या?

वो कुछ नहीं बोली और शरमा कर दूसरी तरफ मुँह कर लिया। मैंने उसके हाथ पर हाथ रख दिया, वो सहम सी गई और एकदम से जोर-जोर से सांस भरने लगी।

मैंने उसके हाथ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया, वो सहम कर बोली- क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही।

और धीरे-धीरे हाथ उसके कंधे तक लेकर चला गया। वो तड़प सी रही थी, मैंने उसके होंठों पर उंगली फिरा दी वो और जोर से सांस भरने लगी। मैंने फिर धीरे से उसके हाथों को चूमा फिर उसके गालों को और फिर उसके होंठों को !

क्या नर्म-नर्म से होंठ थे उसके !

वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे और चूमते रहे। फिर मैंने उसकी गोल गोल चूचियों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। एक तरफ तो वो चुम्बन में मदहोश हो रही थी और मेरा हाथ अपने चूचियों से हटा भी रही थी, पर मैं भी अब कौन सा पीछे हटने वाला था !

अपना एक हाथ लगातार उसकी चूचियों पर फेर रहा था। अब मुझे भी जोश आ रहा था, मुझे लगा कि अब इसे भी मजा आने लगा है तो मैंने अपना हाथ टीशर्ट में डाल दिया और ब्रा का हुक खोल दिया।

मैंने अब उसकी टी शर्ट भी उतार दी, उसकी चूचियों बाहर निकल आई। मैं पागलों की तरह उसके होंठों को चूमता रहा और उसकी चूचियों को दबाता रहा, फिर मैंने उसकी चूचियों को चाटना शुरू कर दिया। वो भी जोर- से सिसकारियाँ भरने लगी, वो अ..आ… उ.. ऊ.. आ की आवाज करने लगी, वो मस्त होकर आआ आआआअ आआ की आवाजें निकाल रही थी और मैं जोश मैं जोर जोर से चूचे दबा रहा था।

मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी मैं डाल दिया, मुझे अंदाजा हो गया कि उसकी योनि गीली हो चुकी थी बुरी तरह से ! फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत को चाटने लगा।

क्या स्वाद था, क्या मस्त गन्ध आ रही थी उसकी योनि में से, उसका यौवन रस भी एकदम नमकीन लग रहा था।

मैं जोर जोर से उसकी चूत चूसे जा रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। यार मज़ा आ गया, फिर मैंने उसकी गांड भी चाटी, मुझे तो जैसे जन्नत ही मिल गई हो, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने धीरे से अपना सुपारा उसकी चूत पर रखा और हल्का से जोर लगाया, वो जोर से चिल्लाई- मर गई !

उसकी चूत बिल्कुल सील बंद थी।

मैंने थोड़ा और जोर लगाया तो सुपारा अन्दर चला गया, वो दर्द के मारे सिसक रही थी और रोने लगी थी, मैंने थोड़ा धैर्य से काम लिया और दो मिनट उसका दर्द कम होने तक रुका रहा।

जैसे ही उसका दर्द कम हुआ, मैंने जोर से एक और झटका दिया और लंड पूरा अन्दर हो गया।

उसकी चूत से खून निकल आया था, मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था और चोद रहा था। एक मिनट के बाद उसको चुदाई का आनन्द आने लगा था, वो भी पूरा साथ दे रही थी।

करीब बीस मिनट के बाद मैं झड़ गया और उसके ऊपर ही पड़ा रहा।

उस दिन हम दोनों ने दो बार चुदाई की।

मैं शाम तक उसके ही घर पर था उस दिन तो वो मज़ा आ गया जो कभी ज़िन्दगी में नहीं आया। अब भी जब भी मौका मिलता है, हम सेक्स करते हैं और ज़िन्दगी का मज़ा लेते हैं।

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी?

जरुर बताना ! और हाँ, मैं आपको जवाब भी दूँगा मेल पर।

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