गाँव में दोस्त की बहन चोद दी
अन्तर्वासना के पाठक-पाठिकाओ.. मैं राजन चौधरी आप सभी के सामने एक सत्य घटना लिख रहा हूँ.. यदि कुछ ग़लती हो जाए.. तो माफ़ कीजिएगा।
मैं महाराष्ट्र में जॉब करता हूँ, मेरी उम्र 26 वर्ष है.. मेरा रंग गोरा है और मैं आकर्षक दिखता हूँ..
यह कहानी आज से 2 साल पहले की है.. जब मैं गाँव गया हुआ था..
मुझे चुदाई का बहुत शौक है.. मेरे गाँव में एक लड़की रहती है.. उसका नाम प्रिया है। वो दिखने में बहुत ही सुंदर है.. उसकी लम्बाई 5.1 है.. रंग एकदम गोरा.. फिगर 32-28-32.. जब वो सामने से चलती तो अच्छे-अच्छों के लण्ड खड़े हो जाते थे।
इस बार मैं अपने गाँव बहुत साल बाद गया था, आज से 2 साल पहले जब मैं 8 साल बाद अपने गाँव गया हुआ था। सुबह मैं गाँव के चौक पर अपने दोस्त से मिलने गया हुआ था.. तब गाँव के हैण्डपंप पर मुझे एक खूबसूरत सी लड़की पानी भरती नज़र आई, उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि इसे यहीं पकड़ कर चोद दूँ।
लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था।
मैंने उसकी तरफ देखा और एक मुस्कान दी, वो तिरछी नजरों से मुझे घूरने लगी और वो वहाँ से चली गई।
उसके जाने के बाद.. जब मैं अपने दोस्त से मिला और उससे बातचीत.. हंसी-मजाक होने लगा।
बातों-बातों में मेरे बचपन में एक पक्का दोस्त था… उसको हम बहुत सताते थे.. मुझे उसकी याद आई और मैं अपने एक दोस्त को साथ लेकर उसके घर जाने लगा।
उसके घर में उसके मम्मी-पापा और एक बहन रहती थी।
जब मैं वहाँ पहुँचा तो वही लड़की कपड़े धो रही थी.. जिसे थोड़ी देर पहले देखा था।
मैंने उसे देख कर मुस्कान दी और घर में चला गया।
अन्दर जाने के बाद पता चला कि यक उस दोस्त की ही बहन है।
थोड़ी देर बात करने के बाद वो अन्दर आई उसने बात करते-करते उसकी और मेरी भी पहचान हो गई।
अब क्या था.. मैं रोज उसके घर जाता और उसको देख कर अपना मन शान्त करता रहता।
जब वो पानी भरने आती और जब झुकती तो उसकी चूचियाँ साफ नज़र आती थीं। उसकी चूचियों को देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
एक दिन ऐसा हुआ कि मेरी मम्मी 3-4 दिन के लिए शादी में गई थीं। मम्मी प्रिया की मम्मी से मेरे लिए खाना आदि की व्यवस्था के लिए बोल कर गई थीं।
दो दिन यूँ ही गुजर गए.. एक दिन खाना लेकर प्रिया आई.. जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मैं उसे देखता ही रह गया।
उसने पूछा- क्या देख रहे हो?
तो मैंने उसे बाँहों में पकड़ कर ‘आई लव यू’ बोल दिया।
वो हँस कर मुझे धक्का मारती हुई अन्दर रसोई में चली गई।
जब मैं अन्दर गया तो मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने फिर से अन्दर जाकर उसे पकड़ लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ लगा कर चुम्बन करने लगा।
इस बार वो कुछ नहीं बोली। लगभग 5-10 मिनट तक चूमने के बाद वो एक मुस्कान देकर ‘शाम को मिलते हैं..’ बोल कर अपने घर चली गई।
बाद में मैंने बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुठ्ठ मारी और बेसब्री से शाम का इन्तजार करने लगा कि अब मैं अपने दोस्त की बहन चोद दूँगा..
शाम को 7 बजे वो आई.. मेरे दरवाजे की घन्टी बजी मैं समझ गया कि वो आ गई है। मैं तौलिया और बनियान में था और मैंने तौलिया के अन्दर कुछ भी नहीं पहना था।
मैंने दरवाजा खोला.. वो नाईट सूट में थी मस्त लग रही थी।
वो खाने का टिफिन रखने अन्दर आई और मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी 34 साइज़ के दूध दबाने लगा।
वो कहने लगी- छोड़ो प्लीज़.. कोई देख लेगा..
मैंने उसे छोड़ा और दरवाजा बन्द कर दिया। अब मैं उसे फिर से अपनी बाँहों में लेकर चुम्बन करने लगा।
उसकी दिल की धड़कनें भी तेज होने लगी थीं।
मैंने उसे गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले गया.. उसको बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ गया।
मैंने पहले उसके माथे पर चुम्बन किया.. फिर होंठों से होंठों पर चुम्बन करते-करते.. मैं नाइटी के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाने लगा।
अब वो छटपटाने लगी।
फिर मैंने उसकी ज़िप थोड़ी नीचे की तो देखा.. उसने गुलाबी रंग की बिल्कुल पतली सी जाली वाली ब्रा पहनी हुई थी।
मैंने ब्रा के अन्दर हाथ डाला और उसके निप्पलों को सहलाने लगा।
वो आँखें बंद करके लेटी थी.. मैंने उसकी ब्रा को जैसे ही मम्मों से ऊपर किया.. आह.. मैं तो उसके मस्त गुलाबी मम्मों को देखते ही रह गया।
चौंतीस इंच के एकदम गोरे और गुलाबी रंगत लिए उसके चूचुक.. आह्ह.. उनको देख कर मैं तो पागल सा हो गया।
मैं उसके एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा। उसकी सांसें तेज होने लगी थीं.. और वो मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुँह को मम्मों पर दबाने लगी।
करीब 5 मिनट चूसने के बाद मैंने उसकी नाभि को चुम्बन किया और नीचे को सरका.. नीचे उसने लाल रंग की पैन्टी पहनी हुई थी।
उसकी पैन्टी को थोड़ी नीचे की.. तो देखा एक रसभरी चूत मेरी आँखों के सामने थी, उसकी चूत पर थोड़े-थोड़े रेश्मी बाल थे।
मैं उसकी चूत पर उंगली घुमाने लगा और थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत पर एक चुम्मा किया.. वो सिहर उठी ‘उह.. उफ..’
वो अपनी चूत को ऊपर उठाने लगी.. मैं समझ गया कि अब ये चुदने को तैयार है और मजे से अपनी चूत चुदवा सकती है।
मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ घुसेड़ दी और चूत के अन्दर जीभ घुमाने लगा।
वो मचल उठी और बोलने लगी- प्लीज़ छोड़ो मुझे.. मुझे कुछ हो रहा है..
मैं तब भी नहीं माना और चूत को चूसना जारी रखा।
वो मचल रही थी.. उसको मचलता देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
इधर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था, मैंने तौलिया हटाया और लंड एकदम आज़ाद हो गया।
मैंने लंड को प्रिया की चूत पर रखा और अन्दर डालने लगा.. लेकिन चूत बहुत कसी हुई थी.. तो लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था। उसे दर्द भी होने लगा था.. तो मैंने लंड के सुपारे पर तेल लगाया और उसके हाथों को पकड़ लिया।
अब मैं उसे चूमता हुआ अपने लंड को चूत पर रख कर एक ज़ोर से झटका मारा.. मेरा लण्ड आधा अन्दर घुस चुका था और उसकी चूत से खून निकलने लगा था।
वो बहुत ही जोर से मुझसे छूटने का प्रयास कर रही थी। मैं रुक गया और उसके होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
मैंने उसको मम्मों को सहलाया और दबाने लगा। करीब 5 मिनट तक मैं लण्ड डाले पड़ा रहा.. उसके बाद मैं उतने ही लण्ड को चूत में धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
वो अब भी दर्द से कराह रही थी और मैं चोदता जा रहा था।
वो चिल्ला रही थी- एयेए ऊ माँ.. दर्द हो रहा है छोड़ दो..ऊह्ह.. मैं मर जाऊँगी प्लीज़.. निकालो..
थोड़ी देर यूँ ही करने के बाद चूत में थोड़ा गीलापन हो गया और अब उसे भी मज़ा आने लगा।
अब वो भी मेरा साथ देने लगी और बोलने लगी- करो.. ज़ोर से करो.. प्लीज़.. और जोर से करो..
अब मैं पूरा लण्ड पेल कर उसे चोदता जा रहा था। कुछ पलों बाद वो अकड़ गई और झड़ गई। दस मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा अब मैं भी झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में अपना लंड दे दिया और उसके मुँह से खूब चुसवाया।
कुछ देर बाद मैंने उसके मुँह में ही मेरा सारा पानी छोड़ दिया, वो लंगड़ाती सी उठी और बाथरूम गई, फिर फ्रेश होकर अपने घर चली गई।
फिर जब भी मौका मिलता तो वो और मैं खूब चुदाई करते।
अब उसकी शादी हो गई है.. फिर भी मैं जब भी गाँव जाता हूँ.. और वो मिलती है.. तो वो मुझसे चुदवाने आ जाती है क्योंकि मैं उसको जितनी खुशी देता हूँ.. उतनी खुशी उसका पति भी नहीं देता है..।
आप सभी को मेरी ये सत्य घटना कैसी लगी? प्लीज़ अपने कमेंट जरूर देना।
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