मोहल्ले से चूत चुदाई की शुरुआत हुई
सभी को मेरा नमस्कार!
मेरा नाम आदित्य है(बदला हुआ नाम) आज मैं अपनी पहली कहानी लेकर आपके सामने आया हूं। मैं बहुत दिनों से इसे लिखने की कोशिश कर रहा हूँ मगर आज मैंने लिख ही दी किसी की मदद से। सीधे मुद्दे पर आता हूँ। मैं दिखने में स्मार्ट हुँ और सेक्सी भी, मेरे पास 7 इन्च का औज़ार है जो अक्सर अपनी जवानी दिखाने को बेताब रहता है। ऐसा ही हुआ कुछ एक दिन मेरे साथ! मेरे मोहल्ले में एक बहुत सुन्दर सी लड़की रहती थी जिसको देख कर मेरा औज़ार खड़ा हो जाता था और वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा देती थी तो साला मैं तो दीवाना ही हो जाता था।
एक दिन बारिश हो रही थी तो मैं अपनी छत पर बारिश में नहा रहा था। उसकी छत मेरी छत से दिखती है, वो भी नहा रही थी। उसी दिन मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया, उसने मुझसे इशारे में बात की और बस फिर क्या था, मैं वहीं से उससे अकेले मिलने की योजना बनाने लगा। और एक दिन उसने मुझसे मेरा नंबर माँगा तो मैंने दे दिया और मैं उसके फ़ोन का इन्तज़ार करने लगा।
फिर एक दिन उसकी कॉल आई और मैं तो समझ ही नहीं पा रहा था कि मेरे साथ यह क्या हो रहा है। उसने मुझसे मिलने की इच्छा जताई तो मैंने हाँ कर दी मगर समझ में नहीं आ रहा था कि कहाँ मिलें। उसने कहा- बाद में बात करते हैं, यह मेरा नंबर है इस पर तुम रात में एक बजे के बाद कॉल करना।
मैंने रात को फ़ोन किया तो उसने मुझसे बात की, बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता रहा मगर हम लोग मिल नहीं पाए, हम लोग आपस में काफ़ी खुल गए थे और एक दूसरे से हम लोग फ़ोन सेक्स करते थे।
एक बार उसने कहा- रोज़-रोज ऐसे मजा नहीं आता, मुझे मिलना है।
और एक दिन आ ही गया जब हम दोनों मिले वो भी उसी के घर पर!
हुआ यों कि उसके घर पर उस दिन उसकी मम्मी भी नहीं थी, और कोई तो उसके घर में है ही नहीं, तो उसने मुझे फ़ोन करके बुलाया और मैं दिन में करीब ग्यारह बजे पहुँच गया। क्या लग रही थी वो! एकदम हुस्न की मलिका लाल और काले रंग का सलवार-सूट पहने थी वो! क्या कहूँ उसके बारे में! बहुत सुन्दर है वो!
फिर उसने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और जोर से अपनी बाहों में समाने लगी जिससे मैं उसके ऊपर एकदम से गिरने लगा तो मैंने अपने आप को उससे अलग किया और मैं उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठों को चूसने लगा, वो भी मेरा साथ दे रही थी जैसे मानो उसे इसी पल की तलाश थी।
फिर मैंने कहा- यह गलत है!
मगर उसे नशा चढ़ चुका था और वो मेरे साथ बहुत खुलकर चूमाचाटी कर रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने दूद्धू पर रख दिया और कहा- दबाओ इसे! आज मुझे छोड़ना मत! बस मुझे प्यार करो और कुछ मत बोलो!
और मैं उसे चूमने के साथ-साथ उसके दूद्धू भी दबाने लगा और उसने अपना हाथ मेरे सामान (लौड़े) पर रख दिया और दबाने लगी।
मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था, मैंने उसकी कमीज़ उतार दी। फिर मैं उसको उसके गले पर चूमता हुआ उसके दूद्धू को उसके ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा और उसके पेट को चूमते-चूमते मैंने अपने दांतों से उसकी सलवार के नाड़े को खोल दिया और सलवार एकदम से नीचे सरका दी।
मैंने देखा कि उसकी पेंटी गीली हो रही थी। फिर मैं उसकी पेंटी के ऊपर से उसकी चूत पर चूमने लगा और वो अपने हाथ से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी। मैंने उसे हटा कर उसकी पेंटी को उतार दिया और मेरी तो आँखें खुली रह गई, वो एक बहुत प्यारी सी, गुलाबी सी चूत की मालकिन थी जिस पर कुछ ही बाल आए हुए थे।
फिर मैं उसे ‘आई लव यू’ बोल कर फिर से उसकी चूत पर चुम्बन करने लगा और उसे जोर-जोर से चूसने लगा।
अब उसकी बर्दाश्त करने की हिम्मत ख़त्म हो रही थी, उसने मुझे खड़ा किया और खुद नीचे बैठ कर मेरी पैंट उतार के मेरे लौड़े को चूसने लगी और मुझे धीरे-2 उसने नंगा कर दिया।
वो कहने लगी- यह तो बहुत सुन्दर है, आज मैं इसके साथ खेलूंगी!
उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरा लण्ड चूसने लगी। फिर मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया अब हम दोनों 69 की अवस्था में थे और मैं बहुत ज्यादा कामुक हो रहा था तो उसकी चूत को जोर-2 से चूसने लगा और वो मेरे मुंह में झड़ गई और उसने मेरे लौड़े को चूस-2 कर कहा- जानू, मुझे भी तुम्हारा रस पीना है, मेरे मुंह को अपने रस से भर दो!
वो फिर से चूसने लगी और मैंने अपनी पिचकारी उसके मुंह में छोड़ दी और वो सारा रस गटक गई।
कुछ देर बाद वो फिर से तैयार हो गई और मेरे लौड़े को उसने फिर से खड़ा कर दिया। इस बार मैंने उसे नीचे लिटा कर उसके मुंह से चुदाई की शुरुआत की। मैं उसके ऊपर आकर उसके मुंह में लौड़े को डाल कर उसके मुंह को चोदने लगा और वो बड़े मज़े से चुदवा रही थी।
अब मैं देर न करते हुए उसे चूमते हुए उसके पैरो के बीच में आ गया और उसकी चूत को चूसने लगा जिससे उसकी चूत गीली हो रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
उसने मुझसे कहा- जानू, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, डाल दो अपना लौड़ा और मुझे अपना बना लो!
मैंने उसकी टांगों को फैलाया और अपने लौड़े को पकड़ कर उसकी चूत पर लगा दिया तो उसके मुंह से आह ह ह ह ह… निकली और मैं उसे तड़पाने के लिए उसकी चूत पर अपने लौड़े को रगड़ने लगा, दोनों फ़ांकों के बीच में रगड़ने लगा और जोर-2 से उसकी गीली चूत पर पटकने लगा।
वो आहें भरती रही- आःह्ह्ह आह ह हाह ह अ ह अह ह अह अहह हह ह ह ह… आह अह हःअ हा..
कहने लगी- जानू, अब डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी!
मैंने उसकी तड़प को समझा और अपने सुपारे को उसकी चूत की छेद पर रख कर एक जोर से धक्का लगाया, वो चिल्ला उठी- आह आआह्ह्ह्ह…
उसकी सील अभी तक टूटी नहीं थी, मैं उसकी सील तोड़ने जा रहा था और मैंने बिना कुछ चिकनाई लगाये उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया।
जब वो चिल्लाई तो मैं रुक गया और उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने लगा। वो कह रही थी- जानू मुझे दर्द हो रहा है, मगर मुझे पता भी है कि अभी थोड़ी देर बाद मजा भी बहुत आने वाला है।
खैर मैं उसके दर्द के कम होने का इंतज़ार कर रहा था, उसे चूम रहा था और उसके दूद्धू को चूस रहा था।
जब उसका दर्द कम हुआ तो उसने ही मुझसे कहा- जानू अब और अंदर डालो!
फिर मैंने एक जोर का धक्का लगाया जिससे मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और वो अपने होंठों को बंद करे अपनी चीख को दबा रही थी मगर उसके मुंह से अम्म आह गुं गुंगुंगुं… की आवाज़ें आ रही थी।
मैंने देखा कि उसकी चूत से खून निकल रहा है मगर मैं रुका नहीं और उसे चूमते हुए अपना पूरा लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया और उससे लिपट के उसके ऊपर लेट गया जिससे उसका दर्द कम हुआ तो मैंने उसे कहा- जानू, आज तुम्हारी सील टूट गई!
तो वो समझ गई और उसने मुझसे कहा- जानू, तुम मुझे पूरा प्यार करो!
तो मैं उसके ऊपर उठ कर अपने दोनों हाथ उसके दोनों दूद्धू पर रख कर उसे चोदने लगा और वो अपने मुंह से आह आह अह हह आह हा अअह आहा आह आः अह की आवाज़ें निकाल रही थी, उसका दर्द कम हो गया था तो वो भी मेरा साथ देना शुरू कर रही थी और अपनी गाण्ड उठा-2 कर चुदवा रही थी।
मैं उसे चोदे जा रहा था तभी उसने कहा- जान, मुझे कुछ हो रहा है!
और वो अकड़ने लगी और उसका रस निकल गया मगर मेरा अभी नहीं निकला था, मैं उसे चोदे जा रहा था।
उसने कहा- जानू, तुम तो बहुत देर तक चलते हो, कितनी एनर्जी है तुम में?
और मैं उसकी बात सुन रहा था मगर मैं अपने काम में मग्न था और एकदम से मुझे भी जोश आ गया और मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाल कर उसे घोड़ी बनने को कहा।
वो बन गई और मैंने उसे पीछे से पकड़ कर उसके चूतड़ों पर चुम्बन किया और उसकी चूत में पीछे से अपना लण्ड डाल कए धक्कम-पेल करने लगा।
उसे भी मजा आ रहा था और मेरा माल निकलने वाला था। इतनी देर में वो दो बार झड़ चुकी थी। मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
तो उसने कहा- जहाँ तुम्हारा लण्ड इस समय काम कर रहा है!
और मैंने अपना सारा माल उसकी मासूम सी चूत के अन्दर निकाल दिया और हम दोनों ऐसे ही लिपट कर लेट गए।
इस चुदाई के बाद हम दोनों नहाए मैंने उसकी चूत से खून साफ़ किया और उसने मेरे लौड़े से! फिर उस दिन मैंने उसे कई आसनों में खूब चोदा और हम दोनों की चुदाई का सिलसिला यहीं से शुरू हो गया, जब भी हमें मौका मिलता, हम दोनों सेक्स करते।
आपको मेरी पोर्न कहानी कैसी लगी मुझे बताइएगा ज़रूर, जिससे मैं आप लोगों के सामने अपनी और भी कहानियाँ लेकर आ सकूँ।
धन्यवाद! मैं इंतज़ार करूँगा आपके मेल का।
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