जवान लड़की की बुर की चुदाई स्टोरी
यह कहानी एक जवान लड़की की बुर की चुदाई की है. मैं सेल्समैन की जॉब करता था। मेरे बात करने के तरीके से प्रभावित होकर एक ग्राहक लड़की ने मुझे अपने ऑफिस में जॉब दे दी. स्टोरी पढ़ कर मजा लें!
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार… मैं अन्तर्वासना पर प्रकाशित होने वाली हिंदी सेक्स स्टोरीज पिछले एक साल से पढ़ रहा हूँ और मैंने यहाँ से बहुत कुछ सीखा भी है।
मैंने सोचा क्यों न आज अपनी जीवन की भी सच्ची कहानी आप सभी को बताऊँ।
कहानी में गोपनीयता के चलते उस लड़की का नाम बदला हुआ है जिसके साथ मैंने सेक्स किया था।
पहले मैं आप सभी को अपने बारे में बता दूँ… मेरा नाम निक्की है। मैं दिल्ली में रहता हूँ। अब मेरी उम्र 25 साल है। कद 5 फुट 10 इंच का है… मैं दिखने में भी ठीक-ठाक हूँ। मेरे लंड का साइज़ भी इतना है कि किसी को भी संतुष्टि दे सके।
यह कहानी 2009 की उस समय की है… जब मैं नॉएडा के एक मॉल में सेल्स मैन की जॉब करता था। वहीं पर इस कहानी की हसीना से मेरी मुलाकात हुई उसका नाम नेहा था।
वो दो लड़कियां आई थीं… एक का नाम नेहा… दूसरी मुझे पता नहीं है।
मुझे लगा कि ये दोनों ऐसे ही टाइम पास करने आई हैं। मैं भी खाली था… सोचा मेरा भी टाइम पास हो जाएगा। मैं नेहा के बारे में बता दूँ… उसकी उम्र 26… कद कोई 5 फ़ीट 4 इंच का था… फिगर 32-26-34 का था। वो देखने में बहुत क्यूट और सुन्दर थी। मेरा तो उसको देखते ही उस पर दिल आ गया था। मैंने सोचा बस कैसे भी करके मेरी इससे दोस्ती हो जाए।
वो मेरे पास एसी लेने आई थी। अक्सर मैं अपने ग्राहकों से अच्छे से ही व्यवहार करता हूँ… और उस दिन भी वही हुआ। उसे मैंने एसी दिखाया और उसे एसी पसन्द करवा दिया… पर उसे फाइनेंस करवाना था।
मैंने उससे कहा- हो जाएगा जी… जीरो प्रतिशत पर करवा दूँगा… और बोलिए यदि हमारे लायक कोई और सेवा हो।
नेहा- नहीं… अभी बस मैं रेट पता करने आई थी… कुछ डिस्काउंट हो तो बता दीजिएगा।
मेरे बस में जो था मैंने सब कम करके बता दिया… साथ में स्टेबलाइजर फ्री करने का कह दिया। फाइनेंस के लिए जो जरूरी डॉक्यूमेंट चाहिए थे… वो भी सब उसे बता दिए।
उसने कहा- चलो, मैं बाद में आती हूँ।
तब मैंने उसे अपना नंबर दिया।
“आपको कुछ भी पूछना हो… आप मुझे इस नम्बर पर कॉल करके पूछ सकती हैं।
वो ‘थैंक यू…’ बोल कर चली गई।
दो तीन दिन तक मैं उसके फ़ोन का इंतजार करता रहा… पर उसका फ़ोन नहीं आया। तब मैंने भुलाना ही बेहतर समझा।
पर एक सप्ताह बाद उसका कॉल आया- हैलो… मुझे एक नहीं… तीन एसी चाहिए… लेकिन आप प्राइस ठीक करो।
मैंने कहा- आ जाइए… जो बेस्ट होगा… वो कर दूँगा।
अगले दिन नेहा आई… मैं झट से उसके पास गया- जी कहिए… मेम कैसी हैं आप?
नेहा- जी… बिल्कुल ठीक… अच्छा अब प्राइस बताओ… क्या डील दोगे?
“मेरे बस जो था मैं वो सब कर दिया।”
नेहा- नहीं, मुझे इससे सस्ता मिल रहा है… कुछ और कम करो आप।
मैं- सॉरी मेम, यही मेरा बेस्ट है।
फिर वो जाने लगी तो मैंने कहा- मेम बस 5 मिनट का वक्त दो… मैं अभी आया।
मैं अपने मैनेजर के पास गया और उन्हें बताया तथा उन्हें मनाया; तब उन्होंने मुझे डिस्काउंट करने की परमिशन दे दी।
अब मैंने जो रेट दिया था… एकदम कम से कम का रेट दिया था… और साथ में स्टेबलाइजर फ्री, फिटिंग फ्री का भी बोल दिया था।
अब वो भी खुश हो गई थी।
नेहा- मुझे अभी भी इससे सस्ता मिल रहा है… सिर्फ तुम्हारे बर्ताव और तुम्हारी सेलिंग स्किल मुझे अच्छी लगी, इसलिए यहीं से ले रही हूँ।
मैं- थैंक्स मेम।
अब उसने फाइनेंस नहीं बल्कि नगद भुगतान करके ही एसी ले लिए।
अब आई फिटिंग की बारी… अगले दिन सुबह ही उनके घर एसी लगवा दिया। वो मेरी सर्विस से काफी प्रभावित हुई।
इस डील के बाद उसे कुछ भी पूछना होता वो मुझे फ़ोन कर लेती।
कुछ ही दिन में हम दोनों दोस्त की तरह बात करने लग गए। अब उसको कुछ भी काम होता… तो वो मुझे फ़ोन करती और मैं उसके हर काम करवा देता था।
एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया; अगले दिन मैं उसके घर गया; उसका घर नॉएडा में ही था।
मैंने डोरबेल बजाई तो कुछ पल बाद वो आई।
नेहा- हैलो निक्की… कैसे हो?
मैं- बिल्कुल मस्त मेम।
नेहा- नहीं अब मेम नहीं… अब सिर्फ नेहा कहो यार।
मैं- ओके नेहा…
उसने चाय बनवाई… हम दोनों ने साथ में पी। अब वो मुझसे मेरी जॉब के बारे में पूछने लगी कि कितनी तनख्वाह मिलती है।
मैंने उसे सब बताया।
उसने कहा- मैं तुम्हें ज्यादा तनख्वाह दूँगी… मेरे साथ काम करो।
मैंने ‘ठीक है…’ कह दिया।
उसकी फर्म एक कंसल्टेंसी फर्म थी और उसने घर में ही ऑफिस बना रखा था।
मैंने सब समझा और ‘हाँ’ कर दी।
फिर वो मेरे बारे में पूछने लगी।
“कितनी गर्लफ्रेंड हैं तुम्हारी?”
मैं- एक भी नहीं।
नेहा- क्यों?
मैं- इन कामों के लिए टाइम ही नहीं मिल पाता है।
नेहा- तो मतलब तुमने तो अब तक लाइफ में कुछ किया ही नहीं।
मैं- मतलब?
नेहा हँसते हुए बोली- बहुत भोले हो तुम… तुम्हें सब सिखाना पड़ेगा… अच्छा पहले तो तुम आज ही वो जॉब छोड़ दो… कल से ही मेरे पास आ जाओ।
उस फ्लैट में वो अकेली ही रहती थी।
मैं- ओके नेहा।
मैं अगले दिन ठीक टाइम पर पहुँच गया… उसने मुझे काम समझाया।
मैं उसके साथ काम करने लगा और खाली टाइम में उसके साथ ही रहता… खाना भी उसके साथ ही खाता।
अब वो कुछ ज्यादा ही मेरे करीब हो चुकी थी। उसका मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकना होने लगा था। अब मैं भी उसके साथ खुल गया था… पर मैं चाहता था कि वो खुद बोले।
एक दिन काम में बहुत थकान और देर हो गई थी। तब उसने मेरे लिए ड्रिंक्स मंगाई… खुद कोल्ड ड्रिंक्स ले ली। मैंने कुछ ज्यादा ले ली तो नशा भी हो गया।
अब मैं खड़ा होने की स्थिति में नहीं था तो घर कैसे जाता।
नेहा- आज तुम यहीं रुक जाओ… घर पर बोल दो।
मैंने घर फ़ोन करके कह दिया- आज नहीं आ पाऊँगा।
हम दोनों ने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे।
वो चेंज करके आई तो क्या माल लग रही थी। मुझे नशा भी था तो साली और भी पटाखा लग रही थी। उसने गुलाबी रंग का गाऊन पहना हुआ था… वो भी पारदर्शी था। उसमें उसकी ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थी।
उसे इस रूप में देख कर मेरी तो आँख फटी की फटी रह गई। मेरी कामवासना जाग उठी, मेरे लंड ने तो सलामी देनी शुरू कर दी।
उसने एक हॉट मूवी लगाई तो हम दोनों देखने लगे। पर मेरा तो उस पर ही मन था, मैं बस उसे ही घूरे जा रहा था, उसके चूचे देख रहा था।
मेरी ये हरकत उसने देख भी ली और मेरे तने हुए लंड को भी उसने देख लिया था।
नेहा- अब बताओ… तुम्हारी सच में कोई गर्लफ्रेण्ड नहीं है?
मैं- नहीं…
नेहा- अच्छा किसी को पसंद करते हो तो बताओ… मैं तुम्हारी मदद करूँगी।
मैं- हाँ पसन्द तो करता तो हूँ… पर उससे कहने की हिम्मत नहीं है।
नेहा- चलो मुझे बताओ।
मैं- तुम गुस्सा तो नहीं करोगी?
नेहा- नहीं यार, बोलो।
मैं- मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ… मरता हूँ आप पर…
नेहा- अच्छा… मुझे पहले ही दिन से पता है… तभी तो तुम्हें अपने पास रखा है।
मैं- आप कहिए… अब आपकी क्या राय है?
नेहा- हाँ मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ।
अब मेरी हिम्मत बढ़ी… मैं उसके करीब हो गया और उसके गाल पर किस किया। उसने भी मुझे किस किया। धीरे-धीरे ये गाल से होंठ तक कब आए… पता ही नहीं चला और चुम्बन का सिलसिला तक़रीबन 10-15 मिनट तक चलता रहा। साथ में मैं उसके चूचे भी दबाता रहा… जो कि एकदम सख्त हो चुके थे। उसकी जीभ को तो मैंने चूस ही डाला।
अब मैंने उसे लेटा कर खुद उसके ऊपर चढ़ गया और ताबड़तोड़ किस करने लगा। उसने मेरी शर्ट के बटन खोले… मैंने भी उसका गाऊन उतार फेंका। अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी। मुझे उसके चूचे बहुत मस्त लग रहे थे।
मेरी उसकी चूचियों पर मेरी नज़र पड़ी तो मैं उन पर टूट पड़ा। मैं ब्रा के ऊपर से ही उके चूचों को दबाने और मसलने लगा। साथ ही चुम्बन का सिलसिला जारी था। मुझे उसके होंठ और जीभ चूसने जो मजा आया… उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। जिसके बारे में सिर्फ ख्याल में ही सोचा था… आज वो सब मेरे सामने था।
फिर मैंने उसकी ब्रा उतारी और चूचे चूसने लगा; कभी दाएं को चूसता… बाएं को दबाता, तो कभी बाएं को चूसता तो दाएं को दबाता।
वो तो मदहोश ही हो चुकी थी… उसकी मादक सिसकारियां निकल रही थीं, वो कह रही थी- आह्ह… चूसो चूमो… और और से मसलो… आह्ह…
मैं भी पागलों की तरह लगा रहा। मेरे पैंट में लण्ड खड़ा था। वो उसे चुभ रहा था तो उसने कहा- मैं तुम्हारी पैंट उतारती हूँ।
उसने मेरी पैंट उतारी… साथ ही बड़े सेक्सी तरीके से अपने दांतों से मेरा अंडरवियर भी खींच लिया। अब मैं उसके सामने बिल्कुल नंगा था।
वो भी सिर्फ पैन्टी में खड़ी थी; मेरा लौड़ा उसे सलामी दे रहा था।
मेरा कड़क लंड देख कर उससे भी रहा नहीं गया और वो भूखी शेरनी की तरह मेरे लंड पर टूट पड़ी। उसने बड़े ही प्यार से अपने होंठों से पहले मेरे लंड को चूमा और कुछ ही देर में लॉलीपॉप की तरह लंड चूसने लगी।
मेरी तो मजे की अतिरेकता से आँखें बंद हो गईं और सिसकारी निकलने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैं तो सातवें आसमान में था। मैं कुछ ही देर में झड़ गया और वो सब माल पी गई। अब वो मुझ पर चढ़ कर पागलों की तरह ताबड़तोड़ किस करने लगी, मुझे काटने लगी… वो बहुत वाइल्ड हो चुकी थी।
उसने मुझे मजा दिया… अब मेरी बारी थी। मैंने उसे पलटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने उसके सर से लेकर पाँव तक उसे चूमा… उसकी नाभि में जीभ से चाटा… वो भी पिघलने लगी।
अब मैं और नीचे को हुआ… उसकी छोटी सी पैन्टी तक पहुँचा… जो कि बहुत गीली हो चुकी थी। फिर उसी की स्टाइल से मैंने अपने होंठों और दांतों से उसकी पैन्टी को खींचा और उतार कर निकला दिया।
हाय… उसकी बुर को देखा तो देखता ही रह गया… बिल्कुल भी बाल नहीं थे… लगता था आज ही बाल साफ किए थे, उसकी बुर भी एकदम गोरी चिकनी थी।
वो बोली- सिर्फ देखोगे ही… या कुछ करोगे भी?
मुझसे भी रहा ना गया और मैं उसकी बुर को चूमने लगा… चाटने लगा। वो तो बस ‘अह्ह्ह… उफ़्फ़्फ़… मर जाऊँगी…’ करने लगी।
मैंने कभी सोचा नहीं था मुझे ऐसा कभी जिंदगी में करने को मिलेगा। हाँ जिन्दगी में बहुत कुछ पहली बार होता है… ये मेरे लिए नया अनुभव था।
उस दिन से मेरे विचार बदल गए जो मजा उसकी बुर को चाटने में आ रहा था… मैं कह नहीं सकता।
मैं अपनी जीभ डाल कर उसको चोदता रहा, कुछ ही मिनट में वो खल्लास हो गई थी, उसने अपना पानी छोड़ दिया था, मुझे उसका पीना पड़ा।
अब वो हाँफने लगी… उसने मुझे मेरे बाल पकड़ कर ऊपर खींचा और कस कर अपनी बांहों में ले लिया।
कुछ देर में ही हमारा चुम्बन का सिलसिला चालू हुआ।
वो मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी… मसलने लगी; मेरा लंड दुबारा फनफनाने लगा। अब वो अपनी बुर की चुदाई चाहती थी, उसने लंड पर प्यार से काटा और कहा- अब और नहीं… बस डाल दो अन्दर…
मुझे भी सब्र नहीं हो रहा था… तो मैं भी लंड को उसकी बुर पर रगड़ने लगा।
उसने लंड भींच कर गुर्राते हुए कहा- डालते हो या नहीं…
मैंने लंड का टोपा बुर की फांकों में सैट किया और पहले स्ट्रोक में बुर गीली होने की वजह से लंड का सिर्फ आधा हिस्सा ही अन्दर गया था।
वो चीख पड़ी और उसका खून भी निकलने लगा। मुझे उस पर थोड़ा तरस आया। मैं रुक गया और देखा कि उसकी आँखों में आंसू आ गए थे।
उसने कहा- मैं कितना भी चीखूँ… तुम मत रुकना।
अब मैंने एक और जोर का झटका लगा दिया… उसने फिर मेरे बाल खींच कर अपने होंठ मेरे होंठ पर जड़ दिए और बहुत जोर से काट लिया।
मेरी चीख निकल गई- अह्ह्ह्ह…
उसकी इस हरकत से मुझे और जोश बढ़ा… और मैंने धीरे-धीरे शॉट मारने शुरू कर दिए।
अब उसे भी मजा आने लगा और वो कमर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी या यूं कहूँ कि सुर से सुर मिलाने लगी- “अह्ह्ह्ह… निक्की… फ़क मी… फ़क मी… हार्ड निक्की… फ़क मी… उईईई… ह्ह्ह्ह्ह… मुम्मह्ह…
मैंने भी जोश में धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी। धकापेल फ्रंटियर मेल की तरह बुर की चुदाई चल रही थी… पूरे कमरे में उसकी मादक सीत्कारों की आवाज गूंज रही थी।
अब उसने कहा- रुको… निक्की मैं तुम्हारे ऊपर आती हूँ।
मैं बिना लंड निकाले ही नीचे हुआ और उसे अपने ऊपर ले लिया। अब वो उछल उछल कर मुझे चोदने लगी। मुझे तो लेट कर चोदने में बड़ा मजा आ रहा था। मैं उसकी झूलती चूचियों को खूब मस्ती से दबा रहा था और चूस रहा था।
मैं भी नीचे से अपने चूतड़ों को उठा कर उसकी बुर में लंड की ठोकर लगा कर उसकी चुदाई में लगा हुआ था। कुछ मिनट में उसने जोर की चीख मारी और झड़ गई… पर मेरा अभी झड़ना बाक़ी था।
मैंने उसे फिर से अपने नीचे किया और उसकी बुर में ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए।
वो एक बार फिर से गरमा गई और फिर से खेल शुरू हो गया। कुछ ही देर बाद मुझे भी लगा कि मेरा होने वाला है।
मैंने उसे बताया तो उसने कहा- बस मेरा भी होने वाला ही है… तुम मेरे अन्दर ही झड़ना।
मैंने कुछ बमपिलाट धक्के मारे और मैं उसकी बुर के अन्दर ही झड़ गया।
उसी समय वो भी पिघल गई और उसने मुझे जकड़ लिया।
मैं झड़ने के बाद उसके ऊपर ही लेट गया और वो मुझे चूमने लगी, वो कहने लगी- वाह्ह… निक्की… तुम क्या मस्त बुर की चुदाई करते हो।
कुछ मिनट में उसके बगल में ही लेटा रहा और हम एक-दूसरे को चूमते रहे। कुछ ही टाइम में मेरा फिर खड़ा हो गया और मैंने फिर से उसको चोदना शुरू कर दिया।
इस तरह मैंने उस रात उसको सुबह तक 3 बार चोदा और फिर नंगे ही एक-दूसरे की बांहों में बाहें डाल कर सो गए।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो देखा वो चाय लेकर मेरे सामने खड़ी थी।
मैंने कहा- अपने होंठों से पिलाओ।
उसने खुद चाय का घूँट भरा और अपने मुँह से चाय मेरे मुँह में डाल दी।
उसने बताया- मेरी बुर सूज गई है मुझसे सही से चला भी नहीं जा रहा है।
मैं खुद उसको अपनी गोद में उठा कर बाथरूम ले गया और उसे नहलाया। उसके बाद तो जब भी हमें मौका मिला… खूब चुदाई हुई।
एक बार उसने अपनी बड़ी बहन को भी मुझसे चुदवाया और फिर मैंने दोनों को साथ-साथ भी चोदा।
वो किस्सा भी बड़ा रंगीन है… मैं उसे अपनी अगली कहानी में लिखूंगा।
कुछ दिन बाद उसके घर वालों को पता चल गया… तो फिर मुझे उन दोनों से अलग होना पड़ा। उसकी बहन आज तक मुझसे चुदवाती है, जब भी उसका मन करता है, वो बुला लेती है।
अब जब कोई भी फीमेल ग्राहक मेरे पास आता है तो मैं उसे पटाने की कोशिश करता और पट गई तो उसकी बुर को भी बजा देता।
मुझे ज्यादातर भाभियों और आंटियों को चोदने का मौका मिलता है। उसी तरह के अनुभवों में एक आंटी को चोदने में जो सुख मिला था… उसका एक अलग ही नशा था। उसे भी आपके साथ साझा करूँगा… पर आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी… मुझे मेल करके जरूर बताना। मैं अपनी और भी बुर की चुदाई की सच्ची स्टोरी आपके लिए लिखता रहूँगा।
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