ट्रेन में मिली चुदासी लौंडिया
दोस्तो एवं अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार.. मेरा नाम हर्ष पंडित है.. मैं 28 साल का हूँ.. देखने में ज्यादा आकर्षक तो नहीं हूँ.. पर बुरा भी नहीं लगता हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 11 इंच है तथा मेरा लण्ड 7 इन्च का ख़ासा मोटा है।
मैं दिल्ली में रेल पुलिस में जॉब करता हूँ.. दोस्तों रेल जॉब की वजह से ज्यादातर वक्त रेल में ही रहता हूँ।
आज तक मैंने बहुत कहानी पढ़ीं.. कुछ सच्ची लगीं.. कुछ झूठी.. उन्हें पढ़ कर मेरा भी मन अपनी एक सच्ची घटना लिखने को कर रहा है।
एक दिन मैं रेल में जा रहा था.. उस दिन भीड़ कुछ ज्यादा थी। मैं सीट पर बैठा हुआ था.. तभी एक लड़की चढ़ी और मेरे बराबर में आकर खड़ी हो गई।
सामने से लोग बराबर निकल रहे थे.. क्योंकि लोकल रेल थी.. जिसकी वजह से उसे बार-बार धक्का लग रहा था। यह देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने थोड़ी सी जगह बना कर उसे अपने पास बैठा लिया।
वो ‘थैंक्स’ कहकर बैठ गई और हम दोनों यूँ ही बात करने लगे। मैंने महसूस किया कि मेरी बाजू कभी कभी उसके चूचों से टच हो जाती थी। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा.. मैं जानते हुए अपनी कोहनी उसके चूचों से टच करने लगा। उसके चूचे बहुत कड़े थे.. मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। शायद उसे भी मजा आ रहा था.. वो भी मेरे पास को होने लगी।
मैंने बात करना शुरू कर दिया.. वो कॉलेज से अपने घर जा रही थी। उसका नाम कविता था.. वो बीएड कर रही थी।
हम दोनों ऐसे ही बात करते जा रहे थे। वो कहने लगी कि उसे ट्रेन में बड़ी दिक्कत होती है.. पर क्या करे अब तो यही जिन्दगी हो गई है।
मैंने ‘हूँ..’ कहते हुए सर हिलाया।
फिर वो बोली- आप अपना नम्बर दे दो।
मैंने झट से दे दिया और अपनी बगल से हाथ निकाल कर उसके चूचों को छूने लगा। उसने एक बार मेरी तरफ देखा.. पर उसने कुछ नहीं कहा।
फिर वो सोने का बहाना करने लगी.. मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं लोगों की निगाह बचाते हुए उसके चूचे दबाने लगा।
वो मेरी तरफ देख कर बोली- सच्ची.. पुलिस वालों को जरा भी तसल्ली नहीं होती..
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हम दोनों हँसने लगे.. इतने में उसका स्टेशन आ गया और वो ‘बाय’ कह कर चली गई।
मुझे बहुत दुःख हुआ कि मैं उसका नम्बर नहीं ले पाया।
घर जा कर मैं भी भूल गया.. तभी 8 बजे एक फ़ोन आया.. कोई लड़की बोल रही थी।
‘कौन?’
वो मेरे से बोली- बहुत जल्दी भूल गए?
मैं समझ गया.. फिर हम बात करने लगे.. कुछ सेक्स की भी बात की और दूसरे दिन मिलने का प्रोमिस किया।
दूसरे दिन हम फिर ट्रेन में मिले, वो बोली- मेरे घर चलो.. गाजियाबाद में उसके पापा भाई और बहन रहते थे.. वो ड्यूटी चले जाते थे।
मैं बोला- ठीक है, चलो..
हम दोनों उसके घर पहुँच गए.. उसके घर में उस समय कोई नहीं था। हम दोनों लिपट गए.. एक-दूसरे को चूमने लगे और बिस्तर पर लेट गए।
दोस्तो, क्या मस्त फिगर था.. मैं उसके चूचे दबाने लगा।
वो मुँह से ‘ओह्ह..सीई.. सीई..’ की आवाज निकाल रही थी और अपनी आँख बन्द किए हुए थी।
दोस्तो, मैंने उसको नंगी कर दिया और उसके चूचों को अपने मुँह में दबा कर पीने लगा, उसे बहुत मजा आ रहा था, वो चुदासी होकर मुझसे लिपटने लगी।
दोस्तो, मैंने एक बात और देखी कि उसके चूचों के बीच कुछ 4-5 बड़े बड़े रोएं से थे.. जो बहुत सुन्दर लग रहे थे। जब मैंने उसकी चूत में उंगली की तो देखा वो पानी छोड़ रही थी.. वो बहुत तेज सिसकारी लेने लगी और मेरे लण्ड को पकड़ने लगी।
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए, उसने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी, हम 69 में हो गए.. मैं उसकी चूत चाटने लगा।
मैंने देखा वो अकड़ने लगी और ‘आह.. आह..’ की आवाज के साथ झड़ गई।
मुझे लगा कि मेरा भी पानी निकलने वाला है तो मैंने अपना लण्ड मुँह से बाहर निकाल लिया।
अब मैंने उसे सीधा लिटा दिया और अपना लण्ड उसकी चिकनी चूत पर रगड़ने लगा।
वो ‘आह.. आह..’ करने लगी और बोली- जल्दी से अपना लण्ड घुसाओ न.. मेरी चूत में आग लगी है..
तो मैंने एक झटके में अपना लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया.. वो चीख पड़ी और लण्ड निकालने को कहने लगी।
मैं उसके चूचे मसकने और पीने लगा।
थोड़ी देर में वो नार्मल हुई और नीचे से चूतड़ों को हिलाने लगी।
फिर मैंने उसकी चूत में झटके मारने शुरू किए.. वो ‘आह… आह.. मुह्ह्ह्.. आह्ह..’ करने लगी..
कहने लगी- चोदो.. जोर से.. चोदो.. आह..
वो मुझे लिपटने लगी और तभी वो अकड़ते हुए झड़ गई।
अब मैंने भी धक्के तेज कर दिए.. मैंने उससे बोला- मैं भी आ रहा हूँ।
तो वो बोली- बाहर निकाल देना..
मैंने अपना माल उसके पेट पर निकाल दिया और उसने मुझे उठ कर चूम लिया।
बोली- आई लव यू मेरी जान..
तो दोस्तो। यह थी मेरी चुदाई की कहानी.. इसके बाद कई बार हमने चुदाई की। मैंने उसकी गांड भी मारी.. वो सब अगली कहानी में लिखूंगा..
जो भी मुझसे कहानी के बारे में भी लिखना चाहे..तो मेल मुझे जरूर लिखें।
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