मेरे गांव की चुदक्कड़ देसी गर्ल और उसकी सहेली
नमस्कार मित्रो, मैं अर्जुन सिंह उर्फ़ बिट्टू हूँ। मेरा गांव चंडीगढ़ के पास पड़ता है। मैं दिखने में ठीक-ठाक हूँ। मैं एक पंजाबी लड़का हूँ। मेरे लिंग का साइज 6 इन्च है।
बात 2 साल पहले की है.. जब मैंने आरंभिक शिक्षा प्राप्त करके चंडीगढ़ जाना शुरू किया था। मैं सुबह 6 बजे घर से निकलता था.. मुझे रास्ते में एक बस भी बदलनी पड़ती थी।
दूसरी बस में हर रोज मुझे एक लड़की मिलती थी.. जो पीछे वाले दरवाजे के साथ वाली डबल सीट पर बैठती थी। वो लड़की तो क्या थी.. पूरी गोरी मस्त क़यामत थी, उसकी गांड और बोबे बहुत ही मस्त और भरे हुए थे।
मैं जब भी उसे देखता था, तो बस देखता ही रह जाता था। वो भी मुझे देखती थी शायद मुझे पंसद भी करती थी.. पर हम दोनों में कोई बात नहीं होती थी। मैं शुरूआत से ही थोड़ा शर्मीला था, मैं लड़कियों से बहुत बात नहीं करता था।
एक दिन की बात है.. जब मैं घर आ रहा था, तब मैंने उसे मेरी पड़ोस की लड़की रवनीत के साथ देखा। मैं चुपचाप उनके पीछे बैठ कर उनकी बातें सुनने लगा। तब मुझे पता लगा कि वो दोनों क्लासमेट हैं और उसका नाम मनप्रीत है।
मैंने भगवान का शुक्रिया किया कि चलो एक रास्ता तो मिला.. अब मुझे रवनीत से ही मनप्रीत तक की दूरी तय करनी होगी।
अगले ही दिन रवनीत की मम्मी मेरे घर पर आईं, वो और उनका बेटा कहीं जा रहे थे, उन्होंने मुझसे कहा- तू मुझे बस स्टाप पर छोड़ दे।
मैं उन्हें छोड़ कर घर आ गया। बाइक चूंकि उनके घर की ही थी.. मैंने बाइक उनके घर खड़ी कर दी।
तभी रवनीत नहा कर बाहर निकली.. मैं तो उसे देखता ही रह गया। वो तो हूर जैसी परी लग रही थी। मेरा मन किया कि बस इसे पकड़ कर चोद दूँ.. पर मैंने कंट्रोल किया।
मैंने रवनीत को बाइक की चाभी दी तो रवनीत ने पूछा- तू चाय पिएगा?
मैंने ‘हाँ’ बोला.. क्योंकि मुझे मनप्रीत के बारे में उससे बात करनी थी।
मैं टीवी देखने लगा। वो मेरे लिए चाय ले कर आई। उसने मुझे रवनीत के बारे में बड़े खुल्लम-खुल्ला शब्दों में बताया- वो साली एक नंबर की रंडी है। हर टाइम लंड को तैयार रहती है।
रवनीत से ही जानकारी मिली कि मेरे गाँव के ज़्यादातर लड़कों ने उसकी ली थी। वो पूरी रण्डी थी..
लेकिन अब मैं मनप्रीत की जगह रवनीत के बार में सोच रहा था, मुझे समझ आ गया था कि ये भी अपनी सहेली जैसी रण्डी है। साली की गांड गाँव के लौंडों ने मार-मार कर पीछे से भी पूरी बाहर निकाल दी थी।
हम दोनों चाय पी रहे थे.. तभी एक गाना बजने लगा.. जिसमें कपल डांस था।
वो बोली- आ जा, डांस करते हैं।
मेरे गांव की देसी गर्ल चुद गई
मैंने ‘नहीं..’ कहा, पर थोड़ी देर के बाद मैं मान गया और उसके साथ डांस करने लगे। मुझे चक्कर आने लगे थे.. सिर भारी हो रहा था और सेक्स चढ़ रहा था
तभी हमारे होंठ एक-दूसरे के पास आए और वो आगे बढ़ कर मुझे किस करने लगी। मैं तो जैसे जन्नत में था.. पूरा मज़ा ले रहा था। उसने एक हाथ मेरी पैंट के अन्दर डाल दिया और ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगी। मैं भी पूरे जोश में आ गया था। मैंने उसे वहीं सोफ़े पर गिरा दिया और उसके गले से होता हुआ उसके बोबों पर आ गया।
अब मैं उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके बोबों को चूसने लगा। फिर पीछे से जिप खोल कर उसकी क़मीज़ को निकाल दिया और उसके स्तनों पर टूट पड़ा।
मेरी उत्तेजना इतनी अधिक चढ़ गई थी कि मैंने उसकी काली ब्रा को भी खींच कर निकाल फेंकी।
उसके बोबे तो बहुत मस्त और बड़े-बड़े थे.. जितने मैंने सोचे थे उससे कहीं ज़्यादा बड़े चूचे थे। मैं धीरे-धीरे नीचे आ रहा था। वो भी सिसकारियाँ ले रही थी.. मेरा लंड हिला रही थी। फिर उसने मुझे घूमने को कहा और अपनी सलवार भी उतार कर मेरे कपड़े भी उतार दिए। अब मैं उसकी चूत और वो मेरा लंड चूस रही थी।
कुछ देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा मुझे लगा कि लो हो गई बेइज्जती.. पर वो भी अकड़ने लगी और झड़ गई। मेरे मुँह पर भी उसकी चूत का थोड़ा पानी लगा.. जो मुझे नमकीन लगा.. पर अच्छा लगा। फिर मैंने मुँह एक तरफ़ कर लिया।
अब मैं भी झड़ने लगा और एकदम से ही उसने पूरा लंड मुँह में भर लिया और मेरा सारा माल पी गई।
कुछ देर बाद मैं फिर से उसके बोबे चूसने लगा और मेरा फिर से खड़ा हो गया।
वो बोली- बस अब डाल दे.. और नहीं रुका जाता.. छह महीने से चूत सूखी पड़ी है।
मैंने भी मौक़े को समझते हुए एक तकिया उसके चूतड़ों के नीचे रखा और उठी हुई चूत में अपना खड़ा लंड पेल दिया। पहली बार में ही अन्दर तक पूरा का पूरा लंड घुस गया था।
उसकी तो फट गई.. वो दर्द से चिल्लाती हुई बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… धीरे धीरे कर..
मैंने पहले स्पीड कम रखी.. फिर बढ़ा दी और पाँच मिनट में पूरे ज़ोर से चोदने लगा। फिर मैंने लंड निकाल लिया और उसको अपने ऊपर कर लिया।
अब मैं नीचे आ गया था और वो मेरे लंड के ऊपर बैठने लगी। उसकी चूत काफ़ी पानी छोड़ चुकी थी। वो दो बार झड़ भी गई थी। कुछ देर तक यूँ ही चोदने के बाद वो हाँफने लगी और बोली- अब मुझसे नहीं होता।
मैं फिर से ऊपर आ गया.. और उसे दम लगा कर चोदने लगा। दस मिनट बाद मैं झड़ने वाला था.. मैंने बोला- कहाँ पर निकालूँ?
वो बोली- अन्दर ही झड़ जा.. मैं आईपिल ले लूँगी।
मैं पूरी तेज़ी से धक्के मारता हुआ अन्दर ही झड़ गया।
मैं हाँफ़ रहा था.. वो भी ज़ोर-ज़ोर से सांस ले रही थी। तभी उसकी माँ का फ़ोन आया- मैं आ गई हूँ रवनीत.. तू बिट्टू को मुझे लेने भेज दे।
मैंने कपड़े पहने और आंटी को ले कर आ गया।
यह मेरी पहली चुदाई थी। मुझे चाहे किसी चुदी चुदाई की मिली.. पर बहुत मज़ा आया।
मेरी सेक्स कहानी कैसी थी.. मुझे मेल करें.. और मुझे सुझाव दें।
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