तेरे घर आ रही हूँ

तेरे घर आ रही हूँ

प्रेषिका – लीना के

नमस्कार प्रिय पाठक

मैं निशु

मैं आपको अपनी एक कहानी बताता हूँ। मैं मुम्बई का रहने वाला हूँ। मेरी कहानी १९ मई २००९ को घटी सच्ची कहानी है। मेरे घर के सारे सदस्य गाँव गए थे तो मुझे ही घर का पूरा काम करना पड़ता था। पूरे घर का काम करने में पूरा दिन चला जाता तो मैं अपने दोस्त को रोज़ नहीं मिल पाता। मेरे दोस्तों के समूह में हम ७ दोस्त थे। ३ लड़कियाँ और ४ लडके। उसमें से सिर्फ़ ३ लोग ही मुम्बई में थे। लीना (परिवर्तित नाम), राज और मैं।

१७ मई को राज अपने दादी के घर चला गया तो फिर लीना और भी बोर होने लगी। क्योंकि लीना तो बहुत ही अमीर परिवार से थे और रोज़ हमें घुमाने या पार्टी के लिए ले जाती थी। लीना वैसे दिखने में एकदम हॉट, सेक्सी है। कोई भी उसे देखे तो उसका खड़ा होकर अण्डरवीयर में सलाम करता होगा। उसकी फिगर तो शायद ३२-२८-३२ होगी। उसकी एक-एक अदा हर किसी को फ़िदा होने पर मज़बूर करती थी। उसके होंठ तो एकदम लाल टमाटर जैसे थे, उसे देखकर मुझे तो रोज़ किस्स करने की इच्छा होती, पर कभी मौक़ा नहीं मिला था।

१९ तारीख को मेरा नसीब खुल गया और लीना ने मुझे कॉल किया और पूछा कि क्या आज तुम खाली हो क्या। मुझे लगा कि आज वह फिर से मुझे कहीं घुमाने ले जाना चाहती है। मैंने कहा – हाँ फ्री हूँ।

तो उसने कहा – मैं तेरे घर आ रही हूँ।

मैंने कहा – ठीक है।

फोन रखने के लगभग २० मिनट बाद वह मेरे घर आ गई। मैं अपने घर में हमेशा की तरह कम्प्यूटर पर गाने सुन रहा था। मैंने उससे पूछा कि चाय या सॉफ्ट-ड्रिंक लोगी, तो उसने कहा कुछ भी चलेगा। मैं उसके पसन्द की ७अप की २ गिलास लेकर बाहर आया तो देखा कि लीना मेरे कम्प्यूटर के सामने बैठी है। मैंने उसे १ गिलास दिया और मैं उसके पास वाले बिस्तर पर बैठ गया। उसे सेवन अप की घूँट मारी और कम्प्यूटर में मेरी तस्वीरें देखने लगी।

अचानक उसने मेरी एक हॉट तस्वीर देखी और फिर मुझे घूर कर देखने लगी। मैं उसे देखकर डर गया। उसी समय उसका मोबाईल बजा और उसके हाथ से गिलास उसकी चूचियों पर गिर गई और उसकी टीशर्ट भीग गई। टीशर्ट भीगने के कारण उसकी सफ़ेद टी-शर्ट से उसकी ब्रा साफ-साफ दिखने लगी। मैं तुरन्त उठकर उसके पास चला गया और गिरा हुआ गिलास उठाया और पूछा, कहीं लगी तो नहीं। वो शर्म के मारे मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी। उसे ऐसी हालत में देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उससे कहा कि बाथरूम में जाकर धो लेना, पर वह नहीं मानी। और उसी हालत में वह घर से बाहर भी नहीं जा सकती था। तो वह मान गई और बाथरूम चली गई। १० मिनट वो बाहर नहीं आई, मैं सोचने लगा कि क्या कर रही होगी।

जब वह वापस आई तो मैं उसे बस देखता ही रह गया। वह काले रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुए मेरे सामने थी। थोड़ी देर के लिए मैं बिल्कुल सुन्न हो गया था। फिर मैं होश में आया और सीधे जाकर उसे ज़ोरों से गले लगा लिया और उसके होंठों पर होंठ रखकर चूमने लगा। उसे ख़ुद को सँभालने का मौक़ा भी नहीं मिला।

चूमते-चूमते मैंने अपना एक हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर डाल कर उसके गोरे-गोरे और मुलायम चूतड़ों को सहलाने लग गया। फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। ब्रा उतारते ही उसकी गुलाब़ी घुण्डियों वाली चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने उन्हें दबोच लिया और एक हाथ से उसकी घुंडी को मसलने लगा, तो उसकी सिसकियाँ निकल पड़ीं। फिर मैंने एक झटके से उसकी पैन्टी को उतार कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया, उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए।

उसके गाँड की छेद भी गुलाबी रंग की थी। मैं बीच-बीच में उसमें भी उँगली डाल देता, जिससे वह अचानक चिहुँक पड़ती। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने उसे नीचे लिटा दिया, उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर मैंने अपना लंड उसके गाँड की छेद पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसके अन्दर चला गया, जिसके कारण वो चिल्ला पड़ी। मैं रुक गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने फिर उसकी जाँघों को पकड़ कर धक्का मारा और पूरा लंड अन्दर घुसा दिया। वह एकदम से चिल्ला उठी।

मैंने उसके होंठों को चूमना शुरु कर दिया, फिर थोड़ा सामान्य होने पर मैं उसकी गाँड में अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा। मैंने साथ में उसकी चूत में ऊँगली करना भी जारी रखा, जिससे उसे और भी मज़ा आ रहा था। वह सिसकारियाँ लेने लगी और बोली, निशु थोड़ा और तेज़ करो। मैंने चुदाई की गति में और बढ़ावा किया। थोड़ी देर बाद उसकी चूत से पानी आने लगा।, और वह अपनी गाँड को दबोचने लगी। उसने कहा, “निशु… मैं गई… मैं गई…!” कहते हुए फिर वो आहह ह्हहहह… आह्ह्ह हहहह करने लगी।”

पर मैं रुका नहीं। जल्द ही मेरा भी निकलने वाला था, मैंने पूछा – “लीना कहाँ छोड़ूँ?”

उसने कहा, “अन्दर ही।”

थोड़ी देर धक्के मारने के बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी गाँड में ही छोड़ दिया। यह पहला अवसर था कि मैं किसी की गाँड में स्खलित हुआ था।

फिर मैं उसके ऊपर लेट गया, थोड़ी देर लेटे रहने के बाद हमने एक-दूसरे को साफ़ किया और वापस आकर दुबारा बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं फिर से तैयार हो गया। पिर मैंने उसकी चूत की जमकर चुदाई की।

उस दिन मैंने उसकी २ बार चुदाई की।

फिर हम २२ को वाटर किंगडम चले गए और वहाँ भी मज़े लिए। यह मैं अगली कहानी में लिखूँगा।

मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल ज़रूर करें!

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