कमसिन पहाड़ी लड़की की बुर चुदाई- 2

कमसिन पहाड़ी लड़की की बुर चुदाई- 2

हॉट गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने एक कमसिन पहाड़ी लड़की को ब्लू फिल्म दिखा कर उसकी वासना जगायी फिर उसकी सील बंद चूत को चोदा.

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम.

इस हॉट गर्ल सेक्स कहानी के पहले भाग
कमसिन पहाड़ी लड़की को चुदाई के लिए मनाया
में आपने पढ़ा कि रंगोली मुझसे चुदने के लिए मेरे कमरे में आ गई थी.

अब आगे की हॉट गर्ल सेक्स कहानी:

दोस्तो, लाइट जलते ही मैंने जो नजारा देखा, आह क्या बताऊं … रंगोली तो जैसे चुदने की पूरी तैयारी करके आयी थी.

मस्त पिंक कलर का टॉप, जो उसकी नाभि से थोड़ा ऊपर तक था और इसी वजह से उसका गोरा पेट दिख रहा था.

अन्दर से पिंक ब्रा की लेस उसकी गर्दन के पीछे बंधी थी. काले रंग की कैपरी से उसकी गोरी टांगें दिख रही थीं.

ये नजारा देखकर मेरा लंड लोअर में ही खड़ा होने लगा.
ये उसने देख लिया था और शर्म से उसकी नजरें झुक गईं.

वो अपने टॉप के एक किनारे को अपनी उंगलियों से कुरेदने लगी.

मैं धीरे से उसके पास गया और उसके सामने खड़ा होकर उसको देखने लगा.
उसकी नजर मेरे लोअर मैं फूलते लंड पर टिकी थी.

मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसको धीरे से अपनी और खींचा, तो वो फट से मेरी बांहों में आ गयी और मुझसे चिपक गयी.

दोस्तो, उसका जिस्म एकदम गर्म था. शायद उसको भी पता ही था कि आज उसकी चुत की सीलतोड़ चुदाई होगी.

मैंने उसकी गर्दन के पीछे से पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
उसने भी मेरा साथ दिया और खुद को मेरे हवाले कर दिया.

दोनों का ही पहली बार वाला मामला था, पर थोड़ी ही देर में हम एक दूसरे के होंठों को बेताबी से चूसने लगे.
एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ घुसा कर मज़ा लेने लगे.

कुछ ही पलों बाद मेरा हाथ खुद ही उसके मस्त चुचों पर आ गया और मैंने उन्हें मसलना शुरू कर दिया.

अब उसके मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगीं, जिनको वो बड़ी मुश्किल से रोक रही थी, उसे डर भी था कि कहीं घर में कोई जाग न जाए.

फिर मैंने उसके टॉप के ऊपर से ही उसके चुचों पर मुँह लगा दिया और हाथ से उसकी जांघों को सहलाने लगा.

वो भी मेरे सर को अपने चुचों पर दबाने लगी. हम दोनों मस्त हो गए थे … हमें कोई होश ही रह गया नहीं था.

मैंने धीरे से उसका टॉप उतार दिया, जिसमें उसने मेरा पूरा साथ दिया.

वो तो चुदने की पूरी तैयारी में आयी ही थी. मैंने उसकी ब्रा को साइड किया और दोनों चुचे मेरे एकदम सामने आ गए.

एकदम गोल और उन पर मस्त से निप्पल देख कर मेरा लंड तो सलामी देने लगा और उसमें हल्का हल्का सा दर्द भी महसूस होने लगा.

मैंने अपने होंठों आगे बढ़ा कर उसके निप्पल को होंठों के बीच में दबाया और जीभ से चाटने लगा.

उसने भी मेरा सर पकड़ा और मेरा मुँह अपने दूध पर दबाते हुए लगाकर मुझे जोर से खींच लिया.

मैंने भी पूरा मुँह खोलकर उसका दूध अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा … जोर जोर से दांतों से से निप्पल को खींचते हुए काटने लगा.

उसकी हालत ख़राब होने लगी और मुँह से बस यही निकला- भैया इस्स्स्स आई लव यू …

मैंने फिर से उसके होंठों को चूसना शुरू किया और उसकी ब्रा को उतार कर फेंक दिया.

फिर उसको पलटाकर मैंने दीवार से चिपका दिया और पीछे से उसके चुचों को जोर जोर से मसलने लगा. साथ ही मैं उसकी गर्दन पर और कान पर किस करने लगा.

मैंने उसकी गर्दन और कानों को पूरा गीला कर दिया था.

अब मैंने अपनी टी-शर्ट और लोअर उतार दिया. अब मेरे बदन पर बस एक चड्डी रह गई थी.

मैं उससे चिपक गया और वो भी एकदम मस्ती में आकर मुझसे अपने जिस्म को रगड़ने लगी. वो अपनी गांड को पीछे को धकेलने लगी.

मेरा लंड उसकी गांड में घुसने को तैयार हो गया था, जिसको वो बहुत अच्छे से फील कर रही थी और पूरे मज़े भी ले रही थी.

अब मैंने उसकी कैपरी को नीचे खिसका कर उतार दिया.

अन्दर वो काली पैंटी पहने हुई थी, जिसमें उसकी मस्त गांड ढकी थी.

ये देख कर मैंने उसे पलटाया और उसकी पीठ दीवार से सटा कर उसकी पैंटी के बाहर से ही उसकी बुर को कसके मसल दिया.

उसकी चूत पूरी गीली थी और रस से उसकी पैंटी भी भीग गयी थी.
यही हाल मेरे लंड का भी था.

जैसे ही मैंने उसकी चूत को मसला, उसने अपने मुँह को हाथ से बंद कर दिया.

तभी मैं नीचे बैठ गया और उसकी बुर को देखने की कोशिश करने लगा. तो उसने फट से अपनी बुर के ऊपर हाथ रख दिया और उसे छिपाने लगी.

उसने अपनी दोनों टांगें चिपका ली थीं. पर मैं भी कहां छोड़ने वाला था.

मैं उसकी टांगों को सहलाते हुए उसकी नाभि और पेट को चूमने लगा. चुदास के मारे वो पागल सी छटपटाने लगी और मेरे बालों को खींचने लगी.
कभी सर को सहलाने लगी.

पर बड़ी हिम्मत थी उसमें … उसने पूरी कोशिश से अपनी आवाज को रोका हुआ था.

फिर आखिर वो कब तक जोर लगाती. अंतत: उसने अपनी टांगें ढीली छोड़ दीं और मैंने उसी पल फट से कब्ज़ा कर लिया.
उसकी चूत के सामने आ गई.

मैंने उसके एक पैर को मैंने अपनी कमर के पास रखे रक स्टूल पर रख लिया. इससे थोड़ा सा नजारा और सामने आ गया.

मैंने देखा कि उसकी पैंटी में उसकी छोटी सी कुंवारी फुद्दी छुपी थी. मैंने धीरे से उसकी पैंटी को किनारे किया और उसकी मस्त साफ़ फुद्दी देखकर तो मैं जैसे आंखों से ही बुर का रस पीने लगा.
पहली बार मैंने सामने से किसी की फुद्दी देखी थी.

रंगोली की बुर एकदम चिकनी, छोटी सी दरार और गीली थी. उसमें से अजीब सी महक आ रही थी, जो मुझे पागल सी करने लगी.

उसकी फुद्दी की फांकें पतली सी थीं, हल्की सी ब्राउन और एकदम गोरी बुर में छोटा सा गुलाबी छेद था.

फिर मैंने उसकी पैंटी को वापस सही किया और पैंटी समेत ही उसकी फुद्दी पर मुँह लगा दिया.
वो होंठों को दबाते हुए उंह कर उठी.

मैंने उसकी गीली पैंटी को पूरी तरह से चूस लिया था.

इस बार वो खुद को नहीं रोक पाई और उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं- स्सस्स ईईई भ्ह्ह्हैईईया आआअ नहींईईए … मत करो … गन्दी जगह है.

चुत को गन्दी जगह भी कह रही थी, मगर साली ने खुद ही मेरे सर को अपनी चुत पर दबाया हुआ था और चुत चुसवाने की कोशिश कर रही थी.

कुछ पल बाद मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसको पूरी नंगी कर दिया.

एकदम साफ़ चूत, झांट का नामोनोशान निशान नहीं था. वैसे भी पहाड़ी चुत पर कम बाल होते हैं.

रंगोली की चिकनी बुर देख कर मैं खड़ा हो गया और उसके होंठों को चूसते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी चड्डी में डाल दिया.

लंड का स्पर्श हुआ तो उसको अचानक झटका सा लगा, उसने हाथ खींचने की कोशिश की, पर मैंने कसके उसका हाथ अपने फनफनाते लंड पर ही रोक दिया.

मैंने धीरे से उसके कान में कहा- जानू इसको प्यार करो न!

वो धीरे से लंड का नाप लेने लगी और मेरे लंड के सुपारे को कसके पकड़ लिया.

सुपारा मेरे रस से पूरा गीला था और चिकना हो गया था. वो धीरे धीरे गोल-गोल करते हुए लंड को मसलने लगी.

फिर मैंने अपनी चड्डी उतार फेंकी और नंगा हो गया.
उसकी आंखें मेरे चमकते लंड को देखकर एकदम से फ़ैल गईं.

इस बार उसने खुद ही लंड को पकड़ लिया और मैंने भी उसके हाथ को लंड पर दबा कर आगे पीछे मुठ मरवाने लगा.

अब सिसकारियां भरने की बारी मेरी थी.
क्या बताऊं क्या हालत थी मेरे लंड की, वो तो मानो फटने को तैयार था.

मैंने उसको नीचे बैठा दिया और बोला- जानू चूसो ना मेरे लंड को, खा जाओ इसको … बहुत परेशान करता है.

उसने थोड़ा सा हिम्मत करके सुपारे पर जीभ फेरी, लेकिन फिर बोली- भैया प्लीज नहीं.

मैं समझ गया कि शायद उसका मन नहीं कर रहा है.

मैंने उसको गोदी में उठाया और बिस्तर पर ऐसे लिटाया कि उसके दोनों पैर बिस्तर से नीचे लटक गए थे.
मैं उसकी चूत को पागलों की तरह चाटने चूसने लगा.

वो भी मस्ती में टांगें खोल कर कमर उठाते हुए चुत चुसवाते हुए सिसिया रही थी- येस्स्स्स भैयाय्य्या ऐसे … यहीं पर और करो … आह.
रंगोली मस्ती में सिसकारने लगी और अपनी गांड उछालने लगी.

फिर अचानक से वो मेरे बालों को पकड़कर मुझे अपने ऊपर खींचने लगी और बोलने लगी- आह भैयाय्य्या … मैं मर जाऊंगी … कुछ्ह्ह्ह करो.

मैंने बिस्तर की साइड से कंडोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ा लिया. फिर उसको पूरा बिस्तर पर चित लेटाया और उसकी चुत देखते हुए उसके ऊपर लेट गया.

उससे अब सहन नहीं हो रहा था, तो उसने हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़ लिया और मस्ती में मेरे कान के पास बोली- भैयाय्य्या प्लीज मुझे चोद दो … अपना वो अन्दर डालो न अब.
मैंने भी लंड हिलाते हुए कहा- इसे वो नहीं कहते हैं मेरी जान … बोलो कि लंड पेलो.

वो मेरी आंखों में आंखें डालकर बोली- हां मेरी कुंवारी चुत में अपना लंड डालकर मुझे चोद दो.

उसकी आंखों में वासना का नशा देख कर मुझे झुरझुरी सी आ गई.

मैंने भी लंड को उसकी गीली चूत पर दबाया और 2-3 बार ऊपर नीचे रगड़कर सैट कर दिया.

फिर उसके दोनों हाथों के नीचे से हाथ डालकर कंधों को कसके पकड़ लिया और उसके होंठों को मुँह में भर लिया.
मैंने पूरी तरह से अपना वजन उसके ऊपर डाल दिया और कसके एक झटका दे मारा.

मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया, पर मेरे लंड में भी बड़ा जोर का दर्द होने लगा.

उसकी चूत तो एकदम गर्म थी ही मगर लंड लेते ही वो दर्द से छटपटाने लगी और मुझे धकेलने लगी.
पर मैंने भी उसको कसके पकड़ा हुआ था.

उसकी आंखों से आंसू आने लगे.
मैंने धीरे से उसकी गर्दन को सहलाया और थोड़ा देर रुका रहा.

जब उसका दर्द कम हुआ, तो उसके बदन को फिर कसके जकड़ लिया और एक जोर का झटका फी से दे मारा.

मैंने अपना 7 इंच का लंड पूरा उसकी चूत में पेल दिया.
उसकी तो जैसे जान ही निकल गयी.

वो एकदम से मुझे नाख़ून से खरोंचने लगी, पर मैंने उसको कोई मौका नहीं दिया.
दो पल रुककर आधा लंड हल्के से बाहर निकाला और फिर जोर के झटके से चुत के अन्दर पेल दिया.

ऐसा मैंने 2-3 बार और किया और उसके होंठों को छोड़ दिया.

उसने ‘आहह्ह ..’ करते हुए जोर की सांस ली और रोते हुए बोली- आंह बहुत लग रही है भैया … आप लंड निकाल लो, मुझे नहीं करना … बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और उसके दोनों निप्पलों को बारी-बारी से चूसने लगा.

थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ, तो वो धीरे से मेरी पीठ को सहलाने लगी.
मैंने भी उसका इशारा पाकर धीरे धीरे उसको चोदना शुरू कर दिया.

धीरे धीरे लंड और चूत पूरे मस्ती में एक दूसरे से कुश्ती लड़ने लगे.

मैं अब थोड़ा स्पीड बढ़ाने लगा और बीच-बीच में उसको जोर से जकड़ कर लंड पूरा चूत के अन्दर तक ठोक कर अन्दर ही थोड़ा रोके रखता.

जैसे ही मैं ऐसा करता, उसके मुँह से ‘सीईईई ..’ की आवाज आती.

अब मेरा भी खुद पर कण्ट्रोल नहीं रह गया था. मैं रंगोली की चुत में लंड को जोर से पेलने लगा.

अब वो भी पूरे मज़े लेने लगी थी और बड़बड़ाने लगी थी- उईईए भैया … आह ऐसे ही करो … मजा आ रहा है आह चोदो और तेज चोद दो.

वो अपनी गांड उछालने लगी और उसने मुझे कसके जकड़ लिया, बोलने लगी- आह आह भैया और तेज़ करो … आह अब रुकना मत भैया प्लीज … मुझे कुछ हो रहा है.
अब वो अपने हाथों से मेरी गांड को भी दबाने लगी थी.

हम दोनों बदहवासी से चुदाई कर रहे थे.
थोड़ी देर में ही उसकी चीख सी निकली- भैय्याआ अह मैं गई!

उसने मुझे खुद से इतनी कसके चिपका लिया कि मैं खुद को लाचार महसूस करने लगा.
वो झड़ कर शांत हो गयी.

उसकी इस हरकत से मेरे लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी और मैं भी उसके ऊपर पसर गया.

मुझे लगा कि जैसे अब शरीर में जान ही नहीं बची.

थोड़ी देर मैं जब मैं उसके ऊपर से हटने लगा, तो उसने मुझे हटने नहीं दिया और जोर जोर से मुझे चूमने लगी- भैया आई लव यू … लव यू आप सिर्फ मेरे हो.
पता नहीं वो क्या क्या बोलने लगी थी.

थोड़ी देर बाद जब मैं उठा, तो देखा खून से कंडोम पूरा लाल हो गया था और मेरे लंड की भी थोड़ी से चमड़ी पर रगड़ पड़ी थी.

लंड जलन कर रहा था. उसको तो जैसे हिलने की भी हिम्मत नहीं थी.

मैंने चुपके से कंडोम निकाल कर अपना लंड पौंछा और उसकी चूत भी साफ़ की.

मेरे बिस्तर की चादर की भी मां चुद गयी थी. मैंने उसको भी हटाया और बाथरूम में चला गया.

फिर उधर से आकर मैं बिस्तर पर आकर चुदी हुई रंगोली से चिपक गया और उसको प्यार जताने लगा.
उसके नंगे बदन से फिर से खेलने लगा.

धीरे धीरे वो फिर से गर्म होने लगी और अबकी बार उसने भी कोई देर नहीं की.
वो भी मुझसे चिपकने लगी और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी.

मैंने भी देर नहीं की और उसके ऊपर आकर उसकी टांगों को फैला दिया. उसके होंठों को चूसते हुए अपने हाथ से लंड को उसकी ताजी चुदी हुई चूत पर सैट किया और धीरे से उसके जिस्म को काबू करते हुए उसकी चूत में पूरा घुसा दिया.

अबकी बार मैंने कोई रहम नहीं किया … न ही कंडोम लगाया.

मैंने धकापेल उसकी चूत को ठोका, लंड भी जल्दी में नहीं था. इस बार हमारी चुदाई काफी लम्बी चली.

इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी और उसकी हालत भी अब पस्त हो गई थी.
इधर मेरा भी लंड पानी छोड़ने को तैयार हो गया था, तो मैंने लंड बाहर निकाला और उसके पेट पर ही सारा माल गिरा दिया.

फिर थोड़ी देर बाद उठकर टाइम देखा, तो 4 बज गए थे. मैंने उसको कपड़े पहनाए और सहारा देकर ख़ामोशी से उसके कमरे तक छोड़कर आया.

कमरे में आकर मैं बिस्तर पर पसर कर सो गया.

अगले दिन नींद भी दिन मैं लगभग 11 बजे खुली.
कमरे से बाहर निकला, तो पता चला की रंगोली को बुखार आ गया है और वो अब तक सो रही है.

मैं भी मन ही मन रात की चुदाई को याद करता हुआ कमरे में गया और खून से खराब हुई चादर को बाल्टी में डाल दी.
नीचे पड़े हुए कंडोम को कागज में लपेटकर मैं बाहर फेंक आया.

दोस्तो, हमारी चुदाई की बस ये शुरूआत थी.
आगे आपको बताऊंगा कि मैंने उस घर में और क्या-क्या गुल खिलाए.

आप सभी से अनुरोध है कि मुझे अपने विचार मेल जरूर करें कि मेरी हॉट गर्ल सेक्स कहानी आपको कैसी लगी?
आपका अर्जुन
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