बेधड़क सलोनी संग काम क्रीड़ा-1

बेधड़क सलोनी संग काम क्रीड़ा-1

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्ते ! मेरे दोस्तो, शायद आप लोग मुझे भूल ही गए होंगे क्योंकि मैं लगभग एक साल बाद फिर से अन्तर्वासना पर अपनी कहानी लेकर आया हूँ। मेरी पिछली सभी कहानियाँ जैसे बेबाक बीवी, बेकाबू बीवी और बेकरार बीवी वगैरा आप लोगों ने खूब खूब सराही पसंद की। मेरे पास इस सन्दर्भ में बहुत सारे इमेल भी आये। बहुत से लड़कों और मर्दों के भी मेल थे जो मेरी बीवी से दोस्ती करना चाहते थे, उसके फोटो ग्राफ्स देखना चाहते थे और मैं यहाँ स्पष्ट यह भी बता दूँ कि बहुत उसे चोदने की भी ख्वाहिश रखते थे। उन्होंने अपनी खुद की कद-काठी का भी उल्लेख किया तो किया साथ ही साथ अपने लंड के बारे में भी विस्तार से बताया कि लंड इतने इंच का है, मूसल जैसा मोटा है इत्यादि !

और जिस तरह की घटना का मैंने जिक्र अपनी कहानियों में किया था तो लड़कों के इस तरह के पत्र स्वाभाविक भी थे लेकिन मेरे लिए आश्चर्यजनक बात यह थी कि लड़कियों के भी बहुत ज्यादा इमेल आये जो दोस्ती करना चाहती थी और उन में से कुछ मेरी मित्र भी बन गई फेसबुक पर !

दो तीन लड़कियों से फोन पर बात भी हुई और उन्होंने मुझसे फोन पर ही उत्तेजक कहानियों की फरमाइश भी की जिसे मैंने पूरा भी किया। और इस तरह से मैंने जिंदगी में पहली बार फोन सेक्स का आनन्द भी लिया जो मेरे लिए भी अत्याधिक उत्तेजक रहा और उन लड़कियों का तो बुरा हाल हो ही गया उत्तेजना के मारे, जो उनकी आवाजों से बयाँ हो रहा था !

लेकिन इन में से ही एक लड़की थी जिस पर मैं आज की घटना लिखने जा रहा हूँ।

उसका नाम सलोनी है, दिल्ली की रहने वाली है, उसका इमेल जो आया, मैं उसे यहाँ ज्यों का त्यों आप के लिए लिख रहा हूँ, गौर फरमाइए-

“हाय ! मेरा नाम सलोनी है, मेरी उम्र 26 साल है। मैं मेरिड हूँ, मेरे पति मुझे सेक्स में संतुष्ट नहीं कर पाते और मैं अन्तर्वासना की उत्तेजक कहानियाँ पढ़ पढ़ कर अपनी काम वासना शांत करती हूँ। तुम मुझे बहुत ही उत्तेजक लगे, क्या तुम मेरे साथ सेक्स कर सकते हो?”

दोस्तों और मेल की तरह से मैंने इस मेल को भी पढ़ा, अच्छा लगा लेकिन भुला दिया। लेकिन अगली कहानी, बेकाबू बीवी के साथ ही कुछ नए इमेल के साथ ही सलोनी का मेल फिर आया और लगभग वही बात फिर से जोर देकर लिखी गई थी।

एक जो अलग बात थी वो यह कि इस बार उसने अपना मोबाइल नम्बर भी दिया था। इस बार मेरी धड़कनें थोड़ी तेज़ हो गई लेकिन फिर भी फोन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया लेकिन नम्बर सेव कर लिया।

थोड़़े दिन और निकल गए, एक दिन नम्बर लिस्ट चेक करते समय फिर यह नम्बर दिखा तो सोचा कि चलो एक बार मिला कर देखता हूँ, और डायल कर दिया।

और जैसे ही घण्टी गई, मेरा दिल धड़कने लगा और घबरा कर मैंने काल को डिस्कनेक्ट कर दिया। पर दिल कहा मानता है, थोड़ी देर रुक कर और थोड़ी हिम्मत जुटा कर फिर डायल किया। इस बार इरादा पक्का था, मैं थोड़ा अकड़ कर भी बैठ गया था स्टाइल के साथ जैसे वो देख ही लेगी।

लेकिन जैसे ही उधर से फोन रिसीव कर लिया गया और एक लड़की की रौबदार आवाज आई ‘हेल्लो कौन?’ मेरी सारी अकड़-स्टाइल निकल गई, मेरे पसीने छूट गए और हकलाते से हुए बोला- क्या तुम सलोनी बोल रही हो?

“हाँ बोल रही हूँ ! क्या काम है, कौन हो?”

मैं बोला- मैं अरुण ! पहचाना?

“कौन अरुण? मैं किसी अरुण को नहीं जानती !”

अब मुझे थोड़़ा बुरा लगा लेकिन इसी से मुझ में हिम्मत भी आ गई।

“मैडम, आपने ही मुझे यह नम्बर दिया था अन्तर्वासना पर मेरी कहानी ‘बेबाक बीवी’ पढ़ कर ! जो आपको अच्छी लगी है, और आपने और भी कुछ लिखा था। दो दो बार आपका मेल आया तब मैं आपको फोन कर रहा हूँ।”

और ये सब में एक सांस में बोलता ही चला गया, रुका ही नहीं !

और उधर से अब जो आवाज आई वो मेरे लिए बहुत राहत भरी थी, चौंकाने वाली थी- ‘ओ माय गॉड’ तुम वो अरुण हो? अन्तर्वासना वाले अरुण? मेरी बेबाक बीवी वाले अरुण? तुमने लिखी वो कहानी?

दोस्तो, मैं उसे आप आप कह कर संबोधित कर रहा था, वो सीधे ही तुम पर उतर आई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

पर मुझे अच्छा लगा, वो अभी भी ख़ुशी से चहक रही थी- ओ माय गॉड, आई डोंट बिलीव ! मैं तुमसे बात कर रही हूँ ! अरुण से ! अन्तर्वासना के राइटर से !

और बिना रुके वो बोलती ही जा रही थी- यार, पहले यह बताओ कि तुमने जो लिखा क्या वो सच था?

मैं चतुराई से उसके इस सवाल को टाल गया और बोला- तुम्हें कहानी में क्या अच्छा लगा?

अब मैं भी आप से तुम पर आ गया क्योंकि वो तो मुझे यार कह कर संबोधित कर रही थी।

वो बोली- सब कुछ अच्छा और सेक्सी था यार ! क्या जो तुमने लिखा, ऐसा होता भी है?

मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं हो सकता? खूब हो सकता है और इससे ज्यादा भी हो सकता है।

“ओ माय गोड !” वो फिर चिल्लाई- इससे ज्यादा भी?

और दोस्तो इसके बाद उसने जो कहा- उफ़ !

उसने मुझे हिला कर रख दिया।

वो बेहिचक बोली- अरुण, मेरे साथ करोगे ये सब?

मैं फिर घबरा गया और अनजान बनते हुए बोला, “क्या सब?”

“ओ यार ये ही, सेक्स ! जो और जैसा तूने अपनी कहानी में लिखा, वो सब मेरे साथ भी कर ना यार प्लीज़ ! देख मना मत करना यार ! वैसे तो मैं शादीशुदा हूँ यार लेकिन सेक्स का मज़ा नहीं आया अभी तक !”

मैंने उसे समझाया- आएगा, मज़ा भी आयेगा, जब तुम लोग आपस में और खुल जाओगे, तब मज़ा भी आयेगा।

लेकिन वो मेरी एक भी बात सुनने को तैयार नहीं थी, उसने अपनी वैवाहिक जीवन और सहवास (सेक्सुअल लाइफ) के बारे में विस्तार से बताया कि उसका पति बिजनेस में है और काम में काफी व्यस्त रहता है।

मेरे पाठको को मुझसे एक शिकायत रहती है कि मैं कहानी की भूमिका बाँधने में बहुत ज्यादा समय लगा देता हूँ और उनकी उत्सुकता कामुकता पूर्ण उत्तेजक सेक्स के बारे में विस्तार से पढ़ने में ज्यादा रहती है।

लेकिन इस कहानी में यह जरूरी था।

फिर उसने मुझे अपने बहुत सारे फोटो मेल किये, वो सही में मॉडर्न दिल्ली टाइप लड़की थी, सांवली थी पर तीखे नैन नक्श वाली थी।

सही कहूँ उसकी फोटो ने मुझे सम्मोहित कर लिया था। फिर हमने एक दो बार फोन सेक्स भी किया, उस दौरान वो बाथरूम में चली जाती थी और मैं अपनी कार में आराम से ए सी चला कर उसके साथ उत्तेजक वार्तालाप करता था।

और इस वार्तालाप से मेरी हिम्मत और और बढ़ती गई, साथ ही साथ अब फोन पर दूर बैठे बैठे सेक्सी बातें करना बहुत अखरने लगा और उससे असल में मिलने और कुछ करने की व्याकुलता बहुत जोर पकड़ने लगी।

और वो यही चाहती ही थी।

और ऑफिस के काम से में दिल्ली जा सकता था तो यह मेरे लिए कोई मुश्किल नहीं था। और दिल्ली में जो इन्तजाम करना था, वो उसकी जिम्मेदारी थी।

ऐसे काम के लिए भी मैंने भगवान् से प्रार्थना की कि सब कुछ सुरक्षित निपट जाए और मज़ा आ जाए !

और मैं अपने साथ एक कंडोम का पैकेट लेकर दिल्ली के लिए सुबह पाँच वाली ट्रेन से निकल गया और दस बजे दिल्ली और 11 बजे उसके बताये होटल के कमरे में पहुँच गया। कमरा एकदम पीछे की तरफ था जो हमारे लिए अच्छा ही था।

मैं रास्ते से भी उस से फोन करता हुआ ही आ रहा था, वो अपने ऑफिस से निकल चुकी थी और अब कभी भी मेरे पास पहुँच सकती थी, मेरे दिल की धड़कनें बहुत तेज़ हो गई थी।

मैं थोड़ा घबरा भी रहा था, मुझे यह भी डर था कि वो मुझसे सेक्स मजे की जो अपेक्षाएँ लेकर आ रही थी, उन्हें मैं पूरा भी कर पाऊँगा या नहीं, क्योंकि बीवी के साथ सेक्स करना अलग बात थी और कहानियों में बढ़ा चढ़ा के लिखने में आ ही जाता है।

और फिर ठीक बारह बजे उसने मेरे कमरे में प्रवेश किया !

सही बताऊँ दोस्तो, वो बहुत ही गज़ब लग रही थी, उसने जो फोटो भेजे थे उनसे तो कहीं ज्यादा खूबसूरत ! उसने जो फोटो मेल किये थे, वो शायद उसके शादी के पहले के थे और अब वो शादीशुदा थी। और यह बात ज़ाहिर और शतप्रतिशत सिद्ध है कि शादी के बाद लड़कियों की सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं, वे बहुत खिल जाती हैं।

और ऐसा ही एक खूसूरत नज़ारा अब मेरे सामने था, मेरे पास !

वो एक रईस लड़की थी और एक प्राइवेट कम्पनी में एक्सिक्यूटिव थी, वो अपने ऑफिस से छुट्टी लेकर आई थी।

मैंने उसकी तारीफों के साथ उसका स्वागत किया और वो भी ‘हाय मेरा जानू’ कहते हुए मुझ से लिपट गई और मुझे बेतहाशा चूमने लगी। फिर मेरे कान में फुसफुसाते हुए बोली- जानू, तुम्हारे पास अब पूरे पांच घण्टे हैं।

फिर उसने अपना बैग और चश्मा साइड टेबल पर रख दिया और मुझे लिए हुए ही बेड पर लुढ़क गई।

मैंने भी कस कर उसे अपने आलिंगन में भर लिया और उसके रेशमी घने, काले बालों में अन्दर तक उंगलियाँ फंसा कर उसके चेहरे को ऊपर उठाया और पहला ही चुम्बन उसकी गर्दन पर लिया।

वो कसमसा उठी !

फिर मैंने उसकी ठोड़ी को चूमा, उसके गाल, उसकी नाक, उसका माथा सब चूमा लेकिन उसके होंठों को छोड़ दिया, उसके होंठ चूमे और चूसे जाने के लिए फड़फड़ा रहे थे पर मुझे नारी को तरसाने में बहुत ही मज़ा आता है और यही मेरा स्टाइल भी है।

मैंने उसके होंठों के आसपास सब जगह चूम लिया, इससे उसका सब्र जवाब दे गया और उसने पूरी ताक़त से मेरा चेहरा पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और वो मेरे ऊपर लेट गई।

उसके रसीले होंठ जब मेरी जीभ से छुए तो मैं भी अपना आपा खो बैठा और हम दोनों का यह लिप टू लिप चुम्बन बहुत देर चला।

उसको अपने बाहुपाश में लेकर में सब भूल गया कि मैं एक दूसरे शहर के होटल के कमरे में एक शादीशुदा लड़की के साथ हूँ। मेरे हाथ उसकी पीठ पर यहाँ वहाँ घूम रहे थे।

फिर मैंने अपने हाथ उसके टॉप के अंदर घुसा दिए और जैसे उसके नग्न बदन को मेरे हाथों ने स्पर्श किया उसके और मेरे बदन में एक अजीब सी सिरहन दौड़ गई और मेरा लंड मैंने इतनी स्पीड से खड़ा होते हुए और कठोर होते हुए मैंने कभी नहीं महसूस किया था। इतना ज्यादा कि वो मेरी पैंट में फंस गया और सलोनी को भी चुभने लगा।

वो खिलखिला कर हंसने लगी और उस पर हाथ मारते हुए बोली- वाऊ ! इसे क्या हुआ?!

मैं भी तुरंत ही चौकन्ना हो गया और अपने आप को सम्भाला और उसे अलग किया।

जो लड़के यह कहानी पढ़ रहे हैं वो समझ गए होंगे कि लंड के मामले में ज़रा सी भी ‘सावधानी हटी और दुर्घटना घटी’ यानि की डिस्चार्ज हुआ और फिर अपनी साथिन के सामने शर्मिन्दा होना पड़ता है।

लेकिन मैं इस खेल का काफी अनुभवी खिलाड़ी हूँ, इसलिए तुरंत सावधान हो गया।

और अब आगे मैंने उस सांवली सलोनी के साथ क्या क्या किया, यह आप लोग इस कहानी के अगले भाग में पढ़िए !

अरुण
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