डाण्डिया से दिल तक

डाण्डिया से दिल तक

प्रेषक : जीत फ़्रॉम भुज

सबसे पहले मैं अन्तर्वासना के सभी पाठकों को अपना परिचय देना चाहूंगा, मेरा नाम जीत है। मैं एक 21 साल का युवक हूँ। मेरी लम्बाई 5’6″ इंच है और मेरे लोड़े की लम्बाई 6 इंच से ऊपर है अगर आपको तसल्ली करनी हो तो आपको खुद को ही पकड़ कर नापना पड़ेगा, और मुझे इसमें कोई ऐतराज नहीं है। मैं भुज, कच्छ (गुजरात) में रहता हूँ। मैं एक कम्पनी में काम करता हूँ।

मैं थोड़ा शर्मीले किस्म का लड़का हूँ और बहुत कम बोलता हूँ।

मैं नियमीत रूप से अन्तर्वासना का पाठक हूँ, एक दिन मुझे भी अपना पहला अनुभव आपके साथ शेयर करने की इच्छा हुई तो अपनी घटना आपके सामने पेश कर रहा हूँ।

मेरे बेडरूम की खिड़की की विपरीत दिशा में मेरा कम्पयूटर रखा हुआ है, बेडरुम के पीछे एक गैलरी है, जहाँ से पीछे वाले घर के बेडरुम का पीछे वाला दरवाजा है, वहाँ से कम्प्यूटर का स्क्रीन और मेरा बेड साफ-साफ दिखता है। मैं रोज उसमें नंगी फोटो और वीडियो देखता हूँ।

मुझे नहीं पता था कि पीछे वाले घर में रहने वाली महिला मुझे या मेरे कम्प्यूटर में तस्वीरों को छुप कर देखती है। लेकिन एक दिन मैंने उसे छुप कर देखते देख लिया, तबसे मैं भी उसे रोज छुप कर देखने लगा। वैसे मैंने उसे कभी नजर से नहीं देखा था, लेकिन उस दिन के बाद मेरा भी मन बदलने लगा।

उसका नाम निशा है और वो घरेलू महिला है, उसका पति एक बड़ा व्यापारी है, लगभग 44-45 साल का, बहुत अमीर लोग हैं वे।

निशा लगभग 35 साल की होगी पर भगवान ने उसे क्या बनाया था, एक–एक अंग को जैसे सांचे में बनाया हो।

उसका बदन 36-30-38 होगा, उसके मोम्मे इतने मोटे थे कि जैसे किसी गंजे आदमी का सिर, उसके चूतड़ ऐसे उठे थे कि जैसे हिमालय के दो विशाल पर्वत।

जब वो साड़ी पहनती थी तो क्या कयामत लगती थी। मैं बस उसी को चोदने के सपने देखने लगा, सदा मैं मौके की तलाश में रहने लगा था।

उसकी एक 10 साल की लड़की अहमदाबाद में होस्टल में रहकर पढ़ती है।

एक दिन हमारे पड़ोस में एक शादी थी, तो लड़की वालों ने डान्डिया नृत्य का आयोजन रखा था। हमारे यहाँ शादी से पहले डान्डिया रखते हैं। डाण्डिया का स्थान घर से काफ़ी दूर था।

शाम के 7:30 बजे थे। मैं निकल ही रहा था कि घर से थोड़ा आगे चलते ही मुझे निशा दिखाई दी, लाल रंग की बान्धनी वाली साड़ी पहनी हुई थी। बान्धनी, साड़ी का एक प्रकार है जो गुजरात में स्पेशल बनती है और बहुत प्रसिद्ध है।

निशा को भी डाण्डिया में निमंत्रण था, तो वो अकेली ही पैदल जा रही थी। ऐसा मौका कैसे जाने देता मैं।

मैंने उनके आगे ही अपनी बाईक रोक कर पूछा- कहाँ जा रही हैं आप? क्या मैं आपको छोड़ दूँ?

निशा ने कहा- मैं परी की शादी के डाण्डिया में जा रही हूँ।

मैंने कहा- अरे मैं भी वहीं जा रहा हूँ, बैठ जाइये।

वह अपनी बड़ी सी गाण्ड लेकर पीछे बैठी, और मैंने बाइक को स्टार्ट किया। रास्ता थोड़ा लंबा था और मैं बाइक को धीरे धीरे चला रहा था।

थोड़ी देर तो ऐसे ही चुप रहे, बाद में मैंने पूछा- आप अकेली क्यों जा रही थी? कहाँ है आपके मिस्टर?

निशा ने कहा- मैंने उन्हें फोन किया था लेकिन वो अपने काम में बहुत व्यस्त थे, उन्होंने कहा कि तुम रिक्शा करके चले जाना, मैं नहीं आ पाऊँगा।

मैंने कहा- क्यों उनको डाण्डिया नहीं खेलना है?

निशा ने कहा- उन्हें ऐसा कोई भी शौक नहीं है, बस सुबह काम पर जाते हैं और शाम को देर से आते हैं। फ़िर खाना खाकर सो जाते हैं।

निशा की बातों से मुझे ऐसा लगा कि वो मुझे एक इशारा कर रही है पर मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था।

जब भी कोई स्पीड ब्रेकर आता तो मैं जानबूझ कर जोर से ब्रेक लगाता और उसके मम्मे पीछे से मुझसे टकराते, तब बहुत मजा आता।

एक बार तो उसने मुझे इतना जोर से पकड़ लिया, मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा।

बस इसी तरह मैं मजे लेते लेते धीरे धीरे पहुँचा।

8 बजे से डाण्डिया शुरु हुआ। मैंने उनके साथ भी डाण्डिया खेला। समय बीतता गया, रात को लगभग एक बजे कार्यक्रम खत्म हुआ।

फ़िर हम वहाँ से निकले, जाते समय मेरी बाईक पहले से भी धीमी थी।

पता ही नहीं चला कि कब घर आ गया और हम जुदा हो गये, वो अपने घर चली गई।

उस रात तो मुझे नींद ही नहीं आई, अंदर से अच्छा अच्छा लग रहा था।

मैं मौके की तलाश में रहने लगा।

अचानक भगवान ने मेरी सुन ली। एक दिन उनके घर में बिजली से शॉट सर्किट हुआ और घर में बिजली चली गई।

मैंने इलेक्ट्रिकल इन्जीनीयरिंग का कोर्स किया है तो उन्होंने मुझे मदद के लिए बुलाया। मैं उनके घर में गया।

मैंने उनके घर का फ़्यूज़ चेक किया तो पता चला कि फ़्यूज़ ही उड़ गया है, तो मैंने वो बदल दिया।

फ़िर निशा ने कहा- मैं तुम्हारे लिये चाय बना कर आती हूँ।

इतना कह कर वो रसोईघर से चाय लेने अपनी गाण्ड मटकाती हुई चली गई जिसे देख कर मैं पागल हो रहा था।

थोड़ी देर बाद वो चाय लेकर आ गई, मैंने चाय पी और बैठ कर बात करते रहे।

मैंने कहा- आप जितनी अच्छी लगती हैं उतना ही अच्छा खेलती भी हैं, यह मुझे डाण्डिया में पता चला।

निशा ने कहा- थैन्कयू ! मैं सिर्फ़ डाण्डिया ही अच्छा नहीं खेलती हूँ, तुम जिसे रोज हिलाते हो, उससे भी खेल सकती हूँ।

वो भी तो डाण्डिया जैसा ही है, बस फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि तुम्हारा डाण्डिये से बहुत मोटा है।

मैं तो हक्का-बक्का रह गया, शायद उन्होंने मुझे मेरे बेडरुम में मेरा लौड़ा हिलाते देखा होगा।

फ़िर थोड़ी देर के लिए तो मेरी बोलती ही बंद हो गई।

निशा भाभी बोली- जीत, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?

मैंने कहा- नहीं।

निशा बोली- इसीलिए तुम पोर्न फोटो ओर वीडीयो क्लिप देखा करते हो?

मैं- आपको कैसे पता चला?

निशा- मुझे सब कुछ पता है कि तुम और क्या क्या करते हो।

मैंने कहा- मन तो बहुत कुछ करने को करता है, पर कर भी क्या सकता हूँ?

निशा- मुझे पता है कि तुम हाथ से हिलाते हो, यह बुरी बात है। इससे तुममें कमजोरी आ जायेगी। तुम चाहो तो तुम बहुत कुछ कर सकते हो।

मैंने कहा- मैं कुछ समझा नहीं !

तो बोली- तुम तो बुद्धू ही रहोगे, उस दिन डाण्डिया से लौटते वक्त भी अच्छा मौका था, लेकिन तुम कुछ समझे नहीं। मैं तुम्हारी मदद कर दूँगी। वैसे भी अब हम दोस्त हैं। मेरे पति मेरे साथ कुछ कर नहीं पाते। उनका तो वो खड़ा भी नहीं होता है और मुझे बैंगन या मूली से काम चलाना पड़ता है।

मैंने कहा- मैं एक बात पूछूँ?

वो बोली- क्या पूछना है, पूछो।

मैंने कहा- आप बुरा मान जाओगी।

तो बोली- नहीं।

मैंने कहा- मैंने आज तक किसी भी औरत या लड़की को असल में नंगी नहीं देखा है। क्या मैं आपको देख सकता हूँ?

उसने कहा- जरूर ! सिर्फ़ देख ही नहीं जो करना हो कर सकते हो, लेकीन अभी नहीं रात को।

फ़िर मैं वहाँ से अपने घर आ गया और रात का इन्तजार करने लगा।

लेकिन शाम को जब मैं घर के बाहर खड़ा था तब तब उसने आकर कहा- आज मत आना, मेरे पति परसों काम के सिलसिले में एक हफ़्ते के लिये बाहर जा रहे हैं तो परसों रात को तुम आ जाना।

मैं तो मन ही मन मुस्कराया और सोचा कि यह तो और अच्छी बात है क्योंकि मेरे घरवाले भी कल से 15 दिन की यात्रा पर जा रहे हैं पर मुझे अफ़सोस नहीं रहा कि मुझे ऑफ़िस से छुट्टी नहीं मिली, अब मैं यहीं पर रह कर एन्जोय करूँगा।

बहुत दिनों के बाद वो मौका आ ही गया।

शॉवर लेकर फ़िर परफ़्यूम लगा कर, तैयार होकर रात लगभग 9.30 बजे मैं उसके घर के पीछे के दरवाजे से अंदर गया।

अंदर तो मैं उसे देख कर हैरान हो गया, उसने काले रंग की साड़ी पहनी थी और उसका पल्लू जो कन्धों पर था, आधी छाती को ही छुपा रहा था।

उसके दोनों मम्मे लगभग आधे बाहर थे, मम्मों के ऊपर का हिस्सा क्या कमाल का था एक दम गोरे–गोरे मम्मे थे उसके।

मैं उसकी तरफ़ गया और जल्दी से उनके पास खड़ा हो गया।

वो बोली- लो, अब तुम्हें जो भी देखना हो, जैसे देखना हो, तुम खुद ही देख लो।

मैंने उसके होटों पर एक अपने होटों को रख कर एक जोरदार चुम्बन लिया, वो मेरी बाहों में गिर गई, मैं उसे उठा कर कमरे में ले गया।

उसने कमरे में एक टी वी पर ब्लू फिल्म लगा दी, फिर उसने मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए । मैंने उसके होटों को खूब चूसा, फिर गर्दन पर चूमा, फिर मैंने उसका ब्लाउज़ उतार दिया, उसने अंदर ब्रा पहनी थी।

उसके पूरे बदन में एक भी दाग नहीं था और चूचियाँ जैसे हिमालय की चोटियाँ सर उठाये खड़ी थी।

उसने खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया और बोली- यह पसंद है? लो दबाओ और मज़ा लो।

मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाया, उसके मुँह से आह–आह की आवाज निकलने लगी। उसकी चूचियों को दबाने में मजा आ गया था।

फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी ! क्या मस्त मम्मे थे उसके ! मुझसे रहा नहीं गया, मैंने एक को मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से दबाया। एक हाथ में तो आ ही नहीं रहे थे फिर जैसे–जैसे मैं दबाता उसके मुँह से आह–आह की आवाज निकल रही थी।

फिर मैंने उसका पेटिकोट का नाड़ा भी खोल दिया और अपना एक हाथ धीरे–धीरे उसके पेट से फिराते हुये उसके पेटीकोट के अंदर डाल दिया और उसकी जांघों को सहलाने लगा। फिर मैंने उसके पेट पर एक किस किया और उसका पेटीकोट धीरे –धीरे उतार दिया।

अंदर उसने हल्के गुलाबी रंग की पेन्टी पहन रखी थी।

मैंने उसकी जांघों पर किस किया और उसकी पेन्टी भी उतार दी। अंदर तो एकदम साफ सफ़ाचट मामला था, लगता था कि आज ही सफाई की हो।

फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत के दाने को हिलाता रहा।

जैसे–जैसे उसकी चूत में उंगली हिलाता वैसे–वैसे उसके मुँह से आह–आह की आवाज आ रही थी।

थोड़ी देर में मुझे उसके चूत कुछ गीली–गीली लगी और वो झड़ गई।

इसके बाद वो जींस के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगी, बोली- तुम्हारा लंड कितना बड़ा है?

मैंने कहा- 6″ का ! तुमने देखा तो है।

तो बोली- इतना बड़ा तो मैंने कभी नहीं देखा, क्या मैं देख सकती हूँ?

मैं बोला- तुमने देखा तो है।

मैं उनको पैर से लेके सर तक चूमता रहा और वो सीईई आह्ह अह्ह्ह्ह कर रही थी।

और मैं उनकी चूत को चाटने लगा।

पाँच मिनट में वो फ़िर झड़ गई।

फिर उसने उठ कर मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी, डाबर हनी की बोतल निकाल लाई और मेरे लंड पर डाल कर खूब चाटने लगी।

तभी कुछ देर बाद मैंने कहा- निशा भाभी, मेरा होने वाला है !

तो उन्होंने कहा- मेरे मुँह में झड़ो ! मैं तुम्हारा पीना चाहती हूँ !

और वो मेरे लंड को तब तक चूसती रही जब तक मैं उनके मुँह में झड़ नहीं गया।

वो मेरा लंड लगातार चूस रही थी, जब तक मेरा लंड दोबारा खड़ा नहीं हो गया। उसके बाद वो बेड पर लेट गई और मुझे अपने ऊपर ले लिया और मेरे लंड को अपनी चूत में रगड़ने लगी।

फिर मैंने उनकी टाँगें फैलाई और अपना लौड़ा उनकी चूत में डाल कर ऊपर ही रखा फिर हल्का सा झटका दिया।

लण्ड का टोपा ही अंदर गया, उसे दर्द हुआ, बोली- आराम से, मैं कोई भागे थोड़ी जा रही हूँ। मेरी चूत फट रही है निकाल ले अपना लौड़ा, मुझे नहीं चुदवाना तेरे से !

पर मैंने उनकी एक न सुनी और धीरे धीरे मैंने और ज़ोर लगाया तो कुछ अंदर गया। उसे दर्द हो रहा था, मैंने एक जोरदार मर्दों वाला झटका लगाया, लण्ड पूरा का पूरा चूत में जा चुका था, उसे दर्द हो रहा था वो दर्द से तड़प रही थी।

मैंने फिर लण्ड निकाल कर पूरा का पूरा फिर डाल दिया। इस बार आराम से चला गया। फिर मैंने अपनी गति बढ़ाई, ज़ोर–ज़ोर से उसे चोदने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा, वह भी चूतड़ उठा उठा कर साथ देने लगी।

मैं उसकी चूची के रस को पीने लगा।

मैंने उन्हें 20 मिनट तक खूब जम के चोदा और वो लगातार अह्ह अह अह्ह्ह करती रही।

अब मैं झड़ने वाला था तो मैंने कहा- निशा मैं झड़ने वाला हूँ।

वो बोली- मेरी चूत में झड़ो, फिलहाल तुम मुझे चोदो और मेरी बुर को सींच दो अपने पानी से।

और मैं उसे चोदते चोदते उसकी चूत में झड़ गया। और उसी के ऊपर लेट गया।

कुछ देर कमरे में शांति रही और फिर चूमा चाटी करने लगा।

मैंने भाभी से कहा- भाभी, मुझे आपकी गांड बड़ी प्यारी लगती है, क्या मैं आपकी गांड मार सकता हूँ?

इस पर वह बोली- अरे ! आज चूत दी तो गांड के पीछे पड़ गया? चल कल मेरी गांड भी मार लेना। अब यह जिस्म तेरा है, तू जैसे चाहे मुझे चोद सकता है।

उस रात हमने तीन बार सेक्स किया सुबह उसने मुझसे कहा- तुम ही मेरे पति हो। आज तुमने मुझे सच्चे सुख दिया है, सच में तेरे जैसा मर्द ही औरत की यौनभावना को समझ सकता है, जो तुमने मुझे समझा। आई लव यू !

दोस्तो, उसके बाद मुझे जब भी मौका मिलता है, मैं निशा भाभी को चोदता हूँ.. वो अब मुझसे काफी खुश है और मुझे ही अपना सब कुछ मानती है…

दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बतायें, इस पर भी आपके सुझाव भी भेजें।

मुझे आपके मेल का इन्तज़ार रहेगा..

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