देसी लड़की को दिया बिना चूत चोदे चुदाई का मज़ा
अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स स्टोरी पढ़ने वाले मेरे दोस्तों को नमस्कार!
आप सभी दोस्तों ने मेरी कहानियों को काफी सराहा, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ। आप लोग ऐसे ही मुझे मेल करते रहें, ताकि मुझे आपकी पसंद पता चलती रहे।
प्रस्तुत कहानी एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसने अपना कुंवारापन बरक़रार रखते हुए अपनी जवानी का मज़ा ले लिया।
आज से करीब 6 महीने पहले मुझे अपनी कंपनी के काम की वजह से सर्वे करने के लिए हरियाणा के एक गाँव में जाना पड़ा। वो गाँव थोड़ा पिछड़े इलाके में था, तो मैंने वहाँ जाकर लोगों से उनकी राय ली और सरपंच से मिल कर अपनी कंपनी के लिए वहाँ नए नौजवानों की भरती के लिए बताया, तो वहाँ काफी लड़के और लड़कियां मुझे मिलने आए।
मुझे गाँव के सरपंच ने अपने घर का एक रूम दे दिया था। जहाँ बैठ कर मैं अपना काम कर रहा था।
गांव की देसी लड़की
उनमें से एक लड़की जिसका नाम रज्जी था, वो भी अपना इन्टरव्यू देने मेरे पास आई।
मैंने उसके सर्टिफिकेट देखे.. वो हर क्लास में अव्वल आई हुई थी, परन्तु देखने में बहुत साधारण सी लग रही थी। उसका रंग बहुत साफ़ था, परन्तु कोई मेकअप वगैरह न करने की वजह से वो थोड़ा साधारण लग रही थी।
रज्जी को मैंने शाम को फिर मुझे मिलने को बोला और उसके पेपर भर कर रख लिए। वो शाम को दोबारा मेरे पास आई। शाम के वक्त वहाँ कोई नहीं था और सरपंच किसी काम से घर से बाहर चला गया था, उनके घर की महिलाएं अपने-अपने कामों में व्यस्त होने के कारण घर से बाहर या दूसरे कमरों में थीं।
मेरा वो कमरा थोड़ा बाकी कमरों से हट कर ही था, हो सकता है सरपंच ने अपने पास आते ऐसे लोगों को मिलने के लिए ये अलग कमरा घर से थोड़ा अलग बनवाया हो, क्योंकि सरपंच के पास अक्सर सरकारी लोग या और लोग अपने कामों के लिए आते रहते होंगे।
रज्जी, मेरे सामने बैठी थी और मैं उसके सामने.. हम दोनों के बीच एक टेबल का फासला था और हम दोनों सोफे पर बैठे थे। मैंने देखा रज्जी का जिस्म काफी भरा हुआ था और वो काफी सेक्सी लग रही थी।
मैंने रज्जी को अपनी कंपनी के दफ्तर आने को कह दिया और उसके साथ कुछ अन्य बातें करने लगा।
वो कुछ ही देर में मेरे साथ बातों में खुल गई.. क्योंकि वो कालेज जाती रही थी, तो उसका बोलचाल का तरीका काफी खुला था और काफी खुले स्वभाव वाली लड़की थी।
कुछ ही देर में रज्जी का मोबाईल बजा, तो उसने फोन पिक किया और वो किसी से बात करने लगी। वो फ़ोन पर किसी को बोल रही थी- यार.. मैं अभी बिजी हूँ, बाद में बात करूँगी।
गांड मरा जाकर
फिर शायद दूसरी ओर से बोलने वाला उससे अभी बात करने के लिए कह रहा होगा, तो उसने बेबाक कह दिया ‘फिर गांड मरा जाकर..’
यह कहकर उसने फ़ोन कट कर दिया, जिसे सुन कर मैं हैरान रह गया कि इतनी साधारण सी दिखने वाली लड़की.. इतनी तेज भी हो सकती है।
तभी उसकी नज़रें मुझ पर पड़ीं, तो वो शरमा गई और उठ कर जाने लगी, उसे मैंने बैठने के लिए कह दिया।
अब उसका चेहरा शर्म से लाल हो चुका था।
मैंने उसकी झिझक दूर करते हुए कहा- अरे रज्जी, घबराओ मत.. बैठो यार.. कोई बात नहीं ऐसा सब बोलते हैं.. कोई सामने से बोलता है.. कोई अन्दर बोलता है।
मैंने उसे बिठा दिया और कहा- घबराओ मत यार, तुम तो ऐसे घबरा रही हो जैसे पता नहीं कोई जुर्म कर लिया हो। अरे मैं खुद चुदाई की कहानियां लिखता हूँ, सेक्सी बातें करना तो आज कल आम है।
यह सुन कर वो थोड़ा खुल गई और उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने समझ लिया कि रज्जी भी बेबाक ही है।
मैंने कहा- अच्छा तुम्हें मेरे साथ बात करने में कोई दिक्कत हो रही है क्या?
उसने ‘ना’ में सर हिलाया।
मैंने कहा- बोल कर बताओ.. अगर तुझे मेरे साथ बात करने में दिक्कत हो रही है तो तुम जा सकती हो।
वो बोली- नहीं.. दिक्कत कोई नहीं है.. परन्तु अब मैं गाँव से हूँ, इसलिए मुझे थोड़ा झिझक हो रही है।
मैंने कहा- बस तुम जैसे कालेज में बातें करती थीं.. वैसे बातें मेरे साथ कर सकती हो बेबी।
वो कहने लगी- मेरे ब्वॉयफ्रेंड का फ़ोन था, साला बिना वजह से बोर करता रहता है.. एक नम्बर का चूतिया है।
वो उसे गालियाँ दे रही थी।
मैंने कहा- ओह.. तो तुमने भी ब्वॉयफ्रेंड बना रखा है।
वो बोली- क्यों.. रख नहीं सकती क्या?
मैंने कहा- ऐसा नहीं है.. रख सकती हो। अच्छा क्या तुमने कभी सेक्स भी किया है?
वो बोली- नहीं.. सेक्स तो नहीं किया.. वो मेरा फ्रेंड भी साला.. पूरा चूतिया है, उसे अब मैं बोलकर तो कह नहीं सकती कि आजा मुझे वो…
वो कहती-कहती रुक गई।
मैंने कहा- हाँ हाँ मतलब तुम उससे ये तो सीधे-सीधे कह नहीं सकती कि आकर मुझे चोद दे..
उसकी आधी बता मैंने पूरी कर दी।
वो शर्मा गई।
देसी लड़की की चूत में उंगली
मैंने उठ कर एक बार बाहर देखा और वहाँ कोई नहीं था, तो मैं रज्जी के पास गया और उसके मम्मों को टच करता हुआ बोला- अरे वाह कितना सेक्सी बदन है और साला तुम्हारा फ्रेंड सच में पूरा चूतिया है। ऐसा हुस्न मेरे पास होता तो रोज़ दो-तीन बार चोद देता।
वो शरमाने लगी परन्तु विरोध नहीं कर रही थी, मैंने उसके मम्मे हलके से दबाए तो वो हिचकचा उठी।
मैंने कहा- डर मत.. बाहर और नजदीक कोई नहीं है.. और मैं कौन सा यहाँ रहने वाला हूँ और न किसी को बताने वाला हूँ। सब कुछ हम दोनों के बीच ही रहेगा।
यह कहकर मैंने उसकी कमीज़ के अन्दर हाथ डाल दिया। अन्दर उसने ब्रा पहनी थी.. मैंने ब्रा के ऊपर से उसके मम्मे सहलाए और उसकी गर्दन के पास अपने मुँह से गर्म साँसें छोड़ीं तो वो थोड़ा गर्म हो गई।
मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया, मैंने अपने हाथ उसकी ब्रा के अन्दर डाल दिए। मैंने उसकी ब्रा को बिना उतारे.. उसके अन्दर हाथ डाल कर उसके दोनों चूचुकों को भी मींज दिया।
कुछ ही देर में वो काफी गर्म हो गई। फिर मैंने उसकी कमीज़ को ऊपर किया और उसकी ब्रा को ऐसे ही साइड में करके मैंने उसके चूचियों को टटोला और फिर उसकी एक चूची अपने मुँह में ले लिया।
उसने ‘आह..’ करके साँस ली और शायद उसने आज पहली बार ज़िन्दगी में किसी मर्द के मुँह में अपनी चूची दी थी।
उसे काफी मज़ा आ रहा था।
मैं कुछ देर तक उसकी चूची चूसने के बाद फिर उसकी दूसरी चूची चूसने लगा। रज्जी बहुत तेज साँसें ले रही थी और उत्तेजना के मारे सिसकार रही थी।
मैं ऐसे ही एक हाथ उसकी सलवार तक लेकर गया और उसकी सलवार का नाड़ा ढीला करके अपना हाथ उसमें डाल दिया।
उसने नीचे कच्छी पहनी हुई थी, उसकी कच्छी पहले ही पूरी तरह गीली हो चुकी थी, मैं उसकी कच्छी के अन्दर हाथ करके उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा।
अब मैं उसके दाने को सहला रहा था और ऊपर से उसकी गर्दन और गाल को चूम रहा था और मम्मों को भी दबा रहा था और चूस रहा था।
रज्जी बहुत तेज-तेज साँसें ले रही थी और बोल रही थी- आह बस.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… सी सी..
मैंने कह दिया- वाह मेरी जान.. तुम्हारी तो कच्छी भी पूरी गीली हो गई।
वो बोली- उन्ह अह.. सी सी.. मेरा पेशाब निकल रहा है.. आई उई..
मैंने अंदाज़ा लगा लिया कि ये इसकी पेशाब नहीं.. बल्कि ये तो उसकी जवानी का मज़ा है.. जो पहली बार निकल रहा है।
मैंने कहा- अरे पगली.. ये पेशाब तो मुझे पीना था.. परन्तु अब जगह ही ऐसी है कि यहाँ ये सम्भव नहीं है।
तो वो थोड़ा मुस्करा दी और ‘उन्ह आंह सी सी..’ करती रही।
मैंने देखा अब वो ढीली पड़ गई थी, मैंने उसकी गांड को भी थोड़ा थपथपाया और उसकी सलवार से हाथ निकाल लिया। फिर मैंने उसे किस कर दी और उसके होंठों को अपने होंठों से मिला लिया।
अब रज्जी बिना अपना कुंवारापन गंवाए किसी मर्द से अपनी चुदाई जैसा मज़ा ले चुकी थी।
मैंने उससे कहा- डियर रज्जी.. आज हम किसी और जगह हैं, अगर किसी पर्सनल जगह पर होते तो मैं तुमको इससे भी बहुत ज्यादा मज़ा देता।
रज्जी ने अपने कपड़े ठीक किए और बोली- थैंक्स, मज़ा देने के लिए।
वो मुस्करा दी.. अब हम दोनों की शर्म दूर हो गई थी।
अब रज्जी बोली- डियर.. अब से आप मेरे ब्वॉयफ्रेण्ड हो और अब में उस चूतिया की गांड मारूंगी.. साला दो साल से नाटक कर रहा है। उसे तो पता ही नहीं रहता कि लड़की का कब मूड होता है, मेरे सर ने पहले ही दिन मुझे पहचान लिया।
हम दोनों हँसने लगे।
मैं बोला- अच्छा साली.. अब तो किसी दिन तेरी गांड मैं मारूंगा.. अगली बार जिस दिन भी हम मिलेंगे तो मैं पक्का तेरी गांड खोल दूंगा।
वो हँस दी.. और कुछ देर बाद चली गई।
अभी तक उसका कुंवारापन बरकरार था। अब हम फोन पर रोज़ मज़ा लेते हैं और फोन पर ही चुदाई का हर तरीका आजमा चुके हैं। उसे फोन सेक्स का चस्का बहुत लग चुका था और मुझे भी मजा आने लगा था।
अभी भी जब मैं अपने लैपटॉप पर ये कहानी लिख रहा हूँ.. तब भी वो मेरे साथ बात कर रही है और जब तक आप लोगों तक यह कहानी पहुँचेगी तब तक अब हम दोनों मिल चुके होंगे, क्योंकि वो कल अपना कुंवारापन खुलवाने मेरे पास आ रही है।
दोस्तो, अभी कल ही रज्जी से फोन पर बात हुई है, तो मैंने हम दोनों की दास्तान उसकी सहमति से लिख दी। मेरी ये सबसे छोटी कहानी आपको कैसी लगी।
मेरे कई दोस्तों को शायद ये मेरी बाकी कहानियों से अलग सी लगे.. क्योंकि शायद इसमें गालियाँ और बहुत तेज सेक्स और चुदाई की भरमार.. या भरपूर लंड और चूत से पानी निकालने वाला तेज मसाला नहीं है। परन्तु आप फिर भी मुझे ईमेल जरूर करना और बताना कि आपको कैसी हिन्दी सेक्स स्टोरीज पसंद हैं।
आपका दोस्त रवि
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